डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे- 1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है। अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं। कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
डा.आम्बेडकर ने अपनी पुस्तक “शूद्र कौन थे” में लिखा है कि आर्य कोई प्रजाति नहीं है. आर्य एक भाषा है. यह भाषा भारत और उसके इर्द-गिर्द बोली जाती थी. इसके बोलने वालों को आर्य कहा जाने लगा. इस तरह दलित व ब्राह्मण दोनों ही आर्य हैं. बाबा साहब ने तिलक के सिद्धान्त को गलत साबित किया कि आर्य यूरेशिया व काकेशिया से भारत में आए हैं. बाबा साहब ने लिखा है कि शूद्रों की तरह ब्राह्मण भी भारत के मूलनिवासी हैं. डा.आम्बेडकर के इस सिद्धांत के विरूद्ध बामन मेश्राम साहब ने अमेरिका के साल्टलेक सिटी, उटाह विश्वविद्यालय के मानवीय आनुवंशिक एकलिस संस्थान के विद्वान बामसाद ने भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्यों के DNA का मिलान यूरेशिया के लोगों से किया जो क्रमशः 99.9, 99.88 और 99.86 प्रतिशत मिलता है. अर्थात भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्य युरेशियन है. यही नहीं बामन मेश्राम साहब ने उद्घोषणा किया है कि अब हमें दूसरी आजादी की लड़ाई लड़नी पड़ेगी. जिस तरह भारत से अंग्रेजों को खदेड़कर आजादी प्राप्त की गई है, ठीक वैसे ही युरेशियन ब्राह्मणों को भारत से निष्कासित कर दलितों (उनके शब्दों में मूलनिवासियों को) को आजादी दिलाना बामसेफ और बीएमपी-मेश्राम का उद्देश्य है. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. ओबीसी वर्ग के शासक ने 70 हजार दलितों को नौकरियों में उनके पदों से रिवर्ट कर निम्न पदों पर पुनर्स्थापित करने का ऐतिहासिक पाप किया है. यही वर्ग है जो दलितों की पिटाई में सबसे अग्रणी रहता है. उसे शूद्र मानता है और उससे शूद्र मनवाने के चक्कर में दलित उसे मूलनिवासी मानता हुआ दोस्त मानता रहता है. यह भी हास्यास्पद लगता है कि सछूत वर्ग अछूत की श्रेणी में आकर अपने को पतित जाति में क्यों शामिल करेगा?
पाखंडी सबसे मूर्ख होते हैं अंबेडकरवादी सबसे बुद्धिमान होते हैं बुध की शरण में जाने वाला सबसे महान होता है जय मूलनिवासी जय भारत जय भीम जय संध्या नमो बुद्धाय
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे- 1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है। अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं। कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. इनके लिए मूलनिवासी का अर्थ है। अर्थात लोगों को गुमराह करके वोट बैंक तैयार करना। इसलिए ये लोग सत्ता की खातिर वंचित वर्गों को मूलनिवासी के बहाने लगातार गुमराह कर रहे हैं। मूलनिवासी शब्द के बहाने ये लोग केवल खुद को अर्थात एक विशेष तबके को भारत के मूलवासी घोषित करना चाहते हैं। इनसे मेरा सीधा सवाल है कि यदि वास्तव में इनके पूर्वज भारत के मूलवासी थे तो मूलनिवासी जैसे हल्के शब्द को गढ़ने की क्या जरूरत है?
Bhai san एक बात बताओ 28 budho me se एक भी budh ap ले samjh se kyu nahi peda hua सारे बौद्ध राजपूतों ke ghar kyu peda हुए kya ap log सच मे raksash wansh se हो kya a bat राजकुमार hi बोलते है
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे- 1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है। अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं। कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. इनके लिए मूलनिवासी का अर्थ है। अर्थात लोगों को गुमराह करके वोट बैंक तैयार करना। इसलिए ये लोग सत्ता की खातिर वंचित वर्गों को मूलनिवासी के बहाने लगातार गुमराह कर रहे हैं। मूलनिवासी शब्द के बहाने ये लोग केवल खुद को अर्थात एक विशेष तबके को भारत के मूलवासी घोषित करना चाहते हैं। इनसे मेरा सीधा सवाल है कि यदि वास्तव में इनके पूर्वज भारत के मूलवासी थे तो मूलनिवासी जैसे हल्के शब्द को गढ़ने की क्या जरूरत है?
