जीवन का उद्देश्य भाग २
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- Опубліковано 13 вер 2024
- एक उच्च साधक का लक्षण है किसी में भी दुर्भावना नहीं, पता नहीं कौन क्या है, किस-किस भाव से कौन उपासना करता है। सबके तरीके अलग-अलग हैं। आज कोई सचमुच भी मक्कार है तो क्यों है? प्रारब्ध के कारण है। वो २५ तारीख को उसका प्रारब्ध खतम हो जाएगा। तो फिर वो सदाचारी हो जाएगा पहले की तरह। और हम दुर्भावना किए बैठे हैं उसके ऊपर। हमारा तो सत्यानाश हो गया और वो तो बन गया। उसमें बहुत रहस्य हैं। इसलिए साधक को दूसरे की ओर देखना ही नहीं चाहिए। और देखे भी कभी या बुद्धि लग भी जाओ तो- पता नहीं कौन क्या है भैया, अपन झगड़े में न पड़ो। बीबी पति के, पति बीबी के अंदर की बात को नहीं जान सकता।
एक सेठ जी कभी भगवान् का नाम न ले और न मन्दिर जायें। सेठानी परेशान थी कि ये नास्तिक पति मिला। एक दिन सोते समय, अंगड़ाई लेते समय उन्होंने कहा 'राधे'। तो सबेरे स्त्री ने सब दान-पुण्य करना शुरू कर दिया। ब्राह्मण भोजन का इन्तजाम किया। खुशी मना रही थी। सेठ जी ने कहा- क्योंरी, आज तो न जन्माष्टमी है, न रामनवमी है, कुछ त्यौहार तो है नहीं! उन्होंने कहा आज बहुत बड़ा त्यौहार है पतिदेव! क्या? आपने आज सोते समय करवट बदलने लगे तो 'राधे' कहा। हाऽ! राधे नाम निकल गया बाहर? भक्ति के तरीके हैं अपने-अपने सबके । स्त्री नहीं समझ पाई इतने दिन से।
और फिर एक बात सबसे बड़ी और है वो हमेशा ध्यान में रखो सब लोग कि कोई व्यक्ति खराब हो, राक्षस हो, भगवान् का निन्दक, सन्तों का निन्दक, सबसे बड़ा पाप ये ही है। ये लगातार करता हो। लेकिन एक बात बताओ कि कोई ऐसा पापी है विश्व में जिसके अंत: करण में भगवान् न बैठे हों? अरे! कुत्ता बिल्ली, गधा कोई भी ऐसा प्राणी है जिसके भीतर भगवान् श्रीकृष्ण न बैठे हों? तो फिर तो बराबर हो ही गया तुम्हारे। और सब चीज़ का मूल्य कुछ नहीं है। एक तराजू में सोना भी रखा , चांदी भी रखा, हीरा भी रखा है और पारस भी रखा है और एक तराजू के पलड़े में खाली पारस रखा है। तो तोलोगे तो क्या बराबर ही निकलेगा। क्योंकि पारस दोनों में है। अब हीरे मोती की क्या कीमत है, हो न हो? पारस दोनों में है। तो भगवान् तो सब प्राणियों में हैं। इसीलिये वेदव्यास और तुलसीदास सब संतो ने कहा कि - पर पीड़ा सम नहिं अधमाई।
सबसे बड़ा पाप है दूसरे को दुःख देना, ये न सोचना हैं कि इसके अंदर भी श्रीकृष्ण बैठे हैं। जैसे हम आज एस.पी. हैं, कलेक्टर हैं और हमारा कोई नौकर है, चपरासी है और हमने अपनी सीट के कारण डाँटा, फटकारा, दण्ड दिया। ये भूल गए कि इसके अंदर भी वही बैठे हैं जो हमारे अंदर हैं। तो ये सब सोचने की बात है। इसका अभ्यास करे धीरे-धीरे तो हृदय में कोई गलत चीज न आने पावे।
