प्राणनाथ जी कौन है ? - Prannath Ji Kaun Hai ? | Shri Rajan Swami Ji | Jagni yatra 2022 | Surat
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- Опубліковано 13 вер 2024
- प्राणनाथ जी कौन है ? - Prannath Ji Kaun Hai ? | Shri Rajan Swami Ji | Jagni yatra 2022 | Surat
Shri Prannath Ji
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श्री प्राणनाथ ज्ञानपीठ के मुख्य उद्देश्य -
ज्ञान, शिक्षा, उच्च आदर्श, पावन चरित्र व भारतीय संस्कृति का समाज में प्रचार करना तथा वैज्ञानिक सिद्धांतो पर आधारित आध्यात्मिक मूल्य द्वारा मानव को महामानव बनाना और श्री प्राणनाथ जी की ब्रम्हवाणी के द्वारा समाज में फ़ैल रही अंध-परम्पराओं को समाप्त करके सबको एक अक्षरातीत की पहचान कराना।
अति महत्वपूर्ण नोट :-
यह पंचभौतिक शरीर हमेशा रहने वाला नहीं है।
प्रियतम परब्रह्म को पाने के लिये यह सुनहरा अवसर है।
अतः बिना समय गवाएं उस अक्षरातीत पाने के लिये प्रयास करना चाहिये।
Free e-Books to Download related to Shri Tartam Vani and Chitwani, also you can order books in Print copies from Shri Prannath Gyanpeeth, Sarsawa (+91 70881 20381).
1. परिकरमा + सागर + सिनगार + खिलवत टीका
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2. NIJANAND YOG (निजानन्द योग) - Collection of 60 Invaluable FAQs
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3. CHITWANI MARGDARSHAN (चितवनि मार्गदर्शन) - Smallest and Best ever Pocket Guide to Meditation
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4. DHYAN KI PUSHPANJALI (ध्यान की पुष्पाञ्जलि) - Detailed Question-Answer Sessions transcribed in this unique pearl of spiritual wisdom
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आत्मिक दृष्टि से परमधाम, युगल स्वरुप तथा अपनी परआत्म को देखना ही चितवनि (ध्यान) है। चितवनि के बिना आत्म जागृति संभव नहीं है। संसार की अब तक की प्रचलित सभी ध्यान पद्धतियाँ निराकार-बेहद से आगे नहीं जाती हैं। तारतम ज्ञान के प्रकाश में मात्र निजानन्द योग ही परमधाम ले जा सकता है।
प्रियतम अक्षरातीत की चितवनि में इतना आनन्द है कि उसके सामने संसार के सभी सुख मिलकर भी कहीं नहीं ठहरते। यही कारण है कि ध्यान का आनन्द पाने के लिये ही राजकुमार सिद्धार्थ, महावीर, भर्तृहरि आदि ने अपने राज-पाट को छोड़ दिया और वनों में ध्यानमग्न रहे।
बेहद मण्डल - इस प्राकृतिक जगत् से परे वह बेहद मण्डल है, जिसे योगमाया का ब्रह्माण्ड कहते हैं। चारों वेदों में इसे चतुष्पाद विभूति के रूप में वर्णित किया गया है। इस मण्डल में अक्षर ब्रह्म के चारों अन्तःकरण (मन, चित, बुद्धि तथा अहंकार) की लीला होती है, जिन्हें क्रमशः अव्याकृत, सबलिक, केवल और सत्स्वरूप कहते हैं।
परमधाम - बेहद मण्डल से परे वह स्वलीला अद्वैत परमधाम है, जिसके कण-कण में सच्चिदानन्द परब्रह्म की लीला होती है। यह अनादि है, अनन्त है और सच्चिदानन्दमय है। जिस प्रकार सागर अपनी लहरों से तथा चन्द्रमा अपनी किरणों लीला करता है, उसी प्रकार अक्षरातीत भी अपनी अभिन्न स्वरूपा अंगरूपा आत्माओं के साथ अद्वैत लीला करते हैं, जो अनादि है और इसमें कभी अलगाव नहीं होता है।
