नर्मदा घाटी के इन गांवों का क्या कसूर? Narmada project | Tribal Village | loksabhaelection2024
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- Опубліковано 10 жов 2024
- नर्मदा घाटी में क्या अब भी लोग रहते हैं?
किस तरह की जिंदगी जीते हैं यहां के आदिवासी ?
मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के बार्डर के एक गांव की कहानी जो आपको सोचने पर विवश करती है?
ये वीडियो अपने ही देश का है, लेकिन जिस इलाके में मैं आपको लेकर चल रही हूं लगता ही नहीं ये हमारे देश का ही कोई हिस्सा होगा। नर्मदा घाटी के इस हिस्से में पहुंच कर आपको लगेगा किसी दूसरी दुनिया में आ गए हैं। जहां न सड़कें बनती हैं और ना ही मोबाइल का अविष्कार हुआ है।
ये मध्य प्रदेश में अलीराजपुर, जिले का डूब इलाका है। यहां नर्मदा घाटी के दूसरी तरफ 15 गांव हैं, जिनमें ज्यादातर भलाला आदिवासी रहते हैं। मैं आज उन्हीं में एक गांव जा रही हूं। 24 घंटे बिजली, हाईस्पीड इंटर्नेट, एक कॉल पर पका पकाया खाने घर पहुंचने वाले युग में ये आदिवासी बिना किसी सुविधा के रहते कैसे हैं।
हमें जिस गांव जाना है उसका नाम अंजनबाड़ा है। जो अलीराजपुर जिला मुख्यालय से करीब 80 किलोमीटर दूर है। लेकिन रास्ते में करीब 15 किलोमीटर का सफर ऐसा है जहां कोई साधन नहीं है। सकरजा से अंजनबाड़ा तक सफर दो नावों के जरिए पूरा होता है। पहले एक लकड़ी वाली नाव कुछ दूर ले जाती है फिर वहां से इंजन से चलने वाली बड़ी नाव... सकरजा से अंजनबाड़ा का सफर और इनके बीच बसे 15 गांवों की कहानी बताती है, देश में एक आबादी अभी किस हाल में जीने को मजबूर है।
यहां की जिंदगी नाव के सहारे हैं। पढ़ाई से लेकर दवाई तक, राशन से लेकर खेती तक सब नाव के सहारे होती है। नाव एक बार अपने ठीहे से छूटी तो किनारे तक पहुंचने में कम से कम 1 घंटा नर्मदा की घाटी में रहती है। उसके बादप पानी, कीचड़ और सैकड़ों फीट ऊंची चढ़ाई के बाद गांव आता है। अंजनवाड़ा गांव में करीब 70 घर हैं। घर क्या लकड़ी और घास की मड्यैया है। गृहगस्थी के नाम पर कुछ बर्तन और जीने भर का राशऩ।
यहां का जीवन कितना मुश्किल, दुश्कर और कठनाइयों भरा है, आपको अंदाजा लगाना मुश्किल होगा। बिजली, सड़क और इंटरनेट तो छोड़िए यहां पीने का साफ पानी तक नहीं है। इमरजेंसी में किसी को फोन करना पड़ जाए तो कई किलोमीटर ऊपर पहाड़ की एक चोटी पर जाना होता है। गांवों के लोग बताते हैं वैसे तो सरकार ने एक नाव एबुंलेंस चला रखी है लेकिन कई बार लोग, उसके गांव तक पहुंचने, मरीज के अस्पताल तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देता है।
