रं बीज मंत्र जाप 108 बार और उसके फायदे

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  • Опубліковано 16 чер 2021
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    रं बीज मंत्र जाप 108 बार और उसके फायदे I Ram Beej Mantra Jaap 108 Times
    बीजमंत्र स्थूल शरीर को फायदा पहुंचाते ही हैं साथ ही सूक्ष्म और कारण शरीर पर भी प्रभाव डालते हैं। रं - उदर विकार, शरीर में पित्त जनित रोग, ज्वर आदि में उपयोगी हैI
    सर्वप्रथम किसी बौद्धिक व्यक्ति से अपने अनुकूल मंत्र को समय-परख कर उसका विशुद्ध उच्चारण अवश्य जान लें।अपने अनुरूप चुना गया बीज मंत्र जप अपनी सुविधा और समयानुसार चलते-फिरते उठते-बैठते अर्थात किसी भी अवस्था में किया जा सकता है। इसका उदेश्य केवल शुद्ध उच्चारण एक निश्चित ताल और लय से नाड़़ियों में स्पदन करके स्फोट उत्पन्न करना है।
    ढं - मानसिक शांति देने में सहायक। अप्राऔतिक विपदाओं जैसे मारण, स्तम्भन आदि प्रयोगों से उत्पन्न हुए विकारों में उपयोगी।
    पं - फेफड़ों के रोग जैसे टी.बी., अस्थमा, श्वास रोग आदि के लिए गुणकारी।
    बं - शूगर, वमन, कक, विकार, जोडों के दर्द आदि में सहायक।
    यं - बच्चों के चंचल मन के एकाग्र करने में अत्यत सहायक।
    रं - उदर विकार, शरीर में पित्त जनित रोग, ज्वर आदि में उपयोगी।
    लं - महिलाओं के अनियमित मासिक धर्म, उनके अनेक गुप्त रोग तथा विशेष रूप से आलस्य को दूर करने में उपयोगी।
    मं - महिलाओं में स्तन सम्बन्धी विकारों में सहायक।
    धं - तनाव से मुक्ति के लिए मानसिक संत्रास दूर करने में उपयोगी ।
    ऐं- वात नाशक, रक्त चाप, रक्त में कोलस्ट्रोल, मूर्छा आदि असाध्य रागों में सहायक।
    द्वां - कान के समस्त रोगों में सहायक।
    ह्रीं - कफ विकार जनित रोगों में सहायक।
    ऐं - पित जनित रोगों में उपयोगी।
    वं - वात जनित रोगों में उपयोगी।
    शुं - आतों के विकार तथा पेट सम्बन्धी अनेक रोगों में सहायक ।
    हुं - यह बीज एक प्रबल एन्टीबॉइटिक सिद्व होता है। गाल ब्लैडर, अपच लिकोरिया आदि रोगों में उपयोगी।
    अं - पथरी, बच्चों के कमजोर मसाने, पेट की जलन, मानसिक शान्ति आदि में सहायक इस बीज का सतत जप करने से शरीर में शक्ति का संचार उत्पन्न होता है।
    ==================================
    Surya Dev All Mantra: • सूर्य देव की प्रसन्नता...
    Most Powerful Surya Beej Mantra: • Most Powerful Surya Be... (ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:)
    Surya Mantra: • Shri Surya Mantra Jaap... (ॐ सूर्याय नमः )
    Ketu Vaidik Mantra Jaap 108 Times: • Ketu Mantra Jaap 108 T...
    Ketu Vaidik Mantra Jaap 21 Times: • Ketu Mantra Jaap 21 Ti...
    Rahu Vaidik Manta Jaap 108 Times: • Rahu Mantra Jaap 108 T...
    Rahu Vaidik Mantra Jaap 21 Times: • Rahu Mantra Jaap 21 Ti...
    Aditya Hridaya Stotra: • आदित्य हृदय स्तोत्र । ...
    Shri Ram Raskha Stora : • श्री रक्षा स्तोत्र विन...
    OM Chant: • ॐ दीर्घ उच्चारण I OM C...
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КОМЕНТАРІ • 14

