जय हो गौरा देवी का मन्दिर माता पार्वती को समर्पित है जब मां ने महिषासुर का बंध किया था ,तब देवताओं से अपने पुत्र कार्तिकेय के प्रति कुपित भावना को देखते हुए अशांत थी। और देवी ने अस्त्र-शस्त्र और युद्ध के लिए मना किया था और इसी का ताड़कासुर ने फायदा उठाया और कार्तिक को मारने के लिए महिषासुर को भेज दिया,और देवी ने जब महिषासुर को कार्तिक से युद्ध करते देखा तो क्रोधित हो उठे और अम्बे रूप रख महिषासुर का बंध कर दिया,और वहां से दूर अन्तर्ध्यान हो गई,और देवलगढ़ में मन्दिर के बहार एक चौपड़ बनी है पर बैठ कर आराम करने लगे , काफी समय बाद भगवान शिव, गणेश कार्तिकेय भी वही पहुंच गये ।वह मन्दिर महिषासुर मर्दनी को समर्पित है, तब से मन्दिर का पिछला भाग बंद है वह कभी नहीं खुलता । बहार वाले प्रथम भाग में सुमाडी की एक कन्या की मृत्यु हो गई जो गौरा बनी जिसकी स्थापना मन्दिर में कर बैसाखी का मेला लगता है राज राजेश्वरी देवी का मन्दिर अलग है तो तीन मंजिला है राजा देवल के आने से देवलगढ़ जाना गया किन्तु यह भूमि शिव के निवास होने पर नाथ जोगीयो की हो गई थी जिसमें एक ऋषि दिलगौर नाम से था , उनके नाम से दिलगौढ पड़ा अभी भी पुराने या स्थानीय लोगों दिलगौढ का नाम उच्चारण ज्यादा करते हैं ❤
Jai mata Rani ki jai ho
सुंदर जानकारी
shukriya
Nice to know...***
jai ho
Jay ho ma jagdamba 🙏 teri Jay ho ma. 🙏
jai ho
Jai Ho.... nice view beautiful temples
🙏 jai mata di
Jai maa 🙏🙏🙏
🙏🙏🙏
भाई राज राजेश्वरी और नन्दा उत्तराखंड की इष्टदेवी भी है व बहनों में सबसे बड़ी राज राजेश्वरी देवी है
jai gauradevi jai mata di🙏💐💐🌹🌹🏵🏵
Jai ho 🙏
जय हो
गौरा देवी का मन्दिर माता पार्वती को समर्पित है जब मां ने महिषासुर का बंध किया था ,तब देवताओं से अपने पुत्र कार्तिकेय के प्रति कुपित भावना को देखते हुए अशांत थी। और देवी ने अस्त्र-शस्त्र और युद्ध के लिए मना किया था और इसी का ताड़कासुर ने फायदा उठाया और कार्तिक को मारने के लिए महिषासुर को भेज दिया,और देवी ने जब महिषासुर को कार्तिक से युद्ध करते देखा तो क्रोधित हो उठे और अम्बे रूप रख महिषासुर का बंध कर दिया,और वहां से दूर अन्तर्ध्यान हो गई,और देवलगढ़ में मन्दिर के बहार एक चौपड़ बनी है पर बैठ कर आराम करने लगे , काफी समय बाद भगवान शिव, गणेश कार्तिकेय भी वही पहुंच गये ।वह मन्दिर महिषासुर मर्दनी को समर्पित है, तब से मन्दिर का पिछला भाग बंद है वह कभी नहीं खुलता ।
बहार वाले प्रथम भाग में सुमाडी की एक कन्या की मृत्यु हो गई जो गौरा बनी जिसकी स्थापना मन्दिर में कर बैसाखी का मेला लगता है
राज राजेश्वरी देवी का मन्दिर अलग है तो तीन मंजिला है राजा देवल के आने से देवलगढ़ जाना गया किन्तु यह भूमि शिव के निवास होने पर नाथ जोगीयो की हो गई थी जिसमें एक ऋषि दिलगौर नाम से था , उनके नाम से दिलगौढ पड़ा अभी भी पुराने या स्थानीय लोगों दिलगौढ का नाम उच्चारण ज्यादा करते हैं ❤
Jai gora mata devi
Meza aa gya bhai ,
Thankyou brother keep loving
@@manjeetfromkotdwar welcome
Very beautiful 👌👌❤❤
Jai Mata Di 🙏🙏
Thankyou 🙏 jai mata di
Jai maa rajrajeshwari
jai ho
Hamari kuldevi h ma rajrajeswari
Meri Bahu ji hai Deval Garh ki
bahut achi jagah hai
maa gurja devi ham kala cast ki kuldevi hai . jah ma gurja
👍👍🇮🇳❤❤❤
देवलगढ़ शहर नही गाव है।
2""श्री गौरा मंदिर को राजराजेश्वरी का मंदिर बताकर भ्रम फैलाने का प्रयास माना जाएगा।
अगर कहीं कोई गलती हुई हो तो क्षमा चाहेंगे 🙏🏻
Bhai jo river dikha iska name kya h
Alaknanda river
@@manjeetfromkotdwar❤❤
पूरी नॉलेज नहीं है आपको अभी,,, मैं भी यही का hu
Jitni knowledge thi utni koshish ki hai btane ki
Itihash kuch or h or likha kuch or gya durbhagye Ki baat h
Jitna maine study kiya utna bta diya hai, baaki kuch or hai to wo bhi bta denge
Devalgarh tehari riyasat ke raja ajay pal ki kuldevi thi or yah tehri walon ko kuldevi hai
Yes
Tum KO itihaash ka pta nhi h
Jitna bhi pta tha aap logo ko bta diya 🙏 baaki aap bta dijiye