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सबसे महत्वपूर्ण बात ये जो अब तक कोई नहीं बताता, की उगम जी, धारू जी किस ki भक्ति करते थे, रानी रूपा दे जी, किसकी भक्त थी, .... क्या वो बाबा रामदेव, जी जिन्हें द्वारका नाथ कहा जाता है , के अनुयायी थे, अगर हा तो बाबा रामदेव जी का नाम लेने में कंजूसी क्यों l
कुंडा पंथ की मोक्ष दायक साधना का प्रचार प्रसार करने वाले रानी रुपादे मल्लिनाथ धारु मेघवाल नामदेव ये सभी सिद्ध काल को जीतकर आज भी ब्रम्हांड में विचरण करते हैं तांत्रिक नगरी कामरूप देश की ओर से सभी कुंडा पंथियों का हार्दिक अभिनन्दन जय माता भैरवी जय माता कामाख्या जी 🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙋♂️
जय मां राणी सती रूपादे जी,ज़य भवानी,जय मल्लीनाथ जी,आपने यह ताे नही बताया कि राणी रुपादे कहा से थे कहा उनका जन्म हुआ,और भटियाणीजी और राणी रूपादेजी का क्या सबंध रहा है,अभी ताे सब कुछ बाकि है,कुछ गलत कहा हाे ताे शमा करना।जय भवानी
रानी रूपादे और रानी चंद्रावती मल्लिनाथ जी की दो पत्नियां थी उसमें पहली पत्नी रानी चंद्रावती थी दूसरी दुसरी रानी रूपादेऔर रानी रुपा दे ने चंद्रावती को वचन दिया था आप भटियाणी के नाम से प्रसिद्ध होगी मल्लिनाथ जी के बहन शादी राजस्थान के जालौर डिस्ट्रिक्ट आहोर तहसील डोडीयाली गांव में हुई सुनने में आ रहा है एक बार मल्लिनाथ जी अपने बहन को मिलने के लिए आए थे उस राजघराने में काम बहुत ज्यादा था तो उन्होंने अपनी बहन से कहा था आप इतनी दुबली पतली कैसे हुई तो बहन ने भाई को बताया कि यहां पर काम ज्यादा रहता है रजवाड़ा हैं यहां लोग बहुत आते हैं खाना पकाना बहुत व्यस्त रहती हूं तो फिर मल्ली नाथ जी बापसी ने अपनी बहन से कहां रोटी बनाकर एक लकड़ी का साब रोटी रखने का आता है रोटी रखने के बाद ऊपर एक कपडा ढककर कर रखना कपड़ा उठा कर एक एक कर निकालते रहना पुरा कपड़ा मत उठाना रोटी बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और उन्होंने बोला कि जितने भी मटके हैं उस पर कोई भी बर्तन ढकना मत मटके को खुला रखना भले कोई भी हो पानी ऐसे ही पीये वह वचन आज भी है और हम लोग स्वयं पानी पीते हैं मटके के ऊपर ढक्कन नहीं रहता है यह भगवान मणि नाथ जी का साक्षात वरदान है जय मल्लिनाथ जी और आज भी वहां भादवा सुदी बीज और माहा सुदी बीज को मल्लिनाथ जी भगवान का मेला लगता है बहुत से लोग श्रद्धालु आते हैं 🌹🙏🙏, रोटी वाला वचन तो खत्म हो गया किसी ने उठा दिया होगा कपड़ा तो लेकिन पानी के बर्तन वाला आज भी है और हम लोग पीते भी है 🙏
Ati sundar.....dhanywad...
Rupade mataji ko pranam ❤❤❤, Mallinathji ko pranam ❤
Ram Ram sha 🙏
बहुत अच्छा लगा सर
जय हो
Nice job kaku bhopal singh
Jay Baba Ramdev
🙏🙏🙏👏👏👏🚩🚩🚩🚩
Jai ma naganaray
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वा जी वा बहूत ही सुदर
सबसे महत्वपूर्ण बात ये जो अब तक कोई नहीं बताता, की उगम जी, धारू जी किस ki भक्ति करते थे, रानी रूपा दे जी, किसकी भक्त थी, ....
