Class 8.42। कर्म बन्ध विज्ञान - गोत्र की परिभाषा और भेद सूत्र 12

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  • Опубліковано 4 жов 2024
  • Class 8.42 summary
    हमने तीर्थंकर नाम कर्म के प्रकरण में
    तीर्थंकर के प्रमुख शिष्य
    गणधर पद की विशिष्टता जानी
    जब ज्ञानावरण के क्षयोपशम से
    बीज-बुद्धि-ऋद्धि
    कोष्ठ-बुद्धि-ऋद्धि
    सम्भिन्न-श्रोतृत्व-ऋद्धि
    पदानुसारी-ऋद्धि
    दस-पूर्वत्व-ऋद्धि
    चर्तुदश-पूर्वत्व-ऋद्धि आदि
    के साथ में विशिष्ट पुण्य हो,
    तब गणधर पद प्राप्त होता है।
    मात्र ज्ञानावरणीय कर्म के क्षयोपशम से नहीं।
    ज्ञानावरणीय कर्म के क्षयोपशम से तो, श्रुतकेवली के पास भी
    चौदह पूर्व का ज्ञान,
    और मनोबलिणं= मन बल ऋद्धि,
    वचनबलिणं= वचन बल ऋद्धि,
    कायबलिणं= काय बल ऋद्धि आदि होती हैं
    किन्तु गणधर परमेष्ठी की प्रतिष्ठा अलग होती है
    जैसे भगवान महावीर के गणधर ग्यारह ही हैं
    पर श्रुतकेवली अनेक हो सकते हैं
    यह विशिष्टता, विशिष्ट पुण्य से होती है
    इसे आचार्य वीरसेेन महाराज धवला पुस्तक में
    उच्च-गोत्र का विशिष्ट फल बताते हैं
    हमने जाना, तीर्थंकरों के उच्च-उच्च गोत्र,
    उनके तीर्थंकर नामकर्म के साथ फलता है
    पर गणधर का उच्च पद
    केवल उच्च गोत्र के कारण होता है
    तत्व-चिन्तन से compare करें तो पहले तीर्थंकर, उसके बाद गणधर और फिर श्रुतकेवली होते हैं
    नामकर्म के बाद आता है - गोत्रकर्म
    गोत्रकर्म हमारे अनेक तरह के पदों में,
    और आचरण में सहायक होता है।
    यह दो प्रकार का होता है - उच्च और नीच
    सामान्य से हम जानते हैं -
    उच्च कुल में जन्म देने वाला उच्च-गोत्र
    और नीच कुल में जन्म देने वाला नीच-गोत्र होता है
    आज हमने इससे आगे भी जाना
    आचार्य नेमिचन्द्र महाराज ने कर्मकाण्ड में गोत्र की 2 परिभाषाएँ दी हैं
    एक सन्तान क्रम से, कुल परम्परा से आगत उच्च कुल
    और दूसरा उस कुल के योग्य आचरण
    ‘उच्चं णीचं चरणं’ अर्थात्
    यदि उच्च कुल के योग्य आचरण है तो उच्च-गोत्र,
    और नीच आचरण है तो नीच-गोत्र होता है
    मुनि श्री ने बताया- उच्च कुल में जन्म लेने से भी बड़ा होता है-
    उच्च आचरण,
    उत्कृष्ट कार्य करना
    और उत्कृष्ट पदों पर आसीन होना।
    सूत्र में ‘च’ शब्द से हमने
    गोत्रकर्म के 6 भेद जाने
    आचार्य वीरसेन महाराज भी धवला ग्रन्थ में इसके छह विभाजन करते हैं
    पहला उच्च-उच्च! अर्थात्
    उच्च कुल में जन्म होना
    और उच्च आचरण करना
    दूसरा - उच्च
    सिर्फ उच्च कुल में जन्म होना
    तीसरा - उच्च-नीच!
    उच्च कुल में जन्म होना
    लेकिन नीच आचरण करना
    चौथा - नीच-उच्च!
    जन्म नीच कुल में
    पर आचरण उच्च करना
    पाँचवाँ - नीच!
    सिर्फ नीच कुल में जन्म होना
    और अन्तिम नीच-नीच! अर्थात्
    नीच कुल में जन्म और
    नीच ही आचरण करना।
    हमने जाना -
    भोग भूमि के मनुष्य का नियम से उच्च-गोत्र ही होता है
    चाहे मिथ्यादृष्टि हो, चाहे सम्यग्दृष्टि ।
    और तिर्यञ्चों में नियम से नीच-गोत्र ही होता है।
    चाहे वह किसी भी जाति का हो,
    चाहे कर्म भूमि का हो,
    या भोग भूमि का
    किन्तु पञ्चम गुणस्थान पाने से वही तिर्यञ्च,
    नीच से उच्च गोत्र का हो जाता है।
    यह गोत्र-परिवर्तन मनुष्यों में भी होता है
    नीच कुल में जन्मा व्यक्ति
    उच्च आचरण करने से
    उच्च गोत्रीय भी बनता है
    और नीच आचरण करने से
    उच्च-गोत्र में जन्मा व्यक्ति
    नीच-गोत्र का होता है।
    मुनि श्री ने कलिकाल के आचरण के सन्दर्भ में बताया कि -
    पुण्य से उच्च-गोत्र, जैन कुल में जन्म लेकर भी
    नीच कुलीन खान-पीन और आचरण करने से
    व्यक्ति नीच-गोत्र के कारण पाप का बन्ध करता है
    आचरण अच्छा बनाए रखने पर ही,
    हमारा पुण्य, गोत्रानुसार हमारे साथ रहता है
    जो अपने अल्प पुण्य के प्रभाव में आकर
    इस दुनियादारी से प्रभावित होकर
    अपना आचरण बिगाड़ लेते हैं,
    वे गुरुओं, सन्तों, की दृष्टि में नीच और अज्ञानी ही होते हैं
    इन सूत्रों का फल है -
    कि हम सन्तान क्रम अर्थात् कुल परम्परा से मिला
    उच्च-कुलीन आचरण बनाए रखें।
    आचरण में उतारने से ही हमारा ज्ञान हितकारी होगा, रटने मात्र से नहीं ।
    Tattwarthsutra Website: ttv.arham.yoga/

