कोई भी व्यक्ति थोड़ी प्रशिद्धि प्राप्त कर के पूरे दम-खम से किसी व्यक्ति विशेष का नाम लेकर के, किसी पुस्तक का नाम लेके ये कहता है कि इसमे ये लिखा है और ये नहीं लिखा है, ऐसा कहते थे, और ऐसा नहीं कहते थे और हम लोग आसानी से उनकी बातों को मान लेते हैं क्योंकि वो पूरे दम- खम से किसी व्यक्ति विशेष का नाम ले रहा है, किसी विशेष पुस्तक का रेफरेंस दे रहा है और ये लोग जानते हैं कि हमारे लोग ज्यादातर पढ़े लिखे नहीं है, और जो पढ़े लिखें है उनमे से ज्यादातर लोग हमारे बहुजनो द्वारा लिखी गई पुस्तकों को न ही पढ़ते हैं और नहीं सुनते हैं साथ ही ये लोग यह भी जानते हैं कि हमारे कुछ लोग पुस्तक के कुछ गिने चुने पन्नों को ही पढ़ते हैं और ये लोग इसी का फायदा उठाते हैं और ऐसे ही पन्नों के रेफरेंस देते हैं। हम मे एक गलत आदत ये भी है कि हम लोग ऐसी बातों को सुनना चाहते है, ऐसी चीजों को देखना चाहते हैं, ऐसी पुस्तकों को पढ़ना चाहते हैं, जिसमे कोई चमत्कारीक, मायावी, आदि बातें कही जा रहीं हों, दिखाई जा रहीं हों या लिखी गयी हो। अतः हमारे बहुजन भाइयों से निवेदन है कि वे ज्यादा से ज्यादा पुस्तकें पढ़ें और पुस्तक को शुरु से अंत तक जरूर पढ़ें और उसके बाद हो सके तो उन पर विचार विमर्श भी करें। बहुजन साहित्य यूट्यूब चैनल के भैया कहते हैं- "पढ़ने कि आदत को विकसित करें क्योंकि पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया"|
एक बार कबीर के गुरु रामानंद के पितरों का श्राद्ध था। रामानंद के पितरों को गाय का दूध बहुत पसंद था। इसलिए उन्होंने कबीर को गाय का दूध लाने के लिए भेजा। रास्ते में कबीर को एक मृत गाय पड़ी मिली। कबीर ने उसके मुंह के पास घास रख दी और दूध का बर्तन लेकर उसके पास खड़े हो गए। काफी देर तक जब कबीर नहीं लौटे तो रामानंद उन्हें देखने निकले। उन्होंने देखा की कबीर एक मृत गाय के पास खड़े है। कबीर बोले, गुरुजी यह गाय न ही घास खा रही है और न ही दूध दे रही है। रामानंद बोले, भला मरी हुई गाय कैसे घास खायेगी और दूध देगी। यह सुनकर कबीर ने उनसे पूछ। जब आज ही मरी हुई गाय घास नहीं खा सकती है और न ही दूध दे सकती है तो बरसों पहले परलोक गए आपके पिता कैसे दूध पीएंगे? यह सुनकर रामानंद निरुत्तर हो गए और उन्होंने कबीर को अपने गले से लगा लिया..
@@KhojeeAmit:: कबीर के गुरु रामानंद ही थे। चलो तर्क के लिए मान लेते हैं -रामानंद कबीर के गुरु नहीं थे लेकिन जो उदाहरण दिया गया कि मृत गाय घास नहीं खा सकती,दूध नहीं दे सकती फिर वर्षों पहले मरे हुए व्यक्ति को पिंडदान करें तो उसको कैसे मिलेगा?
सुरेश जी आपको बहत बहुत साधुवाद जो इतने अच्छे कंटेंट ला रहे Mam bol रही कर्मो के अनुसार बर्थ होता है ऐसा स्वयं तथागत बुद्ध ने कहा है आपने यह भी कहा की आत्मा नही होती हे फिर rebirth किसका होता है? यदि वित्त का रिबीर्थ होता हे तो उसका स्टेटस क्या है मरते वक्त आदमी का चीत्त अशांत रहना स्वाभाविक है कौंकि कई तकलीफों में आदमी के प्राण निकलते है आपकी माने की वित्त का रिबीर्थ होता हैं as per buddist aur हिंदू उसे आत्मा मानता है तो हिंदू ओर बौद्ध में फर्क कहा बीइंग ए बुडिस्ट आप रिबीथ के लिए सेल्फ कर्म मानते है तो हिंदू भी कर्मो को ही अगले जन्म का आधार बताते है ओर इसलिए bhraman लोग ने की अंपके पिछले जन्म के कर्म ठीक नहीं इसलिए आप शुद्र बनकर तकलीफ पा रहे रहे आप चित्त का ररिबीर्थ ठिक से समझाए मैं बुद्धिस्ट होते हुए भी मुझे आपकी बाते हिंदूवादी लगती है कोई फर्क नहीं समाज आता आत्मा के बदले चित्त मनलो तो इसके अलावा ईश्वर की एक्सिटेंस को न मानो तो there willi be no difference between Hindu And baudh
बुद्ध ने कहा था तर्क करो, परीक्षण करो, अनुभव के आधार पर उसे परखो यदि तुम्हे लगे कि यह बात बहुजन के कल्याण की हैं तब मानो... सोनाली जी बोल रही हैं इसलिए ना मानिए...
