दिल में तुझे बिठाके | Dil Mein Tujhe Bithake By Adarshi Sinha | 💕Lata Mangeshkar Romantic Song live

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  • Опубліковано 5 вер 2024
  • दिल में तुझे बिठाके | Dil Mein Tujhe Bithake By Adarshi Sinha | 💕Lata Mangeshkar Romantic Song live
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    Banner - Junior khesari Musical Night Show
    ► Album :- stage show
    ► Song : - दिल में तुझे बिठा के।
    ► Singer :- आदर्शी सिन्हा
    ► Music :- R.U.S. Band
    ► Company :- saregama music center
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    Anupama Yadav Stage Show And Shivesh Mishra Stage Show URL
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    देश की शान और संगीत जगत की शिरमोर स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर जी का निधन अत्यंत ही दु:खद है।
    पुण्यात्मा को भावभीनी श्रद्धांजिल
    उनका जाना देश के लिए अपूरणीय क्षति है वे सभी संगीत साधको के लिए सदैव प्रेरणा थी ।
    ऊँ शांति शांति। सारेगामा म्यूजिक सेंटर।।
    सारेगामा म्यूजिक सेंटर....….…UA-cam.......❣️❣️❣️
    सुबह से देख रहा हूं लता जी के निधन के बाद दुखी आत्माओं के शोक संदेशों ने हकीम उस्मानी के विज्ञापन कि तरह सोशल मीडिया वाल पर स्वपीड़ा की जानकारी दे रखी है।😑
    यह शोक संदेश लगभग सभी सुप्रसिद्ध व्यक्तियों की मृत्यु पर काॅपी पेस्ट होते रहते हैं। 😷
    मृत्यु अटल सत्य है , किन्तु किसी व्यक्तित्व का 92 वर्ष की आयु में सुखी जीवन व्यतीत करते हुए निधन हो जाने में दुख कैसा ?🙂
    92 वर्ष की आयु तक मां सरस्वती की आराधना कर अपने इस जीवन के कर्तव्य को पूर्ण कर देवधाम में लौटने वाले के निधन पर दुख कैसा ?🙂
    अपनी प्रतिभा से इतने लम्बे समय तक राष्ट्रसेवा कर 92 वर्ष की आयु राष्ट्र के पंचतत्वों में विलीन होने पर दुख कैसा ?🙂
    शोक स्वाभाविक है , किन्तु हमे प्रसन्नता होनी चाहिए उनके राष्ट्र समर्पित विचारों पर , हमें प्रसन्नता होनी चाहिए उनकी अल्प कष्ट मृत्यु पर , हमें प्रसन्नता होनी चाहिए उनके जीवन उद्देष्य पूर्ति पर ।🙏🏻♥️
    लता जी का शरीर पूरा हो गया। कल सरस्वती पूजा थी, आज माँ विदा हो रही हैं। लगता है जैसे माँ सरस्वती इस बार अपनी सबसे प्रिय पुत्री को ले जाने ही स्वयं आयी थीं।
    मृत्यु सदैव शोक का विषय नहीं होती। मृत्यु जीवन की पूर्णता है। लता जी का जीवन जितना सुन्दर रहा है, उनकी मृत्यु भी उतनी ही सुन्दर हुई है।
    93 वर्ष का इतना सुन्दर और धार्मिक जीवन विरलों को ही प्राप्त होता है। लगभग पाँच पीढ़ियों ने उन्हें मंत्रमुग्ध हो कर सुना है, और हृदय से सम्मान दिया है।
    उनके पिता ने जब अपने अंतिम समय में घर की बागडोर उनके हाथों में थमाई थी, तब उस तेरह वर्ष की नन्ही जान के कंधे पर छोटे छोटे चार बहन-भाइयों के पालन की जिम्मेवारी थी। लता जी ने अपना समस्त जीवन उन चारों को ही समर्पित कर दिया। और आज जब वे गयी हैं तो उनका परिवार भारत के सबसे सम्मानित प्रतिष्ठित परिवारों में से एक है। किसी भी व्यक्ति का जीवन इससे अधिक सफल क्या होगा?
    भारत पिछले अस्सी वर्षों से लता जी के गीतों के साथ जी रहा है। हर्ष में, विषाद में,ईश्वर भक्ति में, राष्ट्र भक्ति में, प्रेम में, परिहास में... हर भाव में लता जी का स्वर हमारा स्वर बना है।
    लता जी गाना गाते समय चप्पल नहीं पहनती थीं। गाना उनके लिए ईश्वर की पूजा करने जैसा ही था। कोई उनके घर जाता तो उसे अपने माता-पिता की तस्वीर और घर में बना अपने आराध्य का मन्दिर दिखातीं थीं। बस इन्ही तीन चीजों को विश्व को दिखाने लायक समझा था उन्होंने। सोच कर देखिये, कैसा दार्शनिक भाव है यह... इन तीन के अतिरिक्त सचमुच और कुछ महत्वपूर्ण नहीं होता संसार में। सब आते-जाते रहने वाली चीजें हैं।
    कितना अद्भुत संयोग है कि अपने लगभग सत्तर वर्ष के गायन कैरियर में लगभग 36भाषाओं में हर रस/भाव के 50 हजार से भीअधिक गीत गाने वाली लता जी ने अपना पहले और अंतिम हिन्दी फिल्मी गीत के रूप में भगवान भजन ही गाया है। 'ज्योति कलश छलके' से 'दाता सुन ले' तक कि यात्रा का सौंदर्य यही है कि लताजी न कभी अपने कर्तव्य से डिगीं न अपने धर्म से! इस महान यात्रा के पूर्ण होने पर हमारा रोम रोम आपको प्रणाम करता है लता जी।
    💐🙏💐सादर नमन 💐🙏💐
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