सच में इनका व्यवहार ब्राह्मणों से कई गुना अधिक दुराग्रही और तानाशाही है। इनके लिए वंचित वर्गों के महान लोग, जैसे ज्योतिराव फ़ूले, बिरसा मुंडा, पेरियार, बाबा साहब, कांशीराम आदि के विचार, काम और नाम केवल सत्ता पाने की सीढ़ी मात्र हैं। इनको इतनी सी बात समझ में नहीं आती कि आज भारत का प्रत्येक वह व्यक्ति भारत का मूलनिवासी है, जिसके पास मूलनिवास प्रमाण-पत्र है! ये लोग प्रायोजित और तथाकथित डीएनए को आधार बनाकर तर्क करते हैं, इनका मकसद केवल सत्ता है
श्राफ वह वरदान की बात छोड़ो लेकिन हाय जरूर लगती हैं। तू बड़ा ज्ञानी है तू कैसे पैदा हुआ?भीमराव आंबेडकर को आंबेडकर किसने बनाया।भीमराव आंबेडकर नही था भीमराव सकपाल थे।एक ब्राह्मण,एक राजपूत राजा ने पढ़ाई करने विदेश भेजा गया था
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे- 1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है। अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं। कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
डा.आम्बेडकर ने अपनी पुस्तक “शूद्र कौन थे” में लिखा है कि आर्य कोई प्रजाति नहीं है. आर्य एक भाषा है. यह भाषा भारत और उसके इर्द-गिर्द बोली जाती थी. इसके बोलने वालों को आर्य कहा जाने लगा. इस तरह दलित व ब्राह्मण दोनों ही आर्य हैं. बाबा साहब ने तिलक के सिद्धान्त को गलत साबित किया कि आर्य यूरेशिया व काकेशिया से भारत में आए हैं. बाबा साहब ने लिखा है कि शूद्रों की तरह ब्राह्मण भी भारत के मूलनिवासी हैं. डा.आम्बेडकर के इस सिद्धांत के विरूद्ध बामन मेश्राम साहब ने अमेरिका के साल्टलेक सिटी, उटाह विश्वविद्यालय के मानवीय आनुवंशिक एकलिस संस्थान के विद्वान बामसाद ने भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्यों के DNA का मिलान यूरेशिया के लोगों से किया जो क्रमशः 99.9, 99.88 और 99.86 प्रतिशत मिलता है. अर्थात भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्य युरेशियन है. यही नहीं बामन मेश्राम साहब ने उद्घोषणा किया है कि अब हमें दूसरी आजादी की लड़ाई लड़नी पड़ेगी. जिस तरह भारत से अंग्रेजों को खदेड़कर आजादी प्राप्त की गई है, ठीक वैसे ही युरेशियन ब्राह्मणों को भारत से निष्कासित कर दलितों (उनके शब्दों में मूलनिवासियों को) को आजादी दिलाना बामसेफ और बीएमपी-मेश्राम का उद्देश्य है. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. ओबीसी वर्ग के शासक ने 70 हजार दलितों को नौकरियों में उनके पदों से रिवर्ट कर निम्न पदों पर पुनर्स्थापित करने का ऐतिहासिक पाप किया है. यही वर्ग है जो दलितों की पिटाई में सबसे अग्रणी रहता है. उसे शूद्र मानता है और उससे शूद्र मनवाने के चक्कर में दलित उसे मूलनिवासी मानता हुआ दोस्त मानता रहता है. यह भी हास्यास्पद लगता है कि सछूत वर्ग अछूत की श्रेणी में आकर अपने को पतित जाति में क्यों शामिल करेगा?
