दयाल दास के शिष्य और संत रामपाल जी के शिष्य की हुई ज्ञान की टक्कर | Sant Rampal Ji Maharaj

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  • Опубліковано 16 лис 2024

КОМЕНТАРІ • 26

  • @sanjaykatiyar6279
    @sanjaykatiyar6279 Місяць тому +3

    जय हो बन्दी छोड़ सतगुरू संत रामपाल जी महाराज जी की जय हो।

  • @ParamSatyaParameshwer
    @ParamSatyaParameshwer Місяць тому +2

    Great True Spiritual Knowledge in the world 🌍🌍

  • @munnalal-ui6lb
    @munnalal-ui6lb Місяць тому

    ❤❤ डंके की चोट ❤❤❤❤❤
    सतलोक की भक्ति पूर्ण भक्ति नहीं है सतलोक की मुक्ति अखंड मुक्ति नहीं है सतलोक का ज्ञान पूर्ण ज्ञान नहीं है सतलोक का गुरु पूर्ण गुरु नहीं है।
    क्योंकि सतलोक भागवत प्रमाण से प्राकृतिक प्रलय में उड़ जाएगा।❤❤

  • @munnalal-ui6lb
    @munnalal-ui6lb Місяць тому

    ❤❤❤❤❤ सतलोक सतलोक के परमेश्वर मुक्तिदाता और सतलोक के भक्त भगवत प्रमाण से प्राकृतिक कर लेना उड़ जाएंगे❤❤

  • @ParamSatyaParameshwer
    @ParamSatyaParameshwer Місяць тому +1

    Purn Permeshwar Kabir Saheb Ji Ki Jay Ho 🙏🌹

  • @lakshmantatma5293
    @lakshmantatma5293 Місяць тому

    Sant Rampal Ji Maharaj ji ki Jay ho 🙏👌👍🎉

  • @bhagwannayak-vt5iq
    @bhagwannayak-vt5iq Місяць тому +2

    Satguru Rampal Ji Maharaj Guru hain aur Samaj ke Sevak hai

  • @Anildas-qg9hx
    @Anildas-qg9hx Місяць тому

    बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान जी की जय हो सत्संगी सत भक्ति करने के लिए गुरु बनाना ही पड़ेगा भैया जी 🙏🏻

  • @SanjayDas-t4u
    @SanjayDas-t4u Місяць тому

    कबीर, गुरु बड़े हैं गोविन्द से, मन में देख विचार।
    हरि सुमरे सो वारि है, गुरु सुमरे होय पार।।
    कोटि कोटि सिजदा करूं, कोटि कोटि प्रणाम।
    चरण कमल में राखियो, मैं बांदी जाम गुलाम।।
    कबीर, यह तन जावेगा, सके तो ठाहर लाए।
    एक सेवा कर सतगुरु की, और गोविंद के गुण गाए।।👏

  • @sangeetajharee908
    @sangeetajharee908 Місяць тому

    Parmatma ka sacha gyan only Sant Rampalji maharaj ji ke paas hai, satsang ke madhyam se tattvgyan milega.

  • @BhaiBhai-qj9cr
    @BhaiBhai-qj9cr Місяць тому

    સંતૃ સાહેબ🙏🪔🌹 સંતૃ સાહેબ🙏🪔🌹

  • @sundarpanchal4455
    @sundarpanchal4455 Місяць тому

    ❤❤❤❤

  • @YogendraRawal-dr3fw
    @YogendraRawal-dr3fw Місяць тому +1

    Kabir,Hari Krupa te,manush janam pawa,guru Krupa te Mox tan pawa, adhik jankari ke liye padhe pustak Gyan ganga.

  • @munnalal-ui6lb
    @munnalal-ui6lb Місяць тому

    ❤❤❤❤❤ यह कैसा तत्वदर्शी मुक्तिदाता बना हुआ है जो वेदों से गीता से पूर्ण ब्रह्म घोषित करनाचाहता है। लेकिन कबीर जी क्या कह रहे हैं उसका इसे पता ही नहीं है।
    वेद थके ब्रह्मा थके थक गए शेष महेश। गीता को जहां ग़म नहीं वह सद्गुरु का देश।।❤❤

    • @TrueSanatanist
      @TrueSanatanist Місяць тому

      @@munnalal-ui6lb आखिर आप कहना क्या चाहते है महोदय ?
      गीता जी अध्याय 4 श्लोक 34 में एक दृष्टिकोण डालिये...
      आपके अंतःकरण में सभी कुंठित दुर्विचारों का झमेला विलुप्त हो जायेगा।
      *“संत रामपाल जी महाराजजी” स्वयं वही तत्त्वदर्शीसंत हैं जो गीता जी अ० 4 श्लो० 34 में स्पष्ट लिखा हुआ हैं।*

    • @munnalal-ui6lb
      @munnalal-ui6lb Місяць тому

      @@TrueSanatanist हम यह कहना चाहते हैं विश्व परमात्मा को वेद नहीं जानते गीता नहीं जानती त्रिदेव नहीं जानते उसे परमात्मा के लिए कबीर जी डंके की चोट से आवाहन कररहे हैं।
      वेद थके ब्रह्मा थके थक गए शेष महेश। गीता को जहां ग़म नहीं वह सद्गुरु का देश।।
      और तुम्हारे तत्वदर्शी मुक्तिदाता वेदों से गीता से पूरनपुर को सिद्ध कर रहे हैं। यह कबीर जी के विरुद्ध है।

