लघु नाटक- दिलफेंक आशिकों के लिए correct solution
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- Опубліковано 10 чер 2024
- दिलफेंक आशिकों के लिए correct solution
Psycho-Analyst हर मर्ज़ की दवा ..है मेरे पास
लघु नाटक
मरीज (पी )- मैडम नमस्ते.
डॉक्टर (डी )- हाँ, पेशेंट नाम - दिलफेंक आशिक - जी बताइये क्या समस्या है आपकी।
पी- मैडम मेरा दिल थोड़ा टेडा सा व्यवहार करता है...(मुस्कुराते हुए)
डी- ये टेडा दिल आपको ईसीजी टेस्ट से पता चला?
पी- नहीं नहीं मैडम…मेरे मन के व्यवहार से पता चला
डी- तुम्हारा मतलब है कि तुम्हारे मन ने बताया कि तुम्हारा दिल टेड़ा है…
पी- ऊफ- क्या मैडम… आपके पास चिकित्सा करने की डिग्री-वीग्री तो है ना..
डी- मतलब? तुम्हें कोई शक है क्या?
पी- हम्म…अच्छा मैडम मैं क्या कह रहा था कि मेरा दिल आवारा सा है…
डी- अच्छा - अब टेढ़ा से आवारा हो गया….
पी- हाँ मतलब…ऐसा है कि अभी मेरी लाइफ में मधु, गीता और राइमा…तीनों हैं…
डी- कौन हैं ये लोग?
पी- लड़कियाँ हैं मैडम
डी- अरे रिस्ता क्या है? बहन है, कजिन है….गर्लफ्रेंड है…
पी- हां हां -रुको रुको…..बहुत देर बाद आपने कुछ पते की बात कही…
डी- अच्छा….
पी- तो मैडम ये तीनों को तो मैं 3 टाइम कर ही रहा था…अब चौथी वाली भी सीन में आ गई…पूनम…
डी- इन लड़कियों का सोर्स क्या है…?
पी- सोर्स ? मतलब?
डी- नहीं…मतलब हजारों लड़के बैचलर बन के घूम रहे हैं…और तुम्हारे पास जरूरत से ज्यादा सप्लाई है…
पी- यही मेरी किस्मत है मैडम…मैं चौकन्ना रहता हूं…शादी, जन्मदिन पर मै अलर्ट रहता हूं…पता नहीं ना… कौन कब पट जाए….
डी- संभालते कैसे हो?
पी- बस इसीलिए तो आया हूँ आपके पास मैडम- कुछ उपाय दीजिए कि चारो संभल जाएँ...(मुस्कुराते हुए)
डी- तुम तो हिंदू हो...चार शादिया अलाउड नहीं है...और इस महंगाई में चारो को संभालोगे कैसे?
पी- क्या आप पागल हैं ? शादी की बात कौन कर रहा है? मुझे आप समाधान दीजिए कि चारो को मैं खुश रख सकू…
डी- चारो को छोड़ दो…
पी- क्यों भला?! इतनी मुश्किल से तो पटती है लड़कियां...और आप कह रहे हो कि छोड़ दूं...मेरा दिमाग खराब है क्या... ?
डी- हां- है तो …इसीलिए तो मेरे पास आए हो…।
पी- मैडम मेरे पास बर्बाद करने के लिए समय नहीं है...आप मुझे बताएं क्या करना है...कैसे उन चारो को खुश रखना है....
डी- अपनी मम्मी का नंबर देना….
पी- क्यू? मम्मी के नंबर से आपको क्या करना है?
डी- बताना है कि तुम्हारी शादी करवा दे...तुम्हारी समस्याएं दूर हो जाएंगी...
पी-यह तो कोई समाधान नहीं हुआ...और आप वचन बद्ध हैं मैडम ...आप मरीज के निजी मामले किसी और के साथ शेयर नहीं कर सकते... मैं आपको सू (सरकारी केस) कर दूंगा….
डी- मैं कौन सा तुम्हारे केस का ढिंढोरा पीट रही हूँ...तुम्हारे निजी मामले का हल ...तुम्हारी मम्मी से ही दिलवा रही हूँ....
पी- नहीं…आप ऐसा नहीं कर सकती …
डी- कौन रोकेगा मुझे…और कहे कू?
पी- मैडम आप मेरा पैसा लौटा दीजिए...मेरा यहाँ आना ही गलत था...
डी-कैसे पैसे? तुम्हारी आवारा भरी दास्तां सुन तो ली मैंने...ये मेरे वक्त के पैसे हैं...
पी- आपको मैं ऐसा बदनाम करूंगा ना मैडम कि कोई पेशेंट आपके पास नहीं आएगा...
डी- अच्छा...वैसे भी - अगर तुम चाहते हो कि तुम्हारी मम्मी तक तुम्हारी आवारगी की बात ना पहुचे…तो हर महीने मुझे 2500/- जीपे कर देना…
पी- क्या….? आप ब्लैकमेल कर रही हैं मुझे…..
डी- बस ऐसी ही हूं मैं…..मुझे भी तो जीना है ना…और जीने के लिए पैसे लगते हैं….
पी- मैडम आप ऐसा नहीं कर सकतीं (चिल्लाते हुए….)
डी- अगला मरीज प्लीज….आपका वक्त खत्म हुआ……अब आप जा सकते है।
The End.