कैसे थे पुराने गढ़वाली गीत | विलुप्त होती सांस्कृतिक परंपरा (बाद्दी गायन एवं नृत्य) |
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- Опубліковано 6 лют 2025
- A documentary about the " विलुप्त होती सांस्कृतिक परंपरा एक प्रयास" We R thankful to all these living legends to help us. इस सांस्कृतिक विरासत और विलुप्त होती अन्य परम्पराओ के लिए आपका प्रयास हमेशा एक अध्याय बनेगा इतिहास का। इन्ही शुभकामनाओं के साथ MGV DIGITAL
सर सच में life आज तक ऐसी वीडियो पहली बार देख रहा हु,साथ मे आँखों से कुछ आंसू भी छलकने को तैयार हैं।जितने कलाकारों ने गाया और जिन्होंने डांस किया सच मे बहुत अनोखा था ।सर मुझे तो आज पता चल रहा है कि हमारी एक संस्कृति ऎसी भी है । धन्यवाद सर जी आपने इस video के माध्यम से हमें हमारी संस्कृति से रूबरू कराया।तहे दिल से आपका धन्यवाद सर जी।
Deepak Manral BHAI ji jatiwad Hindu dharam ko ......... App Muslim fayada .......
आप ने बचपन की याद दिला दी क्या सुन्दर दृश्य हुआ करते थे उन दिनो
नमन है इन कलाकारों को 🙏अगर इस प्रकार के कलाकारों को हमारे समाज में सम्मान मिलता तो शायद आज ये संस्कृति हमारे समाज में जीवित होती पर इस प्रकार की कला को कला के नजरिए से nhi बल्कि निम्न जाति के नजरिए से देखा गाया आज ये कला अगर लिप्त हुए हैं तो इसके जिम्मेदार हम लोग खुद हैं
संस्कृति वहीं जिसमें सभी को सम्मान बराबर
बहुत कुछ था जो अब नहीं और जो अब है वो आगे नहीं होगा 😔🙏🏻जय देवभूमि
बहुत सुंदर मनमोहक हमारे उत्तराखंड की संस्कृति जो आज बिलुप्ती की कगार पर है इस संस्कृति को बचाने का प्रयास कर देना चाहिए
आप को इस आखिरी पिड़ी के प्रस्तुत कर्ताओं को मै तैदिल से धनबाद करता हूं बहुत अछा लगा मन को छुंगया पुरानी यादें दिला दी आप ऐसे ही पोरूगारम दे ते रही आपको ढेर सारी शुभकामनाएं
Ye hai sachaa sangeet uttrakhand ka ye log bhagwan hain sach mein jo upar wale ne in kalakaron ko humare uttrakhand ki sachi aatma pradan ki hai.. dhanya hain ye sabhi kalakar🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति एवं पुरानी जानकारी।अति सराहनीय कदम।
बहुत ही सुन्दर लोक गीत व मनमोहक लोक संगीत व नृत्य । यह कला व संस्कृति सदैव रहे ।धन्यवाद
हम लोगों ने इनको सम्मान नही दिया इस लिए ये दिल को छूने वाली कला आज लुप्त हो गई है
बहुत बहुत धन्यवाद यह पुराने संस्कृति जिनको बड़ी बोलते थे गढ़वाली
बहुत सुंदर प्रस्तुति पुरानी यादें स्मर्ण हो गयी कम कम से 30साल से नहीं देखा यह बाद्यनृत्य को शायद अब देखने को मिलेगा नहीं सब पुरानी परम्परा बिलुप्त हो गयी या होनी की कगार पर है जिस सजन ने यहा विडियो डाली है बहुत धन्यवाद
लोग कितने नासमझ और नकारा थे जो इतनी सुन्दर और महान कला का मजाक बनाकर अपमानित करते रहे तथा आखरी पायदान पर धकेल कर नीच बना दिया जिसका परिणाम यह ह हुआ कि आने वाली पीढ़ी इस सुखद अनुभूति के लिए तरसती रहगी ।
उत्तराखंड में शिल्पकार समाज ने अनेक कलाओं से संस्कृति और सभ्यता को रक्षित और पोषित किया पर बदले में उन्हें अपमान झेलना पड़ा।
वास्तु कला, बाद्य कला, ढोल सागर, संगीत कला, मूर्ति कला, तिवारीखोली, औजार शिल्पकला, कृषि यंत्र कला, घराट पनचक्की कला, वस्त्र निर्माण कला, वर्तनशिल्प कला, पवाडेऔर जागर कला के पारंगत सम्राट को अछूत बना दिया। वाह गजब की संस्कृति रही उत्तराखंड की।
जिन में न था कुछ , उनमें रही अक्कड,
जिनमें था हुनर, उन्हें मिला था नरक।
धन्यवाद 🙏
समाज के एक वर्ग के हाथ में मंत्र और दूसरे वर्ग के हाथ में वाद्य यंत्र और दोनों मिलकर ईश्वर का आवाहन करने की शक्ति रखते हैं। लेकिन दुखद एहसास समाज के एक कुशल वर्ग को वह सम्मान नहीं मिला जिस का पात्र था । कला कलाकार का अंग है और कला का विलुप्त होना एक अभिशाप। अभिशाप अदृश्य रूप में कार्य करता है, पलायन उसका एक अच्छा उदाहरण है।
Syd hum log beech me kahin batak gye the but Syd hum logo ko ehsaan ho rha h ki wahi din sbse acche the or mujhe khushi h iss baat ki ki hum dobara apne culture ko jinda rkhne ka prayas kr rhe h.. Jay uttarakhand
Prof. Sudama Singh Bhandari
it is a great effort to protect and revive our tradition and culture.
