आदरणीय गरीबदास जी महाराज जी को 10 वर्ष की आयु में सन 1727 में परमात्मा कबीर साहेब जी मिले थे जिसके पश्चात उन्होंने गरीब दास जी महाराज जी को सतलोक दिखाया। इसका वर्णन "अमर ग्रंथ साहिब" में वर्णित है।
पवित्र बाईबल में लिखा है कि जीसस के शरीर छोड़ने के बाद कोई अन्य मसीहा विश्व में आएगा जो विश्व में शांति स्थापित करेगा। वह कोई और नहीं जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं।
वेद बताते हैं पूर्ण परमात्मा की सतभक्ति से रोगियों के रोग नाश होते हैं और संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों को ये लाभ मिल भी रहे हैं। True Guru Sant Rampal Ji
🔸संत रामपाल जी महाराज केवल एक मात्र जगतगुरु तत्वदर्शी संत हैं। जिन्होंने हमारे सभी शास्त्रों के गूढ़ रहस्यों को उजागर करके बताया कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी की भक्ति करने से घोर से घोर पाप का भी नाश हो जाता है और मोक्ष भी प्राप्त होता है।
गीता सार गीता अध्याय 18, श्लोक 66 सर्वधर्मान परित्यज्य माम् एकम् शरणम् वज्र । अहम् त्वा सर्वपापेभ्यः मोक्षयिष्यामि नमामि मा शुचः ॥ 66 ॥ गीता ज्ञान दाता काल कहता है, " मेरी सभी धार्मिक पूजाओं को मुझमें त्याग कर, तू केवल उस एक पूर्ण परमात्मा की शरण में जा। मैं तुझे सभी पापों से मुक्त कर दूंगा; तू शोक मत कर।
परमेश्वर कबीर जी ही सतलोक से जिन्दा महात्मा के रूप में आकर संत गरीबदास जी को मिले, नाम उपदेश दिया, उनको अजब नगर (सतलोक) में लेकर गए। जहाँ पर आनन्द ही आनन्द है, कोई चिन्ता नहीं, जन्म-मृत्यु, अन्य प्राणियों के शरीर में कष्ट आदि का शोक नहीं है।
हजरत ईसा जी में देव तथा पित्तर प्रवेश होकर बोलते थे प्रमाण : बाईबल अध्याय 2 कुरिन्थियों 2ः12-17 पृष्ठ 259-260 में स्पष्ट लिखा है कि एक आत्मा नबी में प्रवेश करके बोल रही है।
नहीं भरोसा इस देही का , ये बिनस जावै छिन माहि। श्वांस उश्वांस में नाम जपो , और जतन कुछ नाहि।। संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र सच्चे सतगुरु हैं जो शास्त्रों के बताए अनुसार तीन समय की भक्ति एवं तीन प्रकार के मंत्र जाप अपने साधकों को देते हैं जिससे उन्हें सर्व सुख मिलता है ।
जिस समय सर्व सन्त जन शास्त्र विधि त्यागकर मनमानी पूजा द्वारा भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं कबीर प्रभु ही आते हैं।
बहुत से महापुरुष सच्चे नामो के बारे में नहीं जानते। वे मन मुखी नाम देते हैं जिससे न सुख होता है ओर नहीं मुक्ती हीती है। केवल संत रामपाल जी महाराज जी सच्चा नाम शास्त्रों के आधार पर बताते हैं उनसे नाम उपदेश लेने से मुक्ति होगी
परमात्मा साकार है व सहशरीर है (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है) यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3
After going to Satlok, the birth and death of the soul ends for ever. But in the absence of true devotion, the living beings wander in 84 lakh species of life.
