श्री राधा चालीसा सम्पूर्ण ~Shree radha chalisa sampurn | radha ashtami~radha chalisa ~ radha chalisa

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  • Опубліковано 16 вер 2024
  • श्री राधा चालीसा सम्पूर्ण ~Shree radha chalisa sampurn | radha ashtami radha chalisa ~ radha chalisa
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    राधा अष्टमी Special : श्री राधा चालीसा | श्री राधा जी की आरती
    ॥ दोहा ॥
    श्री राधे वुषभानुजा,
    भक्तनि प्राणाधार ।
    वृन्दाविपिन विहारिणी,
    प्रानावौ बारम्बार ॥
    जैसो तैसो रावरौ,
    कृष्ण प्रिया सुखधाम ।
    चरण शरण निज दीजिये,
    सुन्दर सुखद ललाम ॥
    ॥ चौपाई ॥
    जय वृषभान कुंवारी श्री श्यामा ।
    कीरति नंदिनी शोभा धामा ॥
    नित्य विहारिणी श्याम अधर ।
    अमित बोध मंगल दातार ॥
    रास विहारिणी रस विस्तारिन ।
    सहचरी सुभाग यूथ मन भावनी ॥
    नित्य किशोरी राधा गोरी ।
    श्याम प्राण धन अति जिया भोरी ॥
    करुना सागरी हिय उमंगिनी ।
    ललितादिक सखियाँ की संगनी ॥
    दिनकर कन्या कूल विहारिणी ।
    कृष्ण प्रण प्रिय हिय हुल्सवानी ॥
    नित्य श्याम तुम्हारो गुण गावें ।
    श्री राधा राधा कही हर्शवाहीं ॥
    मुरली में नित नाम उचारें ।
    तुम कारण लीला वपु धरें ॥
    प्रेमा स्वरूपिणी अति सुकुमारी ।
    श्याम प्रिय वृषभानु दुलारी ॥
    नावाला किशोरी अति चाबी धामा ।
    द्युति लघु लाग कोटि रति कामा ॥10
    गौरांगी शशि निंदक वदना ।
    सुभाग चपल अनियारे नैना ॥
    जावक यूथ पद पंकज चरण ।
    नूपुर ध्वनी प्रीतम मन हारना ॥
    सन्तता सहचरी सेवा करहीं ।
    महा मोड़ मंगल मन भरहीं ॥
    रसिकन जीवन प्रण अधर ।
    राधा नाम सकल सुख सारा ॥
    अगम अगोचर नित्य स्वरूप ।
    ध्यान धरत निशिदिन ब्रजभूपा ॥
    उप्जेऊ जासु अंश गुण खानी ।
    कोटिन उमा राम ब्रह्मणि ॥
    नित्य धाम गोलोक बिहारिनी ।
    जन रक्षक दुःख दोष नासवानी ॥
    शिव अज मुनि सनकादिक नारद ।
    पार न पायं सेष अरु शरद ॥
    राधा शुभ गुण रूपा उजारी ।
    निरखि प्रसन्ना हॉट बनवारी ॥
    ब्रज जीवन धन राधा रानी ।
    महिमा अमित न जय बखानी ॥ 20
    प्रीतम संग दिए गल बाहीं ।
    बिहारता नित वृन्दावन माहीं ॥
    राधा कृष्ण कृष्ण है राधा ।
    एक रूप दौऊ -प्रीती अगाधा ॥
    श्री राधा मोहन मन हरनी ।
    जन सुख प्रदा प्रफुल्लित बदानी ॥
    कोटिक रूप धरे नन्द नंदा ।
    दरश कारन हित गोकुल चंदा ॥
    रास केलि कर तुम्हें रिझावें ।
    मान करो जब अति दुःख पावें ॥
    प्रफ्फुल्लित होठ दरश जब पावें ।
    विविध भांति नित विनय सुनावें ॥
    वृन्दरंन्य विहारिन्नी श्याम ।
    नाम लेथ पूरण सब कम ॥
    कोटिन यज्ञ तपस्या करुहू ।
    विविध नेम व्रत हिय में धरहु ॥
    तू न श्याम भक्ताही अपनावें ।
    जब लगी नाम न राधा गावें ॥
    वृंदा विपिन स्वामिनी राधा ।
    लीला वपु तुवा अमित अगाध ॥ 30
    स्वयं कृष्ण नहीं पावहीं पारा ।
    और तुम्हें को जननी हारा ॥
    श्रीराधा रस प्रीती अभेद ।
    सादर गान करत नित वेदा ॥
    राधा त्यागी कृष्ण को भाजिहैं ।
    ते सपनेहूं जग जलधि न तरिहैं ॥
    कीरति कुमारी लाडली राधा ।
    सुमिरत सकल मिटहिं भाव बड़ा ॥
    नाम अमंगल मूल नासवानी ।
    विविध ताप हर हरी मन भवानी ॥
    राधा नाम ले जो कोई ।
    सहजही दामोदर वश होई ॥
    राधा नाम परम सुखदायी ।
    सहजहिं कृपा करें यदुराई ॥
    यदुपति नंदन पीछे फिरिहैन ।
    जो कौउ राधा नाम सुमिरिहैन ॥
    रास विहारिणी श्यामा प्यारी ।
    करुहू कृपा बरसाने वारि ॥
    वृन्दावन है शरण तुम्हारी ।
    जय जय जय व्र्शभाणु दुलारी ॥ 40
    ॥ दोहा ॥
    श्री राधा सर्वेश्वरी,
    रसिकेश्वर धनश्याम ।
    करहूँ निरंतर बास मै,
    श्री वृन्दावन धाम ॥
    ॥ इति श्री राधा चालीसा ॥
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