सही जन्मसमय या जन्मदिन ज्ञात न हो, तो कुंडली कैसे बनेगी? Dr. Madhusudan [Ep. 08] Vikas Tripathi Show

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  • Опубліковано 8 вер 2024
  • अगर किसी व्यक्ति की कुंडली नहीं हो, तो भी ज्योतिषीय गणनाएँ की जा सकती हैं। इसके लिए ज्योतिषी को कुछ महत्वपूर्ण जानकारी की आवश्यकता होती है:
    जन्म तारीख (Date of Birth): व्यक्ति का जन्म दिन, महीना और साल।
    जन्म समय (Time of Birth): व्यक्ति का जन्म किस समय हुआ था।
    जन्म स्थान (Place of Birth): व्यक्ति का जन्म किस स्थान (शहर, गाँव, या किसी अन्य स्थान) पर हुआ।
    इन तीन महत्वपूर्ण जानकारी के आधार पर ज्योतिषी कुंडली बना सकते हैं। कुंडली बनाने के बाद विभिन्न ग्रहों की स्थिति, राशियों और भावों का अध्ययन करके ज्योतिषीय गणनाएँ की जा सकती हैं।
    अगर यह जानकारी भी उपलब्ध नहीं है, तो भी कुछ अन्य विधियाँ हैं जो ज्योतिषी उपयोग कर सकते हैं:
    प्रश्न कुंडली (Prashna Kundali): यह एक विधि है जिसमें प्रश्न पूछे जाने के समय के आधार पर कुंडली बनाई जाती है और उस समय की ग्रह स्थिति का विश्लेषण किया जाता है।
    नाम राशि (Name Rashi): व्यक्ति के नाम के आधार पर राशि का निर्धारण किया जाता है, जो कुछ हद तक कुंडली की जानकारी प्रदान कर सकता है।
    अंक ज्योतिष (Numerology): जन्म तारीख और नाम के आधार पर अंक ज्योतिषीय विश्लेषण किया जाता है।
    इस प्रकार, कुंडली की अनुपस्थिति में भी ज्योतिषी विभिन्न तरीकों से ज्योतिषीय गणनाएँ कर सकते हैं और व्यक्ति को सलाह दे सकते हैं।
    ज्योतिषीय गणना करने के और भी तरीके हैं:
    1. नाड़ी ज्योतिष (Nadi Astrology):
    नाड़ी ज्योतिष एक प्राचीन भारतीय प्रणाली है जिसमें प्राचीन ऋषियों द्वारा लिखी गई पांडुलिपियों का उपयोग किया जाता है। यह माना जाता है कि इन पांडुलिपियों में हर व्यक्ति का भविष्य दर्ज है। ज्योतिषी व्यक्ति के अंगूठे की छाप के आधार पर सही पांडुलिपि की पहचान करते हैं और भविष्यवाणी करते हैं।
    2. हस्तरेखा ज्योतिष (Palmistry):
    हस्तरेखा ज्योतिष में व्यक्ति के हाथ की रेखाओं, अंगुलियों, और हथेली के अन्य चिन्हों का अध्ययन करके भविष्यवाणियाँ की जाती हैं। यह विधि व्यक्ति की जन्म जानकारी के बिना भी उपयोग की जा सकती है।
    3. चंद्र राशि (Moon Sign):
    चंद्र राशि का निर्धारण व्यक्ति के नाम के आधार पर किया जा सकता है। विशेषकर भारत में यह विधि बहुत प्रचलित है, जहाँ नाम के पहले अक्षर के आधार पर चंद्र राशि निकाली जाती है।
    4. तार्किक ज्योतिष (Horary Astrology):
    प्रश्न ज्योतिष का एक प्रकार तार्किक ज्योतिष है, जहाँ किसी विशेष प्रश्न का उत्तर देने के लिए उस समय की ग्रह स्थिति का अध्ययन किया जाता है जब प्रश्न पूछा गया था।
    5. स्वर ज्योतिष (Swar Shastra):
    स्वर शास्त्र एक प्राचीन भारतीय ज्योतिषीय प्रणाली है जो व्यक्ति के श्वास (सांस) के आधार पर भविष्यवाणी करती है। इसमें व्यक्ति के श्वास की दिशा और लय का अध्ययन किया जाता है।
    6. टैरो कार्ड रीडिंग (Tarot Card Reading):
    टैरो कार्ड रीडिंग एक अन्य पद्धति है जिसमें टैरो कार्ड का उपयोग करके भविष्यवाणियाँ की जाती हैं। इसमें व्यक्ति की स्थिति और प्रश्न के आधार पर कार्ड्स का चयन किया जाता है और उनके आधार पर भविष्यवाणी की जाती है।
    7. अंक ज्योतिष (Numerology):
    अंक ज्योतिष में व्यक्ति की जन्म तारीख और नाम के आधार पर अंक गणना की जाती है। इसमें अंक विशेष महत्व रखते हैं और इनका विश्लेषण करके भविष्यवाणियाँ की जाती हैं।
    8. स्वप्न विश्लेषण (Dream Analysis):
    स्वप्न विश्लेषण में व्यक्ति के स्वप्नों का विश्लेषण करके भविष्यवाणियाँ की जाती हैं। स्वप्नों में देखी गई घटनाओं, प्रतीकों और भावनाओं का अध्ययन किया जाता है।
    9. लाल किताब (Lal Kitab):
    लाल किताब एक अद्वितीय ज्योतिषीय प्रणाली है जो रत्नों, यंत्रों और टोटकों का उपयोग करके उपाय प्रदान करती है। इसमें जन्म समय की जानकारी की आवश्यकता नहीं होती है।
    इन विधियों के माध्यम से, ज्योतिषी व्यक्ति के भविष्य और वर्तमान स्थिति का विश्लेषण कर सकते हैं और उसे उचित सलाह दे सकते हैं।
    विकास त्रिपाठी शो के इस आठवें एपिसोड में हमने बात की CSIR के वैज्ञानिक और बायोटेक्नोलॉजी के पूर्व प्रोफेसर ‪@Astro-Scientist‬ डॉ. मधुसूदन उपाध्याय जी से, जिन्होंने इस विषय में अपने विचार प्रस्तुत किये।
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