वेदों ने इसी परमधाम के सम्बन्ध में “त्रिपादुर्ध्व उदैत्पुरुष” अर्थात् परब्रह्म योगमाया से परे है, कहकर मौन धारण कर लिया। मुण्डकोपनिषद् ने भी 'दिव्य ब्रह्मपुर' शब्द का प्रयोग तो किया, किन्तु उसे बेहद मण्डल (केवल ब्रह्म) में मान लिया। कुरआन में मेयराज के वर्णन के द्वारा संकेत किये जाने पर भी मुस्लिम जगत अभी इसकी वास्तविकता से बहुत दूर है।
श्री प्राणनाथजी की अलौकिक तारतम वाणी में इस परमधाम की शोभा, लीला एवं आनन्द का विशद रूप में वर्णन किया गया है, जिसका सुख किसी सौभाग्यशाली को ही प्राप्त होता है।
પ્રેમ પ્રણામ જી 🙏🙏🌷
Swami ji k charno main Sprem parnaam
Prnam swami ji 🙏🙏
Parnam ji
प्रणाम जी स्वामी जी🙏🙏
Pranamji swamiji
Prnam ji 🙏
Pranam ji
Jay shree raj shayama
Pranaam ji🌹🌹🌹
परम पूज्य स्वामी जी के श्री चरणों में कोटि कोटि प्रेम प्रणाम जी 🙏❤️🌹🙏
પ્રેમ પ્રણામ
Jai Prannath ji
Parnam ji Swami ji
Pranam ji 🙏🌹🌹👣👣🙏
दिल छूने वाली बाणी चर्चा स्वामीजी को कोटि कोटि प्रेम प्रणामजी
प्रणामजी
Charan komal me koti pranam
Pranam swami ji
Pranam guru ji🙏🙏
Swami Ji ke Charanon Mein Mera कोटि-कोटि Pranam ji
अति सुंदर प्रेम प्रणामजी
Parnam ji 🌹 🙏 sawamy ji 🌹 🙏
Pernam g 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Prnm ji
Prem pranam ji 🙏🏻🙏🏻
प्रेम प्रणाम जी
🌹🌹🙏prem pranamji🙏 🌹🌹
Swami jee spzem pranam
प्रेम प्रणाम स्वामी जी🙏🙏🌺🙏🙏🌹🙏🙏🌷🙏🙏🥀🥀🥀🇳🇵🇳🇵
Pranamji 👏💐
Shree charno mey kotin kot pranaam ji 🌹🌹🌹🙏🙏🙏♥️
🙏 pranamji 🙏
प्रेम प्रणाम जी 🙏🙏❤️❤️🙏🙏🌹
Shri Prannath pyare ki jaye . Aap sabhi sundar saath ji ko charan kamal me prem pranaam ji .
प्रणाम जी
Pranam ji...
Pujay satguru maharaj ji ke charno me mera koti koti prem pranam 🙏🌹
🙏🙏🙏🙏🙏
कोटि कोटि प्रेम प्रणाम जी।
Pranamji swamiji aap ke charno mein 🌹
सतगुरु जी के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम जी 🙏❤️🙏
🙏🙏🌹🌹.. I proud of you and my all sath.... By pritam 🙏🙏🙏
Pujya swami ji ke charno me mera koti koti prem pranam ji🌺🙏🏻❤
प्रणाम जी, मेरो नाम प्रजापती गौतम हो र माफ गर्नु होला तर म जस्तो कामै नलाग्ने निकम्मा भातमारा कोइ अरु छैन यहाँ कतै किन की :
१. जता गए पनि मेरो काम निजानन्दीहरुलाई होच्याउने, धम्क्याउने अनि चिढ्याउने मात्रै हो र यो सबै मेरो धन्दागीरी हो |
२. अरुको बर्चस्व कधापी नबढोस र केवल मेरो व्यक्तिगत र श्री कृष्ण प्रणामी सेवा समितिको मात्रै जगजगी कायम होस्, यो नै मेरो असीम चाहना हो |
३. सत्यसँग मेरो कुनै सम्बन्ध छैन, बेकारको बाद विवाद खडा गरी आफ्नो र अरु सबैको समय बर्बाद गरी हिड्नु मेरो धेरै अघि देखिको अटूट बानी हो |
४. आफ्नो सम्पूर्ण उर्जा वास्तविक महापुरुषहरुको खेदो खन्नमै लगाउनु पर्छ भन्ने सोच विचारधारा भएको प्रखर स्वघोषित विद्वान हुँ |
५. केवल आफ्नो गुण अङ्ग अनि इन्द्रियको भक्ति गर्ने एक अहंकारी पुजारी हुँ म र मलाई मेरो कामबासना र संसारी इच्छाहरु सँग मात्रै सम्बन्ध छ |
