महाराज जी रामायण पाठ आपका बहुत ही उत्तम कोटि का है , जो सीधे दिल पर उतर आता है, परंतु आपसे अनुरोध है की करुणा वाले अध्याय के साथ-साथ वीर रस वाले अध्याय को ज्यादा जोर से प्रस्तुत करें ताकि भारत के युवा पीढ़ी वीर रस से और ओत प्रोत हो जाए, डरपोक अथवा भेरू ना बने, आज सनातन धर्म को वीर युवाओं की आवश्यकता है
जब मैं कुमति कुमत जियँ ठयऊ। खंड खंड होइ हृदउ न गयऊ॥ बर मागत मन भइ नहिं पीरा। गरि न जीह मुँह परेउ न कीरा॥ भावार्थ अरी कुमति! जब तूने हृदय में यह बुरा विचार (निश्चय) ठाना, उसी समय तेरे हृदय के टुकड़े-टुकड़े (क्यों) न हो गए? वरदान माँगते समय तेरे मन में कुछ भी पीड़ा नहीं हुई? तेरी जीभ गल नहीं गई? तेरे मुँह में कीड़े नहीं पड़ गए?॥
मातु तात कहँ देहि देखाई। कहँ सिय रामु लखनु दोउ भाई॥ कैकइ कत जनमी जग माझा। जौं जनमि त भइ काहे न बाँझा॥ भावार्थ (फिर बोले-) माता! पिताजी कहाँ हैं? उन्हें दिखा दें। सीताजी तथा मेरे दोनों भाई श्री राम- लक्ष्मण कहाँ हैं? (उन्हें दिखा दें।) कैकेयी जगत् में क्यों जनमी! और यदि जनमी ही तो फिर बाँझ क्यों न हुई?-॥
देखि सुभाउ कहत सबु कोई। राम मातु अस काहे न होई॥ माताँ भरतु गोद बैठारे। आँसु पोछिं मृदु बचन उचारे॥ भावार्थ कौसल्याजी का स्वभाव देखकर सब कोई कह रहे हैं- श्री राम की माता का ऐसा स्वभाव क्यों न हो। माता ने भरतजी को गोद में बैठा लिया और उनके आँसू पोंछकर कोमल वचन बोलीं-॥
अजहुँ बच्छ बलि धीरज धरहू। कुसमउ समुझि सोक परिहरहू॥ जनि मानहु हियँ हानि गलानी। काल करम गति अघटित जानी॥ भावार्थ हे वत्स! मैं बलैया लेती हूँ। तुम अब भी धीरज धरो। बुरा समय जानकर शोक त्याग दो। काल और कर्म की गति अमिट जानकर हृदय में हानि और ग्लानि मत मानो॥
महाराज जी रामायण पाठ आपका बहुत ही उत्तम कोटि का है , जो सीधे दिल पर उतर आता है, परंतु आपसे अनुरोध है की करुणा वाले अध्याय के साथ-साथ वीर रस वाले अध्याय को ज्यादा जोर से प्रस्तुत करें ताकि भारत के युवा पीढ़ी वीर रस से और ओत प्रोत हो जाए, डरपोक अथवा भेरू ना बने, आज सनातन धर्म को वीर युवाओं की आवश्यकता है
1000000% sahi kaha aapne
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Jbki hmara etihas veer rs se bhra pda hai
जी आप दिल❤ से रामकथा करते है।
धन्य आप जेसे कथावाचक🙏
ऐसी जीवंत कथा बहुत कम ही सुनने को मिलती है
बोलो राम राम राम बोलो राम राम राम
Bahut hi Sundar Katha hai Maharaj ji 🙏
बेहतरीन बेमिसाल बेजोड़ अद्भुत अन्तर राष्ट्रीय कथा वाचक 🙏
Ram ram ram ram ram ram
Radhe radhe 🌷🌷🌷🙏🙏🙏
Jai shree ram
Maharaj ji apke sundar bachan sunkar apni ankho k ansu ko rok nahi paya jay shree ram ♈
Aati aautam maharaj ji
Aj hi first time dekhi hi kath apki apko koti koti bar guru ji pranam 🙏🙏🙏🙏🙏
Guru ji bar bar naman sabd nhi mere pas🙏🙏🙏🙏🙏🙏 Dhany ho gya ji guru ji
Rabhe,Rabhe,❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊
