शिव चालीसा ~ Shiv Chalisa By Chetna Shukla Lo-fi Version | { Slowed & Reverb } Lyrical Video 2024

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  • Опубліковано 1 жов 2024
  • शिव चालीसा ~ Shiv Chalisa By Chetna Shukla Lo-fi Version | { Slowed & Reverb } Lyrical Video 2024
    शिव चालीसा ~ Shiv Chalisa By Chetna Shukla Lo-fi Version | { Slowed & Reverb } Lyrical Video 2024
    शिव चालीसा ~ Shiv Chalisa By Chetna Shukla Lo-fi Version | { Slowed & Reverb } Lyrical Video 2024
    शिव चालीसा ~ Shiv Chalisa By Chetna Shukla Lo-fi Version | { Slowed & Reverb } Lyrical Video 2024
    Song - Shiv Chalisa (Lofi)
    Singer - Chetna Chukla
    Lyrics - Paras Midha
    Music - Hans Raj Railhan
    Recording - Kailash Ji
    Label - Mangal Geet
    VG-36987
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    ॥ दोहा ॥
    श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
    कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥
    जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन
    प्रतिपाला॥
    भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी
    के॥
    अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये ॥
    वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे ॥
    मैना मातु की है दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
    कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
    नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
    कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ ॥
    देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
    किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
    तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
    आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥
    त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
    किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी ॥
    दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
    वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
    प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला ॥
    कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
    पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
    सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
    एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
    कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
    जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी ॥
    दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै ॥
    त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
    लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
    मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई ॥
    स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी ॥
    धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
    अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
    शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
    योगी यति मुनि ध्यान लगावें। नारद शारद शीश नवावें ॥
    नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
    जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई ॥
    ऋनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी ॥
    पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
    पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
    त्रयोदशी व्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
    धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
    जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे ॥
    कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥
    ॥ दोहा ॥
    नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
    तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश ॥
    मगसर छठि हेमन्त ऋतु, संवत चौसठ जान।
    अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥

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