रणिहाट नि जाणो गजेसिंह …सुना है यह चौफला (गजे सिंह रणिहाट मत जाओ).Gajesingha
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- Опубліковано 9 лют 2025
- रणिहाट नि जाणो गजेसिंह …सुना है यह चौफला
(गजे सिंह रणिहाट मत जाओ)
उत्तराखंडी लोक संगीत
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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जै हिमालय, जै भारत। मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार उत्तराखंड की सबसे प्रसिद्ध चौफला-- -- रणिहाट नि जाणो गजेसिंह -- की याद दिला रहा हूं। पहाड़ का यह लोकप्रिय गीत चौफला की श्रेणी में आता है। इस बारे में जब तक मैं आगे बढूं, तब तक इस हिमालयी लोग चैनल को लाइक व सब्सक्राइब अवश्य कर दीजिए। आप जानते ही हैं कि हिमालयी क्षेत्र के इतिहास, लोक, भाषा, संस्कृति, कला, संगीत, सरोकार आदि को देश- दुनिया के सामने रखने के लिए हिमालयीलोग चैनल लाया गया है। आप इस आलेख को हिमालयीलोग वेबसाइट में पढ़ भी सकते हैं।
रणिहाट नि जाणो गजेसिंह । मेरो बोल्युं मान्याली गजेसिंह ।। आपने यह गीत अवश्य सुना होगा। कौथिग, मेलों में इसे लोग सामूहिक तार पर गाते रहे हैं। यह गीत इस तरह है।
गीत
रणिहाट नि जाणो गजेसिंह । मेरो बोल्युं मान्याली गजेसिंह ।।
हलजोत का दिन गजेसिंह । तू हौसिया बैख गजेसिंह ।।
छिः दारु नी पेणी गजेसिंह। रणिहाट नी जाणू, गजेसिंह ।।
सया तीला बाखरी गजेसिंह । छाट्ट -छाट्ट छींकदी गजेसिंह ।।
बड़ा बाबू का बेटा गजेसिंह । रणिहाट नी जाणू, गजेसिंह ।।
त्यरा कानू कुंडल गजेसिंह ।त्यरा हाथ धागुला गजेसिंह । ।
त्वे राणि लूटली गजेसिंह । रणिहाट नी जाणू, गजेसिंह
तौन मारे त्यरो बाबू गजेसिंह । वैर्यों को बंदाण गजेसिंह ।।
त्वे ठोंरी मारला गजेसिंह । रणिहाट नी जाणू, गजेसिंह
आज न भोल गजेसिंह । भौं कुछ ह्वे जैन गजेसिंह ।
मर्द मरि जाण गजेसिंह । रणिहाट नी जाणू, गजेसिंह ।।
बैरियों का बदाण गजेसिंह, सांपू का डिस्याण, गजेसिंह ।।
बोल रइ जाण गजेसिंह । रणिहाट नी जाणू, गजेसिंह ।।
तेरो बाबू मारेणे गजेसिंह, राणिहाट नी जाणू गजेसिंह
बड़ा बाबू को बेटा गजेसिंह, दरोलो नी होणो, गजेसिंह
मर्द मरी जाँदा गजेसिंह, बोल रई जांदा, गजेसिंह।
रणिहाट नी जाणू, गजेसिंह । मेरो बोल्युं मान्याली गजेसिंह ।।
वास्तव में, हिमालयी क्षेत्र का लोक संगीत बहुत ही अदभुद और कर्णप्रिय है। वेदों और पुराणों की रचना इसी क्षेत्र में हुई। अर्थात वेदों की ऋचाएं भी यहीं गाई गईं। यही परंपरा आज भी जारी है। ......
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जी बिल्कुल सही कहा आपने ये गीत हमने नजीबाबाद रेडियो स्टेशन से बहुत सुना था आज इसकी कथा आपके द्वारा हृदय में बस रही है धन्यवाद डॉक्टर साहेब
उत्तराखंड की लोक संस्कृति को लोगों के सामने लाने के लिए आपका प्रयास सराहनीय कदम है।
👍👍💓🌷🌷अति सुन्दर 🙏🙏
Very informative... thanks ❤️
सुंदर।जय उत्तराखंड
गीत संगीत का बदलता स्वरूप किसी समाज का उस दौर मे बदलते समाज एवं उसके रूप को रेखांकित करता है
Jai ho
बहुत सुंदर 🙏
जय देवभूमि 🙏🌹
Ati sundar prastuti ❤️ jai dev bhumi uttrakhand 🎪🙏
प्रणाम सुप्रभात जी बहुत ही सुंदर प्रस्तुति हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान है जय हो देव भूमि उतराखंणड
यह गीत शायद बीर भड़ गजेन्द्र सिंह भंडारी से संबंधित है जो गढ़वाल नरेशो की राजधानी श्रीनगर मे हो रहे राजनीतिक उथल पुथल के दौर में श्रीनगर आया था परंतु वापस अपने गाँव नहीं जा पाया l उसके बाद ही इस गीत की रचना की गयी l इन गीतों के अंदर हमारा इतिहास भी छुपा हुआ है l
❤❤❤apke video s me mujhe aksar un prashno ke uttar milte h jo google ni bata pata...😅 kaleki hamar padek parampara ka barema vema itu records ne Chan.... I want to learn more about these classical garhkumouni forms of music... is there any institute for them?... or any book you could tell me?
Hatwal ji hai ek ,unki book hai ek jhamako naam se ,but usme Chamoli k folks geet hai ,jaise himgiri ki cheli, fyoladiya, Nanda Devi k geet or bhi bahut se