स्वामी शिवानंद सरस्वती की जीवनी( Biography of Swami Sivananda Saraswati)
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- Опубліковано 21 січ 2021
- स्वामी विवेकानंद सन् 1893 में जब अमेरिका की धरती से पूरी दुनिया में योग और वेदांत दर्शन का अलख जगा रहे थे। तब भविष्य में आध्यात्मिक आंदोलन को गति देने के लिए दिव्य-शक्ति वाले कई संत भारत की धरती पर भौतिक शरीर धारण करके विभिन्न परिस्थितियों में पल-बढ़ रहे थे। स्वामी शिवानंद सरस्वती उन्हीं में से एक थे।
पेशे से इस मेडिकल प्रैक्टिशनर की मलाया में काम करते हुए न जाने कौन-सी शक्ति जागृत हुई कि वे वैरागी बनकर भारत में नगर-नगर डगर-डगर भ्रमण करने लगे थे। ऋषिकेश पहुंचने पर उनकी यह यात्रा पूरी हुई थी, जब वहां स्वामी विश्वानंद सरस्वती के दर्शन हो गए और उनसे दीक्षा मिल गई। फिर तो परिस्थितियां ऐसी बनी कि वहीं जम गए। जल्दी ही उनकी आध्यात्मिक शक्ति की आभा फैल गई और देखते-देखते पूरी दुनिया में छा गए थे। उनके पट्शिष्य और बिहार योग विद्यालय के संस्थापक परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती कहते थे कि वे न तो कभी पाश्चात्य देश गए औऱ न ही प्राच्य देश। पर उनकी अद्भुत यौगिक शक्ति का ही कमाल है कि सर्वत्र छा गए।
स्वामी शिवानंद सरस्वती यौगिक साधनाओं की बदौलत चमत्कार दिखाने के विरूद्ध थे। पर पीड़ित मानवता की सेवा करने और अपने शिष्यों को आध्यात्मिक मार्ग पर बनाए रखने के लिए कई बार ऐसा काम कर देते थें, जिन्हें आम आदमी चमत्कार ही मानता था। दक्षिण अफ्रीका के डर्बन शहर के अस्पताल में भर्ती उनके एक शिष्य की हालत खराब थी। दूसरी तरफ कुआलालामपुर में ऐसी ही स्थिति में एक अन्य शिष्य था। इन दोनों शिष्यों द्वारा बतलाए गए समय और तिथि के मुताबिक स्वामी शिवानंद ने एक ही समय में दोनों को दर्शन दिए थे और दोनों ही स्वस्थ होकर घर लौट गए थे। आस्ट्रिया में अपना शरीर त्याग चुके स्वामी ओंकारानंद ने अपनी पुस्तक में इन घटनाओं का जिक्र किया है। वे इस वाकए के वक्त स्वामी शिवानंद सरस्वती की छत्रछाया में साधनारत थे।
परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती के साथ भी एक चमत्कारिक घटना हुई थी। वे कुंभ स्नान के लिए हरिद्वार जाना चाहते थे। पर स्वामी शिवानंद सरस्वती ने उन्हें इसके लिए इजाजत न दी। स्वामी सत्यानंद सन्यास मार्ग पर नए-नए थे। उन्होंने कल का काम आज ही निबटा कर अपने गुरू को बताए बिना कुंभ के मेले में चले गए। गंगा में नहाते वक्त लंगोट पानी की धारा में बह गया। पहनने के लिए दूसरा कुछ भी नहीं था। ऐसे संकट में गुरू कृपा का ही सहारा था। गंगा किनारे निर्वस्त्र बैठकर गुरू का स्मरण कर रहे थे। तभी आश्रम का एक संन्यासी वस्त्र लिए पहुंच गया। स्वामी सत्यानंद वापस आश्रम पहुंचे ही थे कि स्वामी शिवानंद जी से सामना हो गया। उन्होंने हंसते हुए पूछा, कहो सत्यानंद कपड़े के बिना बहुत कष्ट हो गया? स्वामी जी को समझते देर न लगी कि यह चमत्कार गुरू की अवमानना का प्रतिफल था। उन्होंने क्षमा याचना करते हुए संकल्प लिया कि भविष्य में ऐसी गलती नहीं करेंगे।
ये घटनाएं स्वामी शिवानंद सरस्वती की अद्भुत योग-शक्ति का प्रतिफलन थी। स्वामी निरंजनानंद सरस्वती कहते हैं कि यह समाधि की दस अवस्थाओं की अंतर्निहित क्षमता है, जो साधक को अनेक शरीरों में प्रकट होने में सक्षम बनाता है। स्वामी शिवानंद ने अपनी प्राणायाम संबंधी पुस्तक में खुद ही लिखा है कि योग में इतनी शक्ति है कि कोई शरीर के भार को कम करके पल भर में आकाश मार्ग से कहीं भी, कितनी भी दूर जा सकता है। खेचरी मुद्रा के अभ्यास से दीर्घित जिह्वा को अंदर की ओर मोड़ कर उससे पश्च नासाद्वार को बंद कर वायु में उड़ान भरी जा सकती है। दृष्टि या स्पर्श मात्र से अथवा मंत्रों के जप मात्र से रोगी का उपचार किया जा सकता है। परमहंस योगानंद के परमगुरू लाहिड़ी महाशय ने अपने एक बीमार भक्त को इन्ही विधियों की बदौलत इंग्लैंड में दर्शन दिया था।
