जो बनावो सो बन जायेंगे। जहाँ भेजो वहीं जायेंगे। किसी देश में रहें, किसी भेष में रहें, पर तुम्हारे ही कहलायेंगे॥जहाँ०॥ तन-वचन-मन से तुम्हारे रहेंगे, कुछ कहेंगे तो तुमसे कहेंगे, जो सहावो, खुशी से सहेंगे, प्रेम सरिता में तुम्हरे बहेंगे, चाहे नियरे रहें, चाहे न्यारे रहें, सदा तेरे ही गुण गायेंगे॥जहाँ०॥ डर न अनुकूल प्रतिकूल का है, भेद नहिं फूल औ शूल का है, डर न मँझधार अरु कूल का है, खेद बस अपनी ही भूल का है, जो सहारा न दो, कुछ इशारा न दो, कैसे उलझन को सुलझायेंगे॥जहाँ०॥ मेरी डोरी प्रभु तेरे कर में, चाहे जंगल में रख लो या घर में, हों ठिकाने पै अथवा डगर में, रखना बस नाथ अपनी नजर में, नाम तेरा सुमर, तुमको ही याद कर, मन को तुमसे ही बहलायेंगे॥जहाँ०॥ कोई अरजी न कोई उलहना, तेरी रुचि में मगन होके रहना, तेरा निर्दिष्ट ही पंथ गहना, कुछ भी अपनी तरफ से न चहना, लागे तुमको सही, हम करेंगे वही, जिससे मन को तेरे भायेंगे॥जहाँ०॥ धाम से बरु धरा पर गिरा लो, या गिरे को हृदय से लगा लो, चाहे परिकर से बैरी बना लो, शत्रुता खूब जम के ठना लो, ठोस बैरी बने, युद्ध जम कर ठने, तीर तलवार चमकायेंगे॥जहाँ०॥ कुछ दिनों तक रहेंगे धरा पै, औ त्रिलोकी पै मारेंगे छापे, जग में परताप जब मेरा व्यापे, होंगे नारायण अवतीर्ण आपे, बैर से प्रभु को भज, तामसी तन को तज, प्रभु के चरणों में फिर आयेंगे॥जहाँ०॥
❤jay shiyaram❤Jay Jay shiyaram❤❤
Jai Shree Sita Ram
Jai Jai Shree Sitaram Gurudev bhagwan ji ❤️🙏
जय श्री सीताराम
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जो बनावो सो बन जायेंगे।
जहाँ भेजो वहीं जायेंगे।
किसी देश में रहें, किसी भेष में रहें,
पर तुम्हारे ही कहलायेंगे॥जहाँ०॥
तन-वचन-मन से तुम्हारे रहेंगे,
कुछ कहेंगे तो तुमसे कहेंगे,
जो सहावो, खुशी से सहेंगे,
प्रेम सरिता में तुम्हरे बहेंगे,
चाहे नियरे रहें, चाहे न्यारे रहें,
सदा तेरे ही गुण गायेंगे॥जहाँ०॥
डर न अनुकूल प्रतिकूल का है,
भेद नहिं फूल औ शूल का है,
डर न मँझधार अरु कूल का है,
खेद बस अपनी ही भूल का है,
जो सहारा न दो, कुछ इशारा न दो,
कैसे उलझन को सुलझायेंगे॥जहाँ०॥
मेरी डोरी प्रभु तेरे कर में,
चाहे जंगल में रख लो या घर में,
हों ठिकाने पै अथवा डगर में,
रखना बस नाथ अपनी नजर में,
नाम तेरा सुमर, तुमको ही याद कर,
मन को तुमसे ही बहलायेंगे॥जहाँ०॥
कोई अरजी न कोई उलहना,
तेरी रुचि में मगन होके रहना,
तेरा निर्दिष्ट ही पंथ गहना,
कुछ भी अपनी तरफ से न चहना,
लागे तुमको सही, हम करेंगे वही,
जिससे मन को तेरे भायेंगे॥जहाँ०॥
धाम से बरु धरा पर गिरा लो,
या गिरे को हृदय से लगा लो,
चाहे परिकर से बैरी बना लो,
शत्रुता खूब जम के ठना लो,
ठोस बैरी बने, युद्ध जम कर ठने,
तीर तलवार चमकायेंगे॥जहाँ०॥
कुछ दिनों तक रहेंगे धरा पै,
औ त्रिलोकी पै मारेंगे छापे,
जग में परताप जब मेरा व्यापे,
होंगे नारायण अवतीर्ण आपे,
बैर से प्रभु को भज, तामसी तन को तज,
प्रभु के चरणों में फिर आयेंगे॥जहाँ०॥