राहुल जी तो राहुल जी की तरह जलेबी बना रहे हैं, हिन्दू धर्म सर्वसमावेशी है, हर विचार, हर पूजा पद्धति का, ईश्वर प्राप्ति के हर मार्ग का सम्मान केवल हिन्दू धर्म करता है, अन्य कोई परंपरा बताओ कोई है तो
हमारी प्राचीन सभ्यता में, रक्षसों पर दंड का भी प्रावधान था,कोई हमारे सर पर तांडव करे,हमारे संसाधनों का अधिग्रहड़ करे ,हमारी संसकृति को पद दलित करे हम भाई भाई करें तो इसे बेवकूफी नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे।इन महानुभावों के विचार ही हमारी सभ्यता के क्षरण के कारण हैं,इन्हें चैनल क्यों महत्व देता है।
राहुल जी आप हिन्दू धर्म को नहीं मानते तो अन्य के बारे में आपके विचार क्या हैं स्पष्ट करते तो अच्छा होता। अन्य पंथों के बारे में जानकारी देना का साहस कम लोग ही कर पाते हैं।
*Mahan hindu sabyata ??? If hindu sabyata was mahan , than what was buddhist sabyata of india. The native sabyata of india which was anhillated by persecution by aryans like pushmitra sunga under guidance of shankaracharya*
राहुल जी बहुत हो गया।आप इतने ग्यानी हैं जरा इस्लाम पर भी भाषण दीजिये।कब आया क्या कर रहा है,क्या किया,क्यों किया,इस देश के पिछड़ेपन का ऐक ही कारण है आप और आप जसों के विचार।
कुछ विषय किसी कालखंड में संकुचित सोच के कारण अनुचित हो जाने से गीता प्रेस का योगदान कम नहीं हो जाता, रहा प्रश्न कल्याण का उसमें अनेक लोग अपने विचार रखते हैं जैसे इस संवाद में हो रहा है
हमारी प्राचीन सभ्यता में, रक्षसों पर दंड का भी प्रावधान था,कोई हमारे सर पर तांडव करे,हमारे संसाधनों का अधिग्रहड़ करे ,हमारी संसकृति को पद दलित करे हम भाई भाई करें तो इसे बेवकूफी नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे।इन महानुभावों के विचार ही हमारी सभ्यता के क्षरण के कारण हैं,इन्हें चैनल क्यों महत्व देता है।
आदरणीय वर्मा जी को बहुत बहुत धन्यवाद
Hindu panth nahi Dharm hai baki panth . Yah sanatan Dharm hai. N k singh D A V public school Katar Dehrionsone Bihar.
बिलकुल सही वर्मा जी ने बताया, प्रणाम
कल्याण जैसी संस्थान भारत का गर्व व गौरव हैं
चराचर जगत को सुखी करने का मार्ग है इसे आप सनातन कहें, हिन्दुत्व कहें, भारतीयता कहें
राहुल जी तो राहुल जी की तरह जलेबी बना रहे हैं, हिन्दू धर्म सर्वसमावेशी है, हर विचार, हर पूजा पद्धति का, ईश्वर प्राप्ति के हर मार्ग का सम्मान केवल हिन्दू धर्म करता है, अन्य कोई परंपरा बताओ कोई है तो
अक्षय मुकुल जी पक्षपात पूर्ण से विचार करते हैं जो नहीं होना चाहिए।
राहुल जी संघ का काम व्यक्ति निर्माण एवं राष्ट्र निर्माण है जिसे वह बखूबी कर रहा है ,, जय सियाराम जयहिंद
मोदी जी पवन वर्मा जी का सदुपयोग क्यों नहीं कर रहे हैं,,, उन्हें राज्यपाल होना चाहिए,, जय सियाराम जयहिंद
हमारी प्राचीन सभ्यता में, रक्षसों पर दंड का भी प्रावधान था,कोई हमारे सर पर तांडव करे,हमारे संसाधनों का अधिग्रहड़ करे ,हमारी संसकृति को पद दलित करे हम भाई भाई करें तो इसे बेवकूफी नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे।इन महानुभावों के विचार ही हमारी सभ्यता के क्षरण के कारण हैं,इन्हें चैनल क्यों महत्व देता है।
बन्धु आज भी वेद हमारे अभिन्न अंग हैं नामों में देखें ,त्रिवेदी, चतुर्वेदी आदि आदि ध्यान दें।
लगता है राहुल जी ने कल्याण के विशेषांक नहीं पढे़, प्राचीन ग्रंथ तो यथा रूप ही छपेंगे!
साहित्य और इतिहास में सबसे अधिक पूर्वाग्रह है कथित विद्वानों में
अपने विचार को सुहाने वाले ग्रंथ ही पढ़ते हैं
राहुल जी आप हिन्दू धर्म को नहीं मानते तो अन्य के बारे में आपके विचार क्या हैं स्पष्ट करते तो अच्छा होता। अन्य पंथों के बारे में जानकारी देना का साहस कम लोग ही कर पाते हैं।
*Mahan hindu sabyata ??? If hindu sabyata was mahan , than what was buddhist sabyata of india. The native sabyata of india which was anhillated by persecution by aryans like pushmitra sunga under guidance of shankaracharya*
पहले अघोषित ,1975 में घोषित धर्मनिरपेक्षता ने हिन्दू धर्म का अध्ययन करने कहाँ दिया इस देश में
राहुल जी बहुत हो गया।आप इतने ग्यानी हैं जरा इस्लाम पर भी भाषण दीजिये।कब आया क्या कर रहा है,क्या किया,क्यों किया,इस देश के पिछड़ेपन का ऐक ही कारण है आप और आप जसों के विचार।
कुछ विषय किसी कालखंड में संकुचित सोच के कारण अनुचित हो जाने से गीता प्रेस का योगदान कम नहीं हो जाता, रहा प्रश्न कल्याण का उसमें अनेक लोग अपने विचार रखते हैं जैसे इस संवाद में हो रहा है
Gita press ka ek bhi partinidhi kayo nahi h.janbujhkar nahi bulaya .agenda set karne ke liye nahi bulaya
kam
हमारी प्राचीन सभ्यता में, रक्षसों पर दंड का भी प्रावधान था,कोई हमारे सर पर तांडव करे,हमारे संसाधनों का अधिग्रहड़ करे ,हमारी संसकृति को पद दलित करे हम भाई भाई करें तो इसे बेवकूफी नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे।इन महानुभावों के विचार ही हमारी सभ्यता के क्षरण के कारण हैं,इन्हें चैनल क्यों महत्व देता है।