Ramdevra pedal yatra,,,,jai ramsa pir ki jai,,,,2023 ramdewra runija dham pedal yatra

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  • Опубліковано 17 жов 2024
  • रामदेवरा भारत के राजस्थान के जैसलमेर जिले में पोखरण से लगभग 12 किलोमीटर उत्तर में स्थित एक गाँव है। रामदेवरा की स्थापना बाबा रामदेव पीर ने की थी, जो पोखरण के शासक अजमल सिंह तंवर के पुत्र थे। रामदेवरा की ग्राम पंचायत राजस्थान की सबसे अधिक आर्थिक रूप से उत्पादक ग्राम पंचायतों में से एक है, क्योंकि गाँव में पर्यटकों और भक्तों की आमद बहुत अधिक है। अगस्त-सितंबर के बीच रामदेवरा में एक मेला लगता है, जिसमें पंजाब , हरियाणा , गुजरात , मध्य प्रदेश और पूरे भारत से श्रद्धालु आते हैं। गाँव के कुछ प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण हैं रामदेव पीर मंदिर, रामसरोवर झील (ऐसा माना जाता है कि झील को रामदेव पीर ने खुद बनाया था), परचा बावड़ी, झूला-पालना आदि।अवतारी पुरुष एवं जन-जन की आस्था के प्रतीक बाबा रामदेव जी ने अपना समाधी स्थल, अपनी कर्मस्थली रामदेवरा (रूणीचा) को ही चुना । बाबा ने यहाँ पर भादवा सुदी 11 वि.सं. संवत् 1442 को रामदेव जी ने अपने हाथ से श्रीफल लेकर सब बड़े बुढ़ों को प्रणाम किया तथा सबने पत्र पुष्प् चढ़ाकर रामदेव जी का हार्दिक तन, मन व श्रद्धा से अन्तिम पूजन किया । समाधी लेते समय बाबा ने अपने भक्तों को शान्ति एवं अमन से रहने की सलाह देते हुए जीवन के उच्च आदर्शों से अवगत कराया । रामदेव जी ने समाधी में खड़े होकर सब के प्रति अपने अन्तिम उपदेश देते हुए कहा प्रति माह की शुक्ल पक्ष की दूज को पूजा पाठ, भजन कीर्तन करके पर्वोत्सव मनाना, रात्रि जागरण करना । प्रतिवर्ष मेरे जन्मोत्सव के उपलक्ष में तथा अन्तर्ध्यान समाधि होने की स्मृति में मेरे समाधि स्तर पर मेला लगेगा । मेरे समाधी पूजन में भ्रान्ति व भेद भाव मत रखना । मैं सदैव अपने भक्तों के साथ रहुँगा । इस प्रकार श्री रामदेव जी महाराज ने जीवित समाधी ली ।
    बाबा ने जिस स्‍थान पर समाधी ली, उस स्‍थान पर बीकानेर के राजा गंगासिंह ने भव्य मंदिर का निर्माण करवाया इस मंदिर में बाबा की समाधी के अलावा उनके परिवार वालो की समाधियाँ भी स्थित है । मंदिर परिसर में बाबा की मुंहबोली बहिन डाली बाई की समाधी, डालीबाई का कंगन एवं राम झरोखा भी स्थित हैं ।पश्चिम राजस्‍थान में पेयजल संकट को देखते हुए रामदेवजी ने विक्रम सम्‍वत् 1439 में एक तालाब खुदवाया जिसे आज उनके नाम से रामसरोवर कहा जाता है । बाबा रामदेव मंदिर के पीछे की तरफ रामसरोवर तालाब हैं । यह लगभग 150 एकड़ क्षेत्र में फेला हुआ हैं एवं 25 फिट गहरा हैं । बारिश से पूरा भरने पर यह सरोवर बहुत ही रमणीय स्थल बन जाता हैं । इसके पश्चिम छोर पर अद्भुत आश्रम व पाल के उत्तरी सिरे पर बाबा रामदेवजी की जीवित समाधि है । पाल के इसी हिस्‍से में भक्‍तशिरोमणी डालीबाई की भी जीवित समाधि है । तालाब को तीनों और से पक्‍के घाटों से बाधा गया है और अद्भुत आश्रम के समीप एक भव्‍य वाटिका भी लगाई गई है । मान्यता हैं कि बाबा ने गूंदली जाति के बेलदारों द्वारा इस तालाब की खुदाई करवाई थी । यह तालाब पुरे रामदेवरा जलापूर्ति का स्‍त्रोत हैं, कहते हैं जांभोजी के श्राप के कारण यह सरोवर मात्र छः(6) माह ही भरा रहता हैं । भक्तजन यहाँ आकर इस सरोवर में डूबकी लगा कर अपनी काया को पवित्र करते हैं एवं इसका जल अपने साथ ले जाते हैं तथा नित्य आचमन करते हैं । तालाब के इस जल को अत्‍यंत की शुभफलकारी माना जाता है । यह मंदिर इस नजरिये से भी सेकड़ो श्रद्धालुओं को आकृष्‍ट करता है कि बाबा के पवित्र राम सरोवर में स्‍नान करने से अनेक चर्मरोगों से मुक्ति मिलती है ।
    रामसरोवर तालाब की पाल पर श्रद्धालु पत्थर के छोटे-छोटे घर बनाते है । मान्यता हैं कि वे यहाँ पत्थर के घर बनाकर बाबा को यह विनती करते है कि बाबा भी उनके सपनो का घर अवश्य बनायें एवं उस घर में बाबा स्वयं भी निवास करे ।
    रामसरोवर तालाब की मिट्टी को दवाई के रूप में खरीद कर श्रद्धालु अपने साथ ले जाते है । प्रचलित मान्यता के अनुसार बाबा रामदेव द्वारा खुदवाए गए इस सरोवर की मिट्टी के लेप से चर्म रोग एवं उदर रोगों से छुटकारा मिलता है सफ़ेद दाग, दाद, खुजली, कुष्ट एवं चर्म रोग से पीड़ित सेकड़ों लोग प्रति दिन बड़ी मात्रा में रामसरोवर तालाब की मिट्टी से बनी छोटी-छोटी गोलियां अपने साथ ले जाते हैं । पेट में गैस, अल्सर एवं उदर रोग से पीड़ित भी मिट्टी के सेवन से इलाज़ की मान्यता से खरीद कर ले जाते हैं बाबा रामदेव के जीवनकाल से रामसरोवर तालाब की खुदाई में अहम् भूमिका निभाने वाले स्थानीय गूंदली जाति के बेलदार तालाब से मिट्टी की खुदाई करके परचा बावड़ी के पानी के साथ मिट्टी की गोलियां बनाते है एवं उन्हें बेचते है

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