मुझे अपनी उत्तराखंड की महान संस्कृति एवं विरासत पर गर्व है।
बहुत सुंदर 👍
Bahut sundar jankari.......bahut bahut dhanyavad aapka.....
Bhahut hee khoobsoorat prastuti, is documentary main jis tarah say बाद्दी गायन एवं नृत्य ko saman aur izzat dee hai aur jiskay wo bhahut pahle hakdar they sayad wo samman ,izzar aur unki mahnat ka inam agr unko milta to sayad i parampara aur phalti poolti. isi tahra hamare dhol damau bhee khatam ho gayenge uskay jimedar ham sab hai jo apni sadi byao main inko bhool gate hai agar koi bulata bhee hai to inko inkee mahnat kay hisab say kuch bhee nahee dete. islay kyo yeh apne baccho ko yeh sab sikhayenge
जो लोग तुम्हारा मनोरंजन करते थे उनके बाल उखाड़ कर प्रसाद बांटा जाता था वाह कितनी सुन्दर थी।तुम्हारी संस्कृति ऐसा व्यवहार लोग जानवर के साथ भी नहीं करते हैं।यदि इन कलाकारों को सम्मान मिलता तो आज भी ये संस्कृति जिन्दा रहती।
संस्कृति को बचाने का सामूहिक दायित्व है ना कि किसी वर्ग विशेष का। आज विद्या, कला के द्वार सबके लिए सम भाव में खुले हुए हैं। कोई भी व्यक्ति जातीय समीकरण से बाहर आकर कुछ भी काम कर सकता है तभी संस्कृति की चिंता करने वालों की चिंता दूर हो सकती है।
क्या ऐसे सामाजिक कार्य कर्म कैसें दिखने को मिलेगे अब तो ऐसा कोई देखना ही नही चाहता है
कोटि-कोटि नमन यों माहान कलाकारों तै जोंमू इतनी अनमोल संस्कृति च
Jugraj raiya Kalakar documentary maker and indeed Long Live our Garhwali sanskrit, Sain Singh rawat
Excellent Research, deserves all praise. It must be enhanced broadly.
बहुत ही सुंदर हमारी ब्लॉक संस्कृति जोकीहाट विलुप्त होने की कगार पर है
इस बेडा गीत व बेडिण का नाच पहुत पुरानी याद आ रही है जो 1978 के समय मे था
अति उत्तम, प्रशंशनीय प्रस्तुति।धन्यवाद, एवं आभार आपका, सभी कलाकारों सहित।
बहुत बढ़िया जय देव भूमि उत्तराखंड
बहुत सुंदर 👏👏
जब हम छोटे थे तब यह बादी नृत्य होता था आज उसकी जगह डी जे ने ले लिया है हमारी संस्कृति धीरे धीरे लुप्त होती जा रही है
Very nice a old song bachapan ki yad aa gai thanks for all team
हम ने इनकी कला का स्वाद लिया और खूब इंज्वाई की और हमने इनको इन्सान नहीं समझा और , शादी में हंसता माहौल बना कर के लास्ट में उनको सभी के खाना खाने के बाद उनको ठंडा खाना दिया जाता था , और बजाने के बाद उनका त्रिशकार किया जाता रहा , इज्जत नाम की कोई चीज ही नहीं रही इसी लिए उत्तराखंड की ये लोक सस्कृति बिलुप्त्त होती गई । आज लोग गांधी नाम पा लिया और ये लोक कला कार जो उनके साथ में नाचगान किया करते थे और , पांडव नृत्य, ढोल , दमाऊ बजा कर , केदार नृत्य कर दिल्ली लाल क़िले पर प्रथम प्रधान मंत्री जी श्री पण्डित नेहरू जी के साथ केदार नृत्य किया आज वो लोग अपने अपने घरों में बैठे हैं उनकी कला का कोई कहीं भी मोल भाऊ नहीं रहा। बहुत दुःख होता है जब कला कार के साथी , नाम पा कर कहीं का कहीं कहीं पहुंच जाता है , और पहुंचाने वाले अपनी अपनी कला को लेकर घर बैठ जाते हैं , परंतु उनको पहुंचाने वाला , उन कला कारों को कहीं मंच भी नहीं देता बहुत दुःख की बात इस से क्या हो सकती है । इसी लिए उत्तराखंड की लोक संस्कृति विलुप्त होती रही ।
परंतु अभी भी उन कला कारों के लिए लोगों की सोच कदापि नहीं बदली ।
hats off .... to MGV Digital for reviving such things....