सालों पहले सरदार सरोवर बाँध बनने के बाद मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के इस इलाके में सैकड़ों गांव डूब गए, विस्थापित हुए, लोगों के घर, मकान, खेत सब चले गए। लेकिन कुछ लोगों को विस्थापन भी नहीं हो सका। इस इलाके के लोगो को मुताबिक उन्हें जहां बसाया जा रहा थो वो बंजर जमीने थें, वहां जाकर बिना कमाई मरने से अच्छा था, अपनी देहरी पर, नर्मदा के साथ रहकर जूझते हुए जिंदगी जी जाए। भलाला आदिवासी बाहुल इस इलाके के 15 गांवों ने विस्थापन से मनाकर दिया और जैसे तैसे अपने जिंदगी काट रहे। लेकिन विस्थापित न होने की जैसे इन्हें सजा मिली है। यहां न स्कूल है न अस्पताल।
यहां कमाई के नाम पर कुछ जमीने हैं जो दूर पहाड़ में गांव से खेत तक पहुंचने में ही 2-3 घंटे लगते हैं। इतने ही वापस आने में। इन्हें बाजार से अगर कोई सामान लाना होता है तो पूरा एक दिन लगता है। इसलिए ये कोशिश करते हैं कि 10-15 दिन में ही नीचे उतरकर बाजार जाया जाए। गर्मी-सर्दी के दिन-रात जैसे तैसे कट जाते हैं लेकिन बरसात में घाटी में पानी बढ़ने पर ये लोग 3-4 महीने लगभग कैद होकर रह जाते हैं।
डूब इलाके में रहने वाले सभी लोग एक तरह की जैसे सजा काट रहे हैं लेकिन सबसे ज्यादा मुश्किलें इन महिलाओं की है। ये दुनिया से कटी हैं। अंजनवाड़ा गांव में मात्र 4 लड़के स्कूल जाते हैं, लड़कियां आज तक स्कूल नहीं गईं। पढ़ाई, नौकरी, आत्मनिर्भरता इसके लिए चांद पर पहुंचने जैसा है।
इलाके के बुजुर्ग लोग कहते हैं, हमारा जिंदगी तो जैसे तैसे कट गई लेकिन चाहते हैं बच्चे पढ़लिख जाएं, गांवों में बिजली पानी जैसी सुविधाएं मिल जाए। ऐसा न हो कि हमारी तरह ये भी दुनिया देख ही न पाएं।
शेड्स ऑफ इंडिया के लिए अंजनबाड़ा से नीतू सिंह की रिपोर्ट
#NarmadaProject #MadhyaPradesh #worldwaterday #water #TribalVillage #watercrisis #tribalculture
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हमें ऐसे ही गांव चाहिए जहां केवल पानी कि सूबीधा हो शहर में केवल परदूषण है
यही भारत है जो इंडिया से बहुत अलग है, मौक़ा मिलते ही इंडिया बाले इन भारत के लोगो को लूटने मे कोई कसर नही छोड़ते है l
😂😂😂
बहुत ही सुन्दर मनमोहक शांत अनुपम नजारा है ऐ तो, सरकार को इन लोगों के जीवन स्तर के अच्छे के लिए योजना बद्ध विकास करना चाहिऐ, इसकी विहंगम सुन्दरता को ब्यक्त करने के लिए शब्द ही नहीं है। अनुपम, अतुलनीय। धरोहर।
गाव की sachhai सामने लाने का बहुत अच्छा प्रयास good job Nice work
बहुत अच्छा जीवन है सुकून का जीवन है हर चीज से बेखबर कोई राजनीतिक नहीं कोई कुछ नहीं अपनी मर्जी से जीवन जीना यह लोग बहुत अच्छा जीवन जी रहे हैं
बहुत शानदार कवरेज नीतू जी, शेड्स ऑफ रूरल इंडिया को बहुत बधाई।
इसे जिम्मेदारों तक पहुंचा सकना श्रेयस्कर होगा
PMO में अवश्य भेजें
धन्यवाद जिजीविषा सोयासटी, कोशिश जारी है
भारत के लुटेरे राजनेताओं की देन है कि आज भी भारत का आम नागरिक मूल भूत सुविधाओं से वंचित है
