प्रणाम काश जिस जिस को ये भ्रम है सबको आत्मज्ञान हो I और ये सारे भ्रम समाप्त हो जाए कि हे आत्मन प्रणाम कृपया इस जीव जगत के माया जाल से बाहर निकले यहाँ हर कोई स्वयं सम्मोहित हैं I बस हर कोइ अपने को कुछ ना कुछ मान कर बैठा है I ना कोई यहां शरीर हैं ना ही मन विचारों या अनंत यादे इच्छायें हैं I ये सब सिर्फ स्वयं द्वारा निर्मित माया ही है I इसका सत्य जागृत अवस्था में नही हो पाता है I तो सबको आत्म ज्ञान की प्राप्ति की और जीते जी जागरण की और चलना चाहिए I वैसे तो इसे शब्दों में नहीं समझा जा सकता है क्यूं वो निशब्द हैं परम मौन है और सिर्फ वही एक हैं सब मैं समान रुप से वही सर्वव्यापी है I वही तुम हो और सदा से हो तुम ही हो सदा शिव I तुम्हार होना ही एकमात्र सत्य है I तो थोड़ा भीतर सरक जाओ थोड़ा डूब जाओ उतरो उस मौन मैं और कुछ से ना कुछ हो जाओ और पियो उस आनंद को तब जानोगे I मानने के सब भ्रम को छोड़ो और जानने के मार्ग को पकड़े I एक परम अज्ञानी
मैं अंदर भी हूं बाहर भी हूं यह तब यह है जब मैं हूं बिना मेरे यह यह नहीं है अतः मेरी सत्ता है मैं ही सर्व व्यापक हूं जो भी सामने दिखता है केवल कहने मात्र है
जाग्रत में होना और होश दोनों हैं,स्वप्न में होना और होश दोनों हैं लेकिन सुषुप्ति में होना है परंतु होश नहीं है,होश सो जाता है।जागने पर होश जागता है तब होने को होश मिलता है तब कहता है कि सुषुप्ति में कुछ भी पता नहीं चला।अर्थात होश तो अभी सोने और जागने वाले के साथ ही इसलिए होश सो जाता है लेकिन होना सोता जागता नहीं है इसलिए सुषुप्ति में होना तो जागता रहता है परंतु होश के सो जाने से होने को कुछ भी पता नहीं चलता है।इसे ऐसे भी समझो कि सुषुप्ति में मिट्टी का होना तो था लेकिन मिट्टी को अपने होने का होश नहीं था।जागने पर मिट्टी मटका बनकर कहती है कि मै हूँ।अर्थात मटकी होकर ही मिट्टी को होश आया कि मै हूँ।अब सारे बर्तनों में मिट्टी का ही होना है लेकिन मिट्टी अपने को मटकी जानकर जिसको देख रही है वह मिट्टी के होने से बना हुआ होते हुए भी अन्य बर्तन ही देख रही है।खुद को जब तक मटकी मानकर देखेगी तबतक बर्तन ही दिखेंगे।मिट्टी नहीं दिखेगी।इसलिए जबतक अपने होने को जीवभाव का होना मानकर,जीव के होश से अन्य को देखेंगे तो अपना होना होते हुए भी अन्य का होना ही दिखेगा। क्योंकि पहला बटन ही गलत लगा लिया है।होश और होना दोनों मैं ही हैं।होना तीनों अवस्था में एकरस है।होश ही अपने नित्यहोने को भूलकर अनित्य होने से चिपका हुआ है।अनित्य होने को अनित्य होना जानकर अनित्य का त्याग करते ही नित्य होना ज्यूँ का त्युं ही सदा अंगसँग है।इसलिये अन्य को देखने पर मैं दिखाई नहीं देता है।और स्वयं को देखने पर अन्य दिखाई नहीं देता है।
Jo Log Lok Lokantar Ki Baatein Karte Hain, Multiverse Ki Baatein Karte Hain, Devi Devtao Ki Baatein Karte Hain Kya Vo Sab Exist Karte Hain???? Anant Koti Brahmaand, Anek Brahma, Vishnu Mahesh, Fir In Sabke Lok, Unme Devi Devta Aur Na Jane Kya Kya
कहे सुने कि है नहीं, देखा दिखी नाय।
सार शब्द जब चीन्हीं,तब ही मिलेगा आय।।
Prem pranam swami ji ❤️🙏🙏🙏
Guru ji aap ke charano me koti koti pranam
Prem Pranam Swami Ji 🌹🙏
Namastey
Jab mein tha to Hari nahi… jab Hari hei to’ mein Nahi🙏🙏🙏 Prem Pranam ji.. abhie dhrudata ane me der hai ji.