    • @TrueSanatanist
      @TrueSanatanist Місяць тому

      @@munnalal-ui6lb यह कबीर परमेश्वर के विरुद्ध नही हैं बल्कि वैश्विक जगत में जिन्हें भी भगवान व मोक्ष के प्रति असीम आस्था होंगी तो वो *“सन्त रामपाल जी महाराजजी”* के चरणों में आकर अपना कल्याण करवायेंगे और जिन्हें सांसारिक सुख - दुःखों को भोगते हुए भी मोक्ष की चाहत नहीं हैं, तो उनके लिए सृष्टि निर्धारित 84 लाख योनियों में असंख्यो कष्टों के द्वार खुले हुए हैं।

  • @munnalal-ui6lb
    @munnalal-ui6lb Місяць тому

    ❤❤❤❤❤ सतलोक में कबीर जी नहीं रहते सतलोक भागवत प्रमाण से प्राकृतिक प्रलय में उड़ जाएगा सावधान जिसे सतलोक कहते हैं वह भी झूठ लोक है ऐसा यह ब्रह्मांड है।❤❤

    • @TrueSanatanist
      @TrueSanatanist Місяць тому

      @@munnalal-ui6lb *गीता अध्याय १८ श्लोक ३२ में स्वयं गीता ज्ञानदाता कह रहा हैं कि “हे भारत! (तू) सब प्रकार से उस परमेश्वर की शरण में ही जा!उस परमात्मा की कृपा से (ही तू) सनातनपरमधाम (सतलोक) को प्राप्त होगा।”*

    • @munnalal-ui6lb
      @munnalal-ui6lb Місяць тому

      @@TrueSanatanist गीता परमात्मा की शरण में जाने की बात करती है लेकिन वह परमात्मा कौन है उसका गीता को पता नहीं है 15 वा अध्याय 16 श्लोक क्षर अक्षर इन दोनों से पर उत्तम पुरुष है। लेकिन उसे उत्तम पुरुष की क्या लीला है क्या स्वरूप है क्या धाम है वह गीता में वर्णननहीं है। तभी तो कबीर जी नेकहा है।
      वेद थके ब्रह्मा थके थक गए शेष महेश। गीता को जहां ग़म नहीं वह सद्गुरु का देश।।

  • @munnalal-ui6lb
    @munnalal-ui6lb Місяць тому

    ❤❤❤❤❤ अब मोक्ष प्राप्त करने की कोई भी जरूरत नहीं है अब अखंड मोक्ष प्राप्त करने के लिए का समयआ गया है। जिसका ज्ञान वेदों को नहीं है गीता को नहीं है त्रिदेव को नहीं है।
    उसी के लिए डंके की चोट से कबीर जी आह्वान कर रहे हैं।
    वेद थके ब्रह्मा थके थक गए शेष महेश। गीता को जहां ग़म नहीं वह सद्गुरु का देश।।❤❤

    • @TrueSanatanist
      @TrueSanatanist Місяць тому

      @@munnalal-ui6lb *“कवि: अर्थात् कविर्देव” सर्वमान्य हैं !*
      *वेदों में प्रमाण हैं - “कबीर साहेब” भगवान हैं।*

    • @munnalal-ui6lb
      @munnalal-ui6lb Місяць тому

      @@TrueSanatanist कविदेरय से कबीर दास नहीं होता। यह संस्कृत का शब्द है। यह मंद घनत्व वेदों में नहींचलेगी।

    • @TrueSanatanist
      @TrueSanatanist Місяць тому

      @@munnalal-ui6lb *कबीर परमात्मा ने पहले ही अपनी अमरवाणी में तर्क दे चुके हैं;-*
      *सतयुग में “सतसुकृत” कह टेरा, त्रेता नाम “मुनींद्र” मेरा।*
      *द्वापर में “करुणामय” कहाया, कलयुग नाम “कबीर” धराया।।*
      *निर्देश : अज्ञानतावश गलतफहमी हो सकती हैं कि ‘कबीर’ शब्द तो इस्लामिक या अरबी नाम हैं , लेकिन वह कबीर परमात्मा इस युग में सर्वधर्मों का कल्याण करेंगे इसीलिए उन्होंने सोच - समझकर ही कलयुग में अपना नाम “कबीर” रखें हुए हैं, उनका मुख्य उद्देश्य “सनातन धर्म” प्रतिष्ठित करना हैं।*

  • @munnalal-ui6lb
    @munnalal-ui6lb Місяць тому

    वेदों से गीता से पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद अल्लाह वाहेगुरु गॉड का ज्ञान नहीं मिलता। यह बात कबीर जी ने स्पष्टकर दी है।
    वेद थके ब्रह्मा थके थक गए शेष महेश।
    गीता को जहां ग़म नहीं वह सद्गुरु का देश।।
    वेदों में गीता में निराकार साकार काज्ञान है जिससे मुक्ति मिलती है। लेकिन मुक्ति की भी अवधि है। सतयुग आदिसे दुनिया में निराकार साकार का ही ज्ञान था।
    लेकिननिराकार साकार माया है यजुर्वेद का मंत्र है संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है यजुर्वेद अध्याय ४०मंतर९ है।
    कलयुग में निराकार साकार का ज्ञान नहीं आया। कलयुग में पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद अल्लाह वाहेगुरु गॉड का ज्ञान आया है और अखंड मोक्ष आया है। जो किसी युग में नहीं था। इसलिए कलयुग चारों युगों मेंमहान है।❤❤