लंकाकांड की कथा।रामचरितमानस।

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  • Опубліковано 19 вер 2024
  • रामचरितमानस लंका काण्ड की कथा।
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    BHAKTIKAL KA VARGIKARAN#CLASSIFICATION OF BHAKTIKAL# भक्तिकाल का वर्गीकरण।TULSIDAS#तुलसीदास#sahitya।hindi sahitya।bhakti sahitya। Sagun bhakti#nirgun bhakti। रामकाव्य धारा। रामाश्रयी काव्यधारा। कलिकाल का वाल्मीकि।भक्तिकाल का सुमेरु।नाभादास।अकबर से भी महान् तुलसीदास।v. smith। वी.स्मिथ। बुद्धदेव के बाद सबसे बड़ा लोकनायक- ग्रियर्सन। कविता लसी पा तुलसी की कला। हरिऔध ।समन्वय की विराट् चेष्टा का कवि- हजारी प्रसाद द्विवेदी।विश्व कवि -विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ।प्रगतिशील साहित्यकार -रामविलास शर्मा।हिंदी भाषी जनता का धर्मशास्त्र - उदयभानु सिंह।वेणीमाधव।रघुवरदास।तुलसी चरित।राममुक्तावली। तुलसी प्रकाश।शिवसिंह। ग्रिर्यसन। विल्सन-स्केच ऑफ दी लिजन सैक्ट्स आफ द हिंदूज। तुलसीदास की मृत्यु।स्थान-राजापुर, सोरो, सूकरखेत
    माता-हुलसी, गोद लिए हुलसी फिरै,तुलसी सो सूत होय।
    पिता-आत्माराम दूबे।मुरारि मिश्र।पत्नी-रत्नावली दीनबंधु पाठक या बुद्धिमती-लक्ष्मण उपाध्य।ससुराल वदरिया।लाज न लागत आपकौ, दौरे आयहु साथ। धिक धिक ऐसे प्रेम को, कहा कहौ मैं नाथ।भाई-नंददास, शिक्षा गुरु -शेष सनातन।दीक्षा गुरु नरहरिदास जो सूकरखेत।।शिष्य-वेणीमाधवदास -गोसाई चरित
    मित्र-रहीम, मानसिंह, टोडरमल।नाभादास एवं मधुसूदन सरस्वती ।लोलार्क मठ के महंथ।तुलसीदास रचित ग्रन्थों की संख्या -40। रामचरितमानस। काकभुशुण्ड। वाल्मीकि रामायण एवं अध्यात्म रामायण
    काकभुशुण्डि से याज्ञवलक्य -भारद्वाज तुलसीदास ने नरहरि से सुना और लिख। सुषेण।मेघनाद वध। कुंभकर्ण। अक्षय कुमार वध।अंगद रावण संवाद#मानस की विवादास्पद चौपाई। रामेश्वरम।बालकाण्ड से अरण्य अयोध्या के तुलसीचौरा में
    चैत्र शुक्ल नवमी दिन मंगलवार 1631 से आरंभ
    किष्किंधाकांड से उतरकांड काशी में 2 वर्ष 7 महीना ।गीतावली। अब्दुर्रहीम खानखाना।वैराग्य संदीपनी।रामाज्ञा।राम ललानहछू। सोहर छंद।पार्वती मंगल। शिव-पार्वती विवाह।गीतावली।हनुमानबाहुक-प्लेग के कारण हाथ में गिल्टी।विनयपत्रिक।राम सतसई या दोहावली 573-मानस, वैराग्य संदीपनी एवं रामज्ञा प्रश्न से।कृष्णदास पयहारी।अजमेर में गालता गद्दी। स्वामी अग्रदास।ध्यानमंजरी।रामध्यान मंजरी।हितोपदेश। उपखांडा बावनी।नाभादास।भक्तमाल।प्रियादास - भक्तमाल के टीका।केशवदास- रामचंद्रिका।नाटकीय बनाया।सेनापति- कवित रत्नाक।प्राणचंद चौहान- रामायण महानाटक।हृदयराम।हनुमन्नाटक।रामचरणदास- स्वसुखी संप्रदाय।जीवाराम जी।तत्सुखी संप्रदाय। कृपानिवास - कृपानिवास पदावली। रायमल्ल पाण्डेय- हनुमत्त चरित ।रीवां महाराज रघुराज सिंह जूदेव एवं विश्वनाथ सिंह जूदेव।अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध-वैदेही वनवास।मैथिलीशरण गुप्त साकेत एवं पंचवटी।सूर्यकांत त्रिपाठी निराला।