Jai ho Prabhu 👏
सादर चरण स्पर्श!!🙏🙏
Jai Shri ram ji ki
जय श्री राम 🙏
🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩
Bahut sundar 🎉❤
😢😢😢😢😢 rom rom kap gaye 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Sri siya ram 🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹
महाराज जी को मेरा सादर प्रणाम
RAM ram ji
यह प्रसंग सुनते समय मुझे अहसास हो रहा था कि मैं स्वयं अयोध्या में किसी कोने में खड़े पूरा प्रसंग अपने सामने साक्षात होते देख रहा हूं 😢
Aap dhanya hai gurudev❤❤
❤❤❤
इतनी करुणामई प्रस्तुति गुरु जी 😭कोटि कोटि प्रणाम आपको
Bahut hi sundar katha❤
आप के मुखारविंद से भावुक कर दे रहा है
😭😭😭😭🙏🙏🙏🙏🙏
Bhut ro rahe hai maharaj ji katha bhav se bharo
🙏🙏Jai Shree Ram 🙏🙏
Par am guruji
जब मैं कुमति कुमत जियँ ठयऊ। खंड खंड होइ हृदउ न गयऊ॥
बर मागत मन भइ नहिं पीरा। गरि न जीह मुँह परेउ न कीरा॥
भावार्थ
अरी कुमति! जब तूने हृदय में यह बुरा विचार (निश्चय) ठाना, उसी समय तेरे हृदय के टुकड़े-टुकड़े (क्यों) न हो गए? वरदान माँगते समय तेरे मन में कुछ भी पीड़ा नहीं हुई? तेरी जीभ गल नहीं गई? तेरे मुँह में कीड़े नहीं पड़ गए?॥
यह तो बहुत बड़े अभिनेता भी है
अद्भुत 🙏
Jai shree ram guru dev ke charno me dandwat pranaam
Bolo ram ram
Emotional prasang
😢😢
🙏🏻🙏🏻💐💐💐💐💐🌸🌸🌺🌺🌹
अद्भुत कथा है महराज
🙏🙏🙏
Guruji itni karunda bhari katha mat kahiye rona aa jata hai
मातु तात कहँ देहि देखाई। कहँ सिय रामु लखनु दोउ भाई॥
कैकइ कत जनमी जग माझा। जौं जनमि त भइ काहे न बाँझा॥
भावार्थ
(फिर बोले-) माता! पिताजी कहाँ हैं? उन्हें दिखा दें। सीताजी तथा मेरे दोनों भाई श्री राम- लक्ष्मण कहाँ हैं? (उन्हें दिखा दें।) कैकेयी जगत् में क्यों जनमी! और यदि जनमी ही तो फिर बाँझ क्यों न हुई?-॥
देखि सुभाउ कहत सबु कोई। राम मातु अस काहे न होई॥
माताँ भरतु गोद बैठारे। आँसु पोछिं मृदु बचन उचारे॥
भावार्थ
कौसल्याजी का स्वभाव देखकर सब कोई कह रहे हैं- श्री राम की माता का ऐसा स्वभाव क्यों न हो। माता ने भरतजी को गोद में बैठा लिया और उनके आँसू पोंछकर कोमल वचन बोलीं-॥
अजहुँ बच्छ बलि धीरज धरहू। कुसमउ समुझि सोक परिहरहू॥
जनि मानहु हियँ हानि गलानी। काल करम गति अघटित जानी॥
भावार्थ
हे वत्स! मैं बलैया लेती हूँ। तुम अब भी धीरज धरो। बुरा समय जानकर शोक त्याग दो। काल और कर्म की गति अमिट जानकर हृदय में हानि और ग्लानि मत मानो॥
Phatherate aan hai
Be real
Ye sb thik h bt itna overacting q
हे प्रभु 👏🏻👏🏻
जय श्री सीताराम महाराज जी
जय श्रीराम
Jay shree ram 🙏🙏🙏🙏🙏
Ram Ram Ram Ram Ram
Ram Ram ji
Jay Shri ram
Jai shree ram ji 😢😢
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
❤❤❤❤❤
Jai jai shree ram
🙏🙏
Jai shree ram ji 😢😢
Jai shree ram❤❤
Jai sri ram
Jai Shree ram
Jai shree ram ji 😢😢
Jai shree Ram