मेरी बात बहुजन कल्याण की ही बहुत मुश्किल से हमे पुनर्जम्न के चक्रववीव से बाबासाहब ने ओर तथागत ने बाहर निकाला था आप मैडम का कॉन्टैक्ट no dijiye confirm Karna है की कैसे विचारो का रबीर्थ होता हे यदी आप चित का रिबीर्थ होता हे तो आप कैसे corlate कर सकते है कि पिछले अकुशल कर्म से is जन्म में अपने पिछले चित के फल भोग रहा है
@@WLBSNews आप सही कह रहे हैं। आपकी रिपोर्टिंग करने का तरीका बहुत ही अच्छा है, रिपोर्टर को हमेसा ऐसा दिखाना चाहिए की वो किसी के बारे से ज्यादा कुछ नहीं जानता और बहुत सारे मत्वपूर्ण प्रश्नो को पूछना चाहिए। ।।जय भीम।।नमो बुद्धाय।।
आप को हर चीज को समझने का बुद्धी चाहिए जो आपके अंदर नहीं है समाज में ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र होते हैं लेकिन यह भी गलत है कि ब्राह्मण का लड़का ब्राह्मण है और शूद्र का लड़का शूद्र इसे समझने के लिए भी दर्शन और धर्म दोनों का बारीकी से ज्ञान होना चाहिए
आपण जे मार्गदर्शन केले आहेत ते ज्या व्यक्तीने विपश्यना केली आहे त्यांना आपले विचार निश्चितच फायदा होणार आहे होतोय, भगवान बुद्धांची शिकवण पाली भाषेत असल्यामुळे अनेक वेळा काही लोकांना पटत नसेल समजतं नसेल, आपलं अभिनंदन अभिनंदन अभिनंदन
👌💯%✔️संशोधीत सत्यज्ञान !🇮🇳🙏 जय विज्ञान ! जय संविधान !!🇮🇳✊ प्रबुध्द भारत ! समृध्द भारत !!🇮🇳✊ जयभिम ! जयशिवराय !! जय मुलनिवासी !!! बहुजन हिताय ! बहुजन सुखाय !!🇮🇳🙏✊
Very Very Thanks.for explaining of scientific knowledge of lord Buddha. So Excellent. Please explain whole Mahasatipathana & Abhidhampatak in details . Also do explain about of VIPASANA . I greateful to you forever. I wish you Healthy & Happy Successful Life. I continue watching you on UA-cam Regards
Jai bhim Buddha dhamma me punar janm hota hai aur iske bare me Babasaheb Ambedkar ne apni book buddha and his Dhamma me bhi baat ki hai. Lekin buddha dhamma me punar Janam alag hota baki sare dharmo se. Nammo Buddhay Jai bhim
@@incrediblypractical. जी सही बोले । बुध धम्म में आत्मा का पुनर्जन्म नही होता बल्कि बुध धम्म में एक ही जीवन में भव को प्राप्त करना ही भव कहलाता है दूसरे जन्म वाला कांसेप्ट नही हैं।
साधु साधु साधु... नमो बुद्धाय 🙏🙏🙏 जय भीम 🙏 As we find and introducing ourself as Buddhist and Ambedkarites we must have to study Buddhism, Buddhist material and also study to Babasaheb and therir views. Now these days it's mandatory for us to study it so we can give it to next generations. There are so many confusions introduce while studying it, but it can be resolves by communicating with each other or communicating with experienced expert persons. And for this we need to try our best. There are so many conspiracies done from the time of Bhagwan upto the present time so it's very essential to study pure Buddhism. Buddhism is born and grow in India but the other countries follow it in proper manner because they save pure Buddhism (Dhamma) studied it in a pure way and spread to next generations. Although Buddhism and Dhamma are for all humans in any country it don't have restrictions of countries and all but it's our misfortune that the Buddhist in India the persons call themselves as Buddhist even don't give interest in Buddhism and conspirators gets benefits of it to relate Buddhism with Hinduism so the pure Buddhism get to disappear in India for some time after Maurya and Gupt era due to the conspirators. We must have thankful to all Holy peoples saves and restore pure Buddhism and Dhamma. Thanks to all Holy people to saves and restores the pure Buddhism and Dhamma and spread equality, justice, fraternity and humanity. - भवतु सब्ब मंगलंग... भवतु सब्ब मंगलंग... भवतु सब्ब मंगलंग...
" उन कही सुनी बातों को अंधविस्वास से कभी मत मान लो, जीन बातों को आपने अनुभव नहीं किया हो या फिर आपको तर्कसंगत नहीं मालूम होती हो " जानो तभी मान लो, मान लोगे तो जानोगे कहासे? सिवाय जानने के दूसरा कोई उपाय भी तो नहीं है और जानने के बाद थोड़ी ही मानना होता है? बल्की "मान ही लेना होगा" 😂 एक क्षण से दूसरे क्षण मे प्रतिक्षण बहनेवाली शरीर और चित्त का धाराप्रवाह, एस क्षण मरकर ही अगले क्षण जन्म लेता है, यही तो है पुनर्जन्म एक क्षण आएगा और मर जायेगे ये धारणा ही गलत है, भीतरी सच्चाई तो यही है की क्षण प्रतिक्षण मर रहे है और पैदा हो रहे है, होश के साथ जागरण के अलावा इस दुष्यचक्र के बाहर निकलनेका कोई उपाय नहीं है "बेहोशी मे मरना छोड़ो और होश मे जीना सिख लो " यही है बुद्ध के देसना नमो बुद्धाय 🙏 जय भीम
With all due respect, buddha insisted on following our own experience. My experience tells me that if there is no eternal immortal inner self i.e. atman and supreme creator or controller i.e. god or paramatma, then I am awareness i.e.. prajna, the phenomenon of knowing correctly in the right context, arising due to cause and conditions, I become my actions and I continue in the internal and external effect of my actions. I should act rightly because I involuntarily become my actions. I should produce noble effects of my actions because through the effect of my actions I create my own ecosystem and my continuity. When buddha says you are continuously born that means you constantly continue in the effect of actions. I should enjoy my one and only opportunity of life sustainably. Namo buddhaya
कर्म कोन करता है कर्म हमारा चित्त के द्वारा किया जाता है ।ओर वही चित्त ने जो कर्म किया है वहीं पुनर्जन्म तक ले जाता है और वो चित्त कभी नहीं मरता ।।। पुनर्जन्म के बारे विस्तार से जानने हेतु मुझसे निजी मिल कर वार्तालाप कर सकते है ।। धन्यवाद
यह शरीर जिन चार तत्वों से बना हुआ था वह शरीर में से पृथक हो गये,या तब चेतना नहीं रहती,तब कहां जाता है मृत्यु हो गई।जो चारों तत्वों सामूहिक रूप में मौजूद हैं उन में मिल जाते हैं।
Sabi new Buddhist ko pura tripitaka ko padna sahiye. Science journey ki tra adura gyan leke logo ko baramit karte hai , tripitaka ka lekha bata k logo se debt karte hai. Wo kabi mante nahi rebirth. Bahanji ka gyan hame acha laga, rebirth or karampal hamare tripitaka me hai.
