= दुनिया में भारत के आदिवासियों की स्थिति सबसे अच्छी हैं , संसद_ विधानसभा , नौकरियों सब जगह आरक्षण हैं , टाडा_ माडा , शहरिया विकास ...... जैसी कई कई योजनाएं भी उनके लिए हैं ....? राशन, लूनमिर्च, चाय_ शकर,पानी , बिजली , इलाज़, मोबाइल आवास , शिक्षा सबकुछ तो फ्री हैं , .....? आदिवासी तो राजस्थान के मीना , मीणा भी हैं , छत्तीसगढ़, झारखंड में भी हैं ,वे कितने एडवांस , तरक्कियाफता हैं ......? उनको आदर्श मानकर आगे बढ़ो , ज़्यादा से ज़्यादा शिक्षित बनो , तरक्की स्वतः होगी ..... पीछे मत जाओ.... ,सिर्फ आगे बढ़ो ..... आपके नेता , शासक, समाज_ धर्म कार्यकर्ता ही आपको पीछे लेजा रहे हैं , ताकि उनकी मर्जी चलती रहे , वे अपनी राजनीति की रोटी आदिवासियों की आग पर सेकते रहें , बस यही उनका काम हैं ....? जबकि दुनिया कितनी वैज्ञानिक, मॉडर्न हो गई हैं, अंतरिक्ष _ मंगल _ चांद पर घर बना रहीं हैं ......? हिंदू पौराणिक कथाओं, युद्धों की तरह ही अब दुनिया अंतरिक्ष युद्ध लड़ रही हैं ,तो आपके नेता , आपको गुफाओं में धकेल रहे हैं .... तो अब जागो _ चेतो, उसी में भला हैं.....?
@AnandBhil-A1Z tab aap log inke sath thye to achye thye lekin ab matlab nikal gaya ab tum sudra ho inke liye or kuchh nahi in ki swabhiman ki ladhai main hajaron rajput or bheel aadiwashi sahid huye inka malab ye tha ki main to raja hoo main kiyon ladhoo jo meri dadad karega bo marega or vahi Hua
@@singhbanna6561 agar aaj raja man singh hote to mewad khali ho jata ye bat 100% pakki hain kiyon ki gaddaron ki kami nahi mewad main or raja man singh gaddaron ke Kal thye
@@LalitSinghChundawat-he1hl a maharana ne desh dharam ki ladhai nahi ladhi or mughal Raj ek mewad per nahi pure bharat per tha or sabhi rajput apne apne rajjya ke raja thye sabhi apne apne rajjya ki rachha main lage thye kiya mewad ke rajaon ne raja bharmal ka sath diya tha nahi diya tha ek choti si riyasat ke raja ki madad karni chahiye thi
मेवाड़ के इतिहास में मेवाड़ के राजाओं से ज्यादा दूसरे राजपूतों का योगदान है इतिहास सही से पड़ा नहीं है लगता है 45 ठिकाने राठौड़ के थे 44 ठिकाने 44 ठिकाने चौहान के थे और देवड़ा झाला पवार सोलंकी और भी कही राजपूतों के ठिकाने थे और इन्होंने ही सबसे ज्यादा योगदान दिया है क्रेडिट खुद लेना शिखा है मेवाड़ आज है तो केवल मारवाड़ के राठौड़ की वजह से खाली हवा बाजी से कुछ नहीं होता है सही से इतिहास पढ़ो
ये लक्ष्यराज सिंह ज्ञान दे रहा है खुद दूसरे का हिस्सा खा के बैठा है, खुद को प्रिंस राजकुमार कहता है जबकि इसके पिताश्री महाराणा तो है ही नहीं, महाराणा महेंद्र सिंह जी है और राजकुमार विस्वराज सिंह जी है, आज ये वर्तमान भी कभी इतिहास बनेगा और तुम्हारा नाम भी उसमें दर्ज होगा आज तक लोगों ने देखा कि बड़े भाई ने भाई ने छोटे भाई का सम्मान नहीं किया, उसे उसकी संपत्ति नहीं दी पर तुम पहले आदमी बनोगे जो छोटा होकर भी बड़े भाई की संपति पद प्रतिष्ठा खा गया, वाकपटुता और लच्छेदार भाषा से महाराणा प्रताप के नाम पर अपनी रोटियां सेंक रहे हो, तुम तो कहते हो हम सूर्यवंशी है भगवान राम से अपना नाता जोड़ते होपर उनके जैसे तो काम नहीं है तुम्हारे, राज्य तो भरत जी को भी मिला था पर उन्होंने कभी खुद को राजा नहीं कहा और न ही बड़ा बनने की कोशिश की और चाहते तो तुमसे ज्यादा अच्छे से कर सकते थे ये काम, फालतू की नौटंकी है ये अपने फायदे के लिए लोगों के साथ खेल रहा है, महाराणा प्रताप के वंशज अकेले तुम हो क्या और वैसा भी देखा जाए तो तुम भी पूरे तरीके से उनके वंशज नहीं हो, शायद आपके दादा जी या उनके पिताजी को गोद लिया गया था उस समय के मेवाड़ नरेश के द्वारा संतान न होने के कारण तो जितना तुम बनने कि कोशिश करें हो उतना हो भी नहीं, महलों में रहने से कोई महाराणा नहीं बन जाता, शालीनता होनी चाहिए और महाराणा तो महेंद्र सिंह जी है जो बड़े होने के बाद भी कुछ नहीं किया और चुपचाप है, ज्ञानी अपना ज्ञान बताते नहीं फिरता कि उसे ज्ञान है, महाराणा और राजकुमार बताने की जरूरत तुम्हें पड़ रही है न कि उन्हें 😅
Maharana pratap ki ladhai swabhiman ki ladhai thi koi desh dharam or perswarth ki nahi thi Maharana khud mughalon se sidhye Nani ladhye or dusre rajputon ko hi merwate rahye jab bhi mughalon ne hamla kiya derpok jangal main chup ker beith gaye raja man singh ki badolat hi Maharana pratap ka etihas hain Barna etihas ke panne se gayab ho jate
@@SharwansinghDeora-r3d ye log chahte hain ki raja man singh jo bhi kuchh karte maharana ke liye karte or 78 hajar mandir banane bale 77 yoddh jitne Bale mahan yoddh ko gaddar Kahne bale hi sab se bada gaddar hain in ki soch etni Giri hui hain ki mewad ke lachhraj kaviyon ko or dusre nakli lekhkon ko paisa de ker raja man singh ke bare main galat likh bate hain or kaviyon se galat Kavita bulbate hain jab ye aise gire huye nich inshan hain to inke purvaj kaise mahan ho sakte hain chittod garh ka raja chitrangad maurya ek chota raja tha use hata ker khudne chittod garh per kabza ker Liya or akbar se ladhne ki himmat hi nahi hui ki kabhi akbar ko agra main ja ker chelenj dete isse se kai gune or rajput hain jo akbar per sidha hamla kerte thye
@@UrmilaDeviKushwah Teri dikkat samaj sakta hu main 😂 Lekin kya kare man singh ne jo ladai ladi aur jiti vo mughlo ke liye okk Aur jaha tak rahi bat amer ( Jaipur) ki too ye raj parivar mughlo ka bahot bada bootlicker tha unke karan hi mughal Bharat me pair jama paye the 😂 Kachhwaha gaddar hote hai 😂
मुगलों का साथ दिया किसने नहीं ये बता सबने दिया इसलिए तेरे जैसे आज जिंदा बच गए अच्छा हुआ सफेद टोपी पहनने से बच गए हजारों मंदिर बचाने गौ सेवा करने वाले महान राजा मान सिंह आमेर का नाम इतिहास में सबसे ऊपर ह
@@Ak968As ye koi bhi rathor ho matab to sach se hain ab ashli sach suno mugal kal main betiya uthai balatkar huye betiya Bazar main bechi gai kuchh rakheil banai gai to kuchh se bachha paida kiye gaye lootpat ki hajaron joher huye hajaron rajputon ka kattal Hua 36 hajar aam jantta ka kattal mughalon ne kiya tha tab maharana pratap kanha thye mewad kummbal garh chittod garh per hamla kiya mughalon ne do char mughalon ko Mar Marde nahi Mara inke gharloo sambandh rahye mughlon se sainapati mughal dost banaye to mughal bhai banaya to mughal puttra banaya to mughal bo bhi gharon ke Ander ghus ker rahye khna bhi yahi khate thye sab se bade gaddar mewad ke log
राजा मानसिंह कच्छवाह ******************* किसी संघर्ष का सामना करने की रणनीति अलग हो सकती है मगर उसके आधार पर किसी महान शासक को जज करना उसे ग़द्दार ठहराया जाना मूर्खता के अलावा कुछ नहीं है। महाराणा प्रताप की बराबरी भारतीय इतिहास में कोई नहीं कर सकता है । मगर इसके लिए राजा मान सिंह को ग़द्दार कहना नितांत बचपना ही होगा। महाराणा प्रताप ने स्वतंत्रता संघर्ष से हिन्दुआ सूरज की प्रतिष्ठा प्राप्त की थी तो शिवाजी ने स्वराज की स्थापना से। मानसिंह मुग़ल शासन में ने हिंदू मंदिरों की रक्षा पुनर्निर्माण और संरक्षण जो महान कार्य किया था उसकी किसी से तुलना नहीं की जा सकती है। जिन्हें इतिहास की वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है। जिन्हें तथ्यों और स्रोतों के आधार पर इतिहास के अध्ययन की समझ नहीं हो वे वाट्सअप यूनिवर्सिटी पर इतिहासकार बनने के बजाय अपनी सातवीं पीढ़ी के पूर्वज का नाम तलाश कर लें तो इतिहास की उनकी समझ बेहतर हो जाएगी। इतिहास के अध्ययन को राजनीति,जाति और नैरेटिव से दूर रखकर उसको पढ़ने का जिम्मा इतिहास के विशेषज्ञों पर छोड़ दे तो एक बेहतर भारत का निर्माण हो सकता है। अस्तु आपकी जानकारी के लिए राजा मान सिंह द्वारा निर्मित/पुनर्निर्मित/समर्थित मंदिरों की सूची दे रहा हूँ जिसे पढ़कर इससे बेहतर हिंदू मंदिरों के रक्षक का नाम आप की जानकारी में हो तो बताएँ। राजा मान सिंह द्वारा निर्मित/पुनर्निर्मित/समर्थित मंदिरों की सूची- 1.गोविंद देव जी मंदिर, वृंदावन 2.जगत शिरोमणि मंदिर, आमेर 3.शिला देवी मंदिर, आमेर किला 4.रघुनाथ जी मंदिर, आमेर 5.गढ़ गणेश मंदिर, जयपुर 6..विष्णु मंदिर, वृंदावन 7.केशव देव मंदिर, मथुरा (पुनर्निर्माण) 8.वराह मंदिर, पुष्कर (पुनर्निर्माण) 9.रामचंद्र मंदिर, ओरछा 10.बालाजी मंदिर, सालासर 11.सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण, गुजरात 12.काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी (समर्थन 13.मंगलनाथ मंदिर, उज्जैन 14.नीलकंठ महादेव मंदिर, अलवर (पुनर्निर्माण) 15.राम राजा मंदिर, ओरछा (समर्थन) 16.द्वारिकाधीश मंदिर, गुजरात (पुनर्निर्माण) 17.जागेश्वर मंदिरों का समर्थन, उत्तराखंड 18.सूर्य मंदिर, गाल्टा जी (जयपुर) 19.महादेव मंदिर, गाल्टा जी (जयपुर) 20.अनंत वासुदेव मंदिर का पुनर्निर्माण, भुवनेश्वर 21.ब्रह्मेश्वर मंदिर, नालंदा (पुनर्निर्माण) 22.श्री मंदाता मंदिर, ओंकारेश्वर (समर्थन) 23.अचलेश्वर महादेव मंदिर, माउंट आबू (पुनर्निर्माण) 24.भांडासर जैन मंदिर, बीकानेर (समर्थन) 25.गोपीनाथ मंदिर, वृंदावन 26.काल भैरव मंदिर, उज्जैन (समर्थन) 27.श्री शांतिनाथ जैन मंदिर, खजुराहो (समर्थन) 28.शीतला माता मंदिर, आमेर किला 29,बटेश्वर मंदिर परिसर, मुरैना (समर्थन/पुनर्निर्माण) 30.द्वारिकाधीश मंदिर, मथुरा (समर्थन) 31.लक्ष्मीनारायण मंदिर, जयपुर (समर्थन) 32.गुर्जर-प्रतिहार मंदिर, नागदा (पुनर्निर्माण) 33.त्रिनेत्र गणेश मंदिर, रणथंभौर (समर्थन) 34.भैरव मंदिर, आमेर किला 35.श्री रामचंद्र मंदिर, कनक वृंदावन (जयपुर) 36.केदारेश्वर मंदिर का पुनर्निर्माण, केदारनाथ 37.मीरा बाई मंदिर, चित्तौड़गढ़ (समर्थन) 38.ब्रह्मा मंदिर, पुष्कर (पुनर्निर्माण/समर्थन) 39.महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन (पुनर्निर्माण) 40.संगमेश्वर महादेव मंदिर, काशी (पुनर्निर्माण/समर्थन) 41.हरिहर मंदिर, उत्तर प्रदेश (पुनर्निर्माण/समर्थन) 42.कुंटेश्वर महादेव मंदिर, कच्छ (समर्थन) 43.द्वारिकाधीश मंदिर का पुनर्निर्माण, गुजरात 44.रामचंद्र मंदिर, कनक वृंदावन (जयपुर) 45.सास बहू मंदिर, ग्वालियर (समर्थन/पुनर्निर्माण) 46.दधिमति माता मंदिर, नागौर (पुनर्निर्माण) !!धर्म परायण सनातन रक्षक राजा मानसिंह!! @highlight शुभम् भवतु।।
गौरव चौहान आपने उसी सम्मेलन में यह भी तो कहा था कि हम पृथ्वीराज के वंशज है फिर आप एक धमकी मात्र से डर गए ,आप जैसे को कवि कहने में भी शर्म आ रही है ,बार बार बयान बदल कर आपने कवि धर्म की धज्जियां ही उड़ा दी --?