बहुत ही जबरदस्त रिपोर्ट, नर्मदा घाटी में आंजनबारा के साथ साथ लगभग 15 गाव ऐसे है जहाँ पर सरकारी योजनाए और मूलभूत सुविधाएं शून्य है। आज भी यहां के लोगो के लिए सड़क, बिजली, शिक्षा, पेयजल, रहने के लिए पक्का घर, मोबाइल नेटवर्क एक असंभव सा सपना है। आप ने इस रिपोर्ट के माध्यम से ग्राम आंजनबारा के दर्द को पूरी दुनिया के सामने रखा इसके लिए पूरे गाँव की तरफ से धन्यवाद।
यहां पर एक तथ्य स्पष्ट करना चाहूंगा कि डुबक्षेत्र के इन गांवों ने सरकार द्वारा पुनर्वास सुविधा लेने से इनकार नही किया बल्कि सरकार द्वारा ही पुनर्वास की सुविधा गाव के बहुत कम लोगो को दी गई।
अभी आंजनबारा में जो लोग रह रहे है ये वो लोग है जिन्हें गाँव मे उनका सब कुछ डूब जाने के बावजूद सरकार ने पुनर्वास के लिए अपात्र माना है। सरकार द्वारा बांध बनाने से पहले जमीनी स्तर का सर्वे कभी नही किया गया जिसके चलते बहुत से लोगो जमीन और पुर्नवास से रह गए। आंजनबारा से केवल 54 लोगो को पुनर्वास का पात्र माना और केवल उन्हीं को जमीन दी गई और उनके परिवार गुजरात के बसाहट में रहते है। शेष जो अभी भी डुबक्षेत्र में में रह रहे उन्हें लंबे संघर्ष और आवेदन निवेदन के बावजूद सरकार ने पुनर्वास हेतु पात्रता नही दी जिसके चलते उन्हें पहाड़ो ने कष्टमयी जीवन बिताना पड़ रहा है। आज भी 100 से ज्यादा परिवार जमीन और पुनर्वास सुविधा न मिलने के कारण आंजनबारा में ही रह रहे है।
इन दुर्गम इलाके जहाँ सरकार और जनप्रतिनिधि आजादी के बाद भी नही पहुंच पाए है ऐसी जगह पर पहुँचकर शानदार रिपोर्टिंग के लिए Shades of Rural India का बहुत बहुत आभार व बधाई।
आदिवासी क्षेत्रों में गैर आदिवासी जमीन नही खरीद सकते,, तो फिर विकास कैसे संभव है?आदिवासी समुदाय केवल सरकारी खैरात लेने के आदी बन चुके हैं,, वो सोचते हैं कि सरकार उन्हें लगातार मदद देती रहे,पर बदले में उनके इलाकों में कोई निवेश न आने पाए,,1985 में इंदिरा जी द्वारा आदिवासियों को भलाई के लिए बनाया गया कम्यून ही आज उनके गले की हड्डी बन गया है अब समय आ गया है कि उस कानून में बदलाव किया जाए,
आदिवासी क्षेत्रों में गैर आदिवासी जमीन नही खरीद सकते,, तो फिर विकास कैसे संभव है?आदिवासी समुदाय केवल सरकारी खैरात लेने के आदी बन चुके हैं,, वो सोचते हैं कि सरकार उन्हें लगातार मदद देती रहे,पर बदले में उनके इलाकों में कोई निवेश न आने पाए,,1985 में इंदिरा जी द्वारा आदिवासियों को भलाई के लिए बनाया गया कम्यून ही आज उनके गले की हड्डी बन गया है अब समय आ गया है कि उस कानून में बदलाव किया जाए,