स्वामी शिवानंद सरस्वती स्वर साधना को योग विद्या और ज्योतिष विद्या का महत्वपूर्ण आधार मानते थे। वे कहते थे कि जो स्वर साधना नहीं जानता, उसकी ज्योतिष विद्या अधूरी है। योग के क्षेत्र में भी यही बात लागू है। वे कहते थे कि साधु-संन्यासी या ज्योतिष आदमी को देखकर ही ऐसी बातें कह देते हैं, जो कालांतर में सही साबित होती हैं। लोग इन्हें चमत्कार मानने लगते हैं। पर वे स्वर साधना के कमाल होते हैं। यदि ज्योतिष या संत की सूर्य नाड़ी काम कर रही हो और प्रश्नकर्ता नीचे या पीछे या दाईं ओर खड़ा हो तो दावे के साथ प्रश्न का उत्तर सकारात्मक होगा। यानी यदि प्रश्न है कि फलां काम होगा या नहीं तो इसका उत्तर है - काम होगा और तय मानिए कि यह बात सौ फीसदी सही निकलेगी। स्त्री कि मासिक शौच के अनंतर पांचवें दिन यदि पति की सूर्य नाड़ी तथा पत्नी की चंद्र नाड़ी चल रही हो तो उस समय उनका प्रसंग पुत्र उत्पन्न करेगा। जब सूर्य नाड़ी चलते समय का योगासन ज्यादा फलदायी होता है।
स्वामी शिवानंद सरस्वती ने जीवन के विविध आयामों का वैज्ञानिक अध्ययन किया और उसे जनोपयोगी बनाकर जनता के समक्ष प्रस्तुत किया। वे अपने शिष्यों के रोगों का वेदांत दर्शन की एक विधि से इलाज करते थे और वे ठीक भी हो जाते थे। वे एक मंत्र देते थे - “मैं अन्नमय कोष से पृथक आत्मा हूं, जो रोग की परिधि से परे है। प्रभु कृपा से मैं दिन-प्रतिदिन हर प्रकार से स्वास्थ्य लाभ कर रहा हूं।“ कहते थे कि सोते-जागते हर समय यह विचार मानसिक स्तर पर चलते रहना चाहिए। यह एक अचूक दैवी उपाय साबित होगा। इस सूत्र से ऐसी बीमारियां भी ठीक हुईं, जिन्हें डाक्टर ठीक नहीं कर पा रहे थे।
स्वामी शिवानंद सरस्वती में वेदांत के अध्ययन और अभ्यास के लिए समर्पित जीवन जीने की तो स्वाभाविक व जन्मजात प्रवृत्ति थी ही, गरीबों की सेवा के प्रति तीब्र रूचि ने उन्हें संन्यास की प्रवृत्त किया था। उन्होंने सन् 1932 में ऋषिकेश में शिवानंद आश्रम, सन् 1936 में द डिवाइन लाइफ सोसाइटी और 1948 में योग-वेदांत फारेस्ट एकाडेमी की स्थापना की थी। उन्होने इन्ही संस्थाओं के जरिए लोगों को योग और वेदांत में प्रशिक्षित किया और आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचार-प्रसार किया था।
मेरा बचपन गुरुदेव के आश्रम में ही गुरुदेव की कृपा से 4 वर्ष की उम्र से 20वर्ष की उम्र तक बड़ा ही सुंदर बीता।गुरुदेव श्री, स्वामी श्री शिवानन्द सरस्वती महाराज जी,को कोटि कोटि सादर दंडवत नमन।और आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद,जो कि आपने गुरुदेव श्री के जीवन के सार गर्भित पलों को यूट्यूब के माध्यम से जन जन तक पहुंचा कर के एक प्रेरणा दाई कार्य किया।
Good
स्वामी जी को साष्टांग प्रणाम करता हूं
Inhone 296 se jyada books likhe. Aapne sahi video banaya.
Swami Sivananda, Swami Chidananda and Swami Premananda are our gurus. Salutations.
Swami Shivananda Saraswati is my Sadguru. Pronam my Sadguru.
गुरु देव को शत शत नमन।
om nomo bhagavate Sivanandaya🙏
मैं जिला लुधियाना मैं रहता हूं मैं परम पूज्य स्वामी शिवानंद महाराज जी की कीर्ति करनी को कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं आदरणीय भ्राता जी मुझे परम पूज्य स्वामी शिवानंद जी की कुंडली योग साधना की पुस्तक चाहिए
Om Namo Bhagavathe SIVANANDAYA. Om Namo Bhagavathe KRISHNANANDAYA. Pranams at their lotus feet.