जब परिवार की सुरक्षा तक बात आ जाये तो मेरे जैसे साधारण राजपूत जिसे अपने ही राजपूत भाई धमका रहे हों...बचाव करना पड़ता है..देश के करोडों सनातनी मेरे कवि होने पर गर्व करते हैं ये मेरे लिए काफी है,,मैं दो राजपूत घरानों के विवाद में फंस गया जिसमें मेरी ये ज़िम्मेदारी थी कि कोई भी पक्ष नाराज़ न हो क्यों कि दोनों ही पक्ष मेरे अपने है..हम सब एक रहे नेक रहें बस यही कहना है और आप भी मुझसे घृणा न करें मेरे भी कई अच्छे काम है जिन्हें आप देख सुन सकते हैं..बाकी एक ऐसी स्थिति जिसमे मानसिक रूप से टूट चुका व्यक्ति कोई गलती कर बैठे उसको इस तरह से नही आंकना चाहिए जैसे आप कर रहे हैं
लक्ष्यराज जी और शैलेश लोधा बहुत तेज दिमाग के है । उसी दिमाग का प्रयोग उन्होंने किया । 500 साल पहले भी राजनीति हुई और अब भी हो रही है । सवाल ये है की उस समय जो मेवाड़ का नुकसान हुआ क्या वो अब भी अनवरत जारी रहेगा !?
माना मान सिंह जी ने महाराणा प्रताप जी का साथ नहीं दिया तो फिर जगमाल सिसौदिया जो कि महाराणा प्रताप के बड़े भाई थे उन्होंने तो अकबर की सेना का नेतृत्व करते हुए सिरोही पे आक्रमण किया था उनको क्या कहोगे??
@@GovindSingh-bz7xiशक्ति सिंह जी ने मुगलों की तरफ से कोई लड़ाई नहीं लड़ी हा प्रताप जी से नाराज जरूर थे और जब युद्ध में घायल हुए थे प्रताप तब बलिचा के नाले के पास प्रताप जी की सहायता शक्ति सिंह जी ने ही की थी और अपनी भूल को स्वीकार कर महाराणा के गले मिले थे थोड़ा इतिहास पढ़ना चाहिए
@@prathvisinghrathore7141 aacha ji…chatrapati shivaji yaad hai kon thy jinhone mughlo se ladai ladi thy, bajirao peshwa yaad hai kon hai,? Ye toh Rajput nhi thy…phle knowledge sahi kro apni…or rajput Hindus nhi h kya? Jb praja se tax lete thy raja toh praja ki raksha b toh unhe hi krni pdegi na…sbi Hindu tax dete thy rajao ko chahe rajput raja ho ya maratha raja ya south k Hindu raja….tumhare anusaar sirf kshatryia hi lade hindu nahi…ye kshatriye hindu janata se tax b lete thy toh ye b yaad rakh….rajya chalane k liye janta tax deti thy jiska use raja defence mei b krta tha jo jarauri tha Uss waqat…hindu janta tax na deti toh ye hindu Rajput maratha koi b raja weapon kaha se laate, army ko maintain kaise kr paate?
आदरणीय मनु राव जी आपने जो विषय अभी उठाया है जिसमें आमेर के राजा मानसिंह द्वारा अकबर के लिए अफगानिस्तान की पांच रियासतों रियासतों के विजय अभियान के बारे में बताया गया उन्होंने इस कार्य के लिए अकबर को रजामंदी क्यों दी उन्होंने मेवाड महाराणा प्रताप के विरूध क्यों लड़ाई लड़ी उन्होंने जयपुर में हिंदू मंदिरों का निर्माण कराया यह किस कालखंड की बात है आप इस कालखंड के थोड़ा सा पहले भी जाकर देखिए की अकबर सम्राट मानसिंह के ऊपर इतना विश्वास क्यों करता है उस घटना का भी जिक्र कीजिए जिससे पूरा राजपूत समाज अपने आप को शर्मिंदा महसूस करता है उन्होंने मुगल सम्राट के साथ में रिस्तेदारियां क्यों बनाई क्या इन्ही रिस्तेदारियों के बदले ही उन्हें सेनापति का पद मिला यह अन्य कर्ण की वजह से अकबर के प्रिय बने जयपुर में हिंदू मंदिरों का निर्माण अफगानिस्तान विजय और जयपुर के पचरंगी ध्वज के पहले के कालखंड भी शोध का विषय है आप उसके बारे में शोध करके दर्शको को सही जानकारी दें समझाएं मेरा ऐसा मानना है कि जीवन में व्यक्ति दो ही चीज में राजी होता है ✅ या तो प्रीत से या भय से ✅ इन दोनों चीज की बानगी हमें गौरव चौहान के दोनों ऑडियो से मिल गई है बाकी आप खुद समझदार हैं अब अगला आगे का काम आपका काम है आप उसे करें
भाई साहब कृपया ऐसी बातें ना करें, राजस्थान हमेशा एक था और एकही रहेगा, विभिन्न रियासतों एवं प्रांतो में बंटे हुए स्वतंत्रता से पहले के राजस्थान की सीमाएं भलेही अलग हो, बावजूद उसके वह सब एक थे उन्होंने मिलकर मराठों से लड़ा। मेवाड़ हमारे सबके लिए हमेशा से ही गौरव देने वाला रहा है, हम महाराज कंवर लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ का बहुत सम्मान करते हैं। जय हिंद जय भारत जयराजपूताना
कोई भी राजा अपने राज्य में अनेक कार्य करता ही है चाहे वो मान सिंह जी हो या कोई ओर पर आप सभी अपने दिल पर हाथ रख कर हल्दी घाटी का नजारा देखिएगा जरुर ! इतिहास में जो गलतियां हुई है उसे छुपाना या नकारना ग़लत है अगर उन गलतियों को स्वीकार कर हम आगे बढ़ेंगे तो जरुर राजपुताने की एकता पुनः कायम होगी हम एक दूसरे के सहयोगी बन ये प्रण ले सकते है कि ऐसी गलतियां इस युग मे ना दोहराई जाए और राजपूताना पुनः कायम हो! बाकी मेवाड़ का एक एक व्यक्ति हल्दी घाटी मामले में मेवाड़ के साथ खड़ा है और एकता कायम हो तो मेवाड़ संपूर्ण राजपुताने के लिए खड़ा है क्युकी मेवाड़ ने राणा सांगा जैसे पुरुषों को भी जन्म दिया है जो पूरे राजपुताने को एक झंडे के नीचे लाय थे जय मेवाड़ जय राजपुताना
ये बहुत गलत हुआ है मान सिंह जी के कारण पूरा भारत वर्ष मैं सुन्नत होने से बच्ची हे ये भी एक इतिहास है इसको छुपाना नहीं चाहिए वो बहुत बड़ा सुरा था उसने काबुल ईरान और अफगानिस्तान को जीत कर हिन्दू सत्ता स्थापित करी इसलिए इनका मजाक नहीं बनाना चाहिए सबकी अपनी अपनी जगे इज्जत हे कृपया ऐसे विचार ना व्यक्त करे समाज में एकता रहने दे धन्यवाद सा
बिल्कुल चौहान सहाब मै आपकी इन लाईनो की निंदा करता हू आपका इतिहास का ज्ञान अधुरा है निश्चित महाराणा प्रताप वीर शिरोमणी थे मगर हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए हर राजपूत ने अपना बलिदान किया है चाहे महाराज मानसिंह ही हो उन्होंकी वजह से आज दुढाड , मे हिन्दू लहलहा रहे है मै समस्त राजपूतों को आभारी हू आपके बलिदान से हमारा सनातन जिंदा है ।
@@g.psharma9364 mewad ke lachhraj nahi chahte ki raja man singh ka ashli etihas sab ko Pata chale or jo bhi etihas ab tak log jante hain bo inka hi jhunth phaila Hua hain farji kitab likh bai hain paisa de ker jodh ki kahani bhi inke eshare per likhi gai thi koi samjh nahi saka ham etihas karo ko bam panthi kahte rahye inke purvajon ke eshare per hi dusre rajputon ko samman nahi mila etihaskaron ne total etihas galat likha to inko kaise chod diya
Virender Singh Ji ki baat hume bilkul sahi lagi ki us bin pende ke kavi se kahi jyada galti laksyraj singh ji ki thi jo rajput hone ke baad bhi itihas ki sahi Jan kari nahi hone wali harkat kari or rajput Ekta ko thod ne ka kam kiya h Rajput ko apsa me ladwane wali gatiya harkat ki h in hone hum un se ye umid nahi karte the
मे खुद मेवाड से हु और गर्व भी करता हू लेकिन उस समय की परिस्तिथि को आप आज के समय से ना जोड़े मान सिंह जी ने हिंदूत्व के लिए जो किया उसे भुलाया नही जा सकता कृपया इतिहास की पुरी जानकारी ले
मुगलों के गुलाम कल भी हमारी ठोकरों पर थे... आज भी है... और कल भी रहेंगे... सुन लो मुगल गुलामों के पैरोकारों...!!! आओ फिर से हल्दीघाटी-दिवेर का मैदान सजा है...। समूचा मेवाड़ महाराणा प्रताप के महान वंशज युवराज लक्ष्यराज सिंहजी मेवाड़ के साथ मजबूती से खड़ा है... जय महाराणा प्रताप... जय मेवाड
Chup ho ja inko rajniti me ana tha or Diya kumary ne विश्वराज सिंह जी को ले आए और इसका गुस्सा आ रहा है न इनको इसलिए बदला लेना है ना 😂😂😂😂😂😂 अब और कुछ बोलूंगा तो विवाद हो जायेगा
मेवाड की आन बान और शान पर हमे गर्व है। दूसरे लोग इसे अन्यथा न लें। हर शासक अपने हितो को मध्य नजर रखते हुए निर्णय लेता है। किंतु मेवाड के शासको😂ने राज 😂धर्म को आगे रख निर्णय लिया करते थे इसलिए महान हुए।
में मेवाड़ का निवासी हु और मुझे गर्व हे कि शौर्य और बलिदान की इस भूमि पर मुझे जन्म लेने का अवसर मिला मेवाड़ महान था महान हे महान ही रहेगा कवि हो कविता पाठ कर रहे हे उसमें सच्चाई हे,लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू भी होता हे,ओर वह यह हे कि मानसिंह के अकबर के सेनापति रहते हुए कई हिन्दू मंदिरों को तोड़ने से बचाया साथ ही कई नए मंदिर भी बनवाए । महाराणा प्रताप जी और मानसिंह दोनो सनातन के रस्ते पर थे एक स्वाधीन रह कर संघर्ष कर रहे थे तो मानसिंह पराधीन रह कर
महाराजा मानसिंह एक महान योद्धा थे उनहोने अफगानिस्तान को हराया और लूटा और आमेर के खजाने को मालामाल कर दिया अकबर को एक छदाम भी लूट का नही दिया अकबर भी मानसिंह से डरता था अकबर मन महशोश कर रह गया । लूट का धन बादशाह के सामने समर्पित करने की परमपरा थी जिसे मान सिह ने तोडा ।मान सिह ने हिन्दू और हिन्दुत्व की रक्षा की
आमेर कच्छवाहा राजा मान सिंह का काका अर्थात् चाचा जगन्नाथ कच्छवाहा का मेवाड़ में मांडल स्थित मुगल शैली में निर्मित मृत्य स्मारक दर्शाता है कि इसने जीवन भर मुगलों के तलवे चाटे.…1576ई की हल्दीघाटी की लड़ाई में इसने तीनों तोमर वीरों को मारा,,दादा रामशाह और उनके पुत्र व पौत्र को मारा...फिर ये कलंकित व्यक्ति जीवन भर मेवाड़ के पुर मांडल परगने में पड़ा रहा हो और महाराणा प्रताप से निरंतर लड़ता रहा ....इसकी इच्छा थी कि मेवाड़ राज्य पर भी इसका या कच्चवाहो या मुगलों का अधिकार हो जाए,,....इसने शक्तवात भाइयों को भी युद्ध में मारा,,सलीम ,परवेज,महाबत खां के साथ रहकर मेवाड़ पर इसने निरंतर आक्रमण किए...पूरी जवानी बुढ़ापा यही मेवाड़ में पड़ा रहा..मैनाल की लड़ाई में भी मुगलों की ओर से मेवाड़ी सेना व नरसिंग दास जी शक्तावत से लडा... शक्तावत सिसोदिया सरदारों ने और महाराणा ने अपने बलिदानों का बदला लिया और इसको बाद में मृत्यु के घाट उतारा.....जो ये कहते हैं कि मान सिंह आमेर का चरित्र कैसा था वो ये देखे कि उसका काका और इन कच्चवाहों की तत्कालीन सेना यहां 1576से लेकर 1613तक निरंतर मेवाड़ में कुछ समय को छोड़कर पड़ी रही,,संभवत महान हिन्दू सम्राट मान सिंह टोंक टोडा के सोलंकी राज्य व यूपी के भदौरिया राज्य की तरह मेवाड़ के इस सिसोदिया गुहिलोत राज्य को भी नष्ट कर के मुगल साम्राज्य की सीमाओं को बढ़ाना चाहता था..मान सिंह व जगन्नाथ कच्छवाहा के साथ साथ नाथजी (नाथावत कच्चवाहों का मूल पुरुष )और खंगार (खंगारोत कच्छवाहा का मूल पूर्वज पुरुष)भी यहां मांडल पुर में पड़े पड़े मेवाड़ पर मुगल आक्रमण के मुख्य प्रतिनिधि रहे तब मांडल के युद्ध में मेवाड़ के आक्रमण में मान सिंह आमेर को छोड़कर ये तीनो यही मुगलों के लिए लड़कर मेवाड़ी वीरों द्वारा मारे गए..…आमेर का मान सिंह खलनायक 🙈🦅