राम की शक्तिपूजा। नरेश मेहता।संशय की एक रात।#तुलसी के काव्य की विशेषताएं। रचना कौशल।प्रबंध पटुता।कथा के मार्मिक स्थलों की पहचान। प्रसंगानुकूल भाषा।शृंगार की मर्यादा ।संत कवि गोस्वामी तुलसीदास की काव्य कला ।काव्य रूप भाषा ।छंद ।अलंकार।रीति।वृत्ति।शब्द शक्ति।परिस्थिति दर्शन रस प्रकृति। लोकमंगल।समन्वय।भाव पक्ष lकला पक्ष ।बहु-आयामी। समन्वय-साधना। शास्त्र-ज्ञान, अनुभूति, पारदर्शिता, पर्यवेक्षण शक्ति तथा सहृदयता है।समन्वय भावना के क्षेत्र।शैव-शाक्त-वैष्णव।शंकर प्रिय मम द्रोही शिव द्रोही मम दास । ते नर करहिं कलप भरि घोर नरक महुँ बास ।पार्वती मंगल।शिव पार्वती विवाह। ब्राह्मण और शूद्र -पूजिए विप्र शील गुण हीना।विप्र निरक्षर लोलुप कामी। निराचार सठ बृषली स्वामी।जे बरनाधम तेली कुम्हारा। स्वपच किरात कोल कलवार।दीन वचन गुह कर जोरी। विनय सुनहुं रधुकुलमणि मोरी।अति आनंद उमगि अनुरागा। चरन सरोज पखारन लागा।।रामहि केवल प्रेम पियारा। जानि लेउ जो जाननिहारा।बंदउं संत असज्जन चरना।
    भलेउ पोच सब बिधि उपजाए। गनि गुन दोष बेद बिलबाए।
    कर्म-ज्ञान-भक्ति-श्रुति संमत हरि भगति पथ संजुत विरचि विवेक’भगतिहि ग्यानहिं नहिं कछु भेदा। उभय हरहिं भव संभव खेदा। निर्गुण तथा सगुण-“निरगुण राम निरगुण राम जपहुं रे भाई,।अविगत की गति लखि न जाई”
    सगुनहि अगुनहि नहि कछु भेदा । गावहि मुनि पुरान बुध वेदा। द्वैत-अद्वैत-गिरा अरथ जल बीचि सम, कहिअत भिन्न न भिन्न। बंदउँ सीता राम पद, जिन्हहि परम प्रिय खिन्न। जगत् की सत्यता और असत्यता।झूठो है, झूठो है झूठो सदा जग संत कहंत जे अन्त लहा है। (कवितावली-7/39।भाग्य और पुरुषार्थ । कर्म प्रधान विश्व रचि राखा। होई है वही जो राम रचि राखा।“पुरुषारथ पूरब करम परमेस्वर परधान । वर्णाश्रम धर्म तथा मानवतावाद-“परहित सरिस धर्म नहि भाई।भोग तथा त्याग।घर कीन्हें घर जात है घर छांडे घर जाइ। व्यक्ति, परिवार और समाज।पितृ, मातृ, भातृ एवं प्रजा के प्रति भक्ति साधुमत तथा लोकमत। वेदशास्त्र तथा व्यवहार
    राजा एवं प्रजा “सुन सकल पुरजन मम बानी। कहीँ न कछु ममता उर बानी ।। नहि अनीति नहि कछु प्रभुताई ।
    संस्कृति- संगम। काव्य एवं शास्त्र।भावपक्ष एवं कलापक्ष नाना पुराण निगमागम सम्मत। सारग्रहिणी प्रतिभा
    छन्द-पद्धति- दोहा, चौपाई, कवित्त, बरवै, गीत, सोहर
    काव्य-रूप - प्रबन्ध, निबन्ध, मुक्तक का सुन्दर समन्वय
    (1काव्य के मानदंड - काव्य शास्त्र के छह प्रमुख
    मानदण्ड - रस, ध्वनि, अलंकार, रीति, वक्रोक्ति एवं
    औचित्य सैद्धान्तिक एवं प्रयोगात्मक दोनों रूप ं
    काव्य भाषा - अवधी, ब्रज, संस्कृत, फारसी का सुन्दर समन्वय । स्वानुभूति एवं बाह्यार्थ- स्वांतः एवं बहुजन हित ।
    आत्मनिवेदन एवं स्वानुभूति -विनयपत्रिका, हनुमान बाहुक तथा कवितावली।बाह्यार्थ निरूपण-रामचरितमानस, रामलला नहछू,
    जानकी मंगल, पार्वती मंगल तथा गीतावली एवं कवितावली।#

КОМЕНТАРІ • 1

  • @birendrakumarpathak4196
    @birendrakumarpathak4196 5 днів тому

    आपका तरीका अत्यंत सहज और प्रभावी है।