@THE MAURYA च में इनका व्यवहार ब्राह्मणों से कई गुना अधिक दुराग्रही और तानाशाही है। इनके लिए वंचित वर्गों के महान लोग, जैसे ज्योतिराव फ़ूले, बिरसा मुंडा, पेरियार, बाबा साहब, कांशीराम आदि के विचार, काम और नाम केवल सत्ता पाने की सीढ़ी मात्र हैं।
इस समय श्री राज कुमार यादव जी ने चारों तरफ धूम मचा रखा है आपके समझाने का तरीका बहुत ही सुन्दर है साधारण है आसानी से लोगों की समझ में आ रहा है लोग बुद्ध धर्म की ओर बढ़ रहे हैं आपके वीडियो लोग तेजी से देख रहे हैं नमो बुद्धाय
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे- 1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है। अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं। कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
डा.आम्बेडकर ने अपनी पुस्तक “शूद्र कौन थे” में लिखा है कि आर्य कोई प्रजाति नहीं है. आर्य एक भाषा है. यह भाषा भारत और उसके इर्द-गिर्द बोली जाती थी. इसके बोलने वालों को आर्य कहा जाने लगा. इस तरह दलित व ब्राह्मण दोनों ही आर्य हैं. बाबा साहब ने तिलक के सिद्धान्त को गलत साबित किया कि आर्य यूरेशिया व काकेशिया से भारत में आए हैं. बाबा साहब ने लिखा है कि शूद्रों की तरह ब्राह्मण भी भारत के मूलनिवासी हैं. डा.आम्बेडकर के इस सिद्धांत के विरूद्ध बामन मेश्राम साहब ने अमेरिका के साल्टलेक सिटी, उटाह विश्वविद्यालय के मानवीय आनुवंशिक एकलिस संस्थान के विद्वान बामसाद ने भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्यों के DNA का मिलान यूरेशिया के लोगों से किया जो क्रमशः 99.9, 99.88 और 99.86 प्रतिशत मिलता है. अर्थात भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्य युरेशियन है. यही नहीं बामन मेश्राम साहब ने उद्घोषणा किया है कि अब हमें दूसरी आजादी की लड़ाई लड़नी पड़ेगी. जिस तरह भारत से अंग्रेजों को खदेड़कर आजादी प्राप्त की गई है, ठीक वैसे ही युरेशियन ब्राह्मणों को भारत से निष्कासित कर दलितों (उनके शब्दों में मूलनिवासियों को) को आजादी दिलाना बामसेफ और बीएमपी-मेश्राम का उद्देश्य है. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. ओबीसी वर्ग के शासक ने 70 हजार दलितों को नौकरियों में उनके पदों से रिवर्ट कर निम्न पदों पर पुनर्स्थापित करने का ऐतिहासिक पाप किया है. यही वर्ग है जो दलितों की पिटाई में सबसे अग्रणी रहता है. उसे शूद्र मानता है और उससे शूद्र मनवाने के चक्कर में दलित उसे मूलनिवासी मानता हुआ दोस्त मानता रहता है. यह भी हास्यास्पद लगता है कि सछूत वर्ग अछूत की श्रेणी में आकर अपने को पतित जाति में क्यों शामिल करेगा?
Teri 1000 pedhi aayegi tab bhi tu brahmin ko nahi mita shake.teri koi okat nahi he..brahmino ko mitane se pahele tum logo ko xatriyo ka samana karna padega. Ager xatriya brahmi na hote to..aaj kanhi bhi namaj padhate hote..yad rakhna. Ye xatriyoka balidan ke badolat aap aaj...buddh banke bach haye he.