Bahut dukhad baat h hamne bachpan me bahut sune the baadi geet
Sanskriti ko jeevit rakhne ke lie umda prayas 👌👍🙏
उचित सम्मान, अवसर, मंचों, अपने लोक कलाकारों को सम्मान न दिया जाना। इस प्रयास के लिए आपका बहुत आभार 💐
Very nice video aap sabhi ka dhanyawad waqt waqt ki bat hai sir. Shayad ye he hona tha ram ram
Gr8 Bhai jee 👌👌
सत्य कहा आपने आपका सराहनीय पहल ।
जै हिन्द अपणी पुराणी गढवाली परम्परा कै
Lagbhag vilupt Hoti prampra ko thoda Sa Pani dene k liye .mahubhao Ka bhut aabhar ..heart touching..
Sax. Bf
धन्य है सादर नमन यों तै
bahut badhiya kaam kiya hai
Darshan joshi JOLA kya bat he negi bhi Dil khus hogya
अब कख गय यना बैडा गीत
बहुत सुन्दर जी
Bahut sundar bilupat hoti hui sanskriti
🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉 🎉🎉
Apni uttrakhand ki sanskriti ko bachane ka bahut achachha prayas hai
Bahut hi Sundar kary kar rahei ho aap is sanskriti ko lupt hone se bachao Mera bhi namskar
वेरी नाइस
Bahut hi sunder prayaas
Jo kal thha
O aahe nahin hai
Jo aahe hai
O kal nahi hoga
Jai dev bhoomi uttarakhand
Bahut Sunder
Thank you for giving a slight glimpse of our rich culture
I am sure that MGV will grow our culture like this
With regards
ASHISH KOTHARI
bahut hi achchha prayas hai
विलुप्तप्राय पूर्णतः हो गई है विडम्बना ही है उनकी खाशियत समयानुसार तुरंत घटनाओं पर आधारित जीवन्त शब्दावली गीत गायन ही रहता था धार्मिक और लोक संगीत पर 🥰 🥰 परन्तु आज कल कैमरा और मोबाइल क्रांति ने घर घर शार्ट विडियो के नचाड पैदा कर दिये हैं बस लाइक कमेंट और स्टेटस के दूसरे रूप के।
क्या गढवाली पुराना बेडा गीत व नाच अब कख मिलला
Very nic video...Dukh hua bahut ki uk ki sanskriti lupt ho gyi h...