प्रणाम
Hari Om Guruji
एकता के ज्ञान की अदभुत अनुभूति❤❤❤🎉🎉🎉🙏🌹धन्यवाद गुरुदेव जी।
🕊️
प्रणाम
काश जिस जिस को ये भ्रम है सबको आत्मज्ञान हो I और ये सारे भ्रम समाप्त हो जाए कि
हे आत्मन प्रणाम
कृपया इस जीव जगत के माया जाल से बाहर निकले यहाँ हर कोई स्वयं सम्मोहित हैं I बस हर कोइ अपने को कुछ ना कुछ मान कर बैठा है I ना कोई यहां शरीर हैं ना ही मन विचारों या अनंत यादे इच्छायें हैं I ये सब सिर्फ स्वयं द्वारा निर्मित माया ही है I इसका सत्य जागृत अवस्था में नही हो पाता है I तो सबको आत्म ज्ञान की प्राप्ति की और जीते जी जागरण की और चलना चाहिए I वैसे तो इसे शब्दों में नहीं समझा जा सकता है क्यूं वो निशब्द हैं परम मौन है और सिर्फ वही एक हैं सब मैं समान रुप से वही सर्वव्यापी है I वही तुम हो और सदा से हो तुम ही हो सदा शिव I तुम्हार होना ही एकमात्र सत्य है I तो थोड़ा भीतर सरक जाओ थोड़ा डूब जाओ उतरो उस मौन मैं और कुछ से ना कुछ हो जाओ और पियो उस आनंद को तब जानोगे I मानने के सब भ्रम को छोड़ो और जानने के मार्ग को पकड़े I
एक परम अज्ञानी
Main to divine mein merge hokr dobara sansar mein trap ho gayi,gyaan aa raha per trap material mein feel hota hai
Aapse baat ho sakti hai plz
@@Gupta_Tप्रणाम आपको दिव्य आत्मन अवश्य 🕉🙏🙏🙏🕉
स्वामी जी प्रणाम बहुत अच्छे प्रवचन ऐसा प्रेक्टिकल अनुभव एक एक शब्द समझा और प्रैक्टिकल अनुभूति होने लगी बहुत बहुत धन्यवाद
Wellcome ji
@@vasudevsarvamit means pain bhi main hun healing bhi main hi hun,I'm right na
🙏🙏🙏
सामने दृश्य में मैं ही हूं ऐसी अनुभूति कभी-कभी होती है क्योंकि पुरानी आदत और संसार किसी ने बनाया है ऐसी मान्यता पक्की बैठी हुई
🙏🏻
Prem naman
This depth , Bafre 🙏
🙏
🙏🙏🙏🙏🙏.........
🙏🙏🌺🌺🌺
🙏
Kya baat hai sir
मैं अंदर भी हूं बाहर भी हूं यह तब यह है जब मैं हूं बिना मेरे यह यह नहीं है अतः मेरी सत्ता है मैं ही सर्व व्यापक हूं जो भी सामने दिखता है केवल कहने मात्र है
आपके हर शब्द मे एक अलग ही गहराई होती है जी
हांजी otherness है कहा।। 🙏🏼🕉💕💃
🕊️
❤ Thank You ❤
Welcome!
Sansarbhav mai ka vikalp hai
शिवलिंग क्या है
❤❤
🙏🙏🙏🙏♥️
जाग्रत में होना और होश दोनों हैं,स्वप्न में होना और होश दोनों हैं लेकिन सुषुप्ति में होना है परंतु होश नहीं है,होश सो जाता है।जागने पर होश जागता है तब होने को होश मिलता है तब कहता है कि सुषुप्ति में कुछ भी पता नहीं चला।अर्थात होश तो अभी सोने और जागने वाले के साथ ही इसलिए होश सो जाता है लेकिन होना सोता जागता नहीं है इसलिए सुषुप्ति में होना तो जागता रहता है परंतु होश के सो जाने से होने को कुछ भी पता नहीं चलता है।इसे ऐसे भी समझो कि सुषुप्ति में मिट्टी का होना तो था लेकिन मिट्टी को अपने होने का होश नहीं था।जागने पर मिट्टी मटका बनकर कहती है कि मै हूँ।अर्थात मटकी होकर ही मिट्टी को होश आया कि मै हूँ।अब सारे बर्तनों में मिट्टी का ही होना है लेकिन मिट्टी अपने को मटकी जानकर जिसको देख रही है वह मिट्टी के होने से बना हुआ होते हुए भी अन्य बर्तन ही देख रही है।खुद को जब तक मटकी मानकर देखेगी तबतक बर्तन ही दिखेंगे।मिट्टी नहीं दिखेगी।इसलिए जबतक अपने होने को जीवभाव का होना मानकर,जीव के होश से अन्य को देखेंगे तो अपना होना होते हुए भी अन्य का होना ही दिखेगा। क्योंकि पहला बटन ही गलत लगा लिया है।होश और होना दोनों मैं ही हैं।होना तीनों अवस्था में एकरस है।होश ही अपने नित्यहोने को भूलकर अनित्य होने से चिपका हुआ है।अनित्य होने को अनित्य होना जानकर अनित्य का त्याग करते ही नित्य होना ज्यूँ का त्युं ही सदा अंगसँग है।इसलिये अन्य को देखने पर मैं दिखाई नहीं देता है।और स्वयं को देखने पर अन्य दिखाई नहीं देता है।
🙏
U mean to say ki dusra koi he hi nahi subme me hi hu?
Yes
Mai non-human species hai,char ke pare
But Practically its dificult bcoz mind always play negative games
Jo Log Lok Lokantar Ki Baatein Karte Hain, Multiverse Ki Baatein Karte Hain, Devi Devtao Ki Baatein Karte Hain Kya Vo Sab Exist Karte Hain???? Anant Koti Brahmaand, Anek Brahma, Vishnu Mahesh, Fir In Sabke Lok, Unme Devi Devta Aur Na Jane Kya Kya
Sab Jhoot.