६. राम रतन दास, जगदीश चन्द्र आहुजा र राजनका चेलाहरु सबै मेरो सौतिनी भाइ बहिनीहरु हुन र तिनीहरलाइ घृणा गरी, द्वेषको डढेलो फैलाउनुनै मेरो वास्तविक धर्म अनि कर्तब्य रुपी आहार हो |
७. प्रतिभारुपी कोपिला च्याट्ट चुढ़याउनुनै मेरो सौन्दर्य हो |
८. वास्तविक तर्क राख्ने सज्जनहरु सँग मलाई डर लाग्छ |
९. टाउकै फुटाएपनि श्री प्राणनाथजीलाई श्री कृष्णजी भन्दा तल्लो दर्जाको राख्नु अनि देखाउनुनै मेरो जीत हो |
१०. शास्त्रको नाममा गोरखधन्दा गरी गोबिन्द भेडाझैँ सपनाको महलहरु खडा गर्नुनै मेरो आनन्दको श्रोत हो |
११. आफ्नो चेलाहरुले मलाई मात्रै मानी राखून, म बाहेक अन्यत्र कतै नजाउन् र अरु कसैको सेवामा नलागून चाहे त्यो स्वयं श्री प्राणनाथजी नै किन नहोस किनकी शिष्यहरुको मोह गर्नु सार्है प्यारो लाग्छ मलाई र उनीहरुको मान सम्मान बिना म एक पल पनि बाच्न सक्दिन |
प्रणाम जी, मेरो नाम प्रजापती गौतम हो र माफ गर्नु होला तर म जस्तो कामै नलाग्ने निकम्मा भातमारा कोइ अरु छैन यहाँ कतै किन की :
१. जता गए पनि मेरो काम निजानन्दीहरुलाई होच्याउने, धम्क्याउने अनि चिढ्याउने मात्रै हो र यो सबै मेरो धन्दागीरी हो |
२. अरुको बर्चस्व कधापी नबढोस र केवल मेरो व्यक्तिगत र श्री कृष्ण प्रणामी सेवा समितिको मात्रै जगजगी कायम होस्, यो नै मेरो असीम चाहना हो |
३. सत्यसँग मेरो कुनै सम्बन्ध छैन, बेकारको बाद विवाद खडा गरी आफ्नो र अरु सबैको समय बर्बाद गरी हिड्नु मेरो धेरै अघि देखिको अटूट बानी हो |
४. आफ्नो सम्पूर्ण उर्जा वास्तविक महापुरुषहरुको खेदो खन्नमै लगाउनु पर्छ भन्ने सोच विचारधारा भएको प्रखर स्वघोषित विद्वान हुँ |
५. केवल आफ्नो गुण अङ्ग अनि इन्द्रियको भक्ति गर्ने एक अहंकारी पुजारी हुँ म र मलाई मेरो कामबासना र संसारी इच्छाहरु सँग मात्रै सम्बन्ध छ |
६. राम रतन दास, जगदीश चन्द्र आहुजा र राजनका चेलाहरु सबै मेरो सौतिनी भाइ बहिनीहरु हुन र तिनीहरलाइ घृणा गरी, द्वेषको डढेलो फैलाउनुनै मेरो वास्तविक धर्म अनि कर्तब्य रुपी आहार हो |
७. प्रतिभारुपी कोपिला च्याट्ट चुढ़याउनुनै मेरो सौन्दर्य हो |
८. वास्तविक तर्क राख्ने सज्जनहरु सँग मलाई डर लाग्छ |
९. टाउकै फुटाएपनि श्री प्राणनाथजीलाई श्री कृष्णजी भन्दा तल्लो दर्जाको राख्नु अनि देखाउनुनै मेरो जीत हो |
१०. शास्त्रको नाममा गोरखधन्दा गरी गोबिन्द भेडाझैँ सपनाको महलहरु खडा गर्नुनै मेरो आनन्दको श्रोत हो |
११. आफ्नो चेलाहरुले मलाई मात्रै मानी राखून, म बाहेक अन्यत्र कतै नजाउन् र अरु कसैको सेवामा नलागून चाहे त्यो स्वयं श्री प्राणनाथजी नै किन नहोस किनकी शिष्यहरुको मोह गर्नु सार्है प्यारो लाग्छ मलाई र उनीहरुको मान सम्मान बिना म एक पल पनि बाच्न सक्दिन |
Mne to. Kisi ko bhi nhi.suna ki phle.Pranath ki jai na bolta ho
Parnamji
Pranamji swamiji ❤❤❤❤❤
Pranam ji
Prem pranam ji ❤️
Dham Dhani ke charno me Pranam
Prem pranamji swamiji
Prem Pranamji🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏
आप के श्री चरणों में प्रेम प्रणाम जी,,,
Parnam maharaj ji
Prem pranam Ji
Prem pranam ji
Pranamji sathaji
Prem pranamji
Prem pranamji
Prem pranamji
प्रेम प्रणाम जी 🌹🌹🙏🙏🌹🌹
Pranamji ❤☀️
Prem pranam 🙏
प्रणाम