सोनालिजी को बहुत बहुत साधुवाद! पुणजन्म बहुत पेचीदा विषय है। कृप्या इसमें ना जाए। हिन्दी या अंग्रेज़ी भासा से बुद्धवचन समझना कठिन है। व्यक्ति को अपना विकास में बुद्धवचन कैसे सहायक होगा यह बताए। धन्यवाद
नागसेन का मिलिन्दपन्हो पढिये।1: मरण के बाद आत्मा नाम की कोई चीज नही है यह हीनयान थेरवाद है । 2:जो पुनर्जन्म मानते है वे महायानी ब्राह्मण वाद है जो अनियत है ,आत्मसमोहन है जो मिथ्या धारणा ब्रह्मजाल है। दीघनिकाय "ब्रह्मजाल सुत्त " पढिये।कनिष्क काल मे पुनर्जन्म वाद महायान मे जोङा गया है।मै ने भी रिचर्स की है। ---पंच आगम बौद्धागार मिशन प्रिथियस
धर्म कोई भी हो वह हमें भ्रम में डालता है किंतु धम्म हमें विज्ञान की दिशा में ले जाता है जो बल्ब जलता है ट्रेन चलता है और जहाज उड़ता है तत्व 117 से अधिक है किंत धर्म वाले जानने नहीं देते है वह पुरानी किताबों में लिखी हुई बात को हमारे सर पर थोपते हैं
Actually what she is telling is absolutely true, even S.N Goenka guruji also says this stuff because it's in Tipitaka, then how can you say she is quotting Goenkaji, all this is there in Tipitaka and both of them properly understands Buddha's Dhamma very well. As a truth seeker you shouldn't pin point anyone first check yourself what reference she's giving or what Buddha has preached analyze those things carefully and then later it's upto you whether accept it or not....but before that don't criticize anyone 🙏🙏🙏🙏
There are cases which were examined thoroughly with regard to this topic,however ho na ho,we have no control over all this ,si accept what Almighty bestows upon us, enlightened persons say, people are talking.
Very nice . Sonali. I am 72 years old. I have embraced Buddhism in 1995 , after reading Dr.Ambedkar's life. Since then I am practicing Vipassana from Igatpuri. Yet I am in some confusion regarding the function of partisanship re linking consciousness, syutisyuta consciousness and Bhavanga consciousness at the moment of death. I want to know which defilement citta is continued to next birth that is responsible for good or bed karma. Pl try to explain it for me. I am from Assam. D.Roy.
there is no such thing as karma or getting fruits of karma in next birth. please don't believe in such stupid things. buddhism is just scam. nobody knows what happens during or after death. nobody knew back then what happens after we die. Thugs just brainwashed people after creating mumbo jumbos regarding the birth and presented it to the masses to get fame and wealth. Buddha was just a scam artist. or maybe he was just delusional. stick to modern science only. don't waste time in made- up rebirth cycle , nirvana, etc. -- the sufferings can never be ended with Buddha's ways. The sufferings which u call are just part of life. sometimes which are born of tragedies. The guy (Gautam buddh) who lived a luxurious life got bored with his kingdom and became a recluse just to preach people that he had found some " path" to the liberation from all sufferings in this life. you can find such men in today's business world too who come to india to spread or practice their spirituality. The buddha who had no idea how mind works, and how to calm it when someone is in distress , is talking of removal of all sufferings from people's Lives?? Ambedkar must have chosen the buddh because he thought Budhism was always against the Varna system. The core philosophy of buddhism will at least deliver the untouchables. Ambedkar only fooled himself I would say in doing so . Though he would be great forever, but what he gave to his people is actually devastating and confusing in the long run
The vedna, kaaya, chitt and then dhammanupassana, to understand the re-birth one has to go thru the teachings and the meditation technic called "Dhyanadhiraj Vipassana" in tradition of Sir Sayaji U Ba Khin and Kalyanmitra Shri S.N.Goenkaji.