तथाकथित महान राजा मान सिंह आमेर पर इस्लामिक प्रभाव,स्वार्थी व्यवहार और राणा प्रताप का साहस।। 1630ई में इतिहासकार मुहनोत नैनसी की लेखनी जुबानी से💐🌸 जोधपुर राणा प्रताप राणा उदयसिंह का - सोनगिरा अखैराज का दोहिता, सं. 1596 ज्येष्ठ सुदी 3 रविवार को जन्मा था। कछवाह मानसिंह को कुंवर पदे में अकबर बादशाह ने गुजरात भेजा तब चित्तौड़पति राणा प्रताप ने सोनगिरे मानसिंह अखैराजोत और डोडिये भीम सांडावत को उसके पास भेज बहुत कुछ शिष्टाचार दिखलाया था। जब लौटता हुआ मानसिंह डूंगरपुर आया तो वहाँ रावल सहसमल ने उसका अतिथि सत्कार किया । वहाँ से सलूम्बर पहुँचा जहां रावत रत्नसिंह के पुत्र रावत खंगार ने मेहमानदारी की। राणाजी उस वक़्त गोगुन्दे में थे। रावत खंगार (चूंडावत) ने कुंवर मानसिंह की सब रीति भांति और रहन सहन का निरीक्षण कर जाना कि इसकी प्रकृति एक ही प्रकार की (अर्थात् यवनों या मुस्लिमों से मिलती जुलती, बन्धन रहित व स्वार्थी है क्योंकि कई दशकों तक इस परिवार ने मुगलों की सेवा की) है, तब रावत ने राणाजी को कहलाया कि यह मनुष्य अर्थात मान सिंह आमेर मिलने के योग नहीं है, परन्तु राणा ने उसकी बात न मानी। गोगुन्दे आकर (उदयपुर के पास) मानसिंह से मिले और उसे भोजन दिया। जीमने के समय विरस हुआ' । प्रसिद्ध है कि भोजन के समय राणा नहीं आया मानसिंह ने कारण पूछा तो राणा के सरदार ने पहले तो कहा कि कुछ तबियत ठीक नहीं है, परन्तु जब मानसिंह ने ताने व क्रोध के साथ कुछ शब्द कहे तो उत्तर मिला कि तुर्कों को बहन बेटियां ब्याहने वाले के साथ राणाजी भोजन नहीं कर सकते। इस पर बिना जीमे ही मानसिंह उठकर चला गया और वह रसोई कुत्तों को खिला दी गई। स्पष्ट है कि मंदिर तो वैश्याए, गणिकाए भी बनातती आई है,लेकिन उन मंदिरों की रक्षा भुजाओं के बल पर करने वाले ही सच्चे क्षत्रिय होते है।मान सिंह आमेर के बनाए सभी मंदिरों को जहांगीर ने उस मान सिंह के आंखों के सामने तुड़वा दिया,लेकिन तथाकथित मान सिंह आमेर महान कुछ नहीं कर पाया जय जय प्रताप हिंदुआ सूरज जय मेवाड़ 🌹💐🌸 मुहनोत नैनसी की ख्यात, पृष्ट संख्या91
झूठ झूठ झूठ 300 साल बाद लिखा गया इतिहास गलत गलत गलत राजा मान सिंह आमेर की मृत्यु के 70 साल बाद लिखे शिलालेख में ऐसा कुछ नहीं लिखा ये मुलाकात शिष्टाचार पूर्वक हुई सब झूठ
@@s.s.shekhawat2993 rajsthan ka rajput samjh nahi saka ki mewad ke lachhraj jaher gholte aaye hain jodha akbar ki manghant kahani main inka hi hath hain or raja man singh ki jhunthi kahani ki kitab yahi likh bate rahye hain ab jo logon ne padha bo usi per viswas kerte hain or abhi kavisamelan main jo Kavita likhi gai or sunai gai uski kimat lachhraj dete aaye hain or ye bahut pahle se karte aarahye hain
अकबर के सेनापति होने के बावजूद उन्होंने हिंदू धर्म की रक्षा की सेकडो मंदिर बनाए उनके एक भी मंदिर को अकबर तोड़ नहीं पाया जोधा नाम की राजकुमारी जयपुर के इतिहास में कभी पैदा हुई ही नहीं
मानसिंह ने जोकुछ किया वह देश काल की परिस्थित के अनुसार किया किन्तु वर्तमान परिस्थित मे राजपूतों मे फूटलाना काम गौरव चौहान ने कुछ पैसौ पर बिककर किया है किसी राजपूत के पुरखों पर भद्दी टिप्पणी कर निंदनीय कार्य किया ।क्या और राजपूतों ने गद्दारी नही की अमर सिंह ने भी तो जहांगीर की आधीनता स्वीकार की
इस विषय को इतना तुल नहीं देना चाहिए ।कवि कविता के लिए स्वतंत्र होते हैं महाराणा प्रताप की बराबरी मान सिंह से नहीं हो सकती वो अकबर के अधीन थे देश का हिन्दू समाज मान सिंह को अपना आदर्श नहीं मान सकता जो अधीन होता है उसकी चलती भी नहीं है।जब जयमल जी ने चित्तौड़ में वीरगति पाईं तब अकबर ने कत्ले-आम का आदेश दिया तो निर्दोष तीस हजार नर नारी कत्ल किये उस समय अकबर की सेना के राजपूत क्या कर रहे थे ? दुसरी बात ओरंगज ने राठौङो राजकुमारी चंचलकुवरी से विवाह करने आ रहा तब एक भी राठौङ और कछावा बचाने नहीं आया मेवाङ के महाराणा राजसिह ने अपने अनमोल रत्न सलूम्बर सरदार और हाड़ी रानी को खोकर रक्षा की ।अगर किसीने भी विदेशीयों की जङे जमाने का काम किया है तो वह महानता नहीं हो सकती महानता महाराणा के पक्ष में लङने वालों की है ।इसलिए महाराणा की तरफ से बलिदान हुए उनको शत् शत् नमन् और अकबर की सेना में हिन्दू मरे उनके लिए कोई नमन् नहीं ।
भारत के प्रथम राष्ट्रपति बाबू राजेंद्र प्रसाद जी के पुत्र राजीव नयन प्रसाद जी ने अपनी पुस्तक राजा मान सिंह आमेर में पृष्ठ संख्या 33पर लिखा है कि जयपुर के महान राजा भारमल कच्छवाहा ने अपनी पुत्री का विवाह अकबर मुगल से करके स्वयं ऊंचा मनसब पाया ,,और अपनी इज्जत बेचकर घाघरे देकर अपनी भाइयों लडको पोत्रो को भी मुगल दरबार में ऊंचा मनसब इनाम इकराम नौकरी चाकरी दिलाया,,,गजब का चतुर सौदेबाज भारमल ,भगवंतदास और मान सिंह आमेर महान
Itihas Dobara Padhiyega Hukam.....Aadhar Gyan Barbaad Kar Deta Hai Samaj Ko... Maan Singh Ji Rajput He The N...Or Ek Rajput Kabhi Esa Kaam Nahi Kar Sakta... Apni Putri Bata K Daasi K Sath Akbar Ka Vivah Karaya Tha... Aaj Bhi Maharana Bhupal Nobles Udaipur College Me Wo Itihas Ki Kitab Mil Jayegi Aapko...
@@bhanwarsingh7346 Ghanta mera mewar raj parivar ko chhod kar baki sabhi Raj parivar mughlo ke sath roti beti ke sambandh me the Ye bat cornel james tod, gauri shankar ojha , jaise historian ne apni book me sabit kar ke dikhai hai 😂
जो फेसबुकिया , व्हाट्सएपिया उपदेशक है वो ही कविताओं को सच मानते है। इन्हें सही रह की जरूरत है। इतिहास का इ पता नहीं ज्ञान देने आ जाते है। मानसिंह और उसके परिवार के साथ उस समय देश काल परिस्थिति भिन्न थी और प्रताप ओर उसके परिवार के साथ अलग..... दोनों अपनी अपनी जगह सही थे। और हां एक बात और प्रताप , मुगलों के विरूद्ध लड़ने वाले न तो पहले थे और न आखिरी ... उनसे पहले भी बहुतों ने विरोध किया और बाद भी ... बस कुछ का इतिहास दबा दिया गया... कुछ का सिर्फ नाम मात्र का बचा है जैसे बांसवाड़ा के राजा का, मारवाड़ का चंद्रसेन और भी बहुत नाम है। नोट - कविता को सिर्फ कविता रहने दे इतिहास न बनाएं क्योंकि कविता कल्पनाओं के सृजन से बनी होती हैं।
@@girishsanadhya5608 aur rana amar singh ko kya kahoge jisne shahjahan se sandhi kari thi Isme koi shak ki baat nahi ki maharana pratap veer the lekin unki veerta ko batane ke liye man singh ka apman jaruri tha Kya ? Ye sab lakshyaraj singh ji ka kaam hai ye sab diya kumari ko nicha dikhane ke ho raha hai Ye rajput ekta ko todne ki rajniti ho rahi hai🤔😥😥
आज के समय में जों क्षत्रिय भाजपा में हें और जो कांग्रेस में एवं अन्य पार्टियों में है उनमें से कोन गद्दार है और कोन देशभक्त। समय और परिस्थितियां सबसे महत्वपूर्ण होती है। लक्ष्यराजसिंह जी ने खुद कहा है कि मेवाड़ हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल है। काल समय परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लेना पड़ता है भविष्य में सब अपने अपने हिसाब से व्याख्या करते हैं 🙏🚩 जय श्री राम 🙏🚩
महाराणा प्रताप एक हिंदुत्ववादी राजा थे.... मानसिंह तो अकबर का गुलाम था.. महाराणा प्रताप ने कभी स्वाभिमान के साथ समझौता नहीं किया....महाराणा प्रताप के सामने मानसिंह विधर्मी था... हैं और रहेगा.... क्योंकि उन्होंने सनातन धर्म का साथ छोड़कर एक मुगलिया ध्वज के साथ हाथ मिलाया था...जय महाराणा प्रताप....
Yadi Maharana Pratap Ne Takat se to Man Singh Ne Dimak se daram ki raksha ki kintu hum in jhal kukdo se koi mind nahi rahkte Samjh ne ki kyo ki ye bachare to jab maharana pratap ka rajput naam ata h to un se bhi jhal ne lagte h to Man Singh ko to wese bohat badnam kar Rakha h to use kese mahan baata sakte h ye bechare
हमारे पूर्वजों ने देश विदेश में झंडे गाड़े सीमित नहीं रहे कच्छावों ने बप्पा रावल , खानवा का युद्ध में मेवाड़ का साथ दिया इसी मान सिंह ने महाराणा को जीवन दान दिया पीछा न करके इसी मान सिंह ने बंगाल से काबुल तक मथुरा से जगन्नाथ पूरी तक धर्म ध्वजा को फ़ैराया
👉 दोस्तों इतिहास की सच्चाई को झुठलाया नहीं जा सकता है। परन्तु इस दौर में विदेशी आक्रांताओं का साथ देने वालों को महान और आन बान और शान के लिए बलिदान देने वालों को कायर बताने का सिलसिला जारी है।
यह लोग पहले भी राजपूत के साथ राजनीति खेल के राजपूतों को लड़ाई और अलग अलग किया और अभी यह लोग ऐसा ही कर रहे हैं राजपूत एकता बनाकर रहो ऐसे लोगों के भेकावे में मत आओ ✅☝️💯जय राजपुताना जय भवानी 🙏🚩💪⚔️
भाई माना कि मानसिंह ने मुगलों की सेवा की लेकिन मानसिंह एक वीर योद्धा थे हा अगर मानसिंह ओर प्रताप साथ होते तो राजस्थान पर कोई भी आंख नहीं उठा सकता था ऐसे योद्धाओं को बेजती नहीं करनी चाहिए जिनसे भारत के हर जगह को जीत मुंगल को दिया
Mewar ki proper jankari nhi ho to chup hi Raha kr, mai Brahmin hu mewar se hu mere purvaj or rajputo k gehri dosti thi mere purvaj bhi yudh mai shamil hue the, Aaj bhi rajputo k purvajo ka bhog humare ghr aata hai or humare purvajo k bhog ka prasad rajputo k ghar jata hai
