वृक्षन से पाती झड़ी पड़ी धूल में आय। (इंग्लिश पाठ) Dayalbagh satsang sabdh 🌹🌺🌹🙏🌺🙏

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  • Опубліковано 13 січ 2025

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  • @Mpheonarayanareddy
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    वृक्षन से पाती झड़ी
    पड़ी धूल में आय ।
    जोबन था सब झड़ गया
    दिन दिन सूखी जाय ॥१॥
    जब लग लागी वृक्ष से
    झूमे मगन अकाश ।
    न्यारी हो मारी फिरे
    दह दिस पवन की दास । २।
    जब लग लागी वृक्ष से
    सीतल छाया देय ।
    न्यारा हो ईंधन भई
    अगिन देय होय खेह ॥३॥
    जब लग लागी वृक्ष से
    पिव की प्यारी पात ।
    न्यारी हो दुर्गन्धिनी
    सड़े पड़ी होय खात ॥४॥
    सतगुरु संग न छोड़ियो
    रे मन जब लग प्रान ।
    सँग छूटे होय हाल तुम
    टूटी पात समान ॥५॥
    सतगुरु सँग लागे रहे
    हरा भरा रहे गात ।
    प्रेम प्रीति घट में बसें
    शील सुमति सिर माथ ।।६।।
    जो मन गुरु सँग प्रीति है
    तो चिन्ता मत मान ।
    सहजहि सतगुरु सँग मिले
    बिरह खोज का दान ॥७॥
    या जग में हम देखिया
    एक अचम्भा आय ।
    सतगुरु सँग न चाहते
    सतगुरु भक्त कहाय ॥८॥
    नाम गुरू का लेत हैं
    महिमा गुरु की गाय ।
    सतगुरु सँग की बात सुन
    पर ढीले पड़ जायँ ॥६॥
    मीना' ऐसी ना सुनी
    चहे न जल का संग ।
    पंछी ऐसा ना सुना
    करे पवन से जंग ॥१०॥
    ऐसा सूम न भेंटिया धन
    सँग जो नहिं चाय।
    भूखा अस कोइ ना मिला
    भोजन से घबराय ॥११॥
    सुन सुन के नित होत है
    यही अचम्भा मोहि ।
    कौम रक्क्रम गुरुभक्रि यह
    बिन सतगुरु जो होय ।।१२।।
    सोच समझ निश्चय किया
    यह मन अपने माहिं ।
    अस गति उनकी होति है
    जिन गुरु प्रीती नाहिं ॥१३॥
    घाटा गुरु की प्रीति का
    पुरे न मुख के बोल ।
    बाहर पानी के पड़े
    भरा न देखा डोल ॥१४॥
    साँचा होय गुरु संग कर
    नैनश्रवन दोउ खोल ।
    हानि लाभ चिन्ता मिटे
    मिले बस्तु अनमोल ॥१५॥
    R.S