श्रीमद्भगवद्गीता में स्वधर्म ( 3 ) SWADHARMA IN GEETA _ Dr HS Sinha | The Quest
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- Опубліковано 17 лют 2021
- #गीता_में_स्वधर्म
डॉ हिम्मत सिंह सिन्हा जी अभी 92 वर्ष से अधिक आयु के हैं, कुरुक्षेत्र में रहते हैं और करीब 30 साल पहले कुरुक्षेत्र विश्विद्यालय के दर्शन विभाग से, विभागाध्यक्ष के पद से रिटायर हुए. हमारे कुरुक्षेत्र के वो पितामह जैसे हैं.
इतिहास, साहित्य, धर्म, दर्शन, मनोविज्ञान; ऐसा कौनसा विषय है, जिस पर सिन्हा जी अधिकार न रखते हों. अंग्रेज़ी, हिंदी, अरबी, फारसी, संस्कृत; सब भाषाओं के साथ वैसे ही सहज हैं. ये रिकॉर्डिंग उनके ज्ञान सागर से एक अंजलि भर भरने का प्रयास है.
आप सबकी प्रतिक्रियाओं और सुझावों का हमेशा इंतज़ार रहता है.
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thequestkurukshetra@gmail.com
धन्यवाद!
वेदान्त भी कहता है "मानव सेवा is माधव सेवा" शत शत प्रणाम गुरुजी.
आपके जैसे अगर कुछ लोग भी हिन्दुस्तान में होते या आपके जैसे अब भी कुछ लोग बन पाये तो हम हमारे देश को बेहतर जीवन दें पायेंगे 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
आप जैसे विद्वान् समाज को नयी दिशा दे सकती है ।काश लोग आपको सुन ले चाहे पुस्तकें न पढें समयाभाव से ।आपको नमन है ।
प्रणाम गुरु देव, आपका दिया गया विश्लेषणात्मक चिंतन बहुत ज्यादा अच्छा होता है, आपको लगातार सुनती हूँ, भगवद्गीता का स्वाध्याय प्रति दिन करने पर बिल्कुल सही दिशा निर्देश प्राप्त होते हैं, साधुवाद बहुत बहुत गुरु जी
नमस्कार गुरुजी, आपका युट्युब पर गीता मे स्वधर्म भाग-३ मैने सून लिया. आपने उसमे कहा है की, भारतमे भगवतगीता का तत्वज्ञान साधूसंन्यासी जादातर लोग समाज मे प्रसार करते हैं। वह तत्वज्ञान बुद्धीजीवी , सायकाऑलाँजीस्ट ,कर्मयोगी लोगोंने समझाना चाहिये. यह बिलकुल सच हैं. भारतीयोंका यह दर्भाग्य हैं की बनिये साधूसंन्यासी देश चलाने लगे हैं. कर्मयोग याने होम,पुजापाठ,भगवान के मंदिर उभारकर नयी इंडस्ट्रीज तयार कर रही है. जीससे पुजापाठ करनेवालोका झुटा धंदा चले. आपका बहोत धन्यवाद!!!
गीता जी में तो यह भी लिखा हे की जो कुशल कर्म की आकांक्षा नही करता और अकुशल कर्म से देवेष नही करता तो निष्कर्ष क्या है
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आपका ज्ञान अद्भुत है गुरु जी 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
हम आपको सुन पा रहे हैं तो लगता है कि हम सही तरफ चल रहें हैं 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Lmm
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बहुत ही आसान भाषा में स्वधर्म को समझाने के लिए धन्यवाद गुरुजी...☺️
काश मै आपको कमी मिलकर चरण धुली लगाता😢😢😢....गुरुदेव ❤❤❤ 🙏🙏🙏
हिमांशु सर..जरूरी नही कि जो मदिरालय जाए,वो परेशान ही हो।मैं अपने 24 घण्टे का अधिकांश भाग न सिर्फ आपको सुनने में देता हूँ।बल्कि आपको सुनकर उस ग्रंथ अथवा दर्शन का अध्धयन भी करता हूँ।
पर हर शनिवार मदिरापान भी करता हूँ।और वह करते हुए भी आपको ही सुनता हूँ।जब मैं यह मेसेज कर रहा.."मैं वही हूँ"।और आपको ही सुन रहा।
इसलिए ध्यान रखें कि हर मदिरालय जाने वाला दुःखी ही नही होता।वो भी सुख का एक साधन ही तो है।फर्क बस इतना है कि कोई उसे नाच गाने में प्रयोग करता है और कोई ज्ञानार्जन में...बांकी मैं आपका बहुत बड़ा फैन हूँ।कभी मुलाकात जरूर होगी।लव यू..."लव यू" इसलिए क्योंकि भावनाओ की अभिव्यक्ति के लिए शब्द नही;भावना महत्व रखती है।बांकी सादर प्रणाम
गीता जी में तो यह भी लिखा हुआ है की जो कुशल कर्म की आकांक्षा नही करता और अकुशल कर्म से देवेष नही करता तो आप मुझे निष्कर्ष बताए
सादर प्रणाम गुरू जी jai Shri krishna from raghav Verma KARNAL
What a nice lecture. If i had a teacher like that nobody can stop me. How bless people are study from him
Parnam Guru Ji you are really a wonderful job by practically implementing Shrimad Gita Gyan .