@@buddha2845 महोदय कौनसी खैरात आदिवासियों को बाटी जा रही है जरा स्पष्ट करे, सच्चाई तो यह है कि इस देश के विकास में सबसे बड़ा योगदान आदिवासियों का है बांध, रेलवे, खदान, हाई वे आदि के निर्माण के लिए आदिवासियों से जबरन उनकी जमीने छीनी गई, आंकड़े उठाकर देख लो बड़े बड़े विकास प्रोजेक्ट में सबसे ज्यादा बेघर आदिवासी हुए है। आदिवासी जल जंगल जमीन व खनिज से संम्पन्न क्षेत्र में बसे हुए है सरकार औऱ उद्योगपतियों को यही बात खटक रही है और हमेशा किसी न किसी तरीके से उन्हें अपनी जगह से बेदखल करने की साजिश की जाती है । हर प्रकार के आधुनिक विकास कार्यों के लिए केवल आदिवासी समुदाय ऐसा है जिसने अपने संसाधनों की कुर्बानी दी है। बांध या खदान के लिए आपकी जमीन औऱ संसाधन छीन कर आपको बिना विस्थापन के भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता तो समझ पाते कि असल मे कुर्बानी क्या होती है।
यह तर्क कहाँ तक उचित है कि आदिवासी क्षेत्र में विकास के कार्य तभी किये जाए जब उनकी जमीन गैर आदिवासी को खरीदने की इजाजत दी जाए। सच तो यह है कि आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासी को खरीदने की इजाजत मिल जाती है तो संसाधन सम्पन्न इलाको से आदिवासियों को खदेड़ना औऱ भी आसान है।
आदिवासी समुदाय ने कभी सरकार से खैरात नही मांगी केवल वही सुविधाए मांगी जो देश के अन्य नागरिक को दी जा रही है। बिजली, सड़क, पेयजल, शिक्षा व स्वाथ्य देश के सभी नागरिकों के लिए शासन की जिम्मेदारी है न कि खैरात।
@@rohitpadiyar9992 सीधी बात यह है कि आदिवासियों जैसे दोमुंहे और कोई नही,,उन्हें सरकारी खैरात तो चाहिए, पर जमीन का कब्जा भी छोड़ना नही है,, इतनी सारी मुफ्तखोरी की योजनाओं ने आदिवासियों को सरकारी जमाई बाबू बना दिया है,,
कविकास के कामो में क्या सिर्फ आदिवासियों की जमीनें जाती हैं?जी नही,सभी वर्गों की जमीनों को सरकार और उद्योगों को देना पड़ता है,, बड़े हाई वे हो या फेक्ट्री,,गैर आदिवासी की जमीनें तो कई गुना ज्यादा ली जाती हैं,,
पर ये एक विक्टिम कार्ड की तरह रोना रोने की आदत पड़ गई है क्योकि इंदिरा गांधी ने ऐसा वाहियात कानून बनाया था कि आज बहुत से आदिवासी खुद की जमीन चाहते हुए भी बेच नही पा रहे,
मैं आदिवासी समुदाय के बीच रह चुका हूँ और उनकी मानसिकता को परख लिया है, उन्हें हर आधुनिक सुविधा तो चाहिए, पर बिना कुछ गंवाए,,ऐसा नही चल सकता महाशय,,कुछ पाना है तो कुछ त्यागना पड़ता है
अगर आदिवासी समाज ये सोचते हैं कि उनके इलाके में गैर आदिवासी समुदाय का दखलंदाजी न हो तो फिर शहरों में आकर मजदूरी करने का, घर खरीदने का हक भी छोड़ देना चाहिए,, गैर आदिवासी क्षेत्रों में तो सभी वर्गों को बसने का,घर मकान खरीदने का हक है तो फिर आदिवासी क्षेत्रों में उल्टा कानून क्यों?
एक आदिवासी किसी गैर आदिवासी की खेती की जमीन तो खरीद सकता है, पर अगर वही जमीन दुबारा से कोई गैर आदिवासी खरीद करना चाहे तो वो नही कर सकता,, ऐसा दोगला कानून कितना उचित है महाशय?