बहुत-बहुत धन्यवाद जो समाज सुधारने की सेवा कर रहे हैं मैं आपका परिवार सहित स्वागत करते जय भीम नमो बुद्धाय हम लोग अब देवी देवता की पूजा नहीं करते नहीं तो पंडित को दान गरीब और असहाय को खाना है रोगी को इच्छा अनुसार पैसे भी देते हैं
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे- 1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है। अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं। कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. इनके लिए मूलनिवासी का अर्थ है। अर्थात लोगों को गुमराह करके वोट बैंक तैयार करना। इसलिए ये लोग सत्ता की खातिर वंचित वर्गों को मूलनिवासी के बहाने लगातार गुमराह कर रहे हैं। मूलनिवासी शब्द के बहाने ये लोग केवल खुद को अर्थात एक विशेष तबके को भारत के मूलवासी घोषित करना चाहते हैं। इनसे मेरा सीधा सवाल है कि यदि वास्तव में इनके पूर्वज भारत के मूलवासी थे तो मूलनिवासी जैसे हल्के शब्द को गढ़ने की क्या जरूरत है?
Raj kumar Aap sahi bhasha ka istemal karo AAp ke mukh se ye Landbak shabd Accha nahi Laga aap ye no ke maha murkh ho duniya men dhudhne ke baad murkh agar koi milega to tum hi ho pakhandi shirt jo chutiya bhi ho ye no ke
सर् आपका विडियो बहुत ही प्रेरणा दायक है इस विडियो से अस्पृश्य समुदाय, बहुजन समाज को सिखने की जरूरत है जो लोग जाति व्यवस्था में जकड़े हुए हैं और काल्पनिक देवी देवताओं की भक्ति में मानसिक रूप से गूलाम है।
श्री राजकुमार यादव जी को एक दिन भारत रत्न मिलना ही होगा , जिस दिन श्री यादव जी को भारत रत्न मिलेगा उस दिन मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा दिन होगा । हम सबके मसीहा श्री राजकुमार यादव जी को मेरी तरफ से 100 तोपों की सलामी।
राजकुमार यादव जी आपको सादर प्रणाम 🙏🏻🙏🏻🙏🏻 . पाखँवाद पर बोलने के लिये सच्चाई तो सच्चाई है शिक्षा जरूरी है वर्णा हम किसी ना किसी रूप मे लुटते रहेंगे .🇮🇳🇮🇳🇮🇳🙏🏻
@@phulbandh2020 jo lagata hai o to others county se aaye hai unke wajah se ham Bhagwat geeta ya sanatan sanskriti ko kyu bhul jaye . Jo galat karta hai unka bycott kare n ki sanskriti ya dharm ki .kisi ko sanskriti ya dharm tang nahi n karta bhaiyo .🙏
नमो बुद्धाय सादर जय भीम
आदरणीय राज कुमार यादव जी आपको हृदय से आभार व्यक्त करता हूं आप जैसे व्यक्तियों को बहुत बहुत धन्यवाद जय भीम जय मूलनिवासी जय बहुजन समाज नमो बुद्धाय
जय भीम,राष्ट्रिय अध्यक्ष जी,85%बहुजनों को जगाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,सादर जय भीम,नमो बुधाय ।
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी
एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे-
1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है।
अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं।
कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