КОМЕНТАРІ • 21

  • @neetashah4100
    @neetashah4100 3 місяці тому +1

    नमोस्तु गुरुवर नमोस्तु गुरुवर नमोस्तु गुरुवर 🙏 🙏🙏

  • @meenajain7210
    @meenajain7210 3 місяці тому +1

    नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु गुरुदेव

  • @prabhajain6878
    @prabhajain6878 3 місяці тому +1

    संत शिरोमणि आचार्य गुरुदेव श्री विद्यासागर जी महाराज की जय 🙏💖🙏💖🙏💖 अर्हं योग प्रणेता पूज्य गुरुदेव श्री प्रणम्यसागरजी महाराज की जय जय जय 🙏💖🙏💖🙏💖

  • @sandhyakhadke3218
    @sandhyakhadke3218 3 місяці тому +1

    Namostu Gurudev Namostu Gurudev Namostu Gurudev 🙏🙏🙏

  • @vinayjain4748
    @vinayjain4748 3 місяці тому +1

    Namostu guruver bhagwan

  • @TanusTips
    @TanusTips 3 місяці тому +3

    नमोस्तु गुरूदेव आचार्य श्री जी की जय हो 🙏🙏🙏

    • @ushajain8081
      @ushajain8081 3 місяці тому

      णमोत्थु णमोत्थु णमोत्थु णमोत्थु णमोत्थु णमोत्थु णमोत्थु णमोत्थु गुरु देवो जी

  • @arunjain1571
    @arunjain1571 3 місяці тому

    णमौस्तू गूरूवर,‌कोटिश: नमन्

  • @manjujain1039
    @manjujain1039 3 місяці тому +1

    Namostu guru dev Namostu 🙏🏻🙏🏻🙏🏻

  • @SuvratJainDL
    @SuvratJainDL 3 місяці тому +1

    Namostu gurudev

  • @mainadevijain813
    @mainadevijain813 2 місяці тому

    नमोस्तु गुरुदेव 🙏🙏🙏

  • @rajada033
    @rajada033 3 місяці тому +2

    Joy guru 🙏

  • @vrushbhanathvardhmangumte8744
    @vrushbhanathvardhmangumte8744 3 місяці тому

    Namostu Namostu Namostu Gurudev 🙏🙏🙏

  • @nehajain7265
    @nehajain7265 3 місяці тому

    Namostu maharaj ji🙏🙏🙏

  • @anjujain3552
    @anjujain3552 2 місяці тому

    Namostu gurudev 🙏🙏🙏

  • @ruchijain5462
    @ruchijain5462 3 місяці тому

    Jai jinender ji 🙏

  • @aaravjain-thewonderkidstor1181
    @aaravjain-thewonderkidstor1181 3 місяці тому

    🙏🙏🙏

  • @promilajain9774
    @promilajain9774 2 місяці тому

    नमोस्तु गुरुदेव। क्या भोग भूमि में भी सम्यग्दृष्टि मनुष्य होते हैं?

  • @vinayjain4748
    @vinayjain4748 3 місяці тому +2

    Answer 4 ..6

  • @promilajain9774
    @promilajain9774 2 місяці тому

    क्या क्षोभ को कोतुहल भी कहा जा सकता है?

  • @pragatichankeshwar3674
    @pragatichankeshwar3674 3 місяці тому

    🙏🙏🙏