┈┉═❀๑⁂❋⁂๑❀═┉┈ त्रिजटा सन बोलीं कर जोरी। मातु बिपति संगिनि तैं मोरी ॥ तजौं देह करु बेगि उपाई। दुसह बिरहु अब नहिं सहि जाई ॥ १ ॥ भावार्थ: सीता जी हाथ जोड़कर त्रिजटा से बोलीं- हे माता ! तू मेरी विपत्ति की संगिनी है। जल्दी कोई ऐसा उपाय कर जिससे मैं शरीर छोड़ सकूँ। विरह असह्य हो चला है, अब यह सहा नहीं जाता ॥ १ ॥ ┈┉═❀जय श्रीराम❀═┉┈
माताश्री प्रणाम चरण स्पर्श जय जय श्री सीताराम जय जय श्री राधेश्याम 🙏🙏🙏🙏🙏
🕉हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉
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त्रिजटा सन बोलीं कर जोरी। मातु बिपति संगिनि तैं मोरी ॥
तजौं देह करु बेगि उपाई। दुसह बिरहु अब नहिं सहि जाई ॥ १ ॥
भावार्थ:
सीता जी हाथ जोड़कर त्रिजटा से बोलीं- हे माता ! तू मेरी विपत्ति की संगिनी है। जल्दी कोई ऐसा उपाय कर जिससे मैं शरीर छोड़ सकूँ। विरह असह्य हो चला है, अब यह सहा नहीं जाता ॥ १ ॥
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