Badiyakote Mela 2022 | आदिबद्री धाम बदियाकोट । Kapkot |Bageshwar

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  • Опубліковано 20 жов 2024
  • कपकोट/बागेश्वर। बदियाकोट के विख्यात माँ आदिबद्री धाम भगवती मंदिर बदियाकोट का भगवती मंदिर कुमाऊं का अकेला ऐसा मंदिर है, जहां मां भगवती के साथ तिब्बतियों के हूण देवता और लाटू देवता की पूजा भी होती है।
    इस बार 28 अगस्त से 4 सितंबर तक आयोजित आठो महापूजा में आप सभी भक्त जनों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन🙏🙏🚩 माँ आदिशक्ति आपकी मनोकामना पूरी करे 🙏🚩 जय माँ आदिबद्री🚩🙏
    #इतिहास_दानू_वंश_दानपुर_आदिबद्री धाम बदियाकोट 🚩🙏
    चौदह पट्टी दानपुर में प्राचीन काल से भाद्रपद शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को मां भगवती नन्दा की पूजा सर्वत्र की जाती है ।मान्यता के अनुसार दानपुर क्षेत्र का सिद्धपीठ आदिबद्री मां भगवती नन्दा बदियाकोट में माना जाता । आदि काल में मां नन्दा एक मृग का वेश रखकर गढवाल के बंड नामक स्थान से आयी थी ।दो पुरूष मृग का शिकार करने के लिए पीछे आये । माता ने कन्या का रूप रखकर उनको दर्शन दिये और बदियाकोट की ऊंची पहाड़ी पर रहने तथा उन दो पुरूषों से मंदिर बनाकर पूजा अर्चना करने का आशीर्वाद देकर अन्तर्धान हो गये ।इसी स्थान पर सतयुग में माता ने निशम्भु दैत्य का बध किया था उन दो पुरूषों के छः छः पुत्र हुए ।जो मां की कृपा से बारह बदकोटी के नाम से प्रसिद्ध हुए । माता रानी की सेवा के कारण भगवती नन्दा ने उन्हें देव शक्ति प्रदान की तथा जहां माता जी का मंदिर हो या पूजा होगी वहां उन बारह बदकोटी दानू लोगों की पूजा होती है तभी माता रानी संतुष्ट होती है ।
    कालान्तर में ये बारह भाई अलग अलग स्थानों मे जाकर रहने लगे । इनमें जमनी दानू, कपूर दानू ,कुबाल दानू ,बालचंद दानू ,जयंग दानू ,माल दानू , भग दानू , विरंग दानू , जीव दानू , बैनर दानू, वीर दानू , मली दानू आदि थे जिनको देव शक्ति प्राप्त हुई थी ।
    मां भगवती के तीन सिद्ध पीठ माने जाते है ।बदियाकोट पोथिंग तथा बैछम धार ।बैछम में भुंवर तथा कटार प्रकट होने की सत्य कथा प्रचलित है ।मां के आदेश के अनुसार पोथिंग बैछम तथा बदियाकोट में एक साथ नन्दा जात या आठ्यों नहीं हो सकती है आज भी यही परम्परा विद्यमान है । बदियाकोट में दानपुर के सभी गांवो के लोगो का मां के नाम चढ़ावा निर्धारित है । बैछम तथा पोथिंग में माता के पुजारी परम्परा से दानू लोग ही होते है ।
    नन्दा अष्टमी की पूजा में पवित्र व्रह्म कमल सुदूर हिमालय से लाकर माता जी को अर्पित किया जाता है ।
    इस बर्ष मां नन्दा की पूजा का आयोजन जगथाना तोर्ती गोगिना लीती वाछम बैछम धार पेठी बघर तोली ढोक्टी गांव सोराग किलपारा कुवारी आदि हिमालयी गांवों में आयोजित की जा रही हैं ।शुक्ल पक्ष की प्रथमा पडाव को मां मां के प्रसाद के लिए विधि विधान के साथ गेहूं भरा जाता है ।घराट में शुद्धता से पीस कर परम्परागत स्थान में रखा जाता है । तदुपरांत सप्तमी के दिन बाजे ढोल दुमाऊ भुवर तथा देवडागरो द्वारा मंदिर में आदर पूर्वक ले जाते है रात्रि में गौरा माता के जागर लगाये जाते है जिसमें उनकी उत्पति स्वामी ईश्वर के साथ विवाह तथा दैत्यों का संहार तथा कैलाश में रहने का वर्णन किया जाता है ।।इस नन्दा अष्टमी मेले में क्षेत्र के सभी बाहर रहने वाले तथा नौकरी पेशे वाले घर आकर माता जी को शीष नवाते हैं तथा आशीर्वाद लेते है ।इस प्रकार यह नन्दा अष्टमी का मेला परम्परागत संस्कृति का परिचायक होने के साथ सामाजिक सद्भावना तथा अखंडता का प्रतीक है ।जय माता नन्दा ।जय भगवती माता ।जय बारह बदकोटी देवता ।कल्याणम् करोतु ।

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