Adura gyan ,(Science journey) chennal, kabi mante nahi rebirth or karam pal. Adura gyan leke buddh ka kahena bata logo se debit karte hai ki rebirth or karampal nahi hote hai. Ajkal new Buddhist lok nahi mante rebirth or karampal,
Please explain about Concept SHIRAD. on Buddhisim. Ten Parmitayein in details pl. Also let me convey that How to follow daily routine in order to go before VIPASANA. So that a actual great experience can be achieved. Pl Guide me. Yours golden words is being discussing among beloved and appreciated by them. Regards
सोनाली जी ने सब कुछ ठीक कहा पर, पंचमहाभूतो (तत्वों )की जगह चार महाभूतों को ही बताया, जबकि पांचवा तत्व आकाश है, और यह आकाश तत्व ना हो तो इन चारों तत्वो का अस्तित्व hi नहीं रहेगा, जिन को नहीं मालूम उनको बता दूं की खाली जगह ही आकाश तत्व है, अगर खाली जगह ना हो तो सब कुछ एकदम डेंस हो जाएगा तथा कुछ भी नहीं बचेगा बिलकुल "ब्लैक होल "की तरह! और आप ना ही किसी का इंटरव्यू ले पाते हैं ना ही कोई वीडियो यूट्यूब डाल पाते हैं और ना ही हम सब्सक्राइबर आपकी वीडियो को देख पाते हैं, यह सब तभी संभव हो पाता है जब आकाश तत्व अस्तित्व होता है 🙏🏻
यह समझने की बात है कि मै कौन हूं जब यह समझ आ जाये कि मै शरीर नहीं हूं तब यह प़श्न ही नहीं उढेगा कि मेरा पुनर्जन्म हुआ है जब म़.त्यु नहीं हो सकती क्योकि जीव अविनाशी है ़शरीर बदलना पड. रहा है अपने कर्मों केअनुसार मात्र यह जानने के लिये कि मै कौन हूं कोई पूछता है किसी से आप कौन है वह कहता है किमै राम या श्यामआदिजबकि यह तो उसका नाम और कोई कहता है मै कलेक्टर हूं मै प़ोफे सर हूं मै मंत्री हूं आदि परन्तु ये सब तो उसके पद हैं ़कहने का मतलब यह हैकिमैकेौन हूं इतना ही नहीं जान पा रहे है औरउपदेशदेने लगे है ं उपदेशक केा यह जानना जरूरी है जानने के बाद उपदेशदेना प़ारंभ करे तो समाज का भला होगा ़केाई बुद्द बनने की बात करता है कोई अम्बेडकरवादी बनने की बात करता और कोई हिन्दु मुसलमान बनने की बात करता है ़मानव बनाने की बात तेा केाई नहीं कर रहा है ़क्योंकि पैदा होने से मानव नही होजाता जब तक उसमे मानव के गुण न हो पूर्व मे साधु संत भिक्षु का यही कार्य होता मानव बनाये़़
मुझे apki जरूरत h क्योंकि me एक अंधभक्त से bhid गया हू haalaki वो मेरे सवाल का जवाब नहीं दे pa रहे लेकिन उनके पास Kushwaha team का support h, to अगर आपका support mile to, thanks
Sonali ji aatma ki bina punerjanm kaise hota hai apko ye batana tha subject badal diya 108(1500)Trushnaye hi Karan hai next birth me sirf aur sirf powerful trishnaye jati hai Aatma ek mithya subject hai Lokiye sampradayo ne aatma ko ajer amer man liya hai or akhir me kahte hai aatma ka permatma me Milan ho jata hai Jab tak jiv apni trushnao ko jan ker nashta nahi ker deta tab tak 31 Loko me ghumta rahga kalpo kalpo Or trishnao ko nashta kerne ka marg bhagwaan budhha ne bataya hai Log avidya me pade hai lobh moh dwesh ki agniyo me pade hai yaha bahoshi or Nasha hai trishnao ka Anitya anatm nashwerta kya samjege namo budhay koshish achhi thi
कोई भी व्यक्ति थोड़ी प्रशिद्धि प्राप्त कर के पूरे दम-खम से किसी व्यक्ति विशेष का नाम लेकर के, किसी पुस्तक का नाम लेके ये कहता है कि इसमे ये लिखा है और ये नहीं लिखा है, ऐसा कहते थे, और ऐसा नहीं कहते थे और हम लोग आसानी से उनकी बातों को मान लेते हैं क्योंकि वो पूरे दम- खम से किसी व्यक्ति विशेष का नाम ले रहा है, किसी विशेष पुस्तक का रेफरेंस दे रहा है और ये लोग जानते हैं कि हमारे लोग ज्यादातर पढ़े लिखे नहीं है, और जो पढ़े लिखें है उनमे से ज्यादातर लोग हमारे बहुजनो द्वारा लिखी गई पुस्तकों को न ही पढ़ते हैं और नहीं सुनते हैं साथ ही ये लोग यह भी जानते हैं कि हमारे कुछ लोग पुस्तक के कुछ गिने चुने पन्नों को ही पढ़ते हैं और ये लोग इसी का फायदा उठाते हैं और ऐसे ही पन्नों के रेफरेंस देते हैं।
हम मे एक गलत आदत ये भी है कि हम लोग ऐसी बातों को सुनना चाहते है, ऐसी चीजों को देखना चाहते हैं, ऐसी पुस्तकों को पढ़ना चाहते हैं, जिसमे कोई चमत्कारीक, मायावी, आदि बातें कही जा रहीं हों, दिखाई जा रहीं हों या लिखी गयी हो।
अतः हमारे बहुजन भाइयों से निवेदन है कि वे ज्यादा से ज्यादा पुस्तकें पढ़ें और पुस्तक को शुरु से अंत तक जरूर पढ़ें और उसके बाद हो सके तो उन पर विचार विमर्श भी करें।
बहुजन साहित्य यूट्यूब चैनल के भैया कहते हैं- "पढ़ने कि आदत को विकसित करें क्योंकि पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया"|
आपका विश्लेषण बोहोत सटीक और तथागत के धम्म आधारित हैं।
एक बार कबीर के गुरु रामानंद के पितरों का श्राद्ध था। रामानंद के पितरों को गाय का दूध बहुत पसंद था। इसलिए उन्होंने कबीर को गाय का दूध लाने के लिए भेजा। रास्ते में कबीर को एक मृत गाय पड़ी मिली। कबीर ने उसके मुंह के पास घास रख दी और दूध का बर्तन लेकर उसके पास खड़े हो गए। काफी देर तक जब कबीर नहीं लौटे तो रामानंद उन्हें देखने निकले। उन्होंने देखा की कबीर एक मृत गाय के पास खड़े है। कबीर बोले, गुरुजी यह गाय न ही घास खा रही है और न ही दूध दे रही है। रामानंद बोले, भला मरी हुई गाय कैसे घास खायेगी और दूध देगी। यह सुनकर कबीर ने उनसे पूछ। जब आज ही मरी हुई गाय घास नहीं खा सकती है और न ही दूध दे सकती है तो बरसों पहले परलोक गए आपके पिता कैसे दूध पीएंगे? यह सुनकर रामानंद निरुत्तर हो गए और उन्होंने कबीर को अपने गले से लगा लिया..
👌🙏
भाई अभी आप कहां फंसे हो कबीर का कोई गुरु नहीं है यह रिसर्च से साबित हो चुका है
@@KhojeeAmit:: कबीर के गुरु रामानंद ही थे। चलो तर्क के लिए मान लेते हैं -रामानंद कबीर के गुरु नहीं थे लेकिन जो उदाहरण दिया गया कि मृत गाय घास नहीं खा सकती,दूध नहीं दे सकती फिर वर्षों पहले मरे हुए व्यक्ति को पिंडदान करें तो उसको कैसे मिलेगा?