गांवों की अवहेलना दुर्भाग्य पूर्ण है,🚩👍
नेटावो की बोल ,मोदी की स्पीच ,और अनाप सनाप बकने वाले वे निजी मीडिया , कहा चले जाते है।जो बात का बतंगड़ बनकर महीनों तक भौंकते है ।क्या इन्हे इनकी जानकारी नहीं मिलती होगी।और शिवराज सिंह को पता नहीं चला 20 साल राज करने के बाद भी।वाह री राम राज्य की सपने दिखाने वाले। शर्म से डूब मरो।
हम भी ऐसे क्यों नहीं रहते थे और जीवन बहुत खुश था लेकिन शहर में आकर पूरी तरह जीवन पूरी तरह निराश हो गया मुझे तो गांव का ही जीवन पसंद है जहां ना लाइट हो ना मोबाइल हो कुएं से पानी लेकर आना था गाय भैंस तालाब में पानी पिला कर लाते थे और चूल्हे की रोटी कितनी अच्छी लगती थी वह मेरा गांव मुझे याद आ गया मेरी आंखों में आंसू आ गए
इनका पुनर्वसन करना चाहिए
🙏🙏 सर हमारी पहली उम्मीद तो यह बनती है कि इन हमारे आदिवासी लोगों के लिए पढ़ाई की व्यवस्था हो फिर बाद में इनका रास्ता अपने आप खुल जाएगा👍👍
आदिवासी क्षेत्रों में गैर आदिवासी जमीन नही खरीद सकते,, तो फिर विकास कैसे संभव है?आदिवासी समुदाय केवल सरकारी खैरात लेने के आदी बन चुके हैं,, वो सोचते हैं कि सरकार उन्हें लगातार मदद देती रहे,पर बदले में उनके इलाकों में कोई निवेश न आने पाए,,1985 में इंदिरा जी द्वारा आदिवासियों को भलाई के लिए बनाया गया कम्यून ही आज उनके गले की हड्डी बन गया है अब समय आ गया है कि उस कानून में बदलाव किया जाए,
Sarkare is area ka vikash hi nahi chahati ha.
@@GopalMeena-or4go ĺ
Vo ye kabhi nahi karenge
एक ज़रूरी रिपोर्ट , जो देखी जानी चाहिए👏
🙏🏿🙏🏿🙏🏿
नीतू सिंह जी को तहे दिल से धन्यवाद। नर्मदा घाटी मे निवास करने वालो की समस्या से अवगत कराया।शासन कब सुध लेगा,पता नहीं।दुनिया मंगल पर जा रही है ये बेचारे जंगल मे भटक रहे हैं।
हमारा जीवन दर्शन कराने के लिए आपका बहोत बहोत धन्यवाद.
ऐसे बहुत गांव है जो दुर्गम भाग से पुनर्वास के विरोधी है . इस लिए उन गावों तक सहायता नही पहूच पाई . उन भाईयोंको जहाँ भी उनका सरकारने पुर्नवास किया है वहाँ जाना चाहीये ताकी एह भी सभी सरकारी योजनाओका फायदा उठा सके और अपना जिवन सुखमय और सुंदर बना सके
यहां पर एक तथ्य स्पष्ट करना चाहूंगा कि डुबक्षेत्र के इन गांवों ने सरकार द्वारा पुनर्वास सुविधा लेने से इनकार नही किया बल्कि सरकार द्वारा ही पुनर्वास की सुविधा गाव के बहुत कम लोगो को दी गई।
अभी आंजनबारा में जो लोग रह रहे है ये वो लोग है जिन्हें गाँव मे उनका सब कुछ डूब जाने के बावजूद सरकार ने पुनर्वास के लिए अपात्र माना है। सरकार द्वारा बांध बनाने से पहले जमीनी स्तर का सर्वे कभी नही किया गया जिसके चलते बहुत से लोगो जमीन और पुर्नवास से रह गए। आंजनबारा से केवल 54 लोगो को पुनर्वास का पात्र माना और केवल उन्हीं को जमीन दी गई और उनके परिवार गुजरात के बसाहट में रहते है। शेष जो अभी भी डुबक्षेत्र में में रह रहे उन्हें लंबे संघर्ष और आवेदन निवेदन के बावजूद सरकार ने पुनर्वास हेतु पात्रता नही दी जिसके चलते उन्हें पहाड़ो ने कष्टमयी जीवन बिताना पड़ रहा है। आज भी 100 से ज्यादा परिवार जमीन और पुनर्वास सुविधा न मिलने के कारण आंजनबारा में ही रह रहे है।
