Ramanavami 2020 | जाना था गंगा पार प्रभु केवट की नाव चढ़े | Anup Jalota | राम भजन | Sahitya Tak

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  • Опубліковано 8 вер 2024
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    कभी-कभी भगवान को भी भक्तों से काम पड़े
    जाना था गंगा पार प्रभु केवट की नाव चढ़े...
    अवध छोड़ प्रभु वन को धाये,
    सिया राम लखन गंगा तट आये
    केवट मन ही मन हर्षाये,
    घर बैठे प्रभु दर्शन पाए
    हाथ जोड़ कर प्रभु के आगे केवट मगन खड़े
    जाना था गंगा पार प्रभु केवट की नाव चढ़े...
    प्रभु बोले तुम नाव चलाओ,
    अरे पार हमे केवट पहुँचाओ
    केवट बोला सुनो हमारी,
    चरण धुल की माया भारी
    मैं गरीब नैया मेरी नारी ना होए पड़े...
    जाना था गंगा पार प्रभु केवट की नाव चढ़े...
    केवट दौड़ के जल भर ले आया,
    चरण धोये चरणामृत पाया
    वेद ग्रन्थ जिन के यश गायें
    केवट उनको नाव चढ़ाए
    बरसे फूल गगन से ऐसे,
    भक्त के भाग बढ़े
    जाना था गंगा पार प्रभु केवट की नाव चढ़े...
    चली नाव गंगा की धारा,
    हो माझी रे, माझी रे...
    सिया राम लखन को पार उतारा
    प्रभु देने लगे नाव उतराई, केवट कहे नहीं रघुराई...
    नाई से ना नाई लेत, धोबी से न धोबी लेत
    देके मजूरिया ये जाति को न बिगाड़िए...
    प्रभु आए मोरे घाट, तो पार मैंने उतार दीने
    जब आऊंगा मैं तोरे घाट तो पार मोहे उतारिए
    चली नाव गंगा की धारा, सिया राम लखन को पार उतारा
    प्रभु देने लगे नाव उतराई, केवट कहे नहीं रघुराई...
    पार किया मैंने तुमको, अब तू मोहे पार करे...
    जाना था गंगा पार प्रभु केवट की नाव चढ़े....अनूप जलोटा को यों ही भजन सम्राट नहीं कहा जाता. उनकी भजन गायिकी का कहना ही क्या? चैत्र नवरात्रि के आखिरी चरण श्री रामनवमी के अवसर पर साहित्य तक आपके पास भगवान श्री राम की महिमा के अद्भुत भजनों के साथ रहेगा. भजन सम्राट अनूप जलोटा का यह भजन भक्त और भगवान के संबंधों पर आधारित है. उन्होंने यह भजन आज तक के एक कार्यक्रम में सुनाया था. तो साहित्य तक पर सुनिए यह श्री राम भजन.
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