Bohot Badhiya 💝💝
सुरेश जी आपको बहत बहुत साधुवाद जो इतने अच्छे कंटेंट ला रहे
Mam bol रही कर्मो के अनुसार बर्थ होता है ऐसा स्वयं तथागत बुद्ध ने कहा है
आपने यह भी कहा की आत्मा नही होती हे
फिर rebirth किसका होता है?
यदि वित्त का रिबीर्थ होता हे तो उसका स्टेटस क्या है
मरते वक्त आदमी का चीत्त अशांत रहना स्वाभाविक है कौंकि कई तकलीफों में आदमी के प्राण निकलते है
आपकी माने की वित्त का रिबीर्थ होता हैं as per buddist aur हिंदू उसे आत्मा मानता है
तो हिंदू ओर बौद्ध में फर्क कहा
बीइंग ए बुडिस्ट आप रिबीथ के लिए सेल्फ कर्म मानते है तो हिंदू भी कर्मो को ही अगले जन्म का आधार बताते है ओर इसलिए bhraman लोग ने की अंपके पिछले जन्म के कर्म ठीक नहीं इसलिए आप शुद्र बनकर तकलीफ पा रहे रहे
आप चित्त का ररिबीर्थ ठिक से समझाए मैं बुद्धिस्ट होते हुए भी मुझे आपकी बाते हिंदूवादी लगती है
कोई फर्क नहीं समाज आता आत्मा के बदले चित्त मनलो तो
इसके अलावा ईश्वर की एक्सिटेंस को न मानो तो there willi be no difference between Hindu And baudh
बुद्ध ने कहा था तर्क करो, परीक्षण करो, अनुभव के आधार पर उसे परखो यदि तुम्हे लगे कि यह बात बहुजन के कल्याण की हैं तब मानो...
सोनाली जी बोल रही हैं इसलिए ना मानिए...
मेरी बात बहुजन कल्याण की ही
बहुत मुश्किल से हमे पुनर्जम्न के चक्रववीव से बाबासाहब ने ओर तथागत ने बाहर निकाला था
आप मैडम का कॉन्टैक्ट no dijiye confirm Karna है की कैसे विचारो का रबीर्थ होता हे यदी आप चित का रिबीर्थ होता हे तो आप कैसे corlate कर सकते है कि पिछले अकुशल कर्म से is जन्म में अपने पिछले चित के फल भोग रहा है
@@WLBSNews आप सही कह रहे हैं।
आपकी रिपोर्टिंग करने का तरीका बहुत ही अच्छा है, रिपोर्टर को हमेसा ऐसा दिखाना चाहिए की वो किसी के बारे से ज्यादा कुछ नहीं जानता और बहुत सारे मत्वपूर्ण प्रश्नो को पूछना चाहिए।
।।जय भीम।।नमो बुद्धाय।।
आप को हर चीज को समझने का बुद्धी चाहिए जो आपके अंदर नहीं है समाज में ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र होते हैं लेकिन यह भी गलत है कि ब्राह्मण का लड़का
ब्राह्मण है और शूद्र का लड़का शूद्र इसे
समझने के लिए भी दर्शन और धर्म दोनों का बारीकी से ज्ञान होना चाहिए
और दूसरी बात हिंदू धर्म कोई अलग नहीं है वह बौद्ध धर्म की महायान शाखा का ही रूपांतरण है
आपण जे मार्गदर्शन केले आहेत ते ज्या व्यक्तीने विपश्यना केली आहे त्यांना आपले विचार निश्चितच फायदा होणार आहे होतोय,
भगवान बुद्धांची शिकवण पाली भाषेत असल्यामुळे अनेक वेळा काही लोकांना पटत नसेल समजतं नसेल,
आपलं अभिनंदन अभिनंदन अभिनंदन
ज्ञानवर्धक जानकारी दी। नमो बुध्दाय 🙏🙏🙏
Sonali ji , I am totally agree with you . It's my request to you please share your abhidhammas knowledge with us , because it's need of today .
चिरं तिट्ठतु बुद्ध सासनं ☸️
May the Buddha's Dispensation endure long.
It's amazing to listen knowledge of buddhism from her. We really want more to learn from her. We want more interview or session from her.
अच्छा विश्लेषण दिया दिदी, पुनर्जन्म नही मनेगागा तो बुद्धाके धर्ममातोंका कभिभी लाभार्थी नहीबानेगा शरण उसकी असंमक है सम्यक श्राद्ध तो प्राथमिकता है
Buddha and his Dhamma.....Author Dr B R Ambedkar
Very Nice Have A Nice Day Friends NAMO BUDDHASS JAI BHEEM JAI BHARAT JAI Savidhan JAI VIGYAN Jago Moolniwasi JAGO BODDHO Namo Buddhass
👌💯%✔️संशोधीत सत्यज्ञान !🇮🇳🙏
जय विज्ञान ! जय संविधान !!🇮🇳✊
प्रबुध्द भारत ! समृध्द भारत !!🇮🇳✊
जयभिम ! जयशिवराय !! जय मुलनिवासी !!! बहुजन हिताय ! बहुजन सुखाय !!🇮🇳🙏✊
Doctor Suresh sabji aap se baat karne ko man kar raha hai aap bahut acchi mehnat karte
धन्यवाद 💐💐💐
बौद्ध धर्म का सारा सिद्धांत पुनर्जन्म पर आधारित है। अगर पुनर्जन्म नहीं है तो निर्वाण का कोई अर्थ नहीं है।
Namo Buddhay Jay Bheem Jay Savidhan Jay Bharat 🕯️🇮🇳☸️🙏
नमो बुद्धाय ! जय भीम🙏🏻
अगर बुध्द का नया जन्म नही होगा तो उनके शरिर के तत्वो का क्या हुआ होगा ? या उनके शरिर के तत्व कहा होंगे ? कृपया ! प्रकाश डाले !🇮🇳🙏✊
chetna anant chetna mai vilin ho gay aur padart urban mai
Please include more of such research in Buddhism. 🙏👍
👍👍👍नमो बुद्धाय
Jai Bheem Jai Bharat Jai Samvidhaan Jai Loktantra. Jai WLBS. Regards Ajay Kumar. Thank You.