देखो, आप लोग दाल चावल सब खाते हैं। खाते-खाते कोई कंकड़ आ गया तो ऐसे मुँह बनाकर उसको हाथ से निकाल कर बाहर कर देते हैं। निगल नहीं जाते। धोखेे में चला जाय तो बात अलग है। ऐसे ही कोई भी अच्छी चीज आवे ठीक है। किसी का गुण आवे बहुत अच्छा है। अरे! चौबीस गुरु बनाये दत्तात्रेय ने। कुत्ते को गुरु बनाया, गधे को गुरु बनाया। भगवान् के अवतार थे दत्तात्रेय। लेकिन उन्होंने कहा- भई! इसमें भी ऐसा गुण है जो मनुष्यों से अधिक बलवान है। वो मनुष्य में नहीं है। किसी मनुष्य की नाक ऐसी है, जो बता दे कि इधर से गया है चोर? कोई आई. ए. एस ऐसा हुआ है आज तक? और कुत्ता बता देता है इधर से गया है, बारह घण्टे पहले, वह चलता है उसी-उसी रास्ते से, आगे-आगे। इसीलिये सब जगह अच्छी चीज जहाँ दिखाई पडे, ले लो और जहां खराब चीज दिखाई पडे वहाँ सोच लो कि पता नहीं क्या रहस्य है ऊपर-ऊपर से एक्टिंग कर रहा है खराबी की।
अरे! गोपियाँ कितनी गालियाँ देती थीं भगवान् को। हम लोग अगर वहाँ होते या रहे हो, तो सुने होंगे और कहा होगा, ये भगवान् की भक्त है! क्या अंडबंड बोल रही है।
एक सखी ने किशोरी जी से कहा कि तुम नन्दनन्दन से क्यों प्यार करती हो? वो तो बड़ा लम्पट है, हर लड़की के पीछे घूमता रहता है और सबको धोखा देता है। तो किशोरी जी ने कहा, सखि! तू नहीं जानती वो ऐसा क्यो करतें हैं? वो ऐसा इसलिए करते हैं कि हमारा उनका प्यार पब्लिक में आउट न हो। यानी एक दोष को भी गुण के रूप में ले लेना। ये प्रेमी की पहचान है। वेद की ऋचायें कहती हैं,अरे अरे! मैं जानती हूँ अनादिकाल से। राजा बलि को ठगा और शूर्पणखा के नाक कान कटवा दिये, बाली को छिप कर मारा, मुझे सब मालूम है इसका पुराना चिट्ठा पहले का। तो सखि कहती है फिर- छोड़ो! हटाओ। अरे! ये नहीं हो सकता। उसका चिन्तन, उससे प्यार, वह कम नहीं होगा। हम उस व्यवहार पर भी लट्टू हैं। देखो, सर्वसमर्थ होकर के भी और बालि को छिप कर मारा, ये कलंक मोल लिया। सभी संसार में बदनामी कि उसके पीठ में मार रहे हैं। उसको माला पहना कर मार रहे हैं। मथुरा से भागकर द्वारिका चले गए, रणछोर की डिग्री लेने के लिए। सारी दुनियाँ में बदनामी हो गई। तुम्हारे भगवान कैसे हैं? तो कौन समझ सकता है? भगवान् का रहस्य तो खैर
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Joi Joi Joi Jagad Guru Kripalujee zMoha R😮ajki Joi.
🍀🍀Lovely Guru karpalu Maharaj 🍀🍀
Param pujya gurudev ke sri charno mei mera pranaam swikaar karre mere pyare guruvar💐💐💐💐🙏🙏🙏🙏🙏
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Guru ji parnam 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
Aap ki Jay Ho Gurudev
Jai Gurudev, Radhe Radhe ji
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Jai Gurudav Radhe Radhe
Jay ho Hamare Guru Dev Pyare ki Jay
Gyanamrit Pillayiea Jagad Guru zJlKripalu Jee Moha R😮aj Ki Joi.
हमारे प्यारे गुरुवर की जय हो ❤❤❤❤❤
Jagat Guru kripalu Ji Maharaj ke charno me koti koti pranam
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Kewal bhakti marg gurudeb kripa se
Aacharya mam bijaniyan navamanneta karhichit na martye buddhya suyeta sarva deva mayo guru:🎉❤😇💕👏💞😇🙏
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Radhe radhe