क्या वो बाबा रामदेव, जी जिन्हें द्वारका नाथ कहा जाता है , के अनुयायी थे, अगर हा तो बाबा रामदेव जी का नाम लेने में कंजूसी क्यों l
शानदार
Jay malinathji ri sa
जय रानी रूपादे दाता मलिनाथ जी
निखिल सर
Nice😊
Sri ram jai sri ram
आभार
Good job n very nice glimpse of history....
कुंडा पंथ की मोक्ष दायक साधना का प्रचार प्रसार करने वाले रानी रुपादे मल्लिनाथ धारु मेघवाल नामदेव ये सभी सिद्ध काल को जीतकर आज भी ब्रम्हांड में विचरण करते हैं तांत्रिक नगरी कामरूप देश की ओर से सभी कुंडा पंथियों का हार्दिक अभिनन्दन जय माता भैरवी जय माता कामाख्या जी 🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙋♂️
Mallinaath ke kitne bacche the
राणी रूपादेजी की जय
जय मल्लीनाथ जी Maraj ki
पाबू जी का हत्या का बदला रायपल ने नहीं लिया था
Jharda ji ne liya
Sir rani rupade ka janm mere gav me hua tha
राव शोभत जी के वशंज सोहङ राठौड़ कहलाया
जय श्री रावल मल्लीनाथ जय माँ राणी रूपादे
जय मां राणी सती रूपादे जी,ज़य भवानी,जय मल्लीनाथ जी,आपने यह ताे नही बताया कि राणी रुपादे कहा से थे कहा उनका जन्म हुआ,और भटियाणीजी और राणी रूपादेजी का क्या सबंध रहा है,अभी ताे सब कुछ बाकि है,कुछ गलत कहा हाे ताे शमा करना।जय भवानी
Shi bat h rathore sa
ranima rupade gujrat ke vadhvan nagar se mori rajput ki putri the
रानी रूपादे और रानी चंद्रावती मल्लिनाथ जी की दो पत्नियां थी उसमें पहली पत्नी रानी चंद्रावती थी दूसरी दुसरी रानी रूपादेऔर रानी रुपा दे ने चंद्रावती को वचन दिया था आप भटियाणी के नाम से प्रसिद्ध होगी मल्लिनाथ जी के बहन शादी राजस्थान के जालौर डिस्ट्रिक्ट आहोर तहसील डोडीयाली गांव में हुई सुनने में आ रहा है एक बार मल्लिनाथ जी अपने बहन को मिलने के लिए आए थे उस राजघराने में काम बहुत ज्यादा था तो उन्होंने अपनी बहन से कहा था आप इतनी दुबली पतली कैसे हुई तो बहन ने भाई को बताया कि यहां पर काम ज्यादा रहता है रजवाड़ा हैं यहां लोग बहुत आते हैं खाना पकाना बहुत व्यस्त रहती हूं तो फिर मल्ली नाथ जी बापसी ने अपनी बहन से कहां रोटी बनाकर एक लकड़ी का साब रोटी रखने का आता है रोटी रखने के बाद ऊपर एक कपडा ढककर कर रखना कपड़ा उठा कर एक एक कर निकालते रहना पुरा कपड़ा मत उठाना रोटी बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और उन्होंने बोला कि जितने भी मटके हैं उस पर कोई भी बर्तन ढकना मत मटके को खुला रखना भले कोई भी हो पानी ऐसे ही पीये वह वचन आज भी है और हम लोग स्वयं पानी पीते हैं मटके के ऊपर ढक्कन नहीं रहता है यह भगवान मणि नाथ जी का साक्षात वरदान है जय मल्लिनाथ जी और आज भी वहां भादवा सुदी बीज और माहा सुदी बीज को मल्लिनाथ जी भगवान का मेला लगता है बहुत से लोग श्रद्धालु आते हैं 🌹🙏🙏, रोटी वाला वचन तो खत्म हो गया किसी ने उठा दिया होगा कपड़ा तो लेकिन पानी के बर्तन वाला आज भी है और हम लोग पीते भी है 🙏
फिर भी कोई लिखावट में गलती रही हो या मुझे पता ना हो और लिख दिया हो तो माफ करना 🙏🌹
मलदेवजी नम
जय हो
जय हो