राजा मानसिंह कच्छवाह ******************* किसी संघर्ष का सामना करने की रणनीति अलग हो सकती है मगर उसके आधार पर किसी महान शासक को जज करना उसे ग़द्दार ठहराया जाना मूर्खता के अलावा कुछ नहीं है। महाराणा प्रताप की बराबरी भारतीय इतिहास में कोई नहीं कर सकता है । मगर इसके लिए राजा मान सिंह को ग़द्दार कहना नितांत बचपना ही होगा। महाराणा प्रताप ने स्वतंत्रता संघर्ष से हिन्दुआ सूरज की प्रतिष्ठा प्राप्त की थी तो शिवाजी ने स्वराज की स्थापना से। मानसिंह मुग़ल शासन में ने हिंदू मंदिरों की रक्षा पुनर्निर्माण और संरक्षण जो महान कार्य किया था उसकी किसी से तुलना नहीं की जा सकती है। जिन्हें इतिहास की वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है। जिन्हें तथ्यों और स्रोतों के आधार पर इतिहास के अध्ययन की समझ नहीं हो वे वाट्सअप यूनिवर्सिटी पर इतिहासकार बनने के बजाय अपनी सातवीं पीढ़ी के पूर्वज का नाम तलाश कर लें तो इतिहास की उनकी समझ बेहतर हो जाएगी। इतिहास के अध्ययन को राजनीति,जाति और नैरेटिव से दूर रखकर उसको पढ़ने का जिम्मा इतिहास के विशेषज्ञों पर छोड़ दे तो एक बेहतर भारत का निर्माण हो सकता है। अस्तु आपकी जानकारी के लिए राजा मान सिंह द्वारा निर्मित/पुनर्निर्मित/समर्थित मंदिरों की सूची दे रहा हूँ जिसे पढ़कर इससे बेहतर हिंदू मंदिरों के रक्षक का नाम आप की जानकारी में हो तो बताएँ। राजा मान सिंह द्वारा निर्मित/पुनर्निर्मित/समर्थित मंदिरों की सूची- 1.गोविंद देव जी मंदिर, वृंदावन 2.जगत शिरोमणि मंदिर, आमेर 3.शिला देवी मंदिर, आमेर किला 4.रघुनाथ जी मंदिर, आमेर 5.गढ़ गणेश मंदिर, जयपुर 6..विष्णु मंदिर, वृंदावन 7.केशव देव मंदिर, मथुरा (पुनर्निर्माण) 8.वराह मंदिर, पुष्कर (पुनर्निर्माण) 9.रामचंद्र मंदिर, ओरछा 10.बालाजी मंदिर, सालासर 11.सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण, गुजरात 12.काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी (समर्थन 13.मंगलनाथ मंदिर, उज्जैन 14.नीलकंठ महादेव मंदिर, अलवर (पुनर्निर्माण) 15.राम राजा मंदिर, ओरछा (समर्थन) 16.द्वारिकाधीश मंदिर, गुजरात (पुनर्निर्माण) 17.जागेश्वर मंदिरों का समर्थन, उत्तराखंड 18.सूर्य मंदिर, गाल्टा जी (जयपुर) 19.महादेव मंदिर, गाल्टा जी (जयपुर) 20.अनंत वासुदेव मंदिर का पुनर्निर्माण, भुवनेश्वर 21.ब्रह्मेश्वर मंदिर, नालंदा (पुनर्निर्माण) 22.श्री मंदाता मंदिर, ओंकारेश्वर (समर्थन) 23.अचलेश्वर महादेव मंदिर, माउंट आबू (पुनर्निर्माण) 24.भांडासर जैन मंदिर, बीकानेर (समर्थन) 25.गोपीनाथ मंदिर, वृंदावन 26.काल भैरव मंदिर, उज्जैन (समर्थन) 27.श्री शांतिनाथ जैन मंदिर, खजुराहो (समर्थन) 28.शीतला माता मंदिर, आमेर किला 29,बटेश्वर मंदिर परिसर, मुरैना (समर्थन/पुनर्निर्माण) 30.द्वारिकाधीश मंदिर, मथुरा (समर्थन) 31.लक्ष्मीनारायण मंदिर, जयपुर (समर्थन) 32.गुर्जर-प्रतिहार मंदिर, नागदा (पुनर्निर्माण) 33.त्रिनेत्र गणेश मंदिर, रणथंभौर (समर्थन) 34.भैरव मंदिर, आमेर किला 35.श्री रामचंद्र मंदिर, कनक वृंदावन (जयपुर) 36.केदारेश्वर मंदिर का पुनर्निर्माण, केदारनाथ 37.मीरा बाई मंदिर, चित्तौड़गढ़ (समर्थन) 38.ब्रह्मा मंदिर, पुष्कर (पुनर्निर्माण/समर्थन) 39.महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन (पुनर्निर्माण) 40.संगमेश्वर महादेव मंदिर, काशी (पुनर्निर्माण/समर्थन) 41.हरिहर मंदिर, उत्तर प्रदेश (पुनर्निर्माण/समर्थन) 42.कुंटेश्वर महादेव मंदिर, कच्छ (समर्थन) 43.द्वारिकाधीश मंदिर का पुनर्निर्माण, गुजरात 44.रामचंद्र मंदिर, कनक वृंदावन (जयपुर) 45.सास बहू मंदिर, ग्वालियर (समर्थन/पुनर्निर्माण) 46.दधिमति माता मंदिर, नागौर (पुनर्निर्माण) !!धर्म परायण सनातन रक्षक राजा मानसिंह!! @highlight शुभम् भवतु।।
दम तो पता चल जाता हुकम किसने कितना दम है बड़ी बड़ी बाते करने से कुछ नहीं हो जाता मेवाड़ को बाकी राजपूत लोगों ने साथ नहीं दिया होता 45 ठिकाने राठौड़ के लड़े 44 ठिकाने चौहान के लड़े झाला पवार सोलंकी और भी कही राजपूतों ने मेवाड़ के लिए युद्ध किया है और आज पूरा क्रेडिट मेवाड़ ले कर बैठा है आज मेवाड़ है तो खाली मारवाड़ के राठौड़ की वजह से सही से इतिहास पढ़ो खाली कितने युद्ध लड़े वो मत देखो किसने लड़े है मेवाड़ के लिए वो देखो
गौरव चौहान बिल्कुल अपनी जाति राजपूत के चरित्र के अनुसार ही व्यवहार कर रहे हैं।जब लक्ष्यराज सिंह ने कहा तो उनके मन की कर दी।जब दूसरों ने धमकाया तो फिर उनकी कहने लगे। जब अकबर ने धमकाया तो उसको बेटी दे दी,जब अंग्रेजों ने धमकाया तो उनके चरणों में बैठ गये।आज लोकतंत्र है तो जबान चलाओ और क्षत्रिय बन जाओ
इतिहास को भावुकता से नहीं पढ़ना चाहिए, उस से पढ़के सीखना चाहिए, वो एक ऐसा समय था जब सही गलत का निर्णय लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं थे, जिसके हाथ मे शक्ति थी उसने राज किया, अब राज करने वाला खराब था या अच्छा था जैसा भी था, उस समय के हिसाब से आज का दृष्टिकोण बिलकुल फिट नहीं बैठ सकता, इतिहास मे क्या हुआ और क्यु हुआ इसका सिर्फ अनुमान ही लगाया जा सकता है किसी लेखक की लेखनी पढ़कर किसी को ईमानदार या गद्दार नहीं कहा जा सकता. क्युकी राजस्थान के वीर योद्धाओ की जब बात होती है तो हिंदी विषय मे राजस्थानी वीरों के इतिहास मे एक अलंकार विशेष रूप से हर जगह लगाया जाता है और वो है अतिश्योक्ति अलंकार, 😮 सब कुछ thik वैसा नहीं हो सकता जैसा बताया गया है, बस अनुमान लगाइये
और एक बात तो है मंच पर अब कोई सच्चा कवि नहीं रहा, कहा गया वो जोश, वो गुस्सा जो मानसिंह के लिए था! और कहा गयी वो कृतज्ञता जो आप अपनी कविता मे महाराणा प्रताप हेतु बड़े भावुक होके प्रकट कर रहे थे कवि महोदय, ऐसे ढोंगी कवि को कभी कोई मंच उपलब्ध न कराये, कवि जो लिखता है ना वो उसे जीता है, काव्यमंच की मर्यादा को तार तार करने वाले झूठे व्यक्ति अपनी बात पे कायम नहीं यहा सका
जब कभी ही गलत हो जब कवि की कविताएं ही गलत लिखी गईहो तो उनकी कविताओं पर कौन विश्वास करेगा हम नहीं करते विश्वास हम राजा मानसिंह का सही इतिहास जानतेहैं वे महान राजा थे
असत्य पर सत्य की जीत जय महाराणा प्रताप... महाराज कुमार साहब श्री लक्ष्यराज सिंह जी मेवाड़ जिंदाबाद... समूचा मेवाड़ ही नहीं समूचा भारत महाराणा प्रताप के वंशज महाराज कुमार श्री लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ के के साथ खड़ा है
मक्की छोड़ ने बाजरो खानो मेवाड छोड़ ने कटे नि जानो
जय एकलिंग नाथ की
लक्ष्यराज जी हम आदिवासियों की कुछ आवाज उठा दो हम पहले भी आपके साथ खड़े थे और आगे भी तैयार रहेंगे जय जोहार जय भवानी
= दुनिया में भारत के आदिवासियों की स्थिति सबसे अच्छी हैं , संसद_ विधानसभा , नौकरियों सब जगह आरक्षण हैं , टाडा_ माडा , शहरिया विकास ...... जैसी कई कई योजनाएं भी उनके लिए हैं ....? राशन, लूनमिर्च, चाय_ शकर,पानी , बिजली , इलाज़, मोबाइल आवास , शिक्षा सबकुछ तो फ्री हैं , .....? आदिवासी तो राजस्थान के मीना , मीणा भी हैं , छत्तीसगढ़, झारखंड में भी हैं ,वे कितने एडवांस , तरक्कियाफता हैं ......? उनको आदर्श मानकर आगे बढ़ो , ज़्यादा से ज़्यादा शिक्षित बनो , तरक्की स्वतः होगी ..... पीछे मत जाओ.... ,सिर्फ आगे बढ़ो ..... आपके नेता , शासक, समाज_ धर्म कार्यकर्ता ही आपको पीछे लेजा रहे हैं , ताकि उनकी मर्जी चलती रहे , वे अपनी राजनीति की रोटी आदिवासियों की आग पर सेकते रहें , बस यही उनका काम हैं ....? जबकि दुनिया कितनी वैज्ञानिक, मॉडर्न हो गई हैं, अंतरिक्ष _ मंगल _ चांद पर घर बना रहीं हैं ......? हिंदू पौराणिक कथाओं, युद्धों की तरह ही अब दुनिया अंतरिक्ष युद्ध लड़ रही हैं ,तो आपके नेता , आपको गुफाओं में धकेल रहे हैं .... तो अब जागो _ चेतो, उसी में भला हैं.....?
@AnandBhil-A1Z tab aap log inke sath thye to achye thye lekin ab matlab nikal gaya ab tum sudra ho inke liye or kuchh nahi in ki swabhiman ki ladhai main hajaron rajput or bheel aadiwashi sahid huye inka malab ye tha ki main to raja hoo main kiyon ladhoo jo meri dadad karega bo marega or vahi Hua
Ye khudh to proparty k liy jhagad rahe h tumhari kya awaj utayenge😂😂😂
@@UrmilaDeviKushwah Tumne konse jhande gade thi itihas choro
तुम्हारा राज छिनने वालों से सहायता कि आशा मत रखो स्वयं काबिल बनो भाईयों
सबसे ज्यादा तकलीफ मेवाड़ को भी मान सिह ने ही दी थी
@@singhbanna6561 agar aaj raja man singh hote to mewad khali ho jata ye bat 100% pakki hain kiyon ki gaddaron ki kami nahi mewad main or raja man singh gaddaron ke Kal thye
मेवाड़ के इतिहास में किसी का सहभागी नही होने पर मेवाड़ वासियो का दर्द छलकनालाजमी है। जय मेवाड़
@@LalitSinghChundawat-he1hl a maharana ne desh dharam ki ladhai nahi ladhi or mughal Raj ek mewad per nahi pure bharat per tha or sabhi rajput apne apne rajjya ke raja thye sabhi apne apne rajjya ki rachha main lage thye kiya mewad ke rajaon ne raja bharmal ka sath diya tha nahi diya tha ek choti si riyasat ke raja ki madad karni chahiye thi
मेवाड़ के इतिहास में मेवाड़ के राजाओं से ज्यादा दूसरे राजपूतों का योगदान है इतिहास सही से पड़ा नहीं है लगता है 45 ठिकाने राठौड़ के थे 44 ठिकाने 44 ठिकाने चौहान के थे और देवड़ा झाला पवार सोलंकी और भी कही राजपूतों के ठिकाने थे और इन्होंने ही सबसे ज्यादा योगदान दिया है क्रेडिट खुद लेना शिखा है मेवाड़ आज है तो केवल मारवाड़ के राठौड़ की वजह से खाली हवा बाजी से कुछ नहीं होता है सही से इतिहास पढ़ो
जय मेवाड़, गदारो को गद्दार कहने मे कोई दिक्कत नही है
वो कभी तो लड़े थे आप कैसे कह सकते हो गरदार आप क्या कभी लड़े थे
@@SharwansinghDeora-r3d han muglon ke jhande ke neeche ladna bhut hi samman ki baat hogi tere liye 🤣🤣🤣 ab sabki whitewashing chal rahi hai 🤣🤣
@@Jattbrotherhoodtu nikal pahle to yahan rajputon ki baat ho rahi hain chal bhag😂😂
@@Jattbrotherhood bhai tune isko pel diya 🤣
@@RajeshKhatik-m7j agar etihas ko filter kiye to maharana se bada gaddar koi nahi raja man singh or raja jaichand sabse Mahan rajput
सत्य कभी छुपता नही जय माहाराणा प्रताप सिंह जेसा बनना मुश्किल है
ये लक्ष्यराज सिंह ज्ञान दे रहा है खुद दूसरे का हिस्सा खा के बैठा है, खुद को प्रिंस राजकुमार कहता है जबकि इसके पिताश्री महाराणा तो है ही नहीं, महाराणा महेंद्र सिंह जी है और राजकुमार विस्वराज सिंह जी है, आज ये वर्तमान भी कभी इतिहास बनेगा और तुम्हारा नाम भी उसमें दर्ज होगा आज तक लोगों ने देखा कि बड़े भाई ने भाई ने छोटे भाई का सम्मान नहीं किया, उसे उसकी संपत्ति नहीं दी पर तुम पहले आदमी बनोगे जो छोटा होकर भी बड़े भाई की संपति पद प्रतिष्ठा खा गया, वाकपटुता और लच्छेदार भाषा से महाराणा प्रताप के नाम पर अपनी रोटियां सेंक रहे हो, तुम तो कहते हो हम सूर्यवंशी है भगवान राम से अपना नाता जोड़ते होपर उनके जैसे तो काम नहीं है तुम्हारे, राज्य तो भरत जी को भी मिला था पर उन्होंने कभी खुद को राजा नहीं कहा और न ही बड़ा बनने की कोशिश की और चाहते तो तुमसे ज्यादा अच्छे से कर सकते थे ये काम, फालतू की नौटंकी है ये अपने फायदे के लिए लोगों के साथ खेल रहा है, महाराणा प्रताप के वंशज अकेले तुम हो क्या और वैसा भी देखा जाए तो तुम भी पूरे तरीके से उनके वंशज नहीं हो, शायद आपके दादा जी या उनके पिताजी को गोद लिया गया था उस समय के मेवाड़ नरेश के द्वारा संतान न होने के कारण तो जितना तुम बनने कि कोशिश करें हो उतना हो भी नहीं, महलों में रहने से कोई महाराणा नहीं बन जाता, शालीनता होनी चाहिए और महाराणा तो महेंद्र सिंह जी है जो बड़े होने के बाद भी कुछ नहीं किया और चुपचाप है, ज्ञानी अपना ज्ञान बताते नहीं फिरता कि उसे ज्ञान है, महाराणा और राजकुमार बताने की जरूरत तुम्हें पड़ रही है न कि उन्हें 😅
इतिहास को कोई झुठला नहीं सकता है l मानसिंह जी ने मुगलों का साथ दिया l महाराणा प्रताप का नहीं....
