इन्ही गीतकार ने वो दिया जिसको ताउम्र दिलीप कुमार ने भुनाया
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- Опубліковано 28 бер 2024
- संवेदना और यथार्थ के गीतकार
आकाशवाणी के कार्यक्रमों से लेकर फ़िल्मों के संस्कृतनिष्ठ गीतों तक जिस एक शख़्स की छाप हमेशा बराबर मिलती है, वह पंडित नरेंद्र शर्मा हैं. बहुआयामी व्यक्तित्व वाले नरेंद्र शर्मा हिंदी की आन-बान और शान थे. कवि-गीतकार, लेखक, अनुवादक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और प्रशासक - जीवन में जो भी भूमिका मिली उन्होंने अपनी छाप छोड़ी. हिंदी साहित्य में प्रगतिवाद के वह शुरुआती कवियों में से एक थे. नरेंद्र शर्मा के जीवन को यहीं से नई दिशा मिली। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी स्वराज्य भवन में हिंदी अधिकारी भी रहे। फिल्मों में गीत लिखने के साथ-साथ स्वतंत्र लेखन भी करते रहे। सुप्रसिद्ध साहित्यकार भगवतीचरण वर्मा के प्रोत्साहन और आग्रह पर पं. नरेंद्र शर्मा मुंबई आ गए और यहीं बस गए। फ़िल्मी लेखन के साथ-साथ आकाशवाणी से भी जुड़े रहे। 3 अक्टूबर 1957 भारतीय रेडियो प्रसारण के क्षेत्र में एक सुरीला अध्याय जुड़ा 'विविध भारती' नाम से। 'विविध भारती' का प्रस्ताव पंडित नरेंद्र शर्मा ने दिया था। 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में शिरकत की, और अपने गीतों के ज़रिये आज़ादी की चेतना जगाने का काम किया. कविता को नई ज़मीन पर, ज़िंदगी के और क़रीब लाने की कोशिश की.1961 में आई फ़िल्म ‘भाभी की चूड़ियां’ के गानों ने लोकप्रियता के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. ख़ास तौर पर ‘ज्योति कलश छलके..’ गीत आज भी लोगों की स्मृति में है. संस्कृतनिष्ठ हिंदी में लिखे गए इस उत्कृष्ट गीत के अलावा फ़िल्म के बाक़ी गीत ‘मेरा नन्हा कन्हैया घर आया रे’, ‘लाज राखो गिरधारी, मोरी लाल राखो’, ‘‘लौ लगाती गीत गाती’ भी हिट हुए. इस फ़िल्म जबरदस्त कामयाबी के बाद भी उन्हें फ़िल्मों में गीत लिखने के बहुत मौक़े नहीं मिले. 1978 में आई राज कपूर की फ़िल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ के शीर्षक गीत के अलावा उनका गीत ‘यशोमति मैया से बोले नंदलाला’ ख़ूब लोकप्रिय हुआ. ‘ढोला ढोल मंजीरा बाजे रे’ (अखंड सौभाग्यवती), ‘भंवरे ने खिलाया फूल, फूल को ले’ (प्रेम रोग), ‘खेल खेल कर कुलेल नंदजी का लाल’ (दूसरी दुलहन), ‘तुम आशा विश्वास हमारी तुम धरती आकाश..’ (सुबह) जैसे काव्यात्मक गीत नरेन्द्र शर्मा की कलम से ही निकले. ये गीत नज़ीर हैं कि भाषा और शिल्प को लेकर उन्होंने कभी समझौता नहीं किया.न्होंने तमाम ग़ैर-फ़िल्मी गीत भी लिखे. ख़ासतौर पर भजन लिखने में उन्हे महारत थी. उनके भजनों को भीमसेन जोशी और लता मंगेशकर ने भी आवाज़ दी है. भारतीय जन नाट्य संघ यानी इप्टा से भी जुड़े रहे.
