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भजन : तेरी अपार महिमा कैसे बयान होवे II आर्य समाज वैदिक भजन II
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- Опубліковано 29 бер 2024
- भजन : तेरी अपार महिमा कैसे बयान होवे II आर्य समाज वैदिक भजन II
एल्बम : भजन माला
Singer : Dinesh Dutt
Author : Satypal Pathik
Composer : Rajesh Sharma Rahi
Publisher : Swar Sangam Audio Cassettes
संगीत : राजेश शर्मा राही
published on March 24, 2024
Music Label : Swar Sangam Audio Cassettes
Vendor : GoBindas Entertainment Pvt. Ltd.
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Category
Music
License
Standard UA-cam License
Bahut sunder prastuti sat sat naman
Bahut hi sundar prastuti ❤❤
Om ji
आर्य समाज का विकास हो वैदिक धर्म की जय 🙏🙏🌹🌹🙏🙏
Sat naam sat saheb ji...
Bandgi saheb...
Thank you.!
Vaidik dharm ki jai❤
मैं एक आर्य पुत्र उप नाम हिन्दू मेरा देश आर्य वर्त भारत उप नाम हिन्दू स्थान।। भ्रमित नाम इण्डिया।। गुरु माता पिता आचार्य वेद भगवान्।। गुरु मंत्र गायत्री।।
Hardev Sharma koti koti Naman
Om namaste vaidic dharm ki jai 🙏🏽🙏🙏🙏🙏🎉
वेदिक धर्म की जय हो
Very wonderful Bhajan.
🕉️🙏 ॐ सच्चिदानंदघन परब्रह्म परमात्मने नमः 🙏 कृण्वन्तो विश्वमार्यम 🌄🌻❤️🙏🚩🌹
🕉🕉🕉🙏🙏🙏
Aum. Back to Vedas for establishing peace in God's creation.
Bahut sunder Bhajan
ATI uttam
नमस्ते जी🙏 कैथल हरियाणा
Fantastic jai shree ram
ओउम्
Bahut sundar bhajan & singing 🎉🎉❤
जैसे राष्ट्र पति की कोई पार्टी नहीं होती ठीक इसी तरह सत्य सनातन परमात्मा का कोई मत महजब समप्रदाय नहीं होता।। सत्य एक है झूठ पाखंड अनेक है। ओउम् शान्ति शान्ति शान्ति।।
L
ल्लल्लल
ल्लल्लल
🎉 ओउम नाम परमात्मा का नहीं है। अकार उकार मकार सतोगुण रजोगुण तमोगुण ब्रह्मा विष्णु महेश। यह परमात्मा नहीं है।
🎉 वेद ज्ञान जो पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं।
🎉 वेद ज्ञान यजुर्वेद कामंत्र है संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है। दुनिया माया को ही परमात्मा समझ रही है।
🎉 परमात्मा सच्चिदानंद स्वरुप है सत्य है चेतन है और आनंद स्वरूप है उन्हें निराकार कहना अपराध है।
सत्य नाम कहाँ से चोरी किया। कबीर जैसे करोड़ों कवि हो गये हैं इस धरा पर। सत्य एक है झूठ छल कपट पाखंड अनेक है।। ओउम्।।।
@@HaridevSharma-rc1jv जो पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं। यह कौन कह रहा है? यह वेद ही कह रहे हैं। तो सत्य शब्द यहां से लिया गया है।
परमात्मा सृष्टि कर्ता विश्व कर्मा भगवान् है उसे साकार कहना और संसार को भ्रमित कर ना अपराध है। ओम्।।
@@HaridevSharma-rc1jv साकार निराकार कहना वेद विरुद्धहै। वेदों की बात क्यों नहीं समझ आती?
साकार निराकार दोनों से अलग है उसे सचिचादानंद स्वरुप कहा है। सत्य है चेतन है और आनंद स्वरूप है। अर्थात अपनी आत्माओं में अनुभव करने का विषय है। जो सरकार निराकार से अलग है। दिव्य स्वरूप सत्यहै चेतन है और आनंद स्वरूप है। सच्चिदानंद स्वरूप में क्रीड़ा है। जड़ नहीं है चेतन है।
सत्य म् वद धर्म चर अर्थात सत्य बोले और धर्म का आचरण करैं। वेद भगवान्।। वेद में परमात्मा का स्वरूप सतचित आनन्द अर्थात सच्चिदानंद स्वरूप निराकार सर्व व्यापक सर्वान्तर्यामी अजर अमर अभय नित्य पवित्र और सृष्टि कर्ता है कोई शरीर धारी परमात्मा नहीं हो सकता। शरीर धारी महापुरुष ऋषि विद्वान मनुष्य आदि होते हैं क्योंकि परमात्मा एक है और जीवात्मा अनेक है। धन्यवाद।।
Om ji