ईसा मसीह की मृत्यु हजरत ईसा मसीह की मृत्यु 30 वर्ष की आयु में हुई जो पूर्व ही निर्धारित थी। स्वयं ईसा जी ने कहा कि मेरी मृत्यु निकट है। (मत्ती 26ः24-55 पृष्ठ 42-44)
सतभक्ति करने से इस दुःखों के घर संसार से पार होकर वह परम शान्ति तथा शाश्वत स्थान (सनातन परम धाम) प्राप्त हो जाता है (जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है) जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आता।
ईसा मसीह की मृत्यु के तीसरे दिन स्वयं पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही आये थे भक्ति की लाज रखने के लिए। अन्यथा काल ब्रह्म भगवान से विश्वास ही उठा देता लोगों का।
भक्ति नहीं करने वाले व शास्त्रविरुद्ध भक्ति करने वाले, नकली गुरु बनाने वाले एवं पाप अपराध करने वालों को मृत्यु पश्चात् यमदूत घसीटकर ले जाते हैं और नरक में भयंकर यातनाएं देते हैं। तत्पश्चात् 84 लाख कष्टदायक योनियों में जन्म मिलता है
⚡️संत गरीबदास जी बचपन से ही अन्य ग्वालों के साथ गौ चराने जाते थे कबलाना गाँव की सीमा से सटे नला खेत में 10 वर्ष के बालक गरीबदास जी जांडी के पेड़ के नीचे प्रातः 10 बजे अन्य ग्वालों के साथ जब भोजन कर रहे थे तभी वहाँ से कुछ दूरी पर सत्यपुरुष कबीर साहेब जिंदा महात्मा के रूप में सतलोक से अवतरित हुए और गरीबदाज जी महाराज से मिले।
प्रश्न 38 :- क्या गीता ज्ञान बताने वाले क्षर पुरुष (ब्रह्म) की पूजा (भक्ति) करनी चाहिए या नही? उत्तर:- नहीं करनी चाहिए। कारण : गीता अध्याय 7 श्लोक 18 में गीता ज्ञान बताने वाले ने अपनी पूजा से प्राप्त गति (मुक्ति) को अनुत्तम (अश्रेष्ठ) कहा है क्योंकि यह जन्मता-मरता है। अविनाशी नहीं है। जो स्वयं जन्मता व मरता है, उसके उपासक जन्म-मरण से मुक्त नहीं हो सकते। यदि पूर्ण मोक्ष चाहते हो जो गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में बताया है कि "तत्वज्ञान प्राप्ति के पश्चात् परमेश्वर के उस परमपद की खोज करनी चाहिए जहाँ जाने के पश्चात् साधक लौटकर फिर कभी संसार में जन्म नहीं लेता।" तो क्षर पुरुष (ब्रह्म) "जो संसार रुपी वृक्ष की डार है" की पूजा (भक्ति) नहीं करनी चाहिए। गीता अध्याय 8 श्लोक 3 में जिसे "परम अक्षर ब्रह्म" कहा है तथा गीता अध्याय 8 के श्लोक 8,9,10 में उसकी भक्ति करने वाला उसी को प्राप्त होता है। गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में जिसे गीता ज्ञान देने वाले ने अपने से अन्य तथा उत्तम पुरुष (पुरुषोत्तम) व परमात्मा तथा सबका धारण-पोषण करने वाला अविनाशी परमेश्वर कहा है।
In Gita Chapter 15 Verse 16, both Kshar Purush and Akshar Purush have been said to be mortal. In Gita Chapter 15 Verse 17, He who in reality has been called Immortal God, that God does not get destroyed even after the destruction of all the living beings. Evidence: - It is clear in Gita Chapter 8 Verse 20 to 22 that - That Param Akshar Brahm does not get destroyed even after the destruction of all the living beings. -Sant Rampal Ji Maharaj
Kabir Is Supreme God सूक्ष्मवेद (तत्वज्ञान) में तथा चारों वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथवर्वेद) तथा इन चारों वेदों के सारांश गीता में स्पष्ट किया है कि आन-उपासना नहीं करनी चाहिए क्योंकि ये शास्त्रों में वर्णित न होने से मनमाना आचरण है जो गीता अध्याय 16 श्लोक 23, 24 में व्यर्थ बताया है। शास्त्रोक्त साधना करने का आदेश दिया है।