बहुत बडिया थँक्स नमो बुध्दाय जय भीम
💯💯💝
सोनाली जी, कहां से पीएचडी कर रही है? सोनाली जी का एक परिचय दें।
साँची विश्वविद्यालय
Very Very Thanks.for explaining of scientific knowledge of lord Buddha. So Excellent. Please explain whole Mahasatipathana & Abhidhampatak in details . Also do explain about of VIPASANA . I greateful to you forever. I wish you Healthy & Happy Successful Life. I continue watching you on UA-cam Regards
namo buddhay Jay Bheem 🙏
Most learned in buddhism
Very well explained
पहली बात की बुध धम्म में पुनर्जन्म नही होता है। यही सत्य है। अत्त दीपो भव
Jai bhim
Buddha dhamma me punar janm hota hai aur iske bare me Babasaheb Ambedkar ne apni book buddha and his Dhamma me bhi baat ki hai.
Lekin buddha dhamma me punar Janam alag hota baki sare dharmo se.
Nammo Buddhay Jai bhim
@@incrediblypractical. जी सही बोले । बुध धम्म में आत्मा का पुनर्जन्म नही होता बल्कि बुध धम्म में एक ही जीवन में भव को प्राप्त करना ही भव कहलाता है दूसरे जन्म वाला कांसेप्ट नही हैं।
Didi Namo buddhaya jaibhim 💐💐💐🙏🙏🙏
Namo budhaya. Buty full dil ko chu leneval spech hai. Sonali didi jo ek bath bhuth acha bola aapne jo kushal aur akushal kam jai bhim namo buddhaya
Namo budhay
Excellent
ताई तु खुप डिप सांगत आहेस.साधु साधु साधु
साधु साधु साधु...
नमो बुद्धाय 🙏🙏🙏
जय भीम 🙏
As we find and introducing ourself as Buddhist and Ambedkarites we must have to study Buddhism, Buddhist material and also study to Babasaheb and therir views. Now these days it's mandatory for us to study it so we can give it to next generations. There are so many confusions introduce while studying it, but it can be resolves by communicating with each other or communicating with experienced expert persons. And for this we need to try our best. There are so many conspiracies done from the time of Bhagwan upto the present time so it's very essential to study pure Buddhism. Buddhism is born and grow in India but the other countries follow it in proper manner because they save pure Buddhism (Dhamma) studied it in a pure way and spread to next generations. Although Buddhism and Dhamma are for all humans in any country it don't have restrictions of countries and all but it's our misfortune that the Buddhist in India the persons call themselves as Buddhist even don't give interest in Buddhism and conspirators gets benefits of it to relate Buddhism with Hinduism so the pure Buddhism get to disappear in India for some time after Maurya and Gupt era due to the conspirators. We must have thankful to all Holy peoples saves and restore pure Buddhism and Dhamma. Thanks to all Holy people to saves and restores the pure Buddhism and Dhamma and spread equality, justice, fraternity and humanity.
- भवतु सब्ब मंगलंग... भवतु सब्ब मंगलंग... भवतु सब्ब मंगलंग...
साधू. साधू..साधू ...
👌
I am also research in buddhism
" उन कही सुनी बातों को अंधविस्वास से कभी मत मान लो, जीन बातों को आपने अनुभव नहीं किया हो या फिर आपको तर्कसंगत नहीं मालूम होती हो "
जानो तभी मान लो, मान लोगे तो जानोगे कहासे? सिवाय जानने के दूसरा कोई उपाय भी तो नहीं है और जानने के बाद थोड़ी ही मानना होता है? बल्की "मान ही लेना होगा" 😂
एक क्षण से दूसरे क्षण मे प्रतिक्षण बहनेवाली शरीर और चित्त का धाराप्रवाह, एस क्षण मरकर ही अगले क्षण जन्म लेता है, यही तो है पुनर्जन्म
एक क्षण आएगा और मर जायेगे ये धारणा ही गलत है, भीतरी सच्चाई तो यही है की क्षण प्रतिक्षण मर रहे है और पैदा हो रहे है, होश के साथ जागरण के अलावा इस दुष्यचक्र के बाहर निकलनेका कोई उपाय नहीं है
"बेहोशी मे मरना छोड़ो और होश मे जीना सिख लो " यही है बुद्ध के देसना
नमो बुद्धाय 🙏 जय भीम
Buddhism m preta kise kehte hain aapko jankari h
Right ✨✨🙏✨✨
बहुत सुंदर लग रहा है, नमो बुध्दाय !
With all due respect, buddha insisted on following our own experience. My experience tells me that if there is no eternal immortal inner self i.e. atman and supreme creator or controller i.e. god or paramatma, then I am awareness i.e.. prajna, the phenomenon of knowing correctly in the right context, arising due to cause and conditions, I become my actions and I continue in the internal and external effect of my actions. I should act rightly because I involuntarily become my actions. I should produce noble effects of my actions because through the effect of my actions I create my own ecosystem and my continuity. When buddha says you are continuously born that means you constantly continue in the effect of actions. I should enjoy my one and only opportunity of life sustainably. Namo buddhaya
NAMO BUDDHA
कर्म की बात को मानता हूँ पर ये पुनर्जन्म वाली बात पर विश्वास करना मुश्किल है आप कही न कही कुछ मिस्टेक कर रहे है
कर्म कोन करता है कर्म हमारा चित्त के द्वारा किया जाता है ।ओर वही चित्त ने जो कर्म किया है वहीं पुनर्जन्म तक ले जाता है और वो चित्त कभी नहीं मरता ।।। पुनर्जन्म के बारे विस्तार से जानने हेतु मुझसे निजी मिल कर वार्तालाप कर सकते है ।। धन्यवाद
Sahi bat hai madam
यह शरीर जिन चार तत्वों से बना हुआ था वह शरीर में से पृथक हो गये,या तब चेतना नहीं रहती,तब कहां जाता है मृत्यु हो गई।जो चारों तत्वों सामूहिक रूप में मौजूद हैं उन में मिल जाते हैं।
Sabi new Buddhist ko pura tripitaka ko padna sahiye. Science journey ki tra adura gyan leke logo ko baramit karte hai , tripitaka ka lekha bata k logo se debt karte hai. Wo kabi mante nahi rebirth. Bahanji ka gyan hame acha laga, rebirth or karampal hamare tripitaka me hai.
right sister
Namo Buddhay
All Right ansar
तत्वोंका बार बार आनाही,
पुनरजन्म है.
