उत्तम आकिंचन्य धर्म 2002, जयपुर

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  • Опубліковано 18 вер 2024
  • Uttam Aakinchanya Dharma 2002, Jaipur - उत्तम आकिंचन्य धर्म 2002, जयपुर
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    Daslakshan Parv 2002, Jaipur
    Playlist : • दशलक्षण पर्व- जयपुर, 2002
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    परमपूज्य मुनिश्री क्षमासागर जी द्वारा उत्तम आकिंचन्य धर्म पर दिए प्रवचन
    "The ultimate responsibility is with me."
    • आकिंचन्य का भाव हमें स्वावलंबन की प्रेरणा देता है। यहां अपने सुख-दुख, उत्थान-पतन, अच्छे-बुरे के लिए हम स्वयं जिम्मेदार है।
    • एकाकी होने का मतलब ये नहीं है कि परिवार समाज और प्राणिमात्र से हटकर कहीं खड़े हो जाना बल्कि उन्हीं के बीच ऐसा जीवन जीना कि किसी के आलम्बन की आवश्यकता ही नहीं है लेकिन सबको मेरा आलम्बन है, सबको मैं सहारा हूँ। मुझे किसी के सहारे की आवश्यकता नहीं है इस तरह का जो भाव है वास्तव में वह आकिंचन्य का भाव है।
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