  • @PSBhaktiTimes
    @PSBhaktiTimes  8 місяців тому +2

    बीज मंत्रों से अनेक रोगों का निदान सफल है। आवश्यकता केवल अपने अनुकूल प्रभावशाली मंत्र चुनने और उसका शुद्ध उच्चारण से मनन-गुनन करने की है। पौराणिक, वेद, शाबर आदि मंत्रों में बीज मंत्र सर्वाधिक प्रभावशाली सिद्ध होते हैं उठते-बैठते, सोते-जागते उस मंत्र का सतत् शुद्ध उच्चारण करते रहें। आपको चमत्कारिक रुप से अपने अन्दर अन्तर दिखाई देने लगेगा।
    अपने अनुरूप चुना गया बीज मंत्र जप अपनी सुविधा और समयानुसार चलते-फिरते उठते-बैठते अर्थात किसी भी अवस्था में किया जा सकता है। इसका उद्देश्य केवल शुद्ध उच्चारण एक निश्चित ताल और लय से नाड़ियों में स्पदन करके स्फोट उत्पन्न करना है।
    कां- पेट सम्बन्धी कोई भी विकार और विशेष रूप से आंतों की सूजन में लाभकारी।
    गुं- मलाशय और मूत्र सम्बन्धी रोगों में उपयोगी।
    शं- वाणी दोष, स्वप्न दोष, महिलाओं में गर्भाशय सम्बन्धी विकार औेर हर्निया आदि रोगों में उपयोगी।
    घं- काम वासना को नियंत्रित करने वाला और मारण-मोहन-उच्चाटन आदि के दुष्प्रभावके कारण जनित रोग-विकार को शांत करने मेंसहायक।
    ढं- मानसिक शांति देने में सहायक। अप्राकृतिक विपदाओं जैसे मारण, स्तम्भन आदि प्रयोगों से उत्पन्न हुए विकारों में उपयोगी।
    पं- फेफड़ों के रोग जैसे टी.बी., अस्थमा, श्वास रोग आदि के लिए गुणकारी।
    बं- शूगर, वमन, कफ, विकार, जोडों के दर्द आदि में सहायक।
    यं- बच्चों के चंचल मन के एकाग्र करने में अत्यत सहायक।
    रं- उदर विकार, शरीर में पित्त जनित रोग, ज्वर आदि में उपयोगी।
    लं- महिलाओं के अनियमित मासिक धर्म, उनके अनेक गुप्त रोग तथा विशेष रूप से आलस्य को दूर मे उपयोगी।
    धं- तनाव से मुक्ति के लिए मानसिक संत्रास दूर करने में उपयोगी ।
    ऐं- वात नाशक, रक्त चाप, रक्त में कोलेस्ट्राॅल, मूर्छा आदि असाध्य रोगों में सहायक।
    द्वां- कान के समस्त रोगों में सहायक।
    ह्रीं- कफ विकार जनित रोगों में सहायक।
    ऐं- पित्त जनित रोगों में उपयोगी।
    वं- वात जनित रोगों में उपयोगी।
    शुं- आंतों के विकार तथा पेट संबंधी अनेक रोगों में सहायक ।
    हुं- यह बीज एक प्रबल एन्टीबॉयटिक सिद्ध होता है। गाल ब्लैडर, अपच, लिकोरिया आदि रोगों में उपयोगी।
    अं- पथरी, बच्चों के कमजोर मसाने, पेट की जलन, मानसिक शान्ति आदि में सहायक
    ॐ- परमपिता परमेश्वर की शक्ति का प्रतीक है.
    ह्रीं- माया बीज,
    श्रीं- लक्ष्मी बीज,
    क्रीं- काली बीज,
    ऐं- सरस्वती बीज,
    क्लीं- कृष्ण बीज
    कं- मृत्यु के भय का नाश, त्वचारोग व रक्त- विकृति में..
    ह्रीं- मधुमेह हृदय की धड़कन में
    घं- स्वप्नदोष व प्रदररोग में
    भं- बुखार दूर करने के लिए
    क्लीं- पागलपन में
    सं- बवासीर मिटाने के लिए
    वं- भूख प्यास रोकने के लिए
    लं- थकान दूर करने के लिए
    बं- वायु रोग और जोदो के दर्द के लिये
    बीज मंत्रों के अक्षर गूढ़ संकेत होते हैं
    इनका व्यापक अर्थ होता है बीज मंत्रों के उच्चारण से मंत्रों की शक्ति बढ़ती है.. क्योंकि, यह विभिन्न देवी-देवताओं के सूचक है

    • @sandipdahake2994
      @sandipdahake2994 6 місяців тому

      गुरूजी प्रणाम...🙏🙏
      गुरुजी मंत्र का जप कैसे करना हैं
      मन ही मन मे जप करना है या शब्द उच्चारण करना है..