Because energy can not loss
It modifide one form to another
form.
Jay Bhim.
Namo Buddhay.
100% Right Sadhu Sadhu Sadhu
Bahut Sundar 👍👍👍👍👍👍👌👍
सोनालिजी को बहुत बहुत साधुवाद! पुणजन्म बहुत पेचीदा विषय है। कृप्या इसमें ना जाए। हिन्दी या अंग्रेज़ी भासा से बुद्धवचन समझना कठिन है। व्यक्ति को अपना विकास में बुद्धवचन कैसे सहायक होगा यह बताए। धन्यवाद
Mam to Aap dhyan Sadhana ya any kisi tarike se app pichle janm main kon the ye bata sakte he ??
Best information
Sonali didi thanks namo buddhaya Jai bhim
कोटि कोटि प्रणाम दीदी जी
पुनर्जन शरीर का विचारों का और तत्वों का होता है
Namo tassa bhagvato arhato samma sambuddhus namo buddhay Jai bhim jai bharat
Punar janam hai. Lekin Buddhism mei bataye huve punar janam oor Brahmanism ki punar jam mei antar hai.
Ye antaar nahi, tumhari murkhata he jo tum buddha ko hindu se alag mante ho
Excellent Sonali Ji. Please Continue your blogs . . Regards
Sister you are right. Please aap mahilao me jagrukta lane me aap ka gyan use kare. Aap ki jarur hai.
Jay Bhim ☸️ Namo Buddhay ☸️
Bilkul Sahi Baat Kahi Hai ...
इनको गौतम बुद्ध का सही नाम तक पता नही, बुद्ध का नाम सुगत है सिद्धार्थ नही
11:54 11:54 11:54
🙏🙏🙏🙏🙏☸Namo Buddhay☸🙏🙏🙏🙏🙏
मॅडम ne जो बताया बराबर है ईश्वर आत्मा ऐसा कूच भी नही सब कर्म or संस्कारोका खेल हैं
नागसेन का मिलिन्दपन्हो पढिये।1: मरण के बाद आत्मा नाम की कोई चीज नही है यह हीनयान थेरवाद है । 2:जो पुनर्जन्म मानते है वे महायानी ब्राह्मण वाद है जो अनियत है ,आत्मसमोहन है जो मिथ्या धारणा ब्रह्मजाल है। दीघनिकाय "ब्रह्मजाल सुत्त " पढिये।कनिष्क काल मे पुनर्जन्म वाद महायान मे जोङा गया है।मै ने भी रिचर्स की है। ---पंच आगम बौद्धागार मिशन प्रिथियस
या विज्ञानमात्रतासिद्दि पढिये (जब बुद्ध ने पंचस्कंध को नाशवान कहा है तो आत्म अस्तित्व की बात करना ही मुर्खतापुर्ण समझदारी है)---वसुगुप्त रचित
धर्म कोई भी हो वह हमें भ्रम में डालता है किंतु धम्म हमें विज्ञान की दिशा में ले जाता है जो बल्ब जलता है ट्रेन चलता है और जहाज उड़ता है तत्व 117 से अधिक है किंत धर्म वाले जानने नहीं देते है वह पुरानी किताबों में लिखी हुई बात को हमारे सर पर थोपते हैं
इन्होंने जो भी बताया या समझाया वो सब आचार्य एस. एन. गोयनका जी ने विपश्यना के शिविर में बताया है। अपना कोई शोध कार्य नहीं लग रहा।
Actually what she is telling is absolutely true, even S.N Goenka guruji also says this stuff because it's in Tipitaka, then how can you say she is quotting Goenkaji, all this is there in Tipitaka and both of them properly understands Buddha's Dhamma very well. As a truth seeker you shouldn't pin point anyone first check yourself what reference she's giving or what Buddha has preached analyze those things carefully and then later it's upto you whether accept it or not....but before that don't criticize anyone 🙏🙏🙏🙏
आत्मा को नहीं मानते तो निर्वाण किसका होता है?
यदि पुनर्जन्म भी नहीं होता तो भी निर्वाण किसका होता है?
😂😂😂😂😂 हाहहा
Very nice thanks 👌
Sonali ji ki kya baat hai Namo buddhay Jay Bheem
Mast 🙏👌
Ma"am
Ji app galat information spread kartai hoo, app galat hoo
sonalee ji is verry knowledgeable
Sonali death ka dad Sanskaar ka home kha hai. Pl discuss.
सोनाली जी नमो बुद्धाय।
कृपया पुनर्जन्म और पुनर्भव का भेद बताएं।
कोई बताएगा की भगवान बौद्ध पर्श्व भाग से कैसे पैदा हुए ,और स्त्री एवं पुरुष के स्त्री लिंग और पुलिंग चावल खाने से कैसे उगे???
There are cases which were examined thoroughly with regard to this topic,however ho na ho,we have no control over all this ,si accept what Almighty bestows upon us, enlightened persons say, people are talking.
Very nice . Sonali. I am 72 years old. I have embraced Buddhism in 1995 , after reading Dr.Ambedkar's life. Since then I am practicing Vipassana from Igatpuri. Yet I am in some confusion regarding the function of partisanship re linking consciousness, syutisyuta consciousness and Bhavanga consciousness at the moment of death.
I want to know which defilement citta is continued to next birth that is responsible for good or bed karma. Pl try to explain it for me. I am from Assam. D.Roy.
there is no such thing as karma or getting fruits of karma in next birth.
please don't believe in such stupid things.
buddhism is just scam.
nobody knows what happens during or after death.
nobody knew back then what happens after we die.
