(JSM) ।। महफिल नाटी ।। सिरमौरी घीह।। पहाड़ी कल्चर।। ।। महफ़िल किंग हरिचंद शघड़ाई।।

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  • Опубліковано 15 вер 2024
  • तो एक बार फिर से लेके आ गए है नई वीडियो ✨
    यह पहाड़ी गीह हमारे गिरिपार क्षेत्र के संस्कृति का हिस्सा है जो की इस वीडियो मै पिरोया है श्री हरिचंद जी के द्वारा ।। हरिचंद जी हमारे पहाड़ी क्षेत्र के मशहूर कलाकार है ।। इन्होंने हमारे पहाड़ी संगीत को काफी हद तक जन्मा है ।। हमारी संस्कृति को अभी तक लोगो के दिलो मैं ज़िंदा रखा है । ❤️🙏
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    हिमाचल प्रदेश के प्रमुख लोक नृत्य-
    1. नाटी (Naati):
    नाटी, हिमाचल के मध्य क्षेत्रों का देश प्रसिद्ध सामूहिक नृत्य है, जिसे शिमला क्षेत्र में “गी” या “माला” भी कहा जाता है। नाटी में स्त्री-पुरुष, बच्चे-बूढ़े सभी भाग ले सकते हैं। सभी एक-दूसरे का हाथ पकड़कर पैर आगे पीछे रखते हए और गाने की लय के अनुसार शरीर के अन्य अंगों को हिलाते हुए नाचते रहते हैं। बीच में आग जलाई जाती है और उसके चारों ओर नृत्य चलता रहता है। क्षेत्र और अभिनय के लिहाज से नाटी के लुड्डी, ढीली-नाटी, फटी-नाटी, देहरी-नाटी, बुशैहरी-नाटी, बाहड़-नाटी। कड्थी-नाटी, लाहौली, बखैली, खरैत, गड्भी, दयोखल और जोण-नाटी आदि प्रमुख नाटी हैं।
    2. कड़थी (Karthi):
    कड़थी, कुल्लू की मशहूर नाटी है, जो चांदनी रात में खरीफ फसल के बाद खुले में आयोजित की जाती है। पहले इसका आरम्भ धीमे-धीमे किया जाता है और पूर्ण गति प्राप्त करने पर स्त्रियां अपना-अपना नृत्य साथी चुनकर नाटी नृत्य करती है।
    3. घुघटी (Ghughti):
    यह लोक-नृत्य किशोरों के मध्य क्षेत्रों में लोकप्रिय है। इसमें नर्तक एक दूसरे के पीछे खड़े होते हैं। पीछे वाले आगे वाले के कोट को नीचे से एक किनारे से पकड़ते हैं। टोली का नेता ‘घघटी’ गीत गाता है और टेढ़े-मेढे तरीके से आगे की ओर झुकता है। शेष उसका अनुसरण करते हैं।
    4. बिड़सु (Birus):
    यह शिमला के ऊपरी भाग और सिरमौर के पूर्वी भाग का प्रसिद्ध लोक नृत्य है। यह नृत्य प्राय: मेलों के समय खंडों द्वारा किया जाता है। खंड, खशों की एक बलप्रिय टोली है। जब वे किसी मेले में जाते हैं तो इकट्ठे होकर रास्ते में नाचते हैं। इनके हाथ में तलवारें, डंगरे, लाठी खुखरी या रूमाल होते हैं। साथ में ढोल और रणसिंगा बजाते चलते हैं। रात के समय नर्तक यह नृत्य करते समय हाथ में मशालें लेते हैं। जब वे मेले में पहुंचते हैं तो थोड़ी देर तक नृत्य करके बिछुड़ जाते हैं। शाम को वापिसी पर फिर नृत्य करते हुए वापस आते हैं।
    5. बुड़ाह नृत्य (Burah Dance):
    यह सिरमौर में किया जाने वाला प्रसिद्ध लोक-नृत्य है जो दीवाली या अन्य उत्सवों के समय 10-15 आदमियों की टोली द्वारा सामूहिक तौर पर किया जाता है। 4-5 आदमी हुड़की (वाद्य यंत्र) बजाते हैं और शेष डांगरों को हाथ में लिये गीत गाते हुये नाच करते हैं। इन गीतों में वीर-गाथाओं का वर्णन होता है, जिनमें सिद्ध और उसके गढ़ का गीत अधिक लोकप्रिय है। रासा और क्रासा सिरमौर के अन्य प्रसिद्ध लोक-नृत्य हैं, जो नाटी से मिलते-जुलते हैं।
    6. डांगी व डेपक (Dangi or Depak):
    ये चम्बा के छतराड़ी इलाके के लोक-नृत्य हैं। डांगी नाच गद्दी औरतों का सामूहिक नृत्य है, जो “जातरा” या मेलों में किया जाता है। डेपक नृत्य तब किया जाता है, जब गद्दी अपनी भेड़-बकरियां लेकर कांगड़ा की ओर चलती हैं।
    7. पांगी का फुल-यात्रा नृत्य:
    यह नृत्य पांगी की औरतों द्वारा पहला हिमपात होने से पूर्व किया जाता है। नृत्य ‘घरेई’ चाल से आरम्भ होता है, जबकि नर्तक एक दूसरे को काटती हुई पंक्तियों में नृत्य-स्थान में प्रवेश करते हैं और उसके बाद हाथ पकड़ कर गोलाकार में नाचना शुरू करते हैं। घुटनों को झुकाते हुये एक कदम आगे और पीछे लिया जाता हैं। किन्नौर को किन्नरों की भूमि होने के कारण नृत्यों का घर ही कहा जाता है। यहां के नृत्यों में बौद्ध और हिन्दू दोनों का समावेश हुआ है।
    8. कायांग (Kyang):
    यह किन्नौरों का प्रसिद्ध लोक नृत्य हैं। इसमें मर्द और औरतें अर्द्ध-वृत्त बनाते हैं और बाजको (यंत्र बजाने वाले) मध्य में खड़े होते हैं। पुरुषों की टोली का एक वृद्ध परुष और स्त्रियों की टोली की एक वृद्ध स्त्री नेतृत्व करती हैं और वाद्य द्वारा निश्चित की गई धुनि के अनुसार कदमों की चाल रखते हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपने से तीसरे का हाथ पकड़ता है। टोली का नेता हो-हो पर सारे आगे को आधा झुकते हैं टोली के दो आदमी लोक-गीत गाते हैं, जिनका शेष सभी अनुसरण करते है।
    9. बाक्यांग (Bakayand):
    यह किन्नौर का दूसरी किस्म का नृत्य है जिसमें नर्तक एक दूसरे के सामने दो या तोन पंक्तियां बनाते हैं। एक पंक्ति के नर्तक लयात्मक तरीके से नाचते हुए पीछे हटते हैं और सामने की पंक्ति के आगे आते हैं। बारी-बारी यह क्रम दोहराया जाता है। यह नृत्य आमतौर पर स्त्रियों द्वारा किया जाता है।
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    thanku 🙏
    jai shree madan 🙏❤️

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