देव जागर - नेगी परिवार, ग्राम फलासी द्वारा मां गढ़देवी का आह्वान - 5

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  • Опубліковано 12 вер 2024
  • देव जागर - नेगी परिवार, ग्राम फलासी द्वारा मां राजराजेश्वरी तथा मां गढ़देवी का आह्वान
    Dev Jaagar - Invocation of Rajrajeshwari and Maa Garh Devi, by Negi Family, Village Falasi, Chopta, Rudraprayag - 26/05/2023 to 31/05/2023
    गढ़ देवी या गड़देवी उत्तराखंड की प्रमुख देवी है। यह देवी सम्पूर्ण उत्तराखंड में नाथपंथी देवताओं के साथ अलग अलग रूप में पूजी जाती है। इन्हे सभी देवताओं की धर्म बहिन माना जाता है। कई लोग बताते हैं कि , भगवान गोरिया के साथ ये अन्यारी देवी के रूप में पूजी जाती हैं। इनका निवास पहाड़ों के गाढ़ गधेरों में माना जाता है। इसलिए इनका नाम गढ़ देवी कहते हैं। इन्हे माँ काली का अवतार माना जाता है। इस देवी के एक नहीं बाईस रूपों की पूजा होती है। इन्हे बाईस बहिनें गढ़ देवी के नाम से भी जाना जाता है। गढ़ देवी के पृथ्वी पर अवतरण की कहानी कुछ इस प्रकार बताई जाती है। …
    एक बार सिदूवा -बिदुवा रमोलो द्वारा एक महायज्ञ का आयोजन किया गया। इस महायज्ञ में समस्त लोको के देवी देवताओं ,यक्ष गंधर्वों को न्योता भेजा गया। सभी देवताओं के साथ इस महायज्ञ में बाइस बहिने गढ़ देवी भी आई इंद्र लोक से और साथ में आछरियां ,परियां भी आई। यज्ञ समाप्ति के उपरांत यज्ञ का भाग का वितरण करने कार्य सौपा गया ,भूमिया देवता ,गोल्जू को जिसमे उन्होंने सभी देवी देवताओं देवभूमि में स्थान देना था। भूमिया देवता गोल्ज्यू ने बाईस बहिनों को अलग अलग स्थान प्रदान किये। किसी को गाड़ गधेरे दिए तो वो गढ़ देवी कहलायी। किसी को डाना (ऊँचे पहाड़ ) दिए तो वो डाना की देवी कहलायी। जिसको जो स्थान रहने को दिया ,वो वही बस कर उसी नाम से पूजी जाने लगी। गोलू देवता द्वारा भूमि पर स्थान देने के बाद ,ये उनको अपना धर्म भाई मानने लगी और तबसे ये गोलू देवता साथ भी पूजी जाने लगी। कुछ कहानियों में बताया जाता है , कि गोलू देवता के साथ यह अन्यारी देवी के रूप में पूजी जाती है। गोलू देवता के भाई कलुवा देवता साथ भी गढ़ देवियाँ रहती हैं।
    गढ़ देवी के बारे में दूसरी कहानी इस प्रकार है , … सात बहिने परिया और उनके साथ पृथ्वी लोक में आई आठवीं गढ़ देवी। जब वापस जाने की बारी आई तो परियां अपने लोक में चली गई और गढ़ देवी गलती से पृथ्वी लोक में ही छूट गई। गढ़ देवी ने पृथ्वी लोक में ,अपनी आक्रमक और विनाशक शक्तियों से लोगो को परेशान करना शुरू कर दिया। उस समय के राजा थे भृगमल। उन्होंने गड्ढा खोद कर गढ़ देवी को दबा दिया गया। अभिमंत्रित पत्थर से गड्डा बंद करके उन्हें मृत्यु लोक से नाग लोक भेज दिया। बारह महीने नागलोक में रहने के बाद ,गढ्देवी का मन नागलोक में नहीं लगा। वो वहां परेशान रहने लगी। इस संदर्भ में गढ़ देवी जागर में एक लाइन भी है ,’
    ‘बार मासो रई तू ,बेतालों दगड़ी ”
    बारह महीने वहां रहने के बाद ,वहां वो परेशान होने लगी ,वहाँ रोने लगी। दादू -दादू (बड़ा -भाई ) करके विलाप करने लगी । उस समय पृथ्वी लोक में गुरु गोरखनाथ का अवतरण था। गुरु गोरखनाथ जी ने अपनी दिव्य सिद्धियों द्वारा गढ़ देवी की करुण पुकार सुन ली। गुरु गोरखनाथ जी ने कहा मै तुम्हे इस नागलोक से तभी बाहर निकालूंगा ,जब तुम मुझे वचन दोगी कि ,तुम मृत्युलोक में लोगों को बेवजह परेशान नहीं करोगी ! जैसा मै कहूंगा वैसा करोगी ! गढ़देवी को तो नागलोक से कैसे भी करके बहार निकलना था। उन्होंने गुरु की सारी शर्तें मान कर उन्हें निभाने का वचन दे दिया। तब गुरु गोरखनाथ उस अभिमंत्रित पत्थर को अपनी सिद्धियों से हटा कर , गढ़ देवी को बाहर निकाल देते हैं। तब देवी उन्हें अपना धर्म भाई बना लेती है। इस प्रकार वो सभी नाथपंथी देवताओं की धर्म बहिन होती है। वहाँ से बाहर निकालने के बाद ,गड देवी को आध्यात्मिक और तांत्रिक शिक्षा और मन्त्र प्रदान करते हैं। सभी तंत्र मन्त्र शिक्षा सीखा कर ,गुरु गोरखनाथ जी , गढ़ देवी को बारह वर्ष तक अपनी झोली में रखते हैं।
    गुरु गोरखनाथ की झोली में भी उनका मन नहीं लगता। वो गुरु गोरखनाथ जी से कहती है , हे गुरु मुझे झोली में नहीं रहना ! मुझे तो सारा संसार देखना है। मुझे आप बंगाल ले चलो। तब गुरु गोरखनाथ देवी को बंगाल ले जाते हैं। वह उन्हें एक दूसरे गुरु मिलते हैं। और वो गुरु उनका शृंगार करके उन्हें देवी रूप प्रदान करके गाड़ ( छोटी नदी) रहने को देते हैं। तब से वो गाड़ की गढ़ देवी बना देते हैं।
    कुमाउनी जागरों में जागर गाने वाला जो जगरिया होता है ,उसे गुरु गोरखनाथ का स्वरूप माना जाता है। समस्त अवतरित देवता उसके निर्देशन में कार्य करता है। गुरु गोरखनाथ जी की धर्मबहिन होने कारण , जगरिया गढ़ देवी को भूलू कहते हैं।
    गढ़देवी जागर का एक अंश -
    गढ़देवी ….. हा सोलह शृंगार करण भई जाछे ….. ओह्ह बैणा..
    …. मेरी भूलू ..अरे रंगीली पिछोड़ी पैरण भेगेछे ..
    कुछ इस जगरिया गढ़ देवी को चाल देता है।
    #Rajrajeshwari #Garhdevi #Invocation

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