इन दुर्गम इलाके जहाँ सरकार और जनप्रतिनिधि आजादी के बाद भी नही पहुंच पाए है ऐसी जगह पर पहुँचकर शानदार रिपोर्टिंग के लिए Shades of Rural India का बहुत बहुत आभार व बधाई।
जिंदगी ज़ीने का आंनद तो मां नर्मदा के सवर्णों में आता है ऐसा नसीब कहा है हमारा
कितने अच्छे हैं ये लोग शहर के आदमी तरसते हैं से जीवन के लिए और घूमने के लिए ऐसे गांव को खोजते हैं मोबाइल नहीं है तो कितना अच्छा है इस मोबाइल में शहर के लोगों का जीवन ही बर्बाद कर दिया एक छत के नीचे रहकर 5 आदमी एक दूसरे से बात नहीं करती मोबाइल पर ही एक दूसरे को बुलाते हैं कितने शर्म की बात है इस जीवन को आप कह रही हैं अच्छा नहीं है मैं रही हूं गांव में
मैं उन लोगों के लिए कुछ कर सकूं कुछ सिखा सकता प्लीज मेरा तो बहुत सपना है ऐसे लोगों से मिलने
Aa जाओ 👍 ऐसे लोगों की जरूरत है
गांव की हकीकत जानकर बहुत हैरानी हुई क्या ये ही है 21वी सदी का भारत
बहुत बहुत धन्यवाद आपका प्यार ❤️कि आपने ऐसा कवरेज किया है।
काश मैं मध्यप्रदेश के ऊंचे स्तर का अधिकारी होता तो शायद इस क्षेत्र के विकास के लिए सोचता 🤔🤔
thanks for bring this to public view. government should do more for this community.
Development kya Pollution & tree Cutting
बेहतरीन काम 🙏
धन्यवाद
Mere ko is video ko dekh kar bahut Dukhi Laga mam Aisa Jagah jakar bahut acche video kiye ho
यहां के लोगों की जिंदगी बहुत मुश्किल है, वीडियो देखने और शेयर करने के धन्यवाद
@@shadesofruralindia आदिवासी क्षेत्रों में गैर आदिवासी जमीन नही खरीद सकते,, तो फिर विकास कैसे संभव है?आदिवासी समुदाय केवल सरकारी खैरात लेने के आदी बन चुके हैं,, वो सोचते हैं कि सरकार उन्हें लगातार मदद देती रहे,पर बदले में उनके इलाकों में कोई निवेश न आने पाए,,1985 में इंदिरा जी द्वारा आदिवासियों को भलाई के लिए बनाया गया कम्यून ही आज उनके गले की हड्डी बन गया है अब समय आ गया है कि उस कानून में बदलाव किया जाए,
आजाद भारत यह बहुत बड़ी विडंबना है जहां इंसान को इंसान नहीं समझा जाता। ।।। जय मेवाड़ नाथ जय श्री राधे
Great work ❣️🙏
रविन्द्र भई साब से प्राप्त लिंक द्वारा सब्सक्राइब किया हूँ बाकी अद्भुत क़ाबिले तारीफ़👌👌👌
Very knowledgeable video
बहुत सराहनीय कदम 🙏
आपके प्रयासों को नमन
Narmada, the sacred land of austerity if remains neglected progress for India is a mirage, nothing will succeed. Everything will be annihilated....Kaliyug drama goes on.