  • @anuradharao8638
    @anuradharao8638 7 місяців тому +1

    🙏🙏🙏

  • @swapnalinaik3404
    @swapnalinaik3404 4 місяці тому

    🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • @rajninarrey8651
    @rajninarrey8651 Рік тому

    🌺🙏🌼

  • @vidhusingh3204
    @vidhusingh3204 Рік тому

    Sir ye rang hai ya ramm please reply karen

    • @PSBhaktiTimes
      @PSBhaktiTimes  Рік тому

      Ramm

    • @vidhusingh3204
      @vidhusingh3204 Рік тому

      @@PSBhaktiTimes thank you iska jaap kitni baar karna hai kis disha me muh karke karna hai kis din se start kar sakte hai please iski poori vidhi bataye

    • @naveentiwari2225
      @naveentiwari2225 Рік тому

      @@PSBhaktiTimes ek baar me kitna jaap sankhya karna chahiye ?

    • @PSBhaktiTimes
      @PSBhaktiTimes  8 місяців тому +1

      ​​@@vidhusingh3204
      किसी भी देवता के बीज मंत्र करने की विधि
      1.बीज मंत्र आप कहीं भी कर सकते हैं जरूरी नहीं है कि आप घर के मंदिर में बैठकर ही बीज मंत्र का जाप करें
      2.बीज मंत्र आप बैठ कर करें और किसी आसन पर बैठकर बीज मंत्र का जाप करें
      3.बीज मंत्र करते समय आपका मुख उत्तर दिशा या पूर्व दिशा में होना चाहिए
      हो सके तो बीज मंत्र करते समय एक दीपक जलाएं
      किसी भी देवता के बीज मंत्र का जाप आपको 1 दिन में 108 बार ही करना है ऐसे आप कितने भी देवताओं के बीज मंत्र का जाप कर सकते हैं
      शनि देव और राहु देव के बीज मंत्र शाम 6 बजे के बाद करने से ज्यादा अच्छे रिजल्ट मिलते हैं और बाकी सभी ग्रहों के बीज मंत्र दिन में कभी भी कर सकते हैं शाम 6:00 बजे से पहले
      बीज मंत्र का जाप आप रुद्राक्ष की माला से कर सकते हैं रुद्राक्ष की माला ही एक ऐसी माला है जिससे आप किसी भी देवता के बीज मंत्र का जाप कर सकते हैं
      जिस देवता के बीज मंत्र का आप जाप कर रहे हैं उसे उसके वार से शुरू करें,,, जैसे सूर्य देव का रविवार से चंद्र देव का सोमवार से बृहस्पति देव का गुरुवार से मंगल देव का मंगलवार से राहु देव और केतु देव का शनिवार से इस तरह
      जब आप बीज मंत्र का जाप कर रहे हैं तो अपने पास एक गिलास या लौटे में पानी जरूर रखें और उस दिन के बीज मंत्र करने के बाद उस जल को आप ग्रहण( जल को पीना है) करें