श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में सच्चिदानंद घन ब्रह्म (परम अक्षर ब्रह्म) अर्थात पूर्ण परमात्मा की भक्ति के लिए "ओम् तत् सत्" इस तीन मंत्र के जाप (सुमिरन) का निर्देश किया गया है। जिसके सुमिरन की तीन प्रकार की विधि बताई गई है। जिसे पूर्ण संत यानि तत्वदर्शी संत ही बता सकता है और वे तत्वदर्शी संत ही सत्यनाम और सारनाम के जाप करने की विधि बताते हैं। इन नामों के जाप करने से साधक का पूर्ण मोक्ष हो जाता है।
पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तीसरे मुक्ति धाम अर्थात् सतलोक में रहता है। - ऋग्वेद
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
😭🙏🏼🌹 Jai ho bandi chhod ki 🌹🙏🏼😭
संत रामपाल जी महाराज इतना बहुमूल्य है जो हमारे पाप कर्मों को काट देता है
अधिक जानकारी के लिए साधना टीवी चैनल शाम 7:30 से
Spiritual knowledge of Sant Rampal Ji Maharaj ji 🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
आदरणीय गरीबदास जी महाराज जी को 10 वर्ष की आयु में सन 1727 में परमात्मा कबीर साहेब जी मिले थे जिसके पश्चात उन्होंने गरीब दास जी महाराज जी को सतलोक दिखाया। इसका वर्णन "अमर ग्रंथ साहिब" में वर्णित है।
Satlokasram samli up
Sat shaheb, Satgurudev ki jai
Jai ho mere permatma ki💕💕💕
पूर्ण परमात्मा कबीर देव जी ही हैं सभी धर्मों के सद ग्रंथों में प्रमाण है।
जय बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज
जय बन्दीछोड़ कबीर परमेश्वर
पूरे विश्व में एकमात्र संत केवल संत रामपाल जी महाराज की है वह सच्चा नाम बताहे जो शास्त्रों में प्रमाणित है
पवित्र बाईबल में लिखा है कि जीसस के शरीर छोड़ने के बाद कोई अन्य मसीहा विश्व में आएगा जो विश्व में शांति स्थापित करेगा।
वह कोई और नहीं जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं।
🙏🌹🌹सत साहेब जी 🙏🌹🌹
सत रामपालजी भगवान की जय
गरीब ऐसा निर्मल ज्ञान है, जो निर्मल करे शरीर और ज्ञान मंडलीक है, चकवे ज्ञान कबीर।।
सतगुरु पूर्ण ब्रह्म है, सतगुरु आप अलेख।
सतगुरु रमता राम हैं, यामे मीन न मेख।।
😭🙏🏼🌹 कोटि-कोटि दंडवत प्रणाम मेरे दाता 🌹🙏🏼😭
वेद बताते हैं पूर्ण परमात्मा की सतभक्ति से रोगियों के रोग नाश होते हैं और संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों को ये लाभ मिल भी रहे हैं।
True Guru Sant Rampal Ji
😭🙏🏼🌹 Jai ho bandi chhod ki 🌹🙏🏼😭
यदि जन्म मरण का छुटकारा पाना चाहते हो तो तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लीजिए
तीर्थ गए फल एक है, संत मिले फल चार।
सतगुरु मिले अनेक फल ,कहे कबीर विचार।।
Purn Guru Sant Shiromani Jagatguru Tavtdarshi Sant Rampal Ji Bhagavan Ji Ki Jay Ho 🙏🌹
शास्त्र अनुसार भक्ति करने से सर्व सुख प्राप्त होते हैं कबीर परमात्मा कहते हैं
🔸संत रामपाल जी महाराज केवल एक मात्र जगतगुरु तत्वदर्शी संत हैं। जिन्होंने हमारे सभी शास्त्रों के गूढ़ रहस्यों को उजागर करके बताया कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी की भक्ति करने से घोर से घोर पाप का भी नाश हो जाता है और मोक्ष भी प्राप्त होता है।
गीता सार
गीता अध्याय 18, श्लोक 66
सर्वधर्मान परित्यज्य माम् एकम् शरणम् वज्र । अहम् त्वा सर्वपापेभ्यः मोक्षयिष्यामि नमामि मा शुचः ॥ 66 ॥
गीता ज्ञान दाता काल कहता है, " मेरी सभी धार्मिक पूजाओं को मुझमें त्याग कर, तू केवल उस एक पूर्ण परमात्मा की शरण में जा। मैं तुझे सभी पापों से मुक्त कर दूंगा; तू शोक मत कर।
कबीर,
बिना उपदेश अचम्भ है,क्यों जीवित है प्राण।
भक्ति बिना कहां ठोर है,ये नर नहीं पाषाण।।
parm pita parmatma ke charno dash ka koti koti dandawat parnam 🙏 🙏 🙏
Kabir is supreme God.❤
परमेश्वर कबीर जी ही सतलोक से जिन्दा महात्मा के रूप में आकर संत गरीबदास जी को मिले, नाम उपदेश दिया, उनको अजब नगर (सतलोक) में लेकर गए। जहाँ पर आनन्द ही आनन्द है, कोई चिन्ता नहीं, जन्म-मृत्यु, अन्य प्राणियों के शरीर में कष्ट आदि का शोक नहीं है।
