Bahre Mendak ki Kahani Motivational Story in hindi #3 बहरे मेंढक की कहानी भाग 3

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  • Опубліковано 14 жов 2024
  • bahre mendak ki kahani motivational story in hindi #3 - दोस्तों इस वीडियो में हम आपको बहरे मेंढक की कहानी सुनाएंगे। उम्मीद है की आपको यह कहानी बहुत पसंद आएगी।
    एक तालाब में बहुत सारे मेंढक रहते थे। उस तालाब के ठीक बीचोंबीच एक बडा-सा लोहे का खम्बा वहां के राजा ने लगवाया हुआ था। एक दिन तालाब के मेंढको ने निश्चय किया कि “क्यों ना इस खम्भे पर चढ़ने के लिए रेस लगाई जाये”, जो भी इस खंभे पर चढ़ जायेगा, उसको प्रतियोगिता का विजेता माना जायेगा।*
    रेस का दिन निश्चित किया गया। कुछ दिनों बाद रेस का दिन आ गया। प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए वहां कई मेढ़क एकत्रित हुए, पास के तालाब से भी कई मेंढ़क रेस में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे हुए थे, और प्रतियोगिता को देखने के लिए भी बहुत सारे मेंढ़क वहां एकत्रित हुए। रेस का आरंभ हुआ, चारों ओर शोर ही शोर था। सब उस लोहे के बड़े से खम्भे को देख कर कहने लगे “अरे इस पर चढ़ना नामुमकिन है” “इसे तो कोई भी नहीं कर पायेगा”। “इस खम्भे पर तो चढ़ा ही नहीं जा सकता”।
    कभी कोई यह रेस पूरी नहीं कर पाएगा, और ऐसा हो भी रहा था, जो भी मेढ़क खम्भे पर चढ़ने का प्रयास करता, वो खम्भे के चिकने एवं काफी ऊँचा होने के कारण थोड़ा सा ऊपर जाकर नीचे गिर जाता। बार बार कोशिश करने के बाद भी कोई ऊपर खम्भे पर नहीं पहुँच पा रहा था। अब तक काफी मेंढ़क हार मान गए थे, और कई मेंढ़क गिरने के बाद भी अपनी कोशिश जारी रखे हुए थे। इसके साथ-साथ अभी भी रेस देखने आए मेंढक जोर-जोर से चिल्लाए जा रहे थे “अरे यह नहीं हो सकता”।*
    “यह असंभव है” “कोई इतने ऊँचे खम्भे पर चढ़ ही नहीं सकता।” आदि, और ऐसा बार बार सुन सुन कर काफी मेंढक हार मान बैठे और उन्होंने भी प्रयास करना छोड़ दिया। और अब वो भी उन मेंढको का साथ देने लगे जो जोर-जोर से चिल्लाने लगे। लेकिन उन्ही मे से एक छोटा मेंढक लगातार कोशिश करने के कारण खम्भे पर जा पंहुचा, हालाँकि वो भी काफी बार गिरा, उठा, प्रयास किया तब कही जाकर वो सफलता पूर्वक खम्भे पर पहुंचा।
    और रेस का विजेता घोषित किया गया। उसको विजेता देखकर, मेढ़को ने उसकी सफलता का कारण पूछा की यह असंभव कार्य तुमने कैसे किया, यह तो नामुमकिन था, यहाँ सफलता कैसे प्राप्त की, कृपया हमे भी बताए। तभी पीछे से एक मेंढ़क की आवाज़ आयी “अरे उससे क्या पूछते हो वो तो बहरा है।”
    फिर भी मेढको ने विजेता मेंढक से पता करने के लिए एक ऐसे मेढक की मदद ली, जो उसकी सफलता का कारण जान सके, विजेता मेंढक ने बताया की मैं बहरा हूँ। मुझे सुनाई नही देता, लेकिन जब आप लोग जोर-जोर से चिल्ला रहे थे, तो मुझे लगा जैसे आप मुझसे कह रहे हो की “यह तुम कर सकते हो, यह तुम्हारे लिए मुमकिन है” इन्ही शब्दों ने मुझे सफलता दिलाई है।

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