Maharana pratap ki ladhai swabhiman ki ladhai thi koi desh dharam or perswarth ki nahi thi Maharana khud mughalon se sidhye Nani ladhye or dusre rajputon ko hi merwate rahye jab bhi mughalon ne hamla kiya derpok jangal main chup ker beith gaye raja man singh ki badolat hi Maharana pratap ka etihas hain Barna etihas ke panne se gayab ho jate
Ha दिया पर सबसे ज्यादा मंदिर बनाने वाले भी महान सिंह ही थे वो कैसे हो गए गरदार
@@SharwansinghDeora-r3d ye log chahte hain ki raja man singh jo bhi kuchh karte maharana ke liye karte or 78 hajar mandir banane bale 77 yoddh jitne Bale mahan yoddh ko gaddar Kahne bale hi sab se bada gaddar hain in ki soch etni Giri hui hain ki mewad ke lachhraj kaviyon ko or dusre nakli lekhkon ko paisa de ker raja man singh ke bare main galat likh bate hain or kaviyon se galat Kavita bulbate hain jab ye aise gire huye nich inshan hain to inke purvaj kaise mahan ho sakte hain chittod garh ka raja chitrangad maurya ek chota raja tha use hata ker khudne chittod garh per kabza ker Liya or akbar se ladhne ki himmat hi nahi hui ki kabhi akbar ko agra main ja ker chelenj dete isse se kai gune or rajput hain jo akbar per sidha hamla kerte thye
@@UrmilaDeviKushwah
Teri dikkat samaj sakta hu main 😂
Lekin kya kare man singh ne jo ladai ladi aur jiti vo mughlo ke liye okk
Aur jaha tak rahi bat amer ( Jaipur) ki too ye raj parivar mughlo ka bahot bada bootlicker tha unke karan hi mughal Bharat me pair jama paye the 😂
Kachhwaha gaddar hote hai 😂
मुगलों का साथ दिया किसने नहीं ये बता सबने दिया इसलिए तेरे जैसे आज जिंदा बच गए अच्छा हुआ सफेद टोपी पहनने से बच गए हजारों मंदिर बचाने गौ सेवा करने वाले महान राजा मान सिंह आमेर का नाम इतिहास में सबसे ऊपर ह
मानसिंह जी ने मुगलों का साथ दिया था ना कि मेवाड़ का मानसिंह जी हमें तब भी मंजूर नहीं थे और आज भी नहीं है जय मेवाड़ जय महाराणा प्रताप
Kounse rathore ho ...jaswant singh ji jodhpur bhi mugals k sath the
राजा मान सिंह आमेर की वजह से ही तुम लोग जिंदा हो
अनपढ़ लोगों को जानकारी नहीं है कि मान सिंह जी की वजह से जिंदा हो
अकबर ने बोला है क्या😂😂😂 तू ओर तेरा अकबर @@PANKAJSINGH-wi9ye
@@Ak968As ye koi bhi rathor ho matab to sach se hain ab ashli sach suno mugal kal main betiya uthai balatkar huye betiya Bazar main bechi gai kuchh rakheil banai gai to kuchh se bachha paida kiye gaye lootpat ki hajaron joher huye hajaron rajputon ka kattal Hua 36 hajar aam jantta ka kattal mughalon ne kiya tha tab maharana pratap kanha thye mewad kummbal garh chittod garh per hamla kiya mughalon ne do char mughalon ko Mar Marde nahi Mara inke gharloo sambandh rahye mughlon se sainapati mughal dost banaye to mughal bhai banaya to mughal puttra banaya to mughal bo bhi gharon ke Ander ghus ker rahye khna bhi yahi khate thye sab se bade gaddar mewad ke log
मेवाड़ के जानवर भी जयपुर वाले राजाओं से बेहतर हैं
राजा मानसिंह कच्छवाह
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किसी संघर्ष का सामना करने की रणनीति अलग हो सकती है मगर उसके आधार पर किसी महान शासक को जज करना उसे ग़द्दार ठहराया जाना मूर्खता के अलावा कुछ नहीं है।
महाराणा प्रताप की बराबरी भारतीय इतिहास में कोई नहीं कर सकता है । मगर इसके लिए राजा मान सिंह को ग़द्दार कहना नितांत बचपना ही होगा।
महाराणा प्रताप ने स्वतंत्रता संघर्ष से हिन्दुआ सूरज की प्रतिष्ठा प्राप्त की थी तो शिवाजी ने स्वराज की स्थापना से।
मानसिंह मुग़ल शासन में ने हिंदू मंदिरों की रक्षा पुनर्निर्माण और संरक्षण जो महान कार्य किया था उसकी किसी से तुलना नहीं की जा सकती है।
जिन्हें इतिहास की वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है। जिन्हें तथ्यों और स्रोतों के आधार पर इतिहास के अध्ययन की समझ नहीं हो वे वाट्सअप यूनिवर्सिटी पर इतिहासकार बनने के बजाय अपनी सातवीं पीढ़ी के पूर्वज का नाम तलाश कर लें तो इतिहास की उनकी समझ बेहतर हो जाएगी।
इतिहास के अध्ययन को राजनीति,जाति और नैरेटिव से दूर रखकर उसको पढ़ने का जिम्मा इतिहास के विशेषज्ञों पर छोड़ दे तो एक बेहतर भारत का निर्माण हो सकता है।
अस्तु आपकी जानकारी के लिए राजा मान सिंह द्वारा निर्मित/पुनर्निर्मित/समर्थित मंदिरों की सूची दे रहा हूँ जिसे पढ़कर इससे बेहतर हिंदू मंदिरों के रक्षक का नाम आप की जानकारी में हो तो बताएँ।
राजा मान सिंह द्वारा निर्मित/पुनर्निर्मित/समर्थित मंदिरों की सूची-
1.गोविंद देव जी मंदिर, वृंदावन
2.जगत शिरोमणि मंदिर, आमेर
3.शिला देवी मंदिर, आमेर किला
4.रघुनाथ जी मंदिर, आमेर
5.गढ़ गणेश मंदिर, जयपुर
6..विष्णु मंदिर, वृंदावन
7.केशव देव मंदिर, मथुरा (पुनर्निर्माण)
8.वराह मंदिर, पुष्कर (पुनर्निर्माण)
9.रामचंद्र मंदिर, ओरछा
10.बालाजी मंदिर, सालासर
11.सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण, गुजरात
12.काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी (समर्थन
13.मंगलनाथ मंदिर, उज्जैन
14.नीलकंठ महादेव मंदिर, अलवर (पुनर्निर्माण)
15.राम राजा मंदिर, ओरछा (समर्थन)
16.द्वारिकाधीश मंदिर, गुजरात (पुनर्निर्माण)
17.जागेश्वर मंदिरों का समर्थन, उत्तराखंड
18.सूर्य मंदिर, गाल्टा जी (जयपुर)
19.महादेव मंदिर, गाल्टा जी (जयपुर)
20.अनंत वासुदेव मंदिर का पुनर्निर्माण, भुवनेश्वर
21.ब्रह्मेश्वर मंदिर, नालंदा (पुनर्निर्माण)
22.श्री मंदाता मंदिर, ओंकारेश्वर (समर्थन)
23.अचलेश्वर महादेव मंदिर, माउंट आबू (पुनर्निर्माण)
24.भांडासर जैन मंदिर, बीकानेर (समर्थन)
25.गोपीनाथ मंदिर, वृंदावन
26.काल भैरव मंदिर, उज्जैन (समर्थन)
27.श्री शांतिनाथ जैन मंदिर, खजुराहो (समर्थन)
28.शीतला माता मंदिर, आमेर किला
29,बटेश्वर मंदिर परिसर, मुरैना (समर्थन/पुनर्निर्माण)
30.द्वारिकाधीश मंदिर, मथुरा (समर्थन)
31.लक्ष्मीनारायण मंदिर, जयपुर (समर्थन)
32.गुर्जर-प्रतिहार मंदिर, नागदा (पुनर्निर्माण)
33.त्रिनेत्र गणेश मंदिर, रणथंभौर (समर्थन)
34.भैरव मंदिर, आमेर किला
35.श्री रामचंद्र मंदिर, कनक वृंदावन (जयपुर)
36.केदारेश्वर मंदिर का पुनर्निर्माण, केदारनाथ
37.मीरा बाई मंदिर, चित्तौड़गढ़ (समर्थन)
38.ब्रह्मा मंदिर, पुष्कर (पुनर्निर्माण/समर्थन)
39.महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन (पुनर्निर्माण)
40.संगमेश्वर महादेव मंदिर, काशी (पुनर्निर्माण/समर्थन)
41.हरिहर मंदिर, उत्तर प्रदेश (पुनर्निर्माण/समर्थन)
42.कुंटेश्वर महादेव मंदिर, कच्छ (समर्थन)
43.द्वारिकाधीश मंदिर का पुनर्निर्माण, गुजरात
44.रामचंद्र मंदिर, कनक वृंदावन (जयपुर)
45.सास बहू मंदिर, ग्वालियर (समर्थन/पुनर्निर्माण)
46.दधिमति माता मंदिर, नागौर (पुनर्निर्माण)
!!धर्म परायण सनातन रक्षक राजा मानसिंह!!
@highlight
शुभम् भवतु।।
Ye baat tagdi Kari bhai....very good bhai ..ise comment kahte hai wastav me
वाह्ह्हह्ह्ह्ह क्या बात है जुग जुग ज़ीयो
Itihas mai to jaipur wale kayr the padho to sahi
गौरव चौहान आपने उसी सम्मेलन में यह भी तो कहा था कि हम पृथ्वीराज के वंशज है फिर आप एक धमकी मात्र से डर गए ,आप जैसे को कवि कहने में भी शर्म आ रही है ,बार बार बयान बदल कर आपने कवि धर्म की धज्जियां ही उड़ा दी --?
जब परिवार की सुरक्षा तक बात आ जाये तो मेरे जैसे साधारण राजपूत जिसे अपने ही राजपूत भाई धमका रहे हों...बचाव करना पड़ता है..देश के करोडों सनातनी मेरे कवि होने पर गर्व करते हैं ये मेरे लिए काफी है,,मैं दो राजपूत घरानों के विवाद में फंस गया जिसमें मेरी ये ज़िम्मेदारी थी कि कोई भी पक्ष नाराज़ न हो क्यों कि दोनों ही पक्ष मेरे अपने है..हम सब एक रहे नेक रहें
बस यही कहना है
और आप भी मुझसे घृणा न करें
मेरे भी कई अच्छे काम है जिन्हें आप देख सुन सकते हैं..बाकी एक ऐसी स्थिति जिसमे मानसिक रूप से टूट चुका व्यक्ति कोई गलती कर बैठे उसको इस तरह से नही आंकना चाहिए जैसे आप कर रहे हैं
राजा मान सिंह आमेर महान थे कोई इतिहास नहीं जानता है तो उसको पूरा पढ़ना चाहिए
भीलों ने तो साथ दिया था
Man singh ji kitne yudh lade the ye apko pata hai ki nahi faltu ki bat mat kro@@GauravChauhankavi
लक्ष्यराज जी और शैलेश लोधा बहुत तेज दिमाग के है । उसी दिमाग का प्रयोग उन्होंने किया । 500 साल पहले भी राजनीति हुई और अब भी हो रही है । सवाल ये है की उस समय जो मेवाड़ का नुकसान हुआ क्या वो अब भी अनवरत जारी रहेगा !?
मानसिंह जी ने मुगलों का साथ दिया महाराणा प्रताप का साथ नहीं दिया हमें मानसिंह मंजूर नहीं
मानसिंह जी ने मुगलों का साथ दिया था ना कि मेवाड़ का मानसिंह जी हमें तब भी मंजूर नहीं थे और आज भी नहीं है जय मेवाड़ जय महाराणा प्रताप
शक्ति सिंह महाराणा प्रताप का भाई भी मुगलों का साथी था
बनवीर तो मंजूर है ना😂
माना मान सिंह जी ने महाराणा प्रताप जी का साथ नहीं दिया
तो फिर जगमाल सिसौदिया जो कि महाराणा प्रताप के बड़े भाई थे उन्होंने तो अकबर की सेना का नेतृत्व करते हुए सिरोही पे आक्रमण किया था उनको क्या कहोगे??
@@GovindSingh-bz7xiशक्ति सिंह जी ने मुगलों की तरफ से कोई लड़ाई नहीं लड़ी हा प्रताप जी से नाराज जरूर थे और जब युद्ध में घायल हुए थे प्रताप तब बलिचा के नाले के पास प्रताप जी की सहायता शक्ति सिंह जी ने ही की थी और अपनी भूल को स्वीकार कर महाराणा के गले मिले थे थोड़ा इतिहास पढ़ना चाहिए
वीर कल्ला जी राठौड़ वीर जयमलजी राठौड़ ऐसे बहुत वीर राजपूतों ने महाराणा प्रताप सिंह जी के लिए अपने प्राण तक दे दिया जय माँ भवानी जय राजपूताना🙏🙏 🚩🚩
तब भी हिंदू आपस में लड़े थे और फायदा मुगलों को हुआ था आज भी वही हो रहा है इतिहास से सिखने की जरुरत है
हिंदू कभी नही लडा लङाई सिर्फ राजपुत और मुगलो के बीच लङी मुस्लिम के सामने क्षत्रिय लङे अभी हिंदू की बात कर रहे
@@prathvisinghrathore7141 aacha ji…chatrapati shivaji yaad hai kon thy jinhone mughlo se ladai ladi thy, bajirao peshwa yaad hai kon hai,? Ye toh Rajput nhi thy…phle knowledge sahi kro apni…or rajput Hindus nhi h kya? Jb praja se tax lete thy raja toh praja ki raksha b toh unhe hi krni pdegi na…sbi Hindu tax dete thy rajao ko chahe rajput raja ho ya maratha raja ya south k Hindu raja….tumhare anusaar sirf kshatryia hi lade hindu nahi…ye kshatriye hindu janata se tax b lete thy toh ye b yaad rakh….rajya chalane k liye janta tax deti thy jiska use raja defence mei b krta tha jo jarauri tha Uss waqat…hindu janta tax na deti toh ye hindu Rajput maratha koi b raja weapon kaha se laate, army ko maintain kaise kr paate?
आदरणीय मनु राव जी आपने जो विषय अभी उठाया है जिसमें आमेर के राजा मानसिंह द्वारा अकबर के लिए अफगानिस्तान की पांच रियासतों रियासतों के विजय अभियान के बारे में बताया गया उन्होंने इस कार्य के लिए अकबर को रजामंदी क्यों दी उन्होंने मेवाड महाराणा प्रताप के विरूध क्यों लड़ाई लड़ी
उन्होंने जयपुर में हिंदू मंदिरों का निर्माण कराया यह किस कालखंड की बात है आप इस कालखंड के थोड़ा सा पहले भी जाकर देखिए की अकबर सम्राट मानसिंह के ऊपर इतना विश्वास क्यों करता है उस घटना का भी जिक्र कीजिए जिससे पूरा राजपूत समाज अपने आप को शर्मिंदा महसूस करता है उन्होंने मुगल सम्राट के साथ में रिस्तेदारियां क्यों बनाई क्या इन्ही रिस्तेदारियों के बदले ही उन्हें सेनापति का पद मिला यह अन्य कर्ण की वजह से अकबर के प्रिय बने
जयपुर में हिंदू मंदिरों का निर्माण अफगानिस्तान विजय और जयपुर के पचरंगी ध्वज के पहले के कालखंड भी शोध का विषय है आप उसके बारे में शोध करके दर्शको को सही जानकारी दें समझाएं
मेरा ऐसा मानना है कि जीवन में व्यक्ति दो ही चीज में राजी होता है ✅
या तो प्रीत से या भय से ✅
इन दोनों चीज की बानगी हमें गौरव चौहान के दोनों ऑडियो से मिल गई है
बाकी आप खुद समझदार हैं अब अगला आगे का काम आपका काम है आप उसे करें
Mansingh ji ki. Gaddari se aaj bhi pura mewad sharminda hai. Yah Ek Aisa gaov Diya Mansingh ne Jo mewad kabhi nahin bhula Sakta.
