Satguru Teoonram Chalisa Mahima Bhajan ( Swami Teoonram Ji Aa Mahima Apar) Satguru Bhagat Prakash Ji

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  • Опубліковано 29 тра 2020
  • #AmrapurAsthan_SatnamSakhi
    !! ॐ सतनाम साक्षी !!
    !! चालीहा भजन !!
    स्वामी टेऊँराम जी महिमा अपार
    बेड़ा सभिन जा कन्दो आ पार
    चालीहे जो व्रतु रखे जो, धारे मन विश्वास।
    सत्गुरु टेऊँराम तहींजा, काज करे थो रास।।
    1. पहिरिएं दीहुं प्रेमा भगितीअ सां, धरि सत्गुरु जो ध्यान।
    बिए दीहुं ब्या सभ ख्याल हटाए, करि गुरु जो गुणगान।।
    स्वामी टेऊँराम ........
    2. टिएं दीहुं टेक वठिजि सत्गुरु जी, बिए दे कीन निहारि।
    चोथें दीहुं चरननि कमलनि जो, वठिजि अखण्डु आधारि।।
    स्वामी टेऊँराम ........
    3. पंजे दीहुं पल पल प्रीतम जी, प्रेम सां करि त पचारि।
    छहे दीहुं छदि छलु वलु कूड़ो, सच जी करि तूं कारि।।
    स्वामी टेऊँराम ........
    4. सतें दीहुं सचे सतगुरु देव जो, नामु हिरदे में ध्याइ।
    अठें दीहुं अभिमान त्यागे, नीवों मनु त बणाइ।।
    स्वामी टेऊँराम ........
    5. नाएं दीहुं निवीं चरननि में, भुल चुक सभु बख्शाइ।
    दहें दीहुं दातरि खे सारिजि, दिलि मां कीन भुलाइ।।
    स्वामी टेऊँराम ........
    6. यारहें दीहुं यकतारे वांगे, दिलि जी तारि वजाइ।
    बारहें दीहुं बाझारे अगियां, हथ जोड़े बादाइ।।
    स्वामी टेऊँराम ........
    7. तेरहें दीहुं तनु मनु मालिक जे, लेखे तूं त लगाइ।
    चोदहें दीहुं चाकर थी दर जो, सिक सां सेव कमाइ।।
    स्वामी टेऊँराम ........
    8. पन्दरें दीहुं पाए पान्द गिचीअ में, हर हर सीसु झुकाइ।
    सोरहें दीहुं स्वासनि सां सोरे, साहिब खे सरचाइ।।
    स्वामी टेऊँराम ........
    9. सतरहें दीहुं सची सुमतीअ जो, घुरि तूं गुर खां ज्ञानु।
    अरड़हें दीहुं अमरापुर वारे, जा जितु म´ु अहसान।।
    स्वामी टेऊँराम ........
    10. उन्वीहें दीहुं उणतुण ख्यालनि जी, तहिंजो करि तूं त्यागु।
    वीहें दीहुं वचननि वीचारे, धारिजि मन वैरागु।।
    स्वामी टेऊँराम ........
    11. एकीहें दीहुं एतबारु अटलु रखु, मन खे नां तूं दोलि।
    बावीहें दीहुं ब्याई छदि बोड़े, दिल जा दर तूं खोल।।
    स्वामी टेऊँराम ........
    12. टेवीहें दीहुं टोड़े बन्धन सभु, निरभय नामु उच्चारि।
    चोवीहें दीहुं चङनि जे संग सां, चङा लछण तूं धारि।।
    स्वामी टेऊँराम ........
    13. पंजवीहें दीहुं प्रीत पकी तूं, प्रीतम सां नितु जोड़ि।
    छवीहें दीहुं छिनी छदि माया, ममता जी तूं दोरि।।
    स्वामी टेऊँराम ........
    14. सतावीहें दीहुं सतचित आनन्दु, जो तुहिंजो आ रूपु।
    अठावीहें दीहुं अनभइ अख्युनि, सां पसि निज स्वरूपु।।
    स्वामी टेऊँराम ........
    15. उणटीहें दीहुं ऊन्दहि मेटे, रोशनु करि दीबानु।
    टीहें दीहुं टरन्दो भवुभोलो, पाए गुरु जो ज्ञानु।।
    स्वामी टेऊँराम ........
    16. एकटीहें दीहुं ऐनु अन्दर में, करि आतम प्रकाशु।
    बटीहें दीहुं बारिजि दिल अन्दर, दीओ ज्ञान जो खासु।।
    स्वामी टेऊँराम ........
    17. टेटीहें दीहुं टहल सेवा सां, मन जी मैलि निवारि।
    चोटीहें दीहुं चित में सतगुरु जी, मूरत खे त विहारि।।
    स्वामी टेऊँराम ........
    18. पंजटीहें दीहुं परम पवीतर, गुरु बाणी तूं गाइ।
    छअीहें दीहुं छिकताण छदे बी, दम सां हूंग हलाइ।।
    स्वामी टेऊँराम ........
    19. सतटीहें दीहुं सिक साजन जी, सीने मंझि छिपाइ।
    अठटीहें दीहुं अठई पाहर, नांव सां लिंवड़ी लाइ।।
    स्वामी टेऊँराम ........
    20. उणेतालीहें दीहुं उथी तूं, ओर अन्दर में ओरि।
    चालीहें दीहुं चुप रहिजि बाहिरां, चरखो चित में चोरि।।
    स्वामी टेऊँराम ........
    अहिड़ी रीति करे चालीहो, सत्गुरु जो बणु दासु।
    सतगुरु जी कृपा सां थीन्दा, दुखड़ा सभई नासु।।

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