बॉम्बे टॉकीज़ की फ़िल्म “हमारी बात” बतौर गीतकार पंडित नरेंद्र शर्मा की पहली फ़िल्म थी, ये वही फ़िल्म थी जिसमें देविका रानी आख़िरी बार फ़िल्मी परदे पर नज़र आईं थीं। 1943 में आई “हमारी बात” के बाद पं नरेंद्र शर्मा ने दिलीप कुमार की पहली फ़िल्म “ज्वार-भाटा” (44) में भी गीत लिखे। 50 के दशक में वो आकाशवाणी से जुड़े और विविध भारती के रुप में रेडियो प्रसारण में अपना अतुलनीय योगदान दिया।
1982 में देश में हुए एशियन गेम का थीम सांग, ‘‘अथ स्वागतम, शुभ स्वागतम/आनंद मंगल मंगलम/नित प्रियं भारत भारतम.’’ उन्हीं का लिखा हुआ है. उनका एक महत्वपूर्ण योगदान आकाशवाणी के कार्यक्रम ‘विविध भारती’ की परिकल्पना और नामकरण था.1978 में आई “सत्यम शिवम् सुंदरम” का टाइटल सांग और भजन “यशोमति मैया से बोले नंदलाला” उनके सबसे यादगार फ़िल्मी गीत हैं। 1982 की फ़िल्म “प्रेम रोग” में भी उन्होंने “भँवरे ने खिलाया फूल” जैसा बहुत ही अर्थपूर्ण गीत लिखा जो आज भी पसंद किया जाता है।
पंडित नरेंद्र शर्मा को साहित्य जगत में जो मान-सम्मान प्राप्त था वही मान-सम्मान फ़िल्म जगत में भी हासिल था। वो इतने विनम्र और मिलनसार थे कि जब उनका विवाह सुशीला जी से हुआ तो बड़े-बड़े साहित्यकारों के साथ-साथ दिलीप कुमार, गीता बाली, सुरैया जैसे उस समय के कई बड़े फिल्म स्टार्स भी उनकी शादी में शामिल हुए थे। उनके परिवार में तीन बेटियाँ और एक बेटा है।
11 फ़रवरी 1989 को पंडित नरेंद्र शर्मा को दिल का दौरा पड़ा और उन्होंने हमेशा के लिए आँखें मूँद लीं, और उनकी यादों से दुनिया ने। हम कितनी आसानी से लोगों को भुला देते हैं, वक़्त का पहिया घूमता है और हमारी याददाश्त भी धूमिल कर जाता है या कहें की पुरानी यादों पर नए अनुभव अपनी जगह बनाते जाते हैं और पुराना सब किसी धुंध में खो जाता है।
सारांश में कहें तो इस गीतकार ने रेडिओ को बुलंदी पैर पहुँचाया , महाभारत धारावाहिक के ज़रिये उन्होंने टी वी को उसके विराट रूप से परिचय कराया , पंडित जी ने फिल्मों में युसूफ खान को दिलीप कुमार का नाम दिया , पंडित जी वजह से ही लता जी ने राज कपूर के फिल्म सत्यम शिवम् सुंदरम में गण गया और फिल्म के सरे गाने हिट हुए , उनका फिल्म प्रेम रोग का लिखा गाना भँवरे ने खिलाया फूल आज भी लोकप्रिय हैं , गीतकार नरेंद्र शर्मा जैसे गीतकार बहुत मुश्किल से मिलते हैं , उन्होंने जिस भी क्षेत्र में हाथ डाला उसे उसके विराट स्वरुप से परिचय कराया , पंडित नरेंद्र शर्मा को हमारी श्रद्धांजलि
Pandit Narendra Sharma A Forgotten Lyricist of many hit songs | He Was Founder Of Vividh
TUM ASHA VISHWAS HAMAARE -LATA JI -PT. NARENDRA SHARMA -PT.HRIDAYANATH JI ( MOVIE SUBAH 1983 )
JYOTI KALASH CHHALKE -LATA JI -PT. NARENDRA SHARMA -SUDHIR PHADKE -( BHABHI KI CHOORIYAN 1961 )
Pandit Narendra Sharma: A scholar, writer, poet and lyricist
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SPECIAL THANKS TO
DHEERAJ BHARDWAJ JEE (DRAMA SERIES INDIAN),
THANKS FOR WATCHIN GOLDEN MOMENTS WITH VIJAY PANDEY
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/ actorvijaypandey
/ panvijay - Розваги
पांडेजी सादर प्रणाम. आपका बोलने का अंदाज ,आपकी आवाज और आपका भाषा प्रभुत्व व्हिडिओ को बहुत ऊंचाई पर पहुचाता हैं. आपका हर व्हिडिओ मैं नियमित रुपसे सुनता हुं.
Bahut dhanyawad apko
गीतकार पंडित नरेंद्र शर्मा जी पर अच्छी जानकारी और प्रस्तुती.उनका विविध भारती के लिये योगदान और उनके लिखे हिंदी फिल्म गित हमेशा याद रहेगा, विजय जी शुक्रिया.👍🌹🙏.
बहुत बहुत सुन्दर प्रस्तुति अच्छी जानकारी दी आप ने विजय पांडे जी सादर नमस्ते 🙏🙏🌞🕉️🌕 सत्यम् शिवम् सुंदरम साधुवाद 🎉🎥✍️👌👌👍🧡👍
सर आपकी आवाज बोहोत खूबसूरत है
छानच आहे सर 👌👍
यूनीक जानकारी विजय भाई 👍👍👍👌👌
आपका हार्दिक आभार 🙏🙏
Amezing 👌👌👌🌟🌟🌟
Most wonderful information about Pt.Narendra Sharma.. Congratulations
अति उत्तम है साहब
Pandey ji aap hamare liya bhahut mehnat karte hai aap ko salute Sameer Kolkata.
Pandit Shri Narendra Sharma ji par prastut ki gayi saari jaankariyan bahoot pasand aayi Vijay bhai 👍👍
Vishesh roop se film Satyam Shivam Sundaram me Lata ji aur Raj Sahab ke vishaye me kahi gayi baat tatha, seriel Mahabharat ke kalakaron ki vesh bhusha kavarnan ye saari baate man ko chhu gayin 🙏🙏