Thanks for uploading. Gurudev ki jai ho
बहुत ही उत्तम जीवनी। शत शत नमन है एसी महान विभूति को 🌹🙏
Aati sundar... 🙏🙏
मेरे माता पिता के गुरू देव शत शत प्रणाम । कृपा करो भगवन ।
Jai gurudev ji 🎉🎉🎉❤❤
🙏🙏🙏🙏🙏
Shri sadgurudev ko koti koti pranam
Dhanyawad Bhiya
जय गुरुदेव 🙏🙏
Prnaam prbhu ji
Great
JAI BABAJI 🌸🌺🌹🌷🙏JAI MAA 🌸🌺🌹🌼🙏
A great Saint. Pranams .
Jay Gurudev koti koti pranam
Jai Sivanandajee Maharaj
Bast
Jay gurudev..
Bhut achcha laga
Aum Namah Bhagwate Shivanandaya Bless All of Us 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏💔
Om. Om. Om. Swamiji
Hari om
Devotional Video.
Humare guru ke guru....🙏🏻🙏🏻🙏🏻
बहुत अच्छा लगा जान कर गुरु जी के बारे में..
कृपया आप बता सकते हैं कि इस वीडियो के पीछे मे जो बांसुरी बज रहीं हैं उसकी पूरी ऑडियो कहा मिलेगी..
इस बांसुरी की धुन ने मेरा ध्यान बहुत आकर्षित किया है..
गुरु जी के बारे में बताने के लिए वो भी इतनी अच्छी तरह आपका बहुत बहुत धन्यावाद 😊🙏
Om namo Bhagwate Sivanandaya🌺🌺 Om namo Bhagwate Chidanandaya🌺🌺
Sastang pranam swamiji
🙏🙏🙏🙏
Waheguru.main ajj baba ji ke dershan krne Aya hu
Hari om
Om bhagwate vasudevaya namah
Om Namoh Bhagavate Sivanandaya
Pay lagu mere parampita kitne bhi janm kyu na lelu aapka upkar mita na paunga.Miss u so much sad guruji😭😭😭🙏🙏🙏🙏🙏🙏
His birth place name was pathamadai my native place too
7:13
Swami shiwanand ji ka warud amravati maharastra me ahram hai
Jaygurdav
Hari Om Tattsat 🙏
I have read His complete biography.
Do you know where 'himalayada kare', Kannada version of the 'voice of the Himalayas' available?🙏
Sir kya app list de shkte jo books swamiji ne likhi hai
Aum Namah Bhagwate Shivanandaya Koti koti Parnam
Bhai background music name plzz
Utttm
Bhai pahale apni awaj energy full banao
Please
Definately
Inke dwara likhi hui kitab kha milegi
Bihar yog Bharti Munger me
Ek shivanand saraswati maharaj munger mahant ke naam se jane jate hai
Shiv, ko, ko, kesi, nay, ayda, nahi, keya, tatparj, hay, Adhmaketa, Bhawana, say, bara, bhugwan, nahi, hoti, koi, in, sas, racha, hum, Fozi, usko, sadh, keya, chapluse, chor, day, Adi, guru, Suncara, charj, ki, mahea, aje, us, mukher, Rajneti, or, kutneti, trant, kya, payi, upni, sadhuta, bhung, keya, jo, Akhand, or, we, kya, mi, dharit, keya, azad, hind, ka, gulam, nagrik, jheyla, tjheyla, or, dheyla, jholu, dharun, keysareya, ka, rup, upnaya, per, dharatal, par, weybus, nirwahun, ka, upman, keya, srapit, ki, Abustha, enko, meli, muhsus, hus, jagreti, wedhayuk, ki, wedha, say, jura, raha, unki, Adhuri, dasta, ka, parechayuk, ola, kya, bhula, benod, urbindo, ki, anusthan, mera, bur, or, pepal, upnaya, sardha, ussay, ugni, hort, say, srest, raha, we'd, puran, Geta, or, wedha, ko, her, jati, dharm, ko, upni, kriti, ko, pehchaney, na, bhot, bank, ko, wahiscar, karey, jo, dalalo, ka, ghudh, tha, hay, or, raheyga.।।
बहुत सारी आरती इन्हौंने ही लिखी है क्या?
कहत शिवानंद स्वामी मन वांछित फल पावै
या वो कोई और संत हैं?
Ji nahi
Swami Shivanand ka naam Swami roganand hona chahie itna Rog unko tha uska Karan uska bahut bada pet tha. Doctors bhi kahate Hain chhati ka golai se pet ka golai agar 15 inch se jyada ho life risk 85% badh jata hai Yogi log Gorakhnath ki tarah dikhte Hain na to vah Shivanand ki tarah petu hote Hain naahi chidanand jaisa mara mariyala patale aadami hote Hain. Inko bevkuf log hi guru mante Hain.
Thankyou Shri Chaitanya yoga ashram for liking my comment thank u veri much.