हजरत ईसा जी में देव तथा पित्तर प्रवेश होकर बोलते थे
प्रमाण : बाईबल अध्याय 2 कुरिन्थियों 2ः12-17 पृष्ठ 259-260 में स्पष्ट लिखा है कि एक आत्मा नबी में प्रवेश करके बोल रही है।
True knowledge
नहीं भरोसा इस देही का , ये बिनस जावै छिन माहि।
श्वांस उश्वांस में नाम जपो , और जतन कुछ नाहि।।
संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र सच्चे सतगुरु हैं जो शास्त्रों के बताए अनुसार तीन समय की भक्ति एवं तीन प्रकार के मंत्र जाप अपने साधकों को देते हैं जिससे उन्हें सर्व सुख मिलता है ।
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Paramatma anmol gyaan❤
Bahut Anmol satsang
ऐसा सत्संग हमने पहली बार सुना है।
Nice
जिस समय सर्व सन्त जन शास्त्र विधि त्यागकर मनमानी पूजा द्वारा भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं कबीर प्रभु ही आते हैं।
सरण पढ़े को गुरु सभाले जान के बालक भोला रे
कहें कबीर तुम चरण चित रखो जो सुई मैं डोरा रे
बहुत से महापुरुष सच्चे नामो के बारे में नहीं जानते। वे मन मुखी नाम देते हैं जिससे न सुख होता है ओर नहीं मुक्ती हीती है। केवल संत रामपाल जी महाराज जी सच्चा नाम शास्त्रों के आधार पर बताते हैं उनसे नाम उपदेश लेने से मुक्ति होगी
Nice knowledge of sant rampal Ji Maharaj
Parmatma hi aise laabh de sakta hai
Sat saheb ji
अनमोल ज्ञान
If someone wants complete salvation then get initiation from sant rampal ji Maharaj sat sahib ji
परमात्मा साकार है व सहशरीर है (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है)
यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3
Very nice satsang
Great knowledge
❤
After going to Satlok, the birth and death of the soul ends for ever. But in the absence of true devotion, the living beings wander in 84 lakh species of life.
🙏🙏🙏🙏🙏🙏💖💙💚💛💜❤❤❤
ईसा मसीह की मृत्यु
हजरत ईसा मसीह की मृत्यु 30 वर्ष की आयु में हुई जो पूर्व ही निर्धारित थी। स्वयं ईसा जी ने कहा कि मेरी मृत्यु निकट है।
(मत्ती 26ः24-55 पृष्ठ 42-44)
सतभक्ति करने से इस दुःखों के घर संसार से पार होकर वह परम शान्ति तथा शाश्वत स्थान (सनातन परम धाम) प्राप्त हो जाता है (जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है) जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आता।
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Great 😃👍🏻
ईसा मसीह की मृत्यु के तीसरे दिन स्वयं पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही आये थे भक्ति की लाज रखने के लिए। अन्यथा काल ब्रह्म भगवान से विश्वास ही उठा देता लोगों का।
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भक्ति नहीं करने वाले व शास्त्रविरुद्ध भक्ति करने वाले, नकली गुरु बनाने वाले एवं पाप अपराध करने वालों को मृत्यु पश्चात् यमदूत घसीटकर ले जाते हैं और नरक में भयंकर यातनाएं देते हैं। तत्पश्चात् 84 लाख कष्टदायक योनियों में जन्म मिलता है
⚡️संत गरीबदास जी बचपन से ही अन्य ग्वालों के साथ गौ चराने जाते थे कबलाना गाँव की सीमा से सटे नला खेत में 10 वर्ष के बालक गरीबदास जी जांडी के पेड़ के नीचे प्रातः 10 बजे अन्य ग्वालों के साथ जब भोजन कर रहे थे तभी वहाँ से कुछ दूरी पर सत्यपुरुष कबीर साहेब जिंदा महात्मा के रूप में सतलोक से अवतरित हुए और गरीबदाज जी महाराज से मिले।
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Kabir,koti naam sanshar me, inse mukti na hoy, Shar naam mukti ka data, vako Jane na koy.