  • @mohanjoshi5178
    @mohanjoshi5178 8 місяців тому

    Ram he kar rahe ho fayde toh baatye nahi 😡😡😡😡😡😡😡😡😡😡😡

    • @PSBhaktiTimes
      @PSBhaktiTimes  8 місяців тому

      हरि ओम प्रभु वीडियो के नीचे एक स्लिडिंग नैरेशन है उसमे रं बीज मंत्र के फायदे संक्षेप मे दिये हैं।
      बीज मंत्रों से अनेक रोगों का निदान सफल है। आवश्यकता केवल अपने अनुकूल प्रभावशाली मंत्र चुनने और उसका शुद्ध उच्चारण से मनन-गुनन करने की है। पौराणिक, वेद, शाबर आदि मंत्रों में बीज मंत्र सर्वाधिक प्रभावशाली सिद्ध होते हैं उठते-बैठते, सोते-जागते उस मंत्र का सतत् शुद्ध उच्चारण करते रहें। आपको चमत्कारिक रुप से अपने अन्दर अन्तर दिखाई देने लगेगा।
      अपने अनुरूप चुना गया बीज मंत्र जप अपनी सुविधा और समयानुसार चलते-फिरते उठते-बैठते अर्थात किसी भी अवस्था में किया जा सकता है। इसका उद्देश्य केवल शुद्ध उच्चारण एक निश्चित ताल और लय से नाड़ियों में स्पदन करके स्फोट उत्पन्न करना है।
      कां- पेट सम्बन्धी कोई भी विकार और विशेष रूप से आंतों की सूजन में लाभकारी।
      गुं- मलाशय और मूत्र सम्बन्धी रोगों में उपयोगी।
      शं- वाणी दोष, स्वप्न दोष, महिलाओं में गर्भाशय सम्बन्धी विकार औेर हर्निया आदि रोगों में उपयोगी।
      घं- काम वासना को नियंत्रित करने वाला और मारण-मोहन-उच्चाटन आदि के दुष्प्रभावके कारण जनित रोग-विकार को शांत करने मेंसहायक।
      ढं- मानसिक शांति देने में सहायक। अप्राकृतिक विपदाओं जैसे मारण, स्तम्भन आदि प्रयोगों से उत्पन्न हुए विकारों में उपयोगी।
      पं- फेफड़ों के रोग जैसे टी.बी., अस्थमा, श्वास रोग आदि के लिए गुणकारी।
      बं- शूगर, वमन, कफ, विकार, जोडों के दर्द आदि में सहायक।
      यं- बच्चों के चंचल मन के एकाग्र करने में अत्यत सहायक।
      रं- उदर विकार, शरीर में पित्त जनित रोग, ज्वर आदि में उपयोगी।
      लं- महिलाओं के अनियमित मासिक धर्म, उनके अनेक गुप्त रोग तथा विशेष रूप से आलस्य को दूर मे उपयोगी।
      धं- तनाव से मुक्ति के लिए मानसिक संत्रास दूर करने में उपयोगी ।
      ऐं- वात नाशक, रक्त चाप, रक्त में कोलेस्ट्राॅल, मूर्छा आदि असाध्य रोगों में सहायक।
      द्वां- कान के समस्त रोगों में सहायक।
      ह्रीं- कफ विकार जनित रोगों में सहायक।
      ऐं- पित्त जनित रोगों में उपयोगी।
      वं- वात जनित रोगों में उपयोगी।
      शुं- आंतों के विकार तथा पेट संबंधी अनेक रोगों में सहायक ।
      हुं- यह बीज एक प्रबल एन्टीबॉयटिक सिद्ध होता है। गाल ब्लैडर, अपच, लिकोरिया आदि रोगों में उपयोगी।
      अं- पथरी, बच्चों के कमजोर मसाने, पेट की जलन, मानसिक शान्ति आदि में सहायक
      ॐ- परमपिता परमेश्वर की शक्ति का प्रतीक है.
      ह्रीं- माया बीज,
      श्रीं- लक्ष्मी बीज,
      क्रीं- काली बीज,
      ऐं- सरस्वती बीज,
      क्लीं- कृष्ण बीज
      कं- मृत्यु के भय का नाश, त्वचारोग व रक्त- विकृति में..
      ह्रीं- मधुमेह हृदय की धड़कन में
      घं- स्वप्नदोष व प्रदररोग में
      भं- बुखार दूर करने के लिए
      क्लीं- पागलपन में
      सं- बवासीर मिटाने के लिए
      वं- भूख प्यास रोकने के लिए
      लं- थकान दूर करने के लिए
      बं- वायु रोग और जोदो के दर्द के लिये
      बीज मंत्रों के अक्षर गूढ़ संकेत होते हैं
      इनका व्यापक अर्थ होता है बीज मंत्रों के उच्चारण से मंत्रों की शक्ति बढ़ती है.. क्योंकि, यह विभिन्न देवी-देवताओं के सूचक है

  • @user-oc5bb5qy9n
    @user-oc5bb5qy9n 11 місяців тому

    Ram nahi uska ucharan rang hota hai