डा.आम्बेडकर ने अपनी पुस्तक “शूद्र कौन थे” में लिखा है कि आर्य कोई प्रजाति नहीं है. आर्य एक भाषा है. यह भाषा भारत और उसके इर्द-गिर्द बोली जाती थी. इसके बोलने वालों को आर्य कहा जाने लगा. इस तरह दलित व ब्राह्मण दोनों ही आर्य हैं. बाबा साहब ने तिलक के सिद्धान्त को गलत साबित किया कि आर्य यूरेशिया व काकेशिया से भारत में आए हैं. बाबा साहब ने लिखा है कि शूद्रों की तरह ब्राह्मण भी भारत के मूलनिवासी हैं. डा.आम्बेडकर के इस सिद्धांत के विरूद्ध बामन मेश्राम साहब ने अमेरिका के साल्टलेक सिटी, उटाह विश्वविद्यालय के मानवीय आनुवंशिक एकलिस संस्थान के विद्वान बामसाद ने भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्यों के DNA का मिलान यूरेशिया के लोगों से किया जो क्रमशः 99.9, 99.88 और 99.86 प्रतिशत मिलता है. अर्थात भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्य युरेशियन है. यही नहीं बामन मेश्राम साहब ने उद्घोषणा किया है कि अब हमें दूसरी आजादी की लड़ाई लड़नी पड़ेगी. जिस तरह भारत से अंग्रेजों को खदेड़कर आजादी प्राप्त की गई है, ठीक वैसे ही युरेशियन ब्राह्मणों को भारत से निष्कासित कर दलितों (उनके शब्दों में मूलनिवासियों को) को आजादी दिलाना बामसेफ और बीएमपी-मेश्राम का उद्देश्य है. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. ओबीसी वर्ग के शासक ने 70 हजार दलितों को नौकरियों में उनके पदों से रिवर्ट कर निम्न पदों पर पुनर्स्थापित करने का ऐतिहासिक पाप किया है. यही वर्ग है जो दलितों की पिटाई में सबसे अग्रणी रहता है. उसे शूद्र मानता है और उससे शूद्र मनवाने के चक्कर में दलित उसे मूलनिवासी मानता हुआ दोस्त मानता रहता है. यह भी हास्यास्पद लगता है कि सछूत वर्ग अछूत की श्रेणी में आकर अपने को पतित जाति में क्यों शामिल करेगा?
Verry good yadav ji
भगवान बुद्ध ने कहा कि जब आंख खुले तब सबेरा सच को जानो तब मानो ।
जय भीम,नमो बुद्धाय 🙏🙏
आपको समाज को सुधारने के लिए बहुत-बहुत बधाई बहुत सुंदर विचार जय भीम नमो बुद्धा 🙏🙏🙏
गुरु जी आपकी आवाज बहुत बुलंद हैं और आपकी वीडियो देख कर मन खुश हो जाता है
Bhai edit video ap bhi n sab kuchh jan ke anjan ban rahe
राजकुमार सर आपको बहुत-बहुत साधुवाद
मा.राजकुमार यादवजी आप जैसे बुद्धवादी और आंबेडकरवादी है बोलके परिवर्तन जल्द ही होगा ☸️ नमो बुध्दाय ☸️ जय भीम ☸️
Jay bhim namo buddhay jay savidhan bahut sundar सर जी
जयगुरूरबिदासजीमहाराज।आपनेबहुतबुराकियाजनेऊदेदियाआजमुलनिबासीभटकरहाहैजयगुरूदेब
मै नेपाली हुँ , पर श्रद्धेय राज कुमार यादव सर को उच्च सम्मान देता हुँ । सभी पिछडे लोगों का एक नायक हैं ।
नमो बुद्धाय: ! जय भीम !!
Aur Mai BHI
Jay bhim namo buddhay
पाखंडी सबसे मूर्ख होते हैं अंबेडकरवादी सबसे बुद्धिमान होते हैं बुध की शरण में जाने वाला सबसे महान होता है जय मूलनिवासी जय भारत जय भीम जय संध्या नमो बुद्धाय
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी
एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे-
1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है।
अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं।
कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं.
इनके लिए मूलनिवासी का अर्थ है। अर्थात लोगों को गुमराह करके वोट बैंक तैयार करना। इसलिए ये लोग सत्ता की खातिर वंचित वर्गों को मूलनिवासी के बहाने लगातार गुमराह कर रहे हैं। मूलनिवासी शब्द के बहाने ये लोग केवल खुद को अर्थात एक विशेष तबके को भारत के मूलवासी घोषित करना चाहते हैं। इनसे मेरा सीधा सवाल है कि यदि वास्तव में इनके पूर्वज भारत के मूलवासी थे तो मूलनिवासी जैसे हल्के शब्द को गढ़ने की क्या जरूरत है?