भागवत कथा चतुर्थ दिवश सीधी मध्य प्रदेश स्वामी श्री माधवाचार्य जी महाराज बहुत ही सुन्दर वर्णन राधे

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  • Опубліковано 12 вер 2024
  • नंद के आनंद भयो, जय कन्हैयालाल के उद्घोष के साथ समूचा आयोजन परिसर गूंज उठा. , नंद बाबा बने राजा पुरोहित के साथ द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का आनंद मानो फिर से जीवंत कर दिया.
    भक्तों ने भजनों की धुनों पर मगन होकर से थिरकते हुए श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का अानंद उजागर किया. बासुदेवजी के रुप में केशव किराडू, वामन अवतार के रुप में योगेश किराडू भी खूब जमे. श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव का आनंद मनाते हुए भक्तों के बीच खूब मिठाई, टॉफीयां और बधाईयां बांटी गयी. कथा प्रसंग में कथा व्यास स्वामी माधवाचार्य जी ने कहा कि भगवान युगों-युगों से भक्तों के साथ अपने स्नेह रिश्ते को निभाने के लिए अवतार लेते आये हैं.
    व्यासजी महाराज ने कहा कि भगवान अपने भक्तों के भाव और प्रेम से बंधे है. उनसे भक्तों की दुविधा कभी देखी ही नहीं जाती. वे अपने भक्तों की कामना की पूर्ति तो करते ही है साथ ही उनके साथ अपने स्नेह बंधन निभाने खुद इस धरा पर आते हैं. आज की कथा के दौरान वामन अवतार, समुंद्र मंथन, श्री राम जन्मोत्सव और भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का सुंदर और भाव पूर्ण वर्णन किया.
    महाराजश्री ने कहा कि भगवान अपने भक्तों के साथ सदा हर पल खड़े रहते हैं. वे भक्तों के हाथों से दी प्रेम और भाव के साथ दी गई वास्तु उसी तरह ग्रहण करते हैं, जिस तरह से उन्होंने द्रौपदी का पत्र और गजेंद्र का पुष्प ग्रहण किया. भगवान ने काल रुपी मकर से भक्त गजराज की रक्षा की तो द्रौपदी के पुकार पर उसका संकट मिटाने स्वयं दौड़े चले आये.

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