प्रश्न 38 :- क्या गीता ज्ञान बताने वाले क्षर पुरुष (ब्रह्म) की पूजा (भक्ति) करनी चाहिए या नही?
उत्तर:- नहीं करनी चाहिए।
कारण : गीता अध्याय 7 श्लोक 18 में गीता ज्ञान बताने वाले ने
अपनी पूजा से प्राप्त गति (मुक्ति) को अनुत्तम (अश्रेष्ठ) कहा है क्योंकि यह जन्मता-मरता है। अविनाशी नहीं है। जो स्वयं जन्मता व मरता है, उसके उपासक जन्म-मरण से मुक्त नहीं हो सकते। यदि पूर्ण मोक्ष चाहते हो जो गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में बताया है कि "तत्वज्ञान प्राप्ति के पश्चात् परमेश्वर के उस परमपद की खोज करनी चाहिए जहाँ जाने के पश्चात् साधक लौटकर फिर कभी संसार में जन्म नहीं लेता।" तो क्षर पुरुष (ब्रह्म) "जो संसार रुपी वृक्ष की डार है" की पूजा (भक्ति) नहीं करनी चाहिए। गीता अध्याय 8 श्लोक 3 में जिसे "परम अक्षर ब्रह्म" कहा है तथा गीता अध्याय 8 के श्लोक 8,9,10 में उसकी भक्ति करने वाला उसी को प्राप्त होता है। गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में जिसे गीता ज्ञान देने वाले ने अपने से अन्य तथा उत्तम पुरुष (पुरुषोत्तम) व परमात्मा तथा सबका धारण-पोषण करने वाला अविनाशी परमेश्वर कहा है।
In Gita Chapter 15 Verse 16, both Kshar Purush and Akshar Purush have been said to be mortal. In Gita Chapter 15 Verse 17,
He who in reality has been called Immortal God, that God does not get destroyed even after the destruction of all the living beings.
Evidence: - It is clear in Gita Chapter 8 Verse 20 to 22 that - That Param Akshar Brahm does not get destroyed even after the destruction of all the living beings.
-Sant Rampal Ji Maharaj
Kabir Is Supreme God
सूक्ष्मवेद (तत्वज्ञान) में तथा चारों वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथवर्वेद) तथा इन चारों वेदों के सारांश गीता में स्पष्ट किया है कि आन-उपासना नहीं करनी चाहिए क्योंकि ये शास्त्रों में वर्णित न होने से मनमाना आचरण है जो गीता अध्याय 16 श्लोक 23, 24 में व्यर्थ बताया है। शास्त्रोक्त साधना करने का आदेश दिया है।
श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में सच्चिदानंद घन ब्रह्म (परम अक्षर ब्रह्म) अर्थात पूर्ण परमात्मा की भक्ति के लिए "ओम् तत् सत्" इस तीन मंत्र के जाप (सुमिरन) का निर्देश किया गया है। जिसके सुमिरन की तीन प्रकार की विधि बताई गई है। जिसे पूर्ण संत यानि तत्वदर्शी संत ही बता सकता है और वे तत्वदर्शी संत ही सत्यनाम और सारनाम के जाप करने की विधि बताते हैं। इन नामों के जाप करने से साधक का पूर्ण मोक्ष हो जाता है।
😭🙏🏼🌹 सत् साहेब जी 🌹🙏🏼😭
Parmatma ki anmol bbachan
गरीब,
ऐसा निर्मल ज्ञान है , जो निर्मल करे शरीर।
और ज्ञान मंडलीक है , चकवे ज्ञान कबीर।।
*मालिक* मानव जीवन में इतने कष्ट हैं, तो 84 लाख शरीरों में पता नहीं कितना कष्ट होगा!! अबकी बार सतलोक की दया करना दाता......🙇🏻♂️
Kabir is supreme God
कबीर, नौ मन सूत उलझिया, ऋषि रहे झख मार।
सतगुरू ऐसा सुलझा दे, उलझै ना दूजी बार।।
😭🙏🏼🌹 Jai ho bandi chhod ki 🌹🙏🏼😭
Very nice 🎉🎉🎉
Very nice
Sat sabeb ji ❤
Satguru dev ki jai ho 🙏🏻
Sat sahib ji 🙇🙇🙇