कारीगर ने अजब बनाया चरखे का भेद ना पाया ।। सरोज घणघस ।।

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  • Опубліковано 20 сер 2024
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    टेक:- हे कारीगर ने अजब बनाया, चरखे का भेद ना पाया ।।
    1. बंद कोठड़ी में बैठ बनाया, हे इसमें लोहा भी ना लाया चरखे का भेद ना पाया, जब यो चरखा बण के आया, सारे कुनबे के मन को भाया, खूब खिलाया खूब पिलाया हे यो सबने लागा प्यारा, चरखे का भेद ना पाया ।।
    2. जब चरखे में आई जवानी, खूब करी अपणी मन मानी, बात किसे की कोन्या मानी, हे ना हर त ध्यान लगाया, चरखे का भेद ना पाया ।। टेक...
    3. जब चरखे में आया बुढ़ापा चारों खूंटे हलन लागे, यो चरखा घुण ने खाया चरखे का भेद ना पाया ।। टेक....
    4. टूट गई माला उधड़ गई जतनी, हे यो ताकू ने बल खाया चरखे का भेद ना पाया ।। टेक...
    5. मूर्ख जाणे चरखा गाया, हे काया का शब्द बनाया चरखे का भेद ना पाया ।। टेक....

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