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ब्रह्म तत्व का विवेचन बहुत ही सुस्पष्ट भाषा शैली में अभिव्यक्त किया। धन्यवाद
जिसके द्वारा मन कल्पना करता है संकल्प करता है❤
मन को प्रकाशित करने वाला है। आत्मा।
Jai sree ram jai sree ram jai sree ram jai sree ram jai sree ram jai sree ram jai sree ram jai sree ram jai sree ram jai sree ram
Reflexes works
शब्द को ही पहले ब्रह्म कह जाता रहा है। पूर्वोक्तकाल काल में शब्द सोच समझकर सार्थक और प्रभावी ढंग से कहा जाता था। उन शब्दों के चमत्कार भी होते थे। शब्द को प्राण कहा जाता था वे मन कर्म वचन से सत्य होते थे।
निरुपम स्वरूप याने आदेश
जानने की प्रक्रिया अध्येता या जिज्ञासुओ के बह्मद्वार खोलती है मस्तिष्क का बिकास होता है।
सत्य को बह्म का साक्ष्य मान सकते है।
आत्मा में अवस्थित हुये बिना प्राण क्रियाशील नही होते।
Agnitatv ko janm se hi gyani tane janne mai saksham
Atma ek drvya padarth hai jisme fark nhi aata"Pani re pani tera rang kaisa, "
Bodh tatv
Prateyak gyata ka apna swarup brahm hi hai. Swayam ko janoBudhh ne ese dhamm vikas kaha hai
Brahm sukshm vivechan se labdh hota hai
Jaise phoolon mai khushbu?
Krishn atma ke adhyeta the
AUM Ananat Anant Anant shanti vishvam
Which intend you to do that sence
Durbal vyakti to atma mai hi jita hai usko sansar ki uplabdhiyo se kya lena dena
Aur shiv atmaswarup hai
Atma bodh ka karta hai
Bhai ye chapter 9 se start kaise ho rha ? Where are first 8 chapters
ब्रह्म तत्व का विवेचन बहुत ही सुस्पष्ट भाषा शैली में अभिव्यक्त किया। धन्यवाद
जिसके द्वारा मन कल्पना करता है संकल्प करता है❤
मन को प्रकाशित करने वाला है। आत्मा।
Jai sree ram jai sree ram jai sree ram jai sree ram jai sree ram jai sree ram jai sree ram jai sree ram jai sree ram jai sree ram
Reflexes works
शब्द को ही पहले ब्रह्म कह जाता रहा है। पूर्वोक्तकाल काल में शब्द सोच समझकर सार्थक और प्रभावी ढंग से कहा जाता था। उन शब्दों के चमत्कार भी होते थे। शब्द को प्राण कहा जाता था वे मन कर्म वचन से सत्य होते थे।
निरुपम स्वरूप याने आदेश
जानने की प्रक्रिया अध्येता या जिज्ञासुओ के बह्मद्वार खोलती है मस्तिष्क का बिकास होता है।
सत्य को बह्म का साक्ष्य मान सकते है।
आत्मा में अवस्थित हुये बिना प्राण क्रिया
शील नही होते।
Agnitatv ko janm se hi gyani tane janne mai saksham
Atma ek drvya padarth hai jisme fark nhi aata
"Pani re pani tera rang kaisa, "
Bodh tatv
Prateyak gyata ka apna swarup brahm hi hai. Swayam ko jano
Budhh ne ese dhamm vikas kaha hai
Brahm sukshm vivechan se labdh hota hai
Jaise phoolon mai khushbu?
Krishn atma ke adhyeta the
AUM Ananat Anant Anant shanti vishvam
Which intend you to do that sence
Durbal vyakti to atma mai hi jita hai usko sansar ki uplabdhiyo se kya lena dena
Aur shiv atmaswarup hai
Atma bodh ka karta hai
Bhai ye chapter 9 se start kaise ho rha ? Where are first 8 chapters