दक्षिण राजस्थान (नये राज्य) की राजधानी उदयपुर बनेगा🎉✌️
भाई साहब कृपया ऐसी बातें ना करें, राजस्थान हमेशा एक था और एकही रहेगा, विभिन्न रियासतों एवं प्रांतो में बंटे हुए स्वतंत्रता से पहले के राजस्थान की सीमाएं भलेही अलग हो, बावजूद उसके वह सब एक थे उन्होंने मिलकर मराठों से लड़ा। मेवाड़ हमारे सबके लिए हमेशा से ही गौरव देने वाला रहा है, हम महाराज कंवर लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ का बहुत सम्मान करते हैं। जय हिंद जय भारत जयराजपूताना
Johar
Rajasthan ko Ak hi Rhne Do....Tukde ki bat Mt kroo.
जय मेवाड़
कोई भी राजा अपने राज्य में अनेक कार्य करता ही है चाहे वो मान सिंह जी हो या कोई ओर पर आप सभी अपने दिल पर हाथ रख कर हल्दी घाटी का नजारा देखिएगा जरुर ! इतिहास में जो गलतियां हुई है उसे छुपाना या नकारना ग़लत है अगर उन गलतियों को स्वीकार कर हम आगे बढ़ेंगे तो जरुर राजपुताने की एकता पुनः कायम होगी हम एक दूसरे के सहयोगी बन ये प्रण ले सकते है कि ऐसी गलतियां इस युग मे ना दोहराई जाए और राजपूताना पुनः कायम हो! बाकी मेवाड़ का एक एक व्यक्ति हल्दी घाटी मामले में मेवाड़ के साथ खड़ा है और एकता कायम हो तो मेवाड़ संपूर्ण राजपुताने के लिए खड़ा है क्युकी मेवाड़ ने राणा सांगा जैसे पुरुषों को भी जन्म दिया है जो पूरे राजपुताने को एक झंडे के नीचे लाय थे जय मेवाड़ जय राजपुताना
ये बहुत गलत हुआ है मान सिंह जी के कारण पूरा भारत वर्ष मैं सुन्नत होने से बच्ची हे ये भी एक इतिहास है इसको छुपाना नहीं चाहिए वो बहुत बड़ा सुरा था उसने काबुल ईरान और अफगानिस्तान को जीत कर हिन्दू सत्ता स्थापित करी इसलिए इनका मजाक नहीं बनाना चाहिए सबकी अपनी अपनी जगे इज्जत हे कृपया ऐसे विचार ना व्यक्त करे समाज में एकता रहने दे धन्यवाद सा
बिल्कुल चौहान सहाब मै आपकी इन लाईनो की निंदा करता हू आपका इतिहास का ज्ञान अधुरा है निश्चित महाराणा प्रताप वीर शिरोमणी थे मगर हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए हर राजपूत ने अपना बलिदान किया है चाहे महाराज मानसिंह ही हो उन्होंकी वजह से आज दुढाड , मे हिन्दू लहलहा रहे है
मै समस्त राजपूतों को आभारी हू आपके बलिदान से हमारा सनातन जिंदा है ।
@@g.psharma9364 mewad ke lachhraj nahi chahte ki raja man singh ka ashli etihas sab ko Pata chale or jo bhi etihas ab tak log jante hain bo inka hi jhunth phaila Hua hain farji kitab likh bai hain paisa de ker jodh ki kahani bhi inke eshare per likhi gai thi koi samjh nahi saka ham etihas karo ko bam panthi kahte rahye inke purvajon ke eshare per hi dusre rajputon ko samman nahi mila etihaskaron ne total etihas galat likha to inko kaise chod diya
Virender Singh Ji ki baat hume bilkul sahi lagi ki us bin pende ke kavi se kahi jyada galti laksyraj singh ji ki thi jo rajput hone ke baad bhi itihas ki sahi Jan kari nahi hone wali harkat kari or rajput Ekta ko thod ne ka kam kiya h Rajput ko apsa me ladwane wali gatiya harkat ki h in hone hum un se ye umid nahi karte the
मे खुद मेवाड से हु और गर्व भी करता हू लेकिन उस समय की परिस्तिथि को आप आज के समय से ना जोड़े मान सिंह जी ने हिंदूत्व के लिए जो किया उसे भुलाया नही जा सकता कृपया इतिहास की पुरी जानकारी ले
😢😢😢
मान सिंह जी आदमी तो सही थे मगर पार्टी गलत थी।
😂😂😂
मुगलों के गुलाम कल भी हमारी ठोकरों पर थे... आज भी है... और कल भी रहेंगे... सुन लो मुगल गुलामों के पैरोकारों...!!! आओ फिर से हल्दीघाटी-दिवेर का मैदान सजा है...। समूचा मेवाड़ महाराणा प्रताप के महान वंशज युवराज लक्ष्यराज सिंहजी मेवाड़ के साथ मजबूती से खड़ा है... जय महाराणा प्रताप... जय मेवाड
आपको जानकारी के लिए बता देता हु मेवाड़ राजघराने के वैवाहिक संबंध जयपुर राजघराने से भी है थोड़ी जानकारी कर लीजिए फिर भला बुरा कहिए
Marwad ke rathore bhi to Muglo se apni beti ki shadi karwai thi ,jese Mota raja uday singh
Chup ho ja inko rajniti me ana tha or Diya kumary ne विश्वराज सिंह जी को ले आए और इसका गुस्सा आ रहा है न इनको इसलिए बदला लेना है ना 😂😂😂😂😂😂 अब और कुछ बोलूंगा तो विवाद हो जायेगा
In gavaro ko smjane ka ko fayda nhi inko kitna hi bhai bhai kho laykin y us layak nhi . Lakshya Raj kon sa nasha krta h y bhi pta lagao jra...
राजा तो महेंद्र सिंह है
जय राणा पुंजाजी भील,जय भीलराज, जय भील सेना🏹🏹🙏।
मेवाड की आन बान और शान पर हमे गर्व है। दूसरे लोग इसे अन्यथा न लें। हर शासक अपने हितो को मध्य नजर रखते हुए निर्णय लेता है। किंतु मेवाड के शासको😂ने राज
😂धर्म को आगे रख निर्णय लिया करते थे इसलिए महान हुए।
में मेवाड़ का निवासी हु और मुझे गर्व हे कि शौर्य और बलिदान की इस भूमि पर मुझे जन्म लेने का अवसर मिला मेवाड़ महान था महान हे महान ही रहेगा कवि हो कविता पाठ कर रहे हे उसमें सच्चाई हे,लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू भी होता हे,ओर वह यह हे कि मानसिंह के अकबर के सेनापति रहते हुए कई हिन्दू मंदिरों को तोड़ने से बचाया साथ ही कई नए मंदिर भी बनवाए । महाराणा प्रताप जी और मानसिंह दोनो सनातन के रस्ते पर थे एक स्वाधीन रह कर संघर्ष कर रहे थे तो मानसिंह पराधीन रह कर
मान सिंह जी ने जाभूझकर महाराणा प्रताप को जिंदा छोड़कर बचाया था l
मान सिंह जी से पहले यह बताये की शक्ती सिंह कोन थे और किसकी तरफ थे l
लेकिन इन्होने एक मलेच्छ का साथ दिया
महाराजा मानसिंह एक महान योद्धा थे उनहोने अफगानिस्तान को हराया और लूटा और आमेर के खजाने को मालामाल कर दिया अकबर को एक छदाम भी लूट का नही दिया अकबर भी मानसिंह से डरता था अकबर मन महशोश कर रह गया । लूट का धन बादशाह के सामने समर्पित करने की परमपरा थी जिसे मान सिह ने तोडा ।मान सिह ने हिन्दू और हिन्दुत्व की रक्षा की
मान सिंह जी ने मुगलों का साथ दिया था महाराणा प्रताप का नहीं दिया था साथ हमें मान सिंह जी स्वीकार ( मंजूर) नहीं हे जय मेवाड़🚩🚩
महाराणा साथ लेना भी कहा चाहते थे भाई
Aap ko hkm syad adha Gyan hai isliye hum aaj sirf tali bajane lyak rehgye hai
Pagal hai kya tu
@@DevendraSingh-ix1fp किसको बोल रहा है उसको tag तो कर और फिर बोलो
उधर से माल मिला तो बोल दिए, वास्तविक स्थिति से सामना हुआ palat गए, समाज को डुबोने के लिए ये कवि पर्याप्त है।
Right
आमेर कच्छवाहा राजा मान सिंह का काका अर्थात् चाचा जगन्नाथ कच्छवाहा का मेवाड़ में मांडल स्थित मुगल शैली में निर्मित मृत्य स्मारक दर्शाता है कि इसने जीवन भर मुगलों के तलवे चाटे.…1576ई की हल्दीघाटी की लड़ाई में इसने तीनों तोमर वीरों को मारा,,दादा रामशाह और उनके पुत्र व पौत्र को मारा...फिर ये कलंकित व्यक्ति जीवन भर मेवाड़ के पुर मांडल परगने में पड़ा रहा हो और महाराणा प्रताप से निरंतर लड़ता रहा ....इसकी इच्छा थी कि मेवाड़ राज्य पर भी इसका या कच्चवाहो या मुगलों का अधिकार हो जाए,,....इसने शक्तवात भाइयों को भी युद्ध में मारा,,सलीम ,परवेज,महाबत खां के साथ रहकर मेवाड़ पर इसने निरंतर आक्रमण किए...पूरी जवानी बुढ़ापा यही मेवाड़ में पड़ा रहा..मैनाल की लड़ाई में भी मुगलों की ओर से मेवाड़ी सेना व नरसिंग दास जी शक्तावत से लडा... शक्तावत सिसोदिया सरदारों ने और महाराणा ने अपने बलिदानों का बदला लिया और इसको बाद में मृत्यु के घाट उतारा.....जो ये कहते हैं कि मान सिंह आमेर का चरित्र कैसा था वो ये देखे कि उसका काका और इन कच्चवाहों की तत्कालीन सेना यहां 1576से लेकर 1613तक निरंतर मेवाड़ में कुछ समय को छोड़कर पड़ी रही,,संभवत महान हिन्दू सम्राट मान सिंह टोंक टोडा के सोलंकी राज्य व यूपी के भदौरिया राज्य की तरह मेवाड़ के इस सिसोदिया गुहिलोत राज्य को भी नष्ट कर के मुगल साम्राज्य की सीमाओं को बढ़ाना चाहता था..मान सिंह व जगन्नाथ कच्छवाहा के साथ साथ नाथजी (नाथावत कच्चवाहों का मूल पुरुष )और खंगार (खंगारोत कच्छवाहा का मूल पूर्वज पुरुष)भी यहां मांडल पुर में पड़े पड़े मेवाड़ पर मुगल आक्रमण के मुख्य प्रतिनिधि रहे तब मांडल के युद्ध में मेवाड़ के आक्रमण में मान सिंह आमेर को छोड़कर ये तीनो यही मुगलों के लिए लड़कर मेवाड़ी वीरों द्वारा मारे गए..…आमेर का मान सिंह खलनायक
🙈🦅
Ham pde to rhe tumhare tarh yudh ka medan to chod ke nhi bhage......
मानासह कच्छवाहा आमेर के राजपरिवार ने 5 पीढ़ी तक मुग़ल दिल्ली शासकों को अपनी बेटियॉ दी और मनसबदारी की ..आज महान?
