एक बात तो अवश्य माननी पड़ेगी। ये नागबरण महोदय स्वयं जितने ही अशिक्षित, अस़स्कारित और अपरिपक्व हों, इन के साथ जो सहकारी, सलाहकार हैं, वो निश्चित ही हमारे देश के नेता तथा प्रतिष्ठित नागरिकों का निरीक्षण-अवलोकन करते हैं। ये तथाचार्य, तंतोतंत शरद पवार का ही व्यक्तित्व समक्ष रखकर लिखा गया है!
रामा के मार्ग में एकोपरांत एक संकट निर्माण करने एवं उस के मार्ग में सदैव बाधाएं उत्पन्न करने के तथाचार्य के सारे प्रयास, तथा रामा का हर अवसर पर तथाचार्य को असफल करते जाना, ये सब देख कर मुझे महाराष्ट्र के दो नेताओं का स्मरण होता है : देवेन्द्र फडनवीस (रामा), और शरद पवार (तथाचार्य)। पवार भी फडनवीस की क्षमताओं से इतने डरे हुए हैं (डरपोक व्यक्ती ही षड्यंत्र रचता रहता है, और पवार ने पूर्ण जीवन भर अन्य कोई काम किया ही नहीं है), कि सदैव उन के मार्ग में बाधाएं उत्पन्न करते रहते हैं, और हर बार फडनवीस पवार को मात देकर सुखरूप निकल जाते हैं।
बिना महारानी के साज़शृंगार के भी सोनिया शर्मा उतनी ही राजसी प्रतीत होती हैं। प्रतीत होता है, यही उनका वास्तव जीवन में रूप-स्वरूप है। वो जन्मतः राजसी ही हैं...
शुरू हो गये समस्त द्वितीय-तृतीय कक्षा मे शिक्षा लेनेवाले व्यापारी बालक "एक साथ नमस्ते" के अभ्यास के अनुसार "हम इस का विरोध करेंगे!" ये वयस्क व्यापारी जन ऐसा समन्वय का अभ्यास करने हेतु कौनसी रात्रि की पाठशाला में जाया करते हैं? जय हो, जय हो महान दिग्दर्शक नागबरण जी की शून्य कल्पना क्षमता की!
कृष्णदेवराय कह रहे हैं, "अब दिवसों के लिये कोई बैठक नहीं", मानो वो अन्य समय प्रतिदिन बैठक के उपरांत बैठक ही करते हों। इतने संस्करणों में हमने तो उन्हें अधिक तर तिरुमलंबा के "स्वयं अपने हाथों से बनाए" व्यंजन खाते हुए और अपनी वास्तव प्रतिक्रिया मुख पर न आने देने की पराकाष्ठा ही तो करते देखा है; बैठकें कब लीं उन्हों ने? हां, हां, अवश्य ही नागबरण के स्वप्न में ली होंगी...
Ish natak ko dekh k mari sari tenson khatm ho jati h ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤ i love rama and kirshndev raye ji ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤😊😊😊😊😊
एक बात तो अवश्य माननी पड़ेगी। ये नागबरण महोदय स्वयं जितने ही अशिक्षित, अस़स्कारित और अपरिपक्व हों, इन के साथ जो सहकारी, सलाहकार हैं, वो निश्चित ही हमारे देश के नेता तथा प्रतिष्ठित नागरिकों का निरीक्षण-अवलोकन करते हैं। ये तथाचार्य, तंतोतंत शरद पवार का ही व्यक्तित्व समक्ष रखकर लिखा गया है!
रामा के मार्ग में एकोपरांत एक संकट निर्माण करने एवं उस के मार्ग में सदैव बाधाएं उत्पन्न करने के तथाचार्य के सारे प्रयास, तथा रामा का हर अवसर पर तथाचार्य को असफल करते जाना, ये सब देख कर मुझे महाराष्ट्र के दो नेताओं का स्मरण होता है : देवेन्द्र फडनवीस (रामा), और शरद पवार (तथाचार्य)। पवार भी फडनवीस की क्षमताओं से इतने डरे हुए हैं (डरपोक व्यक्ती ही षड्यंत्र रचता रहता है, और पवार ने पूर्ण जीवन भर अन्य कोई काम किया ही नहीं है), कि सदैव उन के मार्ग में बाधाएं उत्पन्न करते रहते हैं, और हर बार फडनवीस पवार को मात देकर सुखरूप निकल जाते हैं।
बिना महारानी के साज़शृंगार के भी सोनिया शर्मा उतनी ही राजसी प्रतीत होती हैं। प्रतीत होता है, यही उनका वास्तव जीवन में रूप-स्वरूप है। वो जन्मतः राजसी ही हैं...
शुरू हो गये समस्त द्वितीय-तृतीय कक्षा मे शिक्षा लेनेवाले व्यापारी बालक "एक साथ नमस्ते" के अभ्यास के अनुसार "हम इस का विरोध करेंगे!" ये वयस्क व्यापारी जन ऐसा समन्वय का अभ्यास करने हेतु कौनसी रात्रि की पाठशाला में जाया करते हैं?
जय हो, जय हो महान दिग्दर्शक नागबरण जी की शून्य कल्पना क्षमता की!
🎉1st🎉
कृष्णदेवराय कह रहे हैं, "अब दिवसों के लिये कोई बैठक नहीं", मानो वो अन्य समय प्रतिदिन बैठक के उपरांत बैठक ही करते हों। इतने संस्करणों में हमने तो उन्हें अधिक तर तिरुमलंबा के "स्वयं अपने हाथों से बनाए" व्यंजन खाते हुए और अपनी वास्तव प्रतिक्रिया मुख पर न आने देने की पराकाष्ठा ही तो करते देखा है; बैठकें कब लीं उन्हों ने? हां, हां, अवश्य ही नागबरण के स्वप्न में ली होंगी...
भला हो नागबरण जी का; उन्होनें कृष्णदेवराय तथा चिन्नादेवी को लाईटर से सिलिंडर का गॅस जलाते हुए नहीं दिखाया! उन के लिये ये असंभव नहीं है...
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ये नागबरण जी का कैसा दिग्दर्शन है मुझे ज्ञात नहीं है रहा : रामा इस प्रकार चीनी स्त्रियों की भांति छोटे छोटे पादविक्षेप का आचरण क्यों करते हैं?
Appesodno
भला हो नागबरणजी का, कि ऐसे समय उन्होंने कभ्म से कम तिरुमलंबा को तो विजयनगर से बाहर रखा है!