Thugs just brainwashed people after creating mumbo jumbos regarding the birth and presented it to the masses to get fame and wealth.
Buddha was just a scam artist. or maybe he was just delusional.
stick to modern science only.
don't waste time in made- up rebirth cycle , nirvana, etc.
-- the sufferings can never be ended with Buddha's ways.
The sufferings which u call are just part of life. sometimes which are born of tragedies.
The guy (Gautam buddh) who lived a luxurious life got bored with his kingdom and became a recluse just to preach people that he had found some " path" to the liberation from all sufferings in this life.
you can find such men in today's business world too who come to india to spread or practice their spirituality.
The buddha who had no idea how mind works, and how to calm it when someone is in distress , is talking of removal of all sufferings from people's Lives??
Ambedkar must have chosen the buddh because he thought Budhism was always against the Varna system. The core philosophy of buddhism will at least deliver the untouchables.
Ambedkar only fooled himself I would say in doing so .
Though he would be great forever, but what he gave to his people is actually devastating and confusing in the long run
Ambedkar didn't practice Vipassana.
Ma"am paswan sir ji Koo book send kiya hai
The vedna, kaaya, chitt and then dhammanupassana, to understand the re-birth one has to go thru the teachings and the meditation technic called "Dhyanadhiraj Vipassana" in tradition of Sir Sayaji U Ba Khin and Kalyanmitra Shri S.N.Goenkaji.
नमो बुध्दाय....
Adura gyan ,(Science journey) chennal, kabi mante nahi rebirth or karam pal. Adura gyan leke buddh ka kahena bata logo se debit karte hai ki rebirth or karampal nahi hote hai. Ajkal new Buddhist lok nahi mante rebirth or karampal,
Please explain about Concept SHIRAD. on Buddhisim. Ten Parmitayein in details pl. Also let me convey that How to follow daily routine in order to go before VIPASANA. So that a actual great experience can be achieved. Pl Guide me. Yours golden words is being discussing among beloved and appreciated by them. Regards
Here is not god and born first and death first disattach world
Good
During Bippasana sir sa pao tak what is actual mean ing of Badana.
सोनाली जी ने सब कुछ ठीक कहा पर, पंचमहाभूतो (तत्वों )की जगह चार महाभूतों को ही बताया, जबकि पांचवा तत्व आकाश है, और यह आकाश तत्व ना हो तो इन चारों तत्वो का अस्तित्व hi नहीं रहेगा, जिन को नहीं मालूम उनको बता दूं की खाली जगह ही आकाश तत्व है, अगर खाली जगह ना हो तो सब कुछ एकदम डेंस हो जाएगा तथा कुछ भी नहीं बचेगा बिलकुल "ब्लैक होल "की तरह!
और आप ना ही किसी का इंटरव्यू ले पाते हैं ना ही कोई वीडियो यूट्यूब डाल पाते हैं और ना ही हम सब्सक्राइबर आपकी वीडियो को देख पाते हैं, यह सब तभी संभव हो पाता है जब आकाश तत्व अस्तित्व होता है 🙏🏻
जेंडर याद में स्वर्ग को नहीं जा सकता है मुर्दा मृत्युलोक में नहीं आ सकता है तो कैसे पता चलेगा पुनर्जन्म होता है कि नहीं होता है
यह समझने की बात है कि मै कौन हूं जब यह समझ आ जाये कि मै शरीर नहीं हूं तब यह प़श्न ही नहीं उढेगा कि मेरा पुनर्जन्म हुआ है जब म़.त्यु नहीं हो सकती क्योकि जीव अविनाशी है ़शरीर बदलना पड. रहा है अपने कर्मों केअनुसार मात्र यह जानने के लिये कि मै कौन हूं कोई पूछता है किसी से आप कौन है वह कहता है किमै राम या श्यामआदिजबकि यह तो उसका नाम और कोई कहता है मै कलेक्टर हूं मै प़ोफे सर हूं मै मंत्री हूं आदि परन्तु ये सब तो उसके पद हैं ़कहने का मतलब यह हैकिमैकेौन हूं इतना ही नहीं जान पा रहे है औरउपदेशदेने लगे है ं उपदेशक केा यह जानना जरूरी है जानने के बाद उपदेशदेना प़ारंभ करे तो समाज का भला होगा ़केाई बुद्द बनने की बात करता है कोई अम्बेडकरवादी बनने की बात करता और कोई हिन्दु मुसलमान बनने की बात करता है ़मानव बनाने की बात तेा केाई नहीं कर रहा है ़क्योंकि पैदा होने से मानव नही होजाता जब तक उसमे मानव के गुण न हो पूर्व मे साधु संत भिक्षु का यही कार्य होता मानव बनाये़़
Meni meni thanks namo buddhaya Jai bhim
Buddha and his Dhamma me Babasaheb ne likha. Mata Mahamaya ko sapna aaya mai Sumedh Bodhistv apna aakhari janm le rha hu kya tum meri mata banogi.
मुझे apki जरूरत h क्योंकि me एक अंधभक्त से bhid गया हू haalaki वो मेरे सवाल का जवाब नहीं दे pa रहे लेकिन उनके पास Kushwaha team का support h, to अगर आपका support mile to, thanks
Aap Rational World par aaiye aur puchh lijiye sawal
साधु साधु साधु
Please explain rebirth
Sonali ji aatma ki bina punerjanm kaise hota hai apko ye batana tha subject badal diya
108(1500)Trushnaye hi Karan hai next birth me sirf aur sirf powerful trishnaye jati hai
Aatma ek mithya subject hai
Lokiye sampradayo ne aatma ko ajer amer man liya hai or akhir me kahte hai aatma ka permatma me Milan ho jata hai
Jab tak jiv apni trushnao ko jan ker nashta nahi ker deta tab tak 31 Loko me ghumta rahga kalpo kalpo
Or trishnao ko nashta kerne ka marg bhagwaan budhha ne bataya hai
Log avidya me pade hai lobh moh dwesh ki agniyo me pade hai yaha bahoshi or Nasha hai trishnao ka
Anitya anatm nashwerta kya samjege namo budhay koshish achhi thi