Yadi man singh nahi hota to jo tatu aaj unhe galat bata rahe h wo kalma phadte najar a rahe hote
जय एकलिंग जी,जय मेवाड़ 🙏🙏
हमारे देश में एकमात्र ऐसा राजवंश है जिस पर हमें गर्व है 🚩🚩
गद्दार और गुलाम को गुलाम गुलाम नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे ✅✅
तथाकथित महान राजा मान सिंह आमेर पर इस्लामिक प्रभाव,स्वार्थी व्यवहार और राणा प्रताप का साहस।। 1630ई में इतिहासकार मुहनोत नैनसी की लेखनी जुबानी से💐🌸
जोधपुर राणा प्रताप राणा उदयसिंह का - सोनगिरा अखैराज का दोहिता, सं. 1596 ज्येष्ठ सुदी 3 रविवार को जन्मा था। कछवाह मानसिंह को कुंवर पदे में अकबर बादशाह ने गुजरात भेजा तब चित्तौड़पति राणा प्रताप ने सोनगिरे मानसिंह अखैराजोत और डोडिये भीम सांडावत को उसके पास भेज बहुत कुछ शिष्टाचार दिखलाया था। जब लौटता हुआ मानसिंह डूंगरपुर आया तो वहाँ रावल सहसमल ने उसका अतिथि सत्कार किया । वहाँ से सलूम्बर पहुँचा जहां रावत रत्नसिंह के पुत्र रावत खंगार ने मेहमानदारी की। राणाजी उस वक़्त गोगुन्दे में थे। रावत खंगार (चूंडावत) ने कुंवर मानसिंह की सब रीति भांति और रहन सहन का निरीक्षण कर जाना कि इसकी प्रकृति एक ही प्रकार की (अर्थात् यवनों या मुस्लिमों से मिलती जुलती, बन्धन रहित व स्वार्थी है क्योंकि कई दशकों तक इस परिवार ने मुगलों की सेवा की) है, तब रावत ने राणाजी को कहलाया कि यह मनुष्य अर्थात मान सिंह आमेर मिलने के योग नहीं है, परन्तु राणा ने उसकी बात न मानी। गोगुन्दे आकर (उदयपुर के पास) मानसिंह से मिले और उसे भोजन दिया। जीमने के समय विरस हुआ' । प्रसिद्ध है कि भोजन के समय राणा नहीं आया मानसिंह ने कारण पूछा तो राणा के सरदार ने पहले तो कहा कि कुछ तबियत ठीक नहीं है, परन्तु जब मानसिंह ने ताने व क्रोध के साथ कुछ शब्द कहे तो उत्तर मिला कि तुर्कों को बहन बेटियां ब्याहने वाले के साथ राणाजी भोजन नहीं कर सकते। इस पर बिना जीमे ही मानसिंह उठकर चला गया और वह रसोई कुत्तों को खिला दी गई।
स्पष्ट है कि मंदिर तो वैश्याए, गणिकाए भी बनातती आई है,लेकिन उन मंदिरों की रक्षा भुजाओं के बल पर करने वाले ही सच्चे क्षत्रिय होते है।मान सिंह आमेर के बनाए सभी मंदिरों को जहांगीर ने उस मान सिंह के आंखों के सामने तुड़वा दिया,लेकिन तथाकथित मान सिंह आमेर महान कुछ नहीं कर पाया
जय जय प्रताप हिंदुआ सूरज जय मेवाड़ 🌹💐🌸 मुहनोत नैनसी की ख्यात, पृष्ट संख्या91
झूठ झूठ झूठ 300 साल बाद लिखा गया इतिहास गलत गलत गलत राजा मान सिंह आमेर की मृत्यु के 70 साल बाद लिखे शिलालेख में ऐसा कुछ नहीं लिखा ये मुलाकात शिष्टाचार पूर्वक हुई सब झूठ
झूठ झूठ बिल्कुल झूठ
मां सिंह जी ने महाराणा प्रताप को राजपूत समाज का होने की वजह से छोड़ा हुआ था। लक्ष्यराज सिंह राजपूत समाज का गद्यांश है
@@s.s.shekhawat2993 rajsthan ka rajput samjh nahi saka ki mewad ke lachhraj jaher gholte aaye hain jodha akbar ki manghant kahani main inka hi hath hain or raja man singh ki jhunthi kahani ki kitab yahi likh bate rahye hain ab jo logon ne padha bo usi per viswas kerte hain or abhi kavisamelan main jo Kavita likhi gai or sunai gai uski kimat lachhraj dete aaye hain or ye bahut pahle se karte aarahye hain
Kese chhoda be saale varna Kya ukhad leta Rana Ji veerghati pa lete tab bi unke jute ki nok pe rakhte mansingh ko.ham.
अकबर के सेनापति होने के बावजूद उन्होंने हिंदू धर्म की रक्षा की सेकडो मंदिर बनाए उनके एक भी मंदिर को अकबर तोड़ नहीं पाया जोधा नाम की राजकुमारी जयपुर के इतिहास में कभी पैदा हुई ही नहीं
🚩👑🙏
🚩🚩💯💯💯
Bhai aapne bilkul shi baat lekhi hai but kya kre aaj kl ke youtube or WhatsApp yodha ko kuch pta to hai nhi ase he typing krte rathe hai
Jodha nahi hir kavri nam tha uska okk😂
राजपूत समाज पूरे विश्व में महान था है और रहेगा....
मानसिंह ने जोकुछ किया वह देश काल की परिस्थित के अनुसार किया किन्तु वर्तमान परिस्थित मे राजपूतों मे फूटलाना काम गौरव चौहान ने कुछ पैसौ पर बिककर किया है किसी राजपूत के पुरखों पर भद्दी टिप्पणी कर निंदनीय कार्य किया ।क्या और राजपूतों ने गद्दारी नही की अमर सिंह ने भी तो जहांगीर की आधीनता स्वीकार की
इस विषय को इतना तुल नहीं देना चाहिए ।कवि कविता के लिए स्वतंत्र होते हैं महाराणा प्रताप की बराबरी मान सिंह से नहीं हो सकती वो अकबर के अधीन थे देश का हिन्दू समाज मान सिंह को अपना आदर्श नहीं मान सकता जो अधीन होता है उसकी चलती भी नहीं है।जब जयमल जी ने चित्तौड़ में वीरगति पाईं तब अकबर ने कत्ले-आम का आदेश दिया तो निर्दोष तीस हजार नर नारी कत्ल किये उस समय अकबर की सेना के राजपूत क्या कर रहे थे ?
दुसरी बात ओरंगज ने राठौङो राजकुमारी चंचलकुवरी से विवाह करने आ रहा तब एक भी राठौङ और कछावा बचाने नहीं आया मेवाङ के महाराणा राजसिह ने अपने अनमोल रत्न सलूम्बर सरदार और हाड़ी रानी को खोकर रक्षा की ।अगर किसीने भी विदेशीयों की जङे जमाने का काम किया है तो वह महानता नहीं हो सकती महानता महाराणा के पक्ष में लङने वालों की है ।इसलिए महाराणा की तरफ से बलिदान हुए उनको शत् शत् नमन् और अकबर की सेना में हिन्दू मरे उनके लिए कोई नमन् नहीं ।
भारत के प्रथम राष्ट्रपति बाबू राजेंद्र प्रसाद जी के पुत्र राजीव नयन प्रसाद जी ने अपनी पुस्तक राजा मान सिंह आमेर में पृष्ठ संख्या 33पर लिखा है कि जयपुर के महान राजा भारमल कच्छवाहा ने अपनी पुत्री का विवाह अकबर मुगल से करके स्वयं ऊंचा मनसब पाया ,,और अपनी इज्जत बेचकर घाघरे देकर अपनी भाइयों लडको पोत्रो को भी मुगल दरबार में ऊंचा मनसब इनाम इकराम नौकरी चाकरी दिलाया,,,गजब का चतुर सौदेबाज भारमल ,भगवंतदास और मान सिंह आमेर महान
Itihas Dobara Padhiyega Hukam.....Aadhar Gyan Barbaad Kar Deta Hai Samaj Ko...
Maan Singh Ji Rajput He The N...Or Ek Rajput Kabhi Esa Kaam Nahi Kar Sakta...
Apni Putri Bata K Daasi K Sath Akbar Ka Vivah Karaya Tha...
Aaj Bhi Maharana Bhupal Nobles Udaipur College Me Wo Itihas Ki Kitab Mil Jayegi Aapko...
@@bhanwarsingh7346
Ghanta mera mewar raj parivar ko chhod kar baki sabhi Raj parivar mughlo ke sath roti beti ke sambandh me the
Ye bat cornel james tod, gauri shankar ojha , jaise historian ne apni book me sabit kar ke dikhai hai 😂
Abe Patel ....Baat Tere Se Nahi Ho Rahi Hai...Tu Apna Bich Me Mat Utha Bhai...
Naach Na Jane Aangan Teda
😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂 इतिहास की किताबें अलमारी में नहीं रखी जाती है।संबंध तो थे भाईजी कुछ भी करो मारवाड़, जयपुर, बीकानेर और भी बहुत थे । @@bhanwarsingh7346
अति सुन्दर
जो फेसबुकिया , व्हाट्सएपिया उपदेशक है वो ही कविताओं को सच मानते है।
इन्हें सही रह की जरूरत है। इतिहास का इ पता नहीं ज्ञान देने आ जाते है। मानसिंह और उसके परिवार के साथ उस समय देश काल परिस्थिति भिन्न थी और प्रताप ओर उसके परिवार के साथ अलग..... दोनों अपनी अपनी जगह सही थे।
और हां एक बात और प्रताप , मुगलों के विरूद्ध लड़ने वाले न तो पहले थे और न आखिरी ... उनसे पहले भी बहुतों ने विरोध किया और बाद भी ... बस कुछ का इतिहास दबा दिया गया... कुछ का सिर्फ नाम मात्र का बचा है जैसे बांसवाड़ा के राजा का, मारवाड़ का चंद्रसेन और भी बहुत नाम है।
नोट - कविता को सिर्फ कविता रहने दे इतिहास न बनाएं क्योंकि कविता कल्पनाओं के सृजन से बनी होती हैं।
राजा मानासह आमेर कच्छवाहा ने अपने भाणेज सलीम खुसरो जहांगीर हेतु सोने का जल कुड आगरा महल में बनाया जय हो हिन्दू धम रक्षक?
हम लक्ष्यराजसिंह के साथ है आ जाओ चैलेंज है मेरा सिसौदिया वंश का
Fir mahal chod ke jaglo me bhag jawoge ......our fir haldhi ghati se bhag jawoge
Fir bhagoge mahal chhodkar janglon mein bhilon ki chatoge😂😂😂😂😂
@@ShailendraSinghnaruka-m9k😂😂😂
@@gheesushekhawat6491 aisi gatiya baat aap kiske liye boll rahe jisne muglo ki chati uss ko
@@girishsanadhya5608 aur rana amar singh ko kya kahoge jisne shahjahan se sandhi kari thi
Isme koi shak ki baat nahi ki maharana pratap veer the lekin unki veerta ko batane ke liye man singh ka apman jaruri tha Kya ?
Ye sab lakshyaraj singh ji ka kaam hai ye sab diya kumari ko nicha dikhane ke ho raha hai
Ye rajput ekta ko todne ki rajniti ho rahi hai🤔😥😥
🚩🙏जय विरशिरोमणी महाराणा प्रतापसिंह जय एक लिंग नाथ महादेव की जय
लोकतंत्र मे राजतंत्र का गुणगान मतलब लोकतंत्र को दबाना है सावधान मेरे देशवासियों
Maharaja maan singh ji k jai ho🙏🙏🏳️🌈🏳️🌈
आज के समय में जों क्षत्रिय भाजपा में हें और जो कांग्रेस में एवं अन्य पार्टियों में है उनमें से कोन गद्दार है और कोन देशभक्त। समय और परिस्थितियां सबसे महत्वपूर्ण होती है। लक्ष्यराजसिंह जी ने खुद कहा है कि मेवाड़ हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल है। काल समय परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लेना पड़ता है भविष्य में सब अपने अपने हिसाब से व्याख्या करते हैं 🙏🚩 जय श्री राम 🙏🚩
बेशक मानसिंह अच्छे योद्धा थे परंतु जो महाराणा प्रताप के खिलाफ इन्होंने अकबर की तरफ से लड़ाई की थी वो उनकी सारी जीतों पर एक कलंक है
महाराणा प्रताप एक हिंदुत्ववादी राजा थे....
मानसिंह तो अकबर का गुलाम था.. महाराणा प्रताप ने कभी स्वाभिमान के साथ समझौता नहीं किया....महाराणा प्रताप के सामने मानसिंह विधर्मी था... हैं और रहेगा.... क्योंकि उन्होंने सनातन धर्म का साथ छोड़कर एक मुगलिया ध्वज के साथ हाथ मिलाया था...जय महाराणा प्रताप....
We Proud Gaurav Chauhan and Lakshya Raj Ji 🙏👍
Yadi Maharana Pratap Ne Takat se to Man Singh Ne Dimak se daram ki raksha ki kintu hum in jhal kukdo se koi mind nahi rahkte Samjh ne ki kyo ki ye bachare to jab maharana pratap ka rajput naam ata h to un se bhi jhal ne lagte h to Man Singh ko to wese bohat badnam kar Rakha h to use kese mahan baata sakte h ye bechare
लड़ो मत आपस में हमने भी स्कूल की किताबो में गलत पड़ा था अब सही इतिहास सामने आ रहा है
मेवाड़ के लोग गद्दार नहीं थे मानसिंह गद्दार था
फिर अमर सिंह जी ने मुगलो से संधि क्यों की 😂
मान सिंह की गलती नही है भारमल ने अकबर से संधि की थी
मानसिंहजी ने अकबर के समय सनातन वैदिक मानबिन्दुओं की रक्षा करने में सफल और सक्षम रहे।
हमारे पूर्वजों ने देश विदेश में झंडे गाड़े सीमित नहीं रहे
कच्छावों ने बप्पा रावल , खानवा का युद्ध में मेवाड़ का साथ दिया
इसी मान सिंह ने महाराणा को जीवन दान दिया पीछा न करके
इसी मान सिंह ने बंगाल से काबुल तक
मथुरा से जगन्नाथ पूरी तक धर्म ध्वजा को फ़ैराया
महाराणा स्वरूप सिंह के बारे में बताओ 1857 की क्रांति में अंग्रेजों का साथ दिया था
👉 दोस्तों इतिहास की सच्चाई को झुठलाया नहीं जा सकता है। परन्तु इस दौर में विदेशी आक्रांताओं का साथ देने वालों को महान और आन बान और शान के लिए बलिदान देने वालों को कायर बताने का सिलसिला जारी है।
Use samay bhi Rajput aapas mein lad rahe the to uska fayda mugalon ne uthaya aur abhi aapas mein Rajput ladoge to yah rajneta fayda uthana chahte Hain
सत्य को आज के समय में सत्य बोल नहीं सकते तो कवि तो कवि है। लेकिन सत्य कह गया।
पुलिस को कॉल करना चाहिए था जब पत्नी-बच्चे की धमकी मिली तब, दोगलो की तरह दोनों तरफ़ नहीं बोलता
मुगलों के गुलाम मेवाड़ वाले को नहीं बताए कि स्वाभिमान क्या होता हे जय मेवाड़ महाराज कुमार लक्ष्यराज मेवाड़ के साथ समस्त मेवाड़ खड़ा हे
यह लोग पहले भी राजपूत के साथ राजनीति खेल के राजपूतों को लड़ाई और अलग अलग किया और अभी यह लोग ऐसा ही कर रहे हैं राजपूत एकता बनाकर रहो ऐसे लोगों के भेकावे में मत आओ ✅☝️💯जय राजपुताना जय भवानी 🙏🚩💪⚔️
पूछना नर्क में मुगलों और मानसिंह से कभी भी उनके माथे पर आज भी मेवाड़ वासियों की ठोकरों🦶 का ही बयां है🚩 जय मेवाड़ जय एकलिंग जी 🚩 जय हिंदुआ सूरज की 🚩
मानसिजी अकबर के सेनानायक थे,लेकिन हिंदू समुदाय के भाव रक्षक भी
Hakim khan suri ke bare mein bhi bolna chahiye tha jinhone haldighati ke yuth mein veer maharana pratap ka sath dia ..