Very nice song jai uttarakhand jai badri vishal Udai Singh Rawat
pari wartan hi sansar ka niyam h ...here Krishna
Nice research :)
बहुत सुन्दर
बहुत सुंदर और अच्छा प्रयास हमारी संस्कृति के संरक्षक हैं ये लोग ऐसे कलाकारों को कोटि कोटि धन्यावाद
I remember to have seen Beda in my childhood in my village in There Garhwal
वा सुंदर
गौरवशाली परम्परा
सत्तालाल के बोलों से प्रतीत होता है कि प्रत्येक व्यक्ति शिवरुप है
वह कहता है शिव (किसी शिल्पकार मिस्त्री)को सम्बोधित कर कह रहा है कि वह गजले(गहरे घने जंगल में)थाह ले रहा है और उसे सांत्वना दी जा रही है कि अब अपमान या दबाने की वजह पर अन्वेषण मत करो या व्यथित मत रहो।
यहां श्रेष्ठ व्यक्ति ही शिव है
यह गाथा प्रकट करती है कि श्रेष्ठ व्यक्तित्व को दबाकर हास्ये पर धकेल कर तिरष्कार के परिणाम स्वरूप नीच बनाने का दुखद वर्णन है।
हाथ में कुल्हाड़ी कंधे पर बसूला वाला शिल्पकार शिव है ।
शिल्पकारों की महान विरासत को नमन है।
हार्दिक धन्यवाद और आभार MGV डिजिटल 💐💐💐क्या सुन्दर डाक्यूमेंट्री थी। जैसा कि मैं देख रहा हूँ ऑडियो वीडियो क्लिप्स पुरानी है और क्वालिटी में उतनी अच्छी नहीं है। पर जितने भी कलाकार इस डॉक्युनेंटरी मे दिखाए गए है वो सब एक से बढ़कर एक है। बहुत बहुत धन्यवाद सम्पूर्ण टीम का।
Wakai hi purani pramprow ka aant ho rakha h KU samalalu you samlod Thai Chanel ko DHanyabad
Alok Dangwal
बंधुवर या हमारी अनमोल विरासत चै जैंगी कोई कीमत नी या विरासत हमून गंवैली अर ईं विरासत तै गवोंण मा हमारी आज की पिडी कू सबसी बडू हाथ च बडी दुख की बात च अभी भी हम सभी तै यांगा बारा मा सोचण पडलू भै बंधु
sp..sab
❤️❤️❤️
Great
सुन्दरम्
इस परम्परा को कैसे जिंदा रखा जाय.
आज नाच गानेवाले कितने भी महिला पुरूष हो इस परकार् के निरतया करके दिखाये तब तो मै भी मानु
bahut badhiya
बहुत सुन्दर
Exclusive. Art and music are hidden trait it has all power to adore and lure the Universe. Unfortunately, we ignore both and prefer to keep aside the society they belongs to. Today, it may be one of the main reason of migration.
I love my Uttarakhand
👏👏👏👏👏🙏👌👌
Ye sanskriti
Shabdon mein Baya nahin kee ja sakti
Jai mata di
Koyi garwali ab hai jo in gaano ko sunege or inko punrajivit.karane ki kosis karege
जब हम छोटे थे तब हमारे गॉव मे लाग लगती थी बास के ऊपर घूमते थे शिव पारवती बनते थे रात भर जागे रहते थे गॉव के लोग बारी बारी से खाना व पूरा सयोग होता था काफी सून्दर लगता था पर रात को लागते थे जब सोये रहते थे जब लाग लग जाये फिर डोलक बाजते थे काफी डर लगती थी जब ऊपर लाग पर घूमते थे 🙏🙏🌷🌺🌷🌺🌷🙏🙏
👍👍
Samay ky saath sab badal jatta hai.
Bhut sundr aajkl ke faltu ganu ki sath yh prmpea vilupt ho gye
Jo hota hai theek hota hai.
verygood
मैं daramyn singh rana guto bilang आपका दिल danhbad करते हे
सस्कृति के नाम पर मजबूरी कहना ज्यादा तर्कसंगत होगा कलाकार और शिल्पकार जाति उत्तराखंड मे अछूत के रुप आज भी है जो मजबूर है आज भी इस काम को कर रहे है बाकी जो लोग सस्कृति का नाम देकर इस को प्रोत्साहन देने या दे रहे है वो आदमी के जन्म से या जाति काम न कर कलाकार और शिल्प कार का काम हुनर पर आधारित है जो कोई भी कर सकता है।
Yes, I entirely agree. Every individual maintained dignity. In so far as Himalayan Hills are concerned, caste based society never extent regard to them and, hence, migration was the only way.
क्या ऐसे रिती रिवाज अब कैसें दिखेगे
बनवारीलाल जी हमारे गांव है पर अब नहीं बजाते
kabiletareef work
बचपन याद अै गै
Sh. Dr. Purohit ji ko dhyanwad jo Garhwal ke Sanskriti Ko sanjoyan hai. Mahesh d eorani
अब कहॅ मिलेगे ऐसे गीथ
क्या कभी लौट के आएंगे 1 दिन
ईन लोगौ पर भी शराबी लोगो का ग्रहण लग गया है
Logo ne apne paramparo apne kla ko desh videsh tk pahuchya or hm uttarakhand walo ne apne kla ko khud he kttaam kr deya.😢😢😢
गढ़वाली कविता श्री गढ़देशी रावत 2018.
Nice
Btao sir kya krna h?..Khali soch ke ki ho jayega karke kuch ni hone wala...Batayein kya krna h?