#dragonfruit
Вставка
- Опубліковано 9 лис 2024
- सीमांचल की इस यात्रा में हर कदम पर रोमांच है। खेती किसानी में पंतोष दास जी, अंजित मंडल जी और सुभाष जी को टीम इंडिया का किंग कोहली, हिटमैन रोहित और बुमराह माफिक ही समझिए। Apple के बाद pineapple की बारी आनेवाली थी मगर बीच में ड्रैगन फ्रूट हिटमैन की तरह आ गया और दिलो दिमाग पर छा गया क्योंकि इसका अनुपम स्वाद भुलाए नहीं भूला पा रहा। अंजित जी इस वैरायटी को कोलकाता से लाए थे। अब स्वयं अपने बगीचे में इसको डेवलप करके सेल करते हैं। खाने के चक्कर में हम सब भीग गए क्योंकि बारिश रुक नहीं रही थी और हम सब मान नहीं रहे थे। वर्ल्ड कप जीतने जैसी ही खुशी आपको होगी जब आप पंतोष दास जी, अंजित मंडल जी और सुभाष शर्मा जी जैसे किसानों से मिलेंगे। अपने खेतों को बच्चों की तरह लालन पालन करते हैं और चाव से सबको बताते भी हैं। सुभाष जी ने pineapple को अपने मकान के दूसरे तल पर जिस रूप में इसे लगाया है वह न सिर्फ घर की शोभा बढ़ा रही है अपितु "बालकनी बागवानी" की एक मिशाल भी स्थापित करती है। Pineapple को तोड़ने और खाने का अपूर्व मौका मिला। पूर्णिया से 50 - 100 km के अंदर विधाननगर में इसका देश का सबसे बड़ा मंडी भी है। Pineapple actual में कहां फलता है यानी कि जमीन के नीचे या ऊपर या बीच में ये confusion मेरे मन में बहुत दिन से पल रहा था जो आज दूर हो गया। सबेरे सबेरे 8 बजे circuit house से हम सब पंतोष दास जी के खेत पर पहुंचे। पंतोष जी ड्रैगन फ्रूट के साथ साथ Jute या पटवा की भी खेती किए हैं। Jute की खेती अपनी मां के लिए किए हैं क्योंकि मां को पटवा का साग खाना बहुत पसंद है। सुनकर थोड़ी देर के लिए हम सब emotional हो गए। पटुवा का साग सीमांचल का सबसे पसंदीदा साग है जिसका हम सब को कोई पता नहीं था। ड्रैगन फ्रूट पंतोष जी ने खुश्की बाग मंडी में बेचने के लिए लगाया है। वहीं पर एक मचान था जहां बैठने पर शहंशाह का फीलिंग दे रहा था। उसी पर बैठकर हम सब ने ठंडी बयार और पंतोष जी की बातों का भरपूर आनंद लिया। इस यात्रा में कब सबेरा हो जाय और कब अंधेरा हो जाय उसकी चिंता नहीं की गई। एक मखाना की खेती तलाब में होते मिथिला में देख था मगर यहां तो धान की खेत में। स्वर्ण वैदेही मखाना की वैरायटी किसी क्रांति से कम नहीं है जिसका अहसास दूर दूर तक धान की खेत में लगे मखाना को देखकर होने लगा। अंधेरा होने पर कस्बा प्रखंड में मडुवा और चीना आदि millets की खेती को torch जलाकर देखा गया और किसानो से भी मिला गया जो इंतजार में खड़े मिले। इन सबके लिए और उन सभी किसान भाइयों के लिए और हमारे पूर्णिया के मित्र मनीष जी जिनके घर पर लजीज भोजन और बगान से Big Size नींबू तोड़ने का और उनके परिवार से, माता जी से मिलने का जो सुख मिला वह ईश्वर के आशीर्वाद जैसा है।पटना लौटने के छह घंटे के सफर में इस आनंद को और उन समर्पित किसान सलाहकार और कृषि समन्वयक (रौशन, संगीता आदि) सहित अन्य बड़े समर्पित पदाधिकारी के बारे में सोचता रहा जो कृषि विभाग की योजना को सरजमीं पर किसानों की खेत तक पहुंचाते ही नहीं हैं बल्कि अपने जिला का, राज्य का और देश का नाम रौशन करते हैं। उनके जज्बा को सलाम करते हैं और यात्रा को यहीं विराम देते हैं। पूर्णिया के बारे में एक कहावत सुनने को मिली कि यहां हर उम्र में शादी हो जाती है और हर मोहल्ले में घर बनाने लायक ज़मीन। इस कहावत में इस यात्रा से इतना ही जोड़ सकता हूं कि वो समय दूर नहीं जब यहां हर मौसम में अनूठे फल भी मिलेंगे।
जय हिंद जय बिहार।
शैलेंद्र
Wahhhhh
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
भारत माता की आत्मा खेतो मे बसती हैं और आपका प्रयास निश्चित रूप से सराहनीय और अनुकरणीय हैं 🌹
Field exposure visits are always beneficial to civil servants, government functionaries,and policymakers.Very insightful and useful experiences are being shared here.