अंत तक देखे श्रीमान
अंत तक देखें जी
भाई माना कि मानसिंह ने मुगलों की सेवा की लेकिन मानसिंह एक वीर योद्धा थे हा अगर मानसिंह ओर प्रताप साथ होते तो राजस्थान पर कोई भी आंख नहीं उठा सकता था ऐसे योद्धाओं को बेजती नहीं करनी चाहिए जिनसे भारत के हर जगह को जीत मुंगल को दिया
If only Rajput Raja all comes together in one ,No body can defeat Rajasthani Rajput Hindu Raja
Right 👍 jai maharana pratap singh
मानसिंह ने मेसी मुगलों का साथ दिया हमें तो यही सुना है
आपने अच्छा बोला एक गद्दारी धमकी देते हैं
ये मेवाड़ है.... गद्दार हमेशा गद्दार ही रहेंगे....
अब इन गद्दारों में एक नाम इस कवि का भी जुड़ गया .....जय मेवाड़ ❤
एकदम सही ❤😂🙏🚩
झूठे कवियों की भेजती ही होती ह इन्होंने माफी मांगी बोला में झूठा हु
राजपूत और ब्राह्मणों की लड़ाई के चक्कर में हिंदुस्तान डूबा है आज दिन तक
Mewar ki proper jankari nhi ho to chup hi Raha kr, mai Brahmin hu mewar se hu mere purvaj or rajputo k gehri dosti thi mere purvaj bhi yudh mai shamil hue the, Aaj bhi rajputo k purvajo ka bhog humare ghr aata hai or humare purvajo k bhog ka prasad rajputo k ghar jata hai
पुरा मेवाड़ एक साथ महाराज लक्ष्यराज सिंह जी के साथ है।,,,, जय महाराणा प्रताप, ,,,जय मेवाड़,,,, जय लक्ष्यराज सिंह जी 🚩🚩❤️🙏🙏🙏
जिन झंडू बाम को सही इतिहास नहीं मालूम वो झंडू बाम महान राजा मान सिंह आमेर का सही इतिहास पढ़े कभी गलत नहीं बोलोगे
मान सिंह भी हिन्दू धर्म रक्षक थे, उनके काल में एक भी मंदिर नहीं टूटा, जगन्नाथ पूरी मुस्लिमो से आजाद कराई, हजारों मंदिर बनवाए
महाराणा प्रताप जैसा योद्धा ना कभी हुआ है और ना कभी होगा और मान सिंह जैसा धर्म रक्षक भी कभी नहीं हुआ जिसने जहाँ कदम रखा वहा हिंदू मन्दिर बना दिया...
सही है
महाराणा प्रताप शौर्य ओर वीरता कर प्रतीक है ओर महाराजा मान सिंह भी शौर्य ओर वीरता के प्रतीक है 🙏🏻
We proud lakshyaraj Singh❤ Because we know who fought against us in Mewar
मान सिंह गलत नहीं इतिहास पढो
Ye kah raha hai lakshyraj ji maffi mange kis bat ki maffai mange😂😂😂😂😂😂😂 lakshyraj ji bahut sahi kiya
Jai mewad dhara
मानसिंह गलत थे हम सब जानते है मगर ये उस समय की कूटनीति रही होगी आज मेवाड़ और जयपुर को भिड़ाकर फूट डालने का प्रयास है समझदार बनो।
राजा मानसिंह कच्छवाह
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किसी संघर्ष का सामना करने की रणनीति अलग हो सकती है मगर उसके आधार पर किसी महान शासक को जज करना उसे ग़द्दार ठहराया जाना मूर्खता के अलावा कुछ नहीं है।
महाराणा प्रताप की बराबरी भारतीय इतिहास में कोई नहीं कर सकता है । मगर इसके लिए राजा मान सिंह को ग़द्दार कहना नितांत बचपना ही होगा।
महाराणा प्रताप ने स्वतंत्रता संघर्ष से हिन्दुआ सूरज की प्रतिष्ठा प्राप्त की थी तो शिवाजी ने स्वराज की स्थापना से।
मानसिंह मुग़ल शासन में ने हिंदू मंदिरों की रक्षा पुनर्निर्माण और संरक्षण जो महान कार्य किया था उसकी किसी से तुलना नहीं की जा सकती है।
जिन्हें इतिहास की वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है। जिन्हें तथ्यों और स्रोतों के आधार पर इतिहास के अध्ययन की समझ नहीं हो वे वाट्सअप यूनिवर्सिटी पर इतिहासकार बनने के बजाय अपनी सातवीं पीढ़ी के पूर्वज का नाम तलाश कर लें तो इतिहास की उनकी समझ बेहतर हो जाएगी।
इतिहास के अध्ययन को राजनीति,जाति और नैरेटिव से दूर रखकर उसको पढ़ने का जिम्मा इतिहास के विशेषज्ञों पर छोड़ दे तो एक बेहतर भारत का निर्माण हो सकता है।
अस्तु आपकी जानकारी के लिए राजा मान सिंह द्वारा निर्मित/पुनर्निर्मित/समर्थित मंदिरों की सूची दे रहा हूँ जिसे पढ़कर इससे बेहतर हिंदू मंदिरों के रक्षक का नाम आप की जानकारी में हो तो बताएँ।
राजा मान सिंह द्वारा निर्मित/पुनर्निर्मित/समर्थित मंदिरों की सूची-
1.गोविंद देव जी मंदिर, वृंदावन
2.जगत शिरोमणि मंदिर, आमेर
3.शिला देवी मंदिर, आमेर किला
4.रघुनाथ जी मंदिर, आमेर
5.गढ़ गणेश मंदिर, जयपुर
6..विष्णु मंदिर, वृंदावन
7.केशव देव मंदिर, मथुरा (पुनर्निर्माण)
8.वराह मंदिर, पुष्कर (पुनर्निर्माण)
9.रामचंद्र मंदिर, ओरछा
10.बालाजी मंदिर, सालासर
11.सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण, गुजरात
12.काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी (समर्थन
13.मंगलनाथ मंदिर, उज्जैन
14.नीलकंठ महादेव मंदिर, अलवर (पुनर्निर्माण)
15.राम राजा मंदिर, ओरछा (समर्थन)
16.द्वारिकाधीश मंदिर, गुजरात (पुनर्निर्माण)
17.जागेश्वर मंदिरों का समर्थन, उत्तराखंड
18.सूर्य मंदिर, गाल्टा जी (जयपुर)
19.महादेव मंदिर, गाल्टा जी (जयपुर)
20.अनंत वासुदेव मंदिर का पुनर्निर्माण, भुवनेश्वर
21.ब्रह्मेश्वर मंदिर, नालंदा (पुनर्निर्माण)
22.श्री मंदाता मंदिर, ओंकारेश्वर (समर्थन)
23.अचलेश्वर महादेव मंदिर, माउंट आबू (पुनर्निर्माण)
24.भांडासर जैन मंदिर, बीकानेर (समर्थन)
25.गोपीनाथ मंदिर, वृंदावन
26.काल भैरव मंदिर, उज्जैन (समर्थन)
27.श्री शांतिनाथ जैन मंदिर, खजुराहो (समर्थन)
28.शीतला माता मंदिर, आमेर किला
29,बटेश्वर मंदिर परिसर, मुरैना (समर्थन/पुनर्निर्माण)
30.द्वारिकाधीश मंदिर, मथुरा (समर्थन)
31.लक्ष्मीनारायण मंदिर, जयपुर (समर्थन)
32.गुर्जर-प्रतिहार मंदिर, नागदा (पुनर्निर्माण)
33.त्रिनेत्र गणेश मंदिर, रणथंभौर (समर्थन)
34.भैरव मंदिर, आमेर किला
35.श्री रामचंद्र मंदिर, कनक वृंदावन (जयपुर)
36.केदारेश्वर मंदिर का पुनर्निर्माण, केदारनाथ
37.मीरा बाई मंदिर, चित्तौड़गढ़ (समर्थन)
38.ब्रह्मा मंदिर, पुष्कर (पुनर्निर्माण/समर्थन)
39.महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन (पुनर्निर्माण)
40.संगमेश्वर महादेव मंदिर, काशी (पुनर्निर्माण/समर्थन)
41.हरिहर मंदिर, उत्तर प्रदेश (पुनर्निर्माण/समर्थन)
42.कुंटेश्वर महादेव मंदिर, कच्छ (समर्थन)
43.द्वारिकाधीश मंदिर का पुनर्निर्माण, गुजरात
44.रामचंद्र मंदिर, कनक वृंदावन (जयपुर)
45.सास बहू मंदिर, ग्वालियर (समर्थन/पुनर्निर्माण)
46.दधिमति माता मंदिर, नागौर (पुनर्निर्माण)
!!धर्म परायण सनातन रक्षक राजा मानसिंह!!
@highlight
शुभम् भवतु।।
मान सिंह को गद्दार कह देते हैं, पर इनको नहीं पता बाबर से कौन लड़ा था, राणा सांगा के साथ।
Jo sath me Lada .usne hi to gaddari ki Rana se, ye bhi tum ko pata nahi
लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ से माफी मांगवाके बताओ फिर देखते हैं कितना दम है
दम तो पता चल जाता हुकम किसने कितना दम है बड़ी बड़ी बाते करने से कुछ नहीं हो जाता मेवाड़ को बाकी राजपूत लोगों ने साथ नहीं दिया होता 45 ठिकाने राठौड़ के लड़े 44 ठिकाने चौहान के लड़े झाला पवार सोलंकी और भी कही राजपूतों ने मेवाड़ के लिए युद्ध किया है और आज पूरा क्रेडिट मेवाड़ ले कर बैठा है आज मेवाड़ है तो खाली मारवाड़ के राठौड़ की वजह से सही से इतिहास पढ़ो खाली कितने युद्ध लड़े वो मत देखो किसने लड़े है मेवाड़ के लिए वो देखो
महाराजाधिराज मानसिंह कुशवाहा जी अमर रहें। 🙏🚩
गौरव चौहान बिल्कुल अपनी जाति राजपूत के चरित्र के अनुसार ही व्यवहार कर रहे हैं।जब लक्ष्यराज सिंह ने कहा तो उनके मन की कर दी।जब दूसरों ने धमकाया तो फिर उनकी कहने लगे।
जब अकबर ने धमकाया तो उसको बेटी दे दी,जब अंग्रेजों ने धमकाया तो उनके चरणों में बैठ गये।आज लोकतंत्र है तो जबान चलाओ और क्षत्रिय बन जाओ
मानसिंह पर राजपूत ही नहीं पुरा भारत शर्मिंदा है।
इतिहास को भावुकता से नहीं पढ़ना चाहिए, उस से पढ़के सीखना चाहिए,
वो एक ऐसा समय था जब सही गलत का निर्णय लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं थे,
जिसके हाथ मे शक्ति थी उसने राज किया,
अब राज करने वाला खराब था या अच्छा था जैसा भी था, उस समय के हिसाब से आज का दृष्टिकोण बिलकुल फिट नहीं बैठ सकता,
इतिहास मे क्या हुआ और क्यु हुआ इसका सिर्फ अनुमान ही लगाया जा सकता है
किसी लेखक की लेखनी पढ़कर किसी को ईमानदार या गद्दार नहीं कहा जा सकता.
क्युकी राजस्थान के वीर योद्धाओ की जब बात होती है
तो हिंदी विषय मे राजस्थानी वीरों के इतिहास मे एक अलंकार विशेष रूप से हर जगह लगाया जाता है
और वो है अतिश्योक्ति अलंकार, 😮
सब कुछ thik वैसा नहीं हो सकता जैसा बताया गया है, बस अनुमान लगाइये
और एक बात तो है मंच पर अब कोई सच्चा कवि नहीं रहा,
कहा गया वो जोश, वो गुस्सा जो मानसिंह के लिए था!
और कहा गयी वो कृतज्ञता जो आप अपनी कविता मे महाराणा प्रताप हेतु बड़े भावुक होके प्रकट कर रहे थे कवि महोदय,
ऐसे ढोंगी कवि को कभी कोई मंच उपलब्ध न कराये,
कवि जो लिखता है ना वो उसे जीता है,
काव्यमंच की मर्यादा को तार तार करने वाले झूठे व्यक्ति
अपनी बात पे कायम नहीं यहा सका
जय हो राणा पूजा भील मेवाड लाज बसा ली दुनिया नाम उसा कर दिया
जो भी कहा हे सही हे उसमें श्री लक्ष्य राज सिंह जी से गलत नहीं किया
मानसिंह अगर शूरवीर था तो मुगलो की गुलामी क्यु स्वीकार की
राजपूतों भाई राजनीति परिस्थिति ऐसी रही होगी या थी उस समय आज की परिस्थिति कुछ ओर हे , कोई गलत नहीं ओर जो भी हुआ उस टाइम उस टाइम का दौर था ,
जब कभी ही गलत हो जब कवि की कविताएं ही गलत लिखी गईहो तो उनकी कविताओं पर कौन विश्वास करेगा हम नहीं करते विश्वास हम राजा मानसिंह का सही इतिहास जानतेहैं वे महान राजा थे
जै न हो तो हिन्दु में, कच्छवाहो नृप मान।
गरदिश में रहतो गर्क, आखो हिन्दुस्तान।
आज जिसे लव जिहाद कहते है वह जयपुर रियासत के लिए तब सम्मान की बात थी । कृपया खुद को हिंदुओ का रक्षक नही कहे।
कवि महाराज आपको इसकी कहां आवश्यकता थी जितना ज्ञान हो उतनी ही बात करनी चाहिए
इतिहास में जो लिखा है वहीं गौरव चौहान ने पढ़ा है लक्ष्य राज सिंह को मामले में लाने का केबल राजनीतिक ही है
जनता के हितों के लिए सब कुछ करनापड़ता है, एक राजा को, ,क्या आज की नेताओं को कायर नहीं कह सकते यह भी तो परियों चेंज करते हैं
असत्य पर सत्य की जीत
जय महाराणा प्रताप... महाराज कुमार साहब श्री लक्ष्यराज सिंह जी मेवाड़ जिंदाबाद... समूचा मेवाड़ ही नहीं समूचा भारत महाराणा प्रताप के वंशज महाराज कुमार श्री लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ के के साथ खड़ा है
गौरव चौहान
मंच कवि हैं।
कवि नहीं।
मंच कवि का मतलब मनोरंजन से हैं। कविता से नहीं।
लक्ष्य सिंह का एक्शन गंभीर नहीं,गलत है।