Pope Benedict XVI passes away

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  • Опубліковано 30 гру 2022
  • सेवानिवृत संत पापा बेनेडिक्ट 16वें नहीं रहे।
    95 वर्षीय ससम्मान सेवानिवृत संत पापा बेनेडिक्ट 16वें प्रभु को प्यारे हो गये। वाटिकन प्रेस कार्यालय के अनुसार, आज शनिवार ३१ दिसम्बर, स्थानीय समय सुबह ०९:३४ और भारतीय समयानुसार दोपहर के 02:04 में वाटिकन के मातेर एक्लेसिये मठ में संत पापा ने अंतिम सांस ली, जहाँ उन्होंने २०१३ में परमाध्यक्षीय पद से इस्तीफा देने के बाद रहने का निश्चय किया था। पहले कई दिनों से ही, सेवानिवृत पोप के स्वास्थ्य की स्थिति बढ़ती उम्र के कारण खराब चल रही थी। 28 दिसंबर को वर्ष के अंतिम पब्लिक ऑडियंस के अंत में पोप फ्रांसिस ने स्वयं सार्वजनिक रूप से अपने पूर्वाधिकारी संत पापा बेनेडिक्ट के बिगड़ते स्वास्थ्य के बारे बताते हुए, लोगों को संत पापा बेनेडिक्ट १६वें के लिए प्रार्थना करने हेतु आमंत्रित किया था। इस निमंत्रण के बाद, विश्वभर के धर्मगुरूओं एवं ख्रीस्तीय विश्वासियों ने उनके प्रति अपनी एकात्मता और निकटता व्यक्त करते हुए प्रार्थना की पहल की। वाटिकन प्रेस कार्यालय के निदेशक मती ब्रूनी ने एक ब्रीफिंग के दौरान, पत्रकारों को बताया कि संत पापा फ्राँसिस 5 जनवरी को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में सुबह 09:30 में (सीईटी) ससम्मान सेवानिवृत संत पापा बेनेडिक्ट १६वें के अंतिम संस्कार की अध्यक्षता करेंगे। उन्होंने कहा कि सोमवार से, बेनेडिक्ट सोलहवें के पार्थिव शरीर को महागिरजाघर में रखा जाएगा ताकि जो विश्वासी उन्हें अपनी प्रार्थना और अंतिम विदाई के साथ अपना अंतिम सम्मान देना चाहते हैं, वे ऐसा कर सकेंगे। मती ब्रूनी ने यह भी कहा कि सेवानिवृत पोप ने बुधवार 28 दिसम्बर को दोपहर में पवित्र मिस्सा के अंत में मठ में रोगियों का संस्कार ग्रहण किया था। संत पापा बेनेडिक्ट 16वें की संक्षिप्त जीवनी। जोसेफ एलोइसियस रैत्जिंगर का जन्म 16 अप्रैल 1927 को जर्मनी में हुआ था। उनका पुरोहित अभिषेक 29 जून 1951 को हुआ और 28 मई 1977 को धर्माध्यक्षीय अभिषेक हुआ। 27 जून 1977 को वे कार्डिनल के रूप में चुने गए थे। 19 अप्रैल 2005 को वे कैथोलिक कलीसिया के २६५वे पोप के रूप में चुने गए। उनका आदर्श वाक्य, "सच्चाई का सहयोग" था। उन्होंने 28 फरवरी 2013 को अस्वस्थ्य के कारण परमधर्मपीठ से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद वे हमेशा से मातेर एक्लेसिये मठ में रहे। संत पिता बेनेडिक्ट १६वे एक उदारवादी धर्मशास्त्री थे और उन्होंने अपने लेखन द्वारा पारंपरिक कैथोलिक सिद्धांत और मूल्यों की रक्षा की। विश्व कैथोलिक कलीसिया उनके कर्मठता और दूरदर्शिता को याद करेगी।

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