मचल के जब भी आँखों से [Machal Ke Jab Bhi Aankho Se] | Karaoke | Bhupinder Singh | Griha Pravesh

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  • Опубліковано 29 вер 2024
  • Track No# 260
    Karaoke for
    Machal Ke Jab Bhi Aankho Se
    Film : Griha Pravesh (1979)
    Sung by Bhupinder Singh Ji
    Music composed by Kanu Roy Saab
    Lyricist - Gulzar Saab
    Scale : F#m
    Track by KINNER THAKORE
    #musicrelux
    Lyrics
    मचल के जब भी आँखों से..
    छलक जाते हैं दो आँसू..
    मचल के जब भी आँखों से..
    छलक जाते हैं दो आँसू..
    सुना है आबशारों को बड़ी..
    तक़लीफ़ होती है
    मचल के जब भी आँखों से..
    छलक जाते हैं दो आँसू..
    मचल के जब भी आँखों से..
    खुदारा अब तो बुझ जाने दो इस..
    जलती हुई लौ को
    खुदारा अब तो बुझ जाने दो इस
    जलती हुई लौ को
    चरागों.. से मज़ारों को बड़ी
    तक़लीफ़ होती है
    चरागों.. से मज़ारों को बड़ी
    तक़लीफ़ होती है
    मचल के जब भी आँखों से..
    छलक जाते हैं दो आँसू..
    मचल के जब भी आँखों से..
    कहूँ क्या वो बड़ी मासूमियत से पूछ बैठे हैं...
    कहूँ क्या वो बड़ी मासूमियत से पूछ बैठे हैं...
    क्या सचमुच.. दिल के मारों को बड़ी तक़लीफ़ होती है
    क्या सचमुच.. दिल के मारों को बड़ी तक़लीफ़ होती है
    मचल के जब भी आँखों से..
    छलक जाते हैं दो आँसू..
    मचल के जब भी आँखों से..
    तुम्हारा क्या तुम्हें तो.. राह दे देते हैं काँटे भी...
    तुम्हारा क्या तुम्हें तो.. राह दे देते हैं काँटे भी...
    मगर हम ख़ाकज़ारों को बड़ी तक़लीफ़ होती है
    मगर हम ख़ाकज़ारों को बड़ी तक़लीफ़ होती है
    मचल के जब भी आँखों से..
    छलक जाते हैं दो आँसू..
    सुना है आबशारों को बड़ी..
    तक़लीफ़ होती है
    मचल के जब भी आँखों से..
    छलक जाते हैं दो आँसू..
    मचल के जब भी आँखों से..
    छलक जाते हैं दो आँसू..
    मचल के जब भी आँखों से..

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