Thanks a lot.🕉🙏🕉
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏धन्यवाद व आभार जीवन का वास्तविक धरातल का सत्य,हृदय झकझोर देने वाला सत्य,प्रभुकृपा हो यह प्रार्थना है,शासन की जानकारी में है तो,वंचित क्यों🙏🙏
Bhut Sundar kam kr rhin aap
बहुत खूब आपको हार्दिक हार्दिक बधाई।🙏🙏🌺🌺💐💐
Great girl of india.. Great work 💕dear.. Humanity remember you
बहुत सुंदर जगह है कास में भी जासकता लेकीन जो लोग रहते हैं बहुत कठिन होता है बहुत सरल स्वभाव वाले हैं उनकी दिनचर्या बहुत सरल है कास मैं भी जासकता
Very good and very nice report thanks
बेहतरीन प्रयास..!
Outstanding effort ...❣️👌
बहुत भाग्यशाली हो ईश्वर ने इतना
ऐश्वर्या दिया है!
Nitu shingi apney bahot bada net Kam kiya apko dilsy thanyvad
सुविधाएं देना चाहिए जल्दी ही प्रधानमंत्री जी को मेरा हाथ जोड़कर निवेदन है कि सभी ग्राम वासियों को होस्पीटल की सुविधा ओर स्कुल की सुविधा ओर रोड़ लाईट की जरुरत पुरी करे 🙏🏻🇮🇳🙏🏻🇮🇳🙏🏻
Great work
Very naturally beautiful village
We can learn a lot from them
ये ही जीवन सबसे बड़ा अनमोल सुंदर है
Jai..............SARNA ,
Jai............... ADIWASI
JHARKHAND love.........
सुपर हे विडीयो
Bahut Achcha Gaon hai
Thanks for highlighting this region on the bank of Holy Narmada. Most neglected since independence....
Bikash is like daydream. Many more such places must be there....not coming to limelight.
India is dreaming of online banking, Internet 5G installation n Bullet train n what not! Anyway, Almighty rules over Creation not 5G, industry, nuclear power. 🙏🕉🙏Hara Narmade
Good job
DHANYAWAD AAP KA PARYAS BAHOT HE ACHA HA GOVERNMENT KO KUCH KARNA CHAHIYE HA MA NARMADAY HAR 🙏🙏
बहुत मार्मिक 🤕 नर्मदा विस्थपित ग्रामीण आदिवासि लोग ,,, भीलाला आदिवादी समुदाय क लोग
bahut dhanyawad Aap ka aap kawarej kiya
good work 🤗🤗✌️✌️✌️✌️🙏🙏🙏🙏
Bahoot shandar kaam
Good job 😊😊👍
मे भी अलीराजपुर जिले से बिलोंग करता हु हम चाहते हे की अलीराजपुर को महाराष्ट्र से जोड़ा जाये जिसे की यहा की आवक भी अच्छी हो ओर महाराष्ट्र से ट्रांसपोटेशन भी हो जिसे ओर गाव शहर मे उन्नति हो भी सभी गाव वासियो शहर वासियो को मांग करनी चाहिए की हमारे अलीराजपुर जिले को महाराष्ट्र से जोड़ा जाये
बहुत बहुत धन्यवाद मेम जी
Jai Hind Jai Bharat Jai
Such a beautiful village 😍🤩
Good .....aap bol rahe ho... achhe din aa Gaye....ab batao...kaise din aye...
Aise hi jagho ki report ki jaani chahiye ...behatreen work 🙏
धन्यवाद
Mai Tu anil bhai ke link se dekhane aya ho 😀. But, content is very good 👍
Apka dhanyawad
Good video 🤷🤷🤷
Good👍👍🙋♀️🙋♀️🙋♀️🙋♀️🙋♀️
Bahoot shandar story
हम भी नर्मदा धाट रहवासी थे अब तापी जिल्ले में रहने लगे है
Verry good
आज भी बहुत सारे गाँव है जो मुख्य धारा से कटे हुए हैं, शिक्षा, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, मूलभूत सुविधाएं न के बराबर है, सरकार बस आजादी का अमृत महोत्सव. मना रही है🙏
Ancare aap ko naman hi.
