देव तुम्हारे कई उपासक/ रचनाकार श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान/ Prabhu Stuti-Kirti Khurana/ 306

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  • Опубліковано 10 вер 2024
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    देव तुम्हारे कई उपासक, कई ढंग से आते हैं।
    सेवा में बहुमूल्य भेंट वे, कई रंग की लाते हैं।।
    धूम-धाम से साज़-बाज़ से, वे मंदिर में आते हैं।
    मुक्ता मणि बहुमूल्य वस्तुएँ, लाकर तुम्हें चढ़ाते हैं।।
    मैं ही एक पुजारी ऐसा, जो कुछ साथ नहीं लाया।
    फिर भी साहस कर मंदिर में, पूजा करने को आया।।
    धूप-दीप नैवेद्य नहीं है, झांकी का श्रृंगार नहीं।
    और गले में पहनाने को, फूलों का भी हार नहीं।।
    स्तुती कैसे करूँ कि स्वर में, मेरे है माधुर्य नहीं।
    मन का भाव प्रकट करने को, मुझ में कुछ चातुर्य नहीं।।
    नहीं दान है नहीं दक्षिणा, खाली हाथ चला आया।
    पूजा की भी विधि नहीं जानूं, फिर भी नाथ चला आया।।
    पूजा और पुजापा प्रभुवर, इसी पुजारी को समझो।
    दान-दक्षिणा और न्यौछावर, इसी भिखारी को समझो।।
    आप तो हैं मौजूद सभी में, यह विश्व तुम्हारा मंदिर है।
    सबसे उच्च सिंहासन तेरा, प्रभुवर मेरे ही तो अंदर है।।
    मैं उन्मत्त प्रेम का इच्छुक, हृदय दिखाने आया हूँ।
    जो कुछ है बस यही पास है, इसे चढ़ाने आया हूँ।।
    चरणों में अर्पित यह मन है, फैंको या स्वीकार करो।
    यह तो वस्तु तुम्हारी ही है, ठुकरा दो या प्यार करो।।
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КОМЕНТАРІ • 4

  • @hirachawla2414
    @hirachawla2414 3 місяці тому

    सुभद्रा कुमारी चौहान के भजन की प्रशंसनीय प्रस्तुति। बहुत सुंदर 😊

  • @namrataraheja9543
    @namrataraheja9543 3 місяці тому

    बहुत सुंदर 👌👌🎉🎉

    • @hirachawla2414
      @hirachawla2414 3 місяці тому

      बहुत सुंदर भाव और सुंदर प्रस्तुति। हमारा आशीर्वाद

    • @PrabhuStutiKirtiKhurana
      @PrabhuStutiKirtiKhurana  3 місяці тому

      Thank you uncle 🙏