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  • Опубліковано 7 вер 2024
  • पुजारी ने बताया कि कई सैकडो साल पहले बाबा रामदेव बीकानेर आए थे, यहां एक संत हीरानंद माली को साक्षात दर्शन भी दिए थे, इसके बाद यहां बाबा रामदेव का भव्य मंदिर बन गया. सुजानदेसर स्थित बाबा रामदेवजी के मंदिर की स्थापना बाबा के परम भक्त संत हीरानंद माली के द्वारा सन 1773 में की गयी थी
    निखिल स्वामी/बीकानेर. लोकदेवता बाबा रामदेव जी का प्रसिद्ध मंदिर तो रामदेवरा में है, लेकिन बीकानेर में भी इनका भव्य मंदिर बनाया गया है. हालांकि, यह मंदिर 350 साल पुराना है. इस मंदिर में दर्शन करने के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु आते है. इस मंदिर को लेकर कई खास मान्यता है और स्थानीय भाषा में यहां बाबा रामदेव जी ने कई पर्चे भी दिए है. मंदिर पुजारी राजेंद्र कच्छावा ने बताया कि यहां साल में दो बार मेला भरता है. एक भादवे की दशमी और माघ की दशमी को मेला भरता है. इस मेले में बीकानेर के आस पास शहरो से लेकर देश के कोने कोने से लोग आते है. पुजारी ने बताया कि कई सैकडो साल पहले बाबा रामदेव बीकानेर आए थे, यहां एक संत हीरानंद माली को साक्षात दर्शन भी दिए थे, इसके बाद यहां बाबा रामदेव का भव्य मंदिर बन गया. सुजानदेसर स्थित बाबा रामदेवजी के मंदिर की स्थापना बाबा के परम भक्त संत हीरानंद माली के द्वारा सन 1773 में की गयी थी. इस मंदिर को एक कोष वाले रामदेव जी भी कहते है.पुजारी ने बताया कि इस मंदिर को लेकर खास तरह की मान्यता है जिस किसी भक्त की रणुजा के रामदेवजी के मंदिर में जाकर धोक लगने की मन्नत हो तथा वो किसी कारणवश वह नहीं जा पाए तो वो सुजानदेसर मंदिर में धोक लगता है तो वो मन्नत पूर्ण मानी जाती है. यहाँ पर एक 35 फिट गहरी बावड़ी है जो कभी नहीं खाली होती है.
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    एक भक्त को दिया वरदान
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    सुजानदेसर के बाबा रामदेवजी के मंदिर का इतिहास एक भक्त और भगवान के अद्भुत मिलन से शुरू होता है. इस मंदिर के इतिहास की नीव एक भक्त से शुरू होती है जिसे स्वंय श्री बाबा रामदेवजी ने उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर साक्षात अपने दर्शन दिए थे. साथ ही भक्त की भक्ति स्वरुप एक वरदान भी दिया जिसके कारण आज यह मंदिर बहुत चर्चित है.बाबा रामदेवजी ने भक्त को वरदान स्वरुप यह आशीर्वाद दिया की जिस किसी भक्त की मन्नत रणुजा जाकर मेरे समाधी पर माथा टेकने की हो परन्तु किसी कारण वश वह रणुजा नहीं जा सकता हो तो वह भक्त इस सुजानदेसर के मंदिर में मेरे दर्शन कर लेगा तो उसकी मन्नत अवश्य पूर्ण होगी.
    राजा जोरावर सिंह ने की मंदिर की स्थापना पुजारी ने बताया कि सुजानदेसर के बाबा रामदेव जी मंदिर की स्थापना बीकानेर के राजा जोरावर सिंह के समय की गई थी. इस मंदिर की स्थापना की नींव एक परम भक्त और भगवान के मिलन की कहानी पर आधारित हैं. इस मंदिर के निर्माण के बारे में कहा जाता है कि एक बार बीकानेर के महाराजा जोरावर सिंह द्वारा बाबा रामदेव जी के प्रसिद्ध मंदिर रुणिचा में जाकर बाबा रामदेव जी की समाधि पर माथा टेकना तथा मंदिर की परिक्रमा करने की मन्नत मांगी थी जो किन्हीं कारणों वश पूर्ण हो पाई. जोरावर सिंह की मन्नत के पूर्ण न होने के कुछ कारण बताए गए जिनमें यह कहा गया कि बीकानेर से रामदेवरा की दूरी तथा असुरक्षित यातायात होने के कारण एवं महाराजा की सुरक्षा को लेकर बताए जाते हैं। यही वह कारण थी जिनके कारण महाराजा जोरावर सिंह की रणुजा यात्रा पूर्ण न हो सकी. राजा की इस मन्नत का पता जब उनकी प्रजा को चला तब उनमें से एक विद्वान ने आकर राजा को इसका उपाय सुझाया. विद्वान ने कहा राजन हमारे यहां से एक कोस दूर बाबा रामदेव जी के एक परम भक्त आए हुए हैं जिनका नाम हीरानंद माली है. वे बाबा रामदेव जी के कपड़े के घोड़े को लेकर इधर-उधर घूम घूम कर बाबा का प्रचार करते हैं. हाल ही में उन्होंने बीकानेर की नजदीक ही एक छोटा सा मंदिर बनाकर रुके तथा वहीं पर बाबा के भजन कीर्तन करते हैं. मेरी आपसे यह सलाह रहेगी कि आप वहां जाकर हीरा नंद जी से ही अपनी मन्नत के बारे में बातचीत करें. वे जरूर आपकी इस मन्नत को पूर्ण होने में मदद करेंगे..

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