बहुत खूब मैडम
Waaa kiti Sundar aahe ❤
सरकार से निवेदन है कि सभी ग्राम वासियों को विकास की गति को जल्दी से जल्दी लागु करे जल्दी से जल्दी सभी को अपनी कठिनाई को आसान बनाने में मदद करे जय श्री राम 🚩🙏🏻🙏🏻 सभी तिनो राज्ये की सरकार
Mam ji jo bhi hai so hai but view bahut hi aachha hai ji
वीडियो अच्छा है , लेकिन संतुलित विकास जरूरी है । उन लोगों को सोलर लाइट, battery देनी चाहिए ।
अगर यह इलाक़ा विकसित हो जाता है तो अमीर लोगों के भेट चढ़ जाएगा ।
आदिवासी क्षेत्रों में गैर आदिवासी जमीन नही खरीद सकते,, तो फिर विकास कैसे संभव है?आदिवासी समुदाय केवल सरकारी खैरात लेने के आदी बन चुके हैं,, वो सोचते हैं कि सरकार उन्हें लगातार मदद देती रहे,पर बदले में उनके इलाकों में कोई निवेश न आने पाए,,1985 में इंदिरा जी द्वारा आदिवासियों को भलाई के लिए बनाया गया कम्यून ही आज उनके गले की हड्डी बन गया है अब समय आ गया है कि उस कानून में बदलाव किया जाए,
बहुत अच्छा लगा मैडम मैं तो ऐसे आपके साथ जुड़ना चाहती हूं चलना भी
Mai bhi
Village nice
सुपर स्टार सकरजा
Ye video, ynha ke sansad mahoday, MLA sahb ko bhjna chahiye.......
देशकी आजादी के ईतनि साल हो गए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ है ।कितनी नरम जनक बात है।हरेक पोलीटिकल पार्टी को यह अख्तर बाबत है।
Hamara vikasit Bharat
mast ✌️✌️✌️✌️✌️🙏🙏🤗
शिवराज चौहान तो गला फाड़ फाड़कर कहते हैं हमने इतने लोगों को घर दिया इतने लोगों को पट्टा दिया। जमीन दिया।विकास किया। यहां तो देखकर लगता की हमारे एमपी।में अभी भी 18वी सतावदी में हैं
Juthha hai rajput.
Sacchi Patrakarita ke liye aap Ko Salam karta hu ma,am 🙏
They are happier than us.....They sleep without sleeping dose.....No BP .....No sugar cmplaint.....No court case....let them live happily...
beautiful didi 👌👌👌👌👌👌👌👌👌
नर्मदे धाम में किसी आश्रम में रहना चाहता हूं, हमारा बुडापा आ गया, हम चाहता हूं नर्मदे मां, के कोई आश्रम में जीवन बीतना साधु संग, के साथ - ज्योतिषी श्री शंकर शास्त्री
जय मां नर्मदा हनुमान मंदिर में पदाएरे
Very very good
Jai shree Ram ji waheguru ji waheguru ji
va kya bath hai
Very nice Madam ji aapane Villege ki samasya Bahar dikhaye
Sachai Dikhai aapne sallut h aapko
Excellent work🤘🤘
Most sacred river is being used to make the rich,richer at the cost of these hapless people who are totally neglected by inept authorities, what a tragic case betrayal.
Thanks
મંદિર ભગવાન પાસલ રૂપિયા ખર્ચ વિયર્થ છે
খুব ভালো লাগলো ভিডিওটা। এই রকম অনেক ভিডিও দেখতে চাই।
ধন্যবাদ, বাটানগর, পশ্চিমবঙ্গ ।
Jay hind madam jee
जरूरी देखने लाइक सूचना समाचार