आईयां कातन वालीयां मिनो मिने रबद कर किन-2 मिहीं कातिया साँचा स्नेह धर ।। सुन्दर वाणी गायन

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  • Опубліковано 10 лют 2025
  • आईयां कातन वालीयां मिनों मिने रबद कर किन-2 मिहीं कातिया साँचा स्नेह धर-आईयां..
    1. किनहूं कातया सोहाग का, सूत भर सेर कोई बैठियां पांव पसार के ले बैठी, हिरदे अंधेर आईयां
    2. एक सूत देखे और के, उमर सब गई फेरा देवें रुपवंतीया कबू पूनी, हाथ न लई- आईयां
    3. कोई सोये रहीयां आतन में, उठीया तन उन्माद दुख-पाया तब दिल में जब सूत आया याद- आईयां .........
    4. जब सूत सईयां देख्या, तन जाहेर हुइयां सब सोये पर जिन कछुऐ न कातया छिपाऐ रही मुख रोय आईयां
    5. एक अड़ंगा लगावे और को सामी तकले डाले बल ऐ बातें होसी वतन में जब उतर जासी अमल आईयां
    श्री प्राणनाथ जी मन्दिर || जालन्धर || वार्षिक उत्सव || 2025
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