आपको प्रणाम, आपको मैं हमेशा सुनती हूँ, बहुत अच्छा लगता है
सुनकर समझना और चरित्र में उतारना पड़ेगा ---
तभी क्रांतिकारी परिवर्तन होगा ---
अगर जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन नहीं हुआ...
तो सुनने खुशी.. सिर्फ मिथ्या वहं है... बस.! ऊँ...
Sir/ guruji you are doing great job.. Shaping millions of youth mind and contributing for India's growth Our country need people like you take care of your health.. Plz
जब तक इंसान स्वयं को नही समझेगा तब तक उसके शरीर मे भौतिक संसार रूपी तूफान आता रहेगा।कहने का अर्थ है सुख दुःख, लाभ हानि।आपने सही कहा गीता में जो बातें बताई गई वो समाज मे नही आई।अगर गीता समझ मे आ गई तो।प्रकृति समझ मे आएगी,पशु पक्षियों के लिए दया भाव, समाज सेवा के प्रति समर्पण।और स्वयं की आत्मा प्रकाशित रहेगी यही श्री गीता जी का दर्शन है।
जय श्री कृष्ण
Bhut bhut abhargrahit, hm abodh balkon ko aise Gita gyan k darshan sambhav hue, ye vachan hi Amrit h ab Orr kisi mukti ki ichaa nhi 🙏🛐
ज्ञान के सागर में बड़े बड़े डूबे कोई तली में समाया कोई तली पे रहा किंतु जग में जंग जो पूर्ववत थी वहीं आज भी है बल्कि और बढ़ी है इंसान क्या चाहता है उसकी चाहत आज भी पूरी नहीं हुई
Economic compulsions prohibit young people to explore swa-dharma.
Guruji aap Amar hai Sada mere dil me jinda rahege
Shaandar..... gazab....vedio banane Wale k liye bhi dhanyawad.....
धन्यवाद गुरुजी
I dont have words to say thanks.
What is my Dharma? I get perfect answer from you
मैं सौभाग्यशाली हुँ कि आपको सुन रहा हूँ। शत शत नमन
We are great full Dr. Sahib
Naman h gurudev ko🙏🙏
Parm Pujya Guruji Pranam. Me app se Gyan pa kar dhanya ho gay. Me 77 sal ka hu. 🙏🙏🙏
Haardik Naman Guru ji 🙏
गूरूदेव!भूमिष्ठ प्रणाम ।
भवान् न सर्वश्रेष्ठ विद्वान् । अपितू एकमात्र विद्वान । जय जगन्नाथ ।
🙏🙏Guru Ji, Aapka saral tarike se samjhane se lagta hai sunate rahe sunate rahe.
गीता जी में लिखा है की अपने धर्म में तो मरना भी कल्याण हैं और दुसरे का धर्म भय का कारण है पर जब हम स्वा धर्म की और बढते है तो सबसे पहले तो हमारे अपने माता पिता हमारी जान लेने की कोशिश करने वाले हो जाते हे तो सत्य क्या हो
Jai gurudev
पूज्य गुरु जी द्वारा गीता जी के अनुसार स्वधर्म की सशक्त व सुंदर व्याख्या
Very informative and motivating. We are learning a lot from you which is transforming our lives too .It is like pulling us out from darkness towards light. Guruji after you finish Geeta series, please also speak on Ram ki Shakti Puja. Bahut Bahut Thanks.
Most of most usefulknowledge👃👍👌
the best explaination
At this age I am fit like a young man.
The most relevant explanation of Swa-dharma for Indians .Truely if one follows this swa-dharma then you need not look for god, rather God will himself look after you.
Gyan ka prakash ho aap , bahut kushi hoti hai or sab samaj b ata hai
Bht Sundar btya swadharma p apne teeno videos m....dhnyavad
अद्भुत ज्ञान धन्य है गुरुदेव
Bahat badiya dadajee❤❤❤
🙏 we want more detailed discussion on "श्रीमद्भगवद्गीता". 🙏
ॐ नमो नारायण श्री जी सादर प्रणाम 🙏🙏🙏
गीता जी में तो यह भी लिखा हुआ है की जो कुशल कर्म की आकांक्षा नही करता और अकुशल कर्म से देवष नहीं करता ऐसा भक्त मुझे प्रीत हैं और यह भी लिखा है कर्म कोशल योग तो क्या माने और क्या नहीं
This is a true message of Gita. Koti koti Naman apko.Our ancestors were doing this exercise in earlier Gurukul to recognise the Serve Dharam of each individual's. Regards
👌👌👌👌👌👌👌🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
We are lucky to have you Guru Ji. You made us Enlighten. Thanks 🙏
You are the mahatma.
You should have been advisor to the P. M.
Thank you 🙏🙏🙏🙏
👏🏾👏🏾
Pranaam Guru , I feel my life becoming purposeful by listening you.
❤
You are great sir 🙏🙏. It's my misfortune that I do not meet you.
सादर प्रणाम गुरूजी
फिल्म गुरुदेव
My salutation to you .Thanks for your lucid talk on sanatan dharma .Easy to understand
Thanks!
In coming times data yoga will start from the west.
Waah guruji, thanks a lot.
You r valuable for all!!
Guru ji 🙏
🙏🌺🙏
Dhanyavaad Guru Dev
Pranam Guruji 🙏🙏
Guruji pranam👏
Thank you for sharing your depth comparative analysis. It was easy to understand the real message of the Gita.
Hare Krishna
🙏🙏
Jai jai
I miss u lot guru ji😢
But someone correct me if i am wrong 🙏guru ji told story about dayanand ji but so far i know this incident was between swami vivekanand( narendra nath ) and swami ramkrishan paramhans when prabhu paramhans asked kaun hai then vivekanand ji said yahi to mai jaan ne aaya hu ki mai kaun hu
Please correct me if i am wrong
Excellent 👌👌👌May I contact Prof. HS Sinhaji
🕉🚩🙏
👌🏻🙏🏻
जय सनातन
Jai kurukshetr 🥰🥰🙏
Swabhav is swadharma.
Just Awesome .. Thanks Sir
🙏😍
🙏🙏🙏
In today,s society we are producing money making machines.
🙏🙏🙏🙏🙏
🙏😇🙏
Guru ji geeta bhotik jivan se koi lena dena nahi hai
सत्ता गलत हाथों में दे दी इसके 70 साल बहुत दुख दुखी रहे
bhagat g aap sant rampal ji maharaj ke satsang suno fir batana geeta ka asli saar kya tha
Nice
Aapko sunkar bahut Achcha Desh Ke Vikas ke liye yogyata Ki avashyakta Hai man ki Chhati ke naam per uh Aarakshan ke
This needs to be spread like wildfire
Can someone please mention the Shloka here..which Guruji was repeating many time as essence of Gita?
Chapter 18 shloka 45
I am seventy and a misfit. I need to be near you.
श्रीमान बडे आदर के साथ आपको बताना चाहता हुं की बारी बारी से आप कह रहे हैं की गीता हमने गलत हाथो में दे दिया.
जीस हाथोने गीता को सदीयो से संभाल कर हम तक पहुंचाया उनकी ईतनी भर्त्सना हमे शोभा नहीं देता.
गीता जी में तो यह भी लिखा हुआ है की जो कुशल कर्म की आकांक्षा नही करता और अकुशल कर्म से द्वेष नहीं करता ऐसे मैं क्या हम समझे कृपया शंका समाधान करें
कार्य चुनने का अधिकार नहीं है जी पिछले जन्मों और कर्मों के अनुसार वर्तमान जन्म जाति वर्ण और कर्मों का निर्धारण होता है जी!!!
🤦🏻♂️🤦🏻♂️🤦🏻♂️🤦🏻♂️🤦🏻♂️🤣🤣🤣
Hindu dharm me itni dev devi kiu ?
बहुत ही गलत व्याख्या कर रहे हो जी!!!
He talks well but his view about Indian Psychology is very wrong. Yes, westerners have done a good job in various fields but his views are very biased. He is talking about Swadharma from one sense and not covering other areas. Anyways, noone is perfect.
अापका धारणा क्या हे जी सहि व्याख्या क्या हे कृपया प्रकाशित करे ?
कर्म ब्रह्मोदभव। गीता 3/15...
मेरे पिताजी बचपन में मुझसे कहा करते थे कि भले जूता पॉलिश करने वाला बनना मगर ऐसा बनना कि कोई व्यक्ति दो गलियां छोड़कर तुम्हारे पास आए।
गुरु जी द्वारा स्वधर्म की व्याख्या से आज मुझे अपने पिताजी की बात पूरी तरह समझ में आई, और इस बात पर विश्वास हो गया कि आध्यात्मिक विकास का भौतिक जगत की शिक्षा से ज्यादा कुछ लेना देना नहीं है, क्योंकि मेरे पिताजी सामान्य शिक्षित है वे उस समय निश्चित रूप से स्वधर्म जैसे विचार से तो निश्चित रूप से अपरिचित थे। गुरु जी के चरणो में सादर प्रणाम 🙏🙏
आप गलत कह रहे हैं कि आपके पिताजी स्वधर्म के बारे में नहीं जानते थे । आपको यह कहना चाहिये कि वे सामान्य शिक्षित होकर भी श्रीमदभगवतगीता जी के अनुसार आध्यात्मिक ज्ञान से परिपूर्ण थे जो उन्होंने जूता सीने में पारंगत होने की बात कहीं । आपके पिताजी भौतिक ज्ञान से तो नहीं लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान से परिपूर्ण थे
गीता जी में तो यह भी लिखा हुआ है की जो कुशल कर्म की आकांक्षा नही करता और अकुशल कर्म से देवेष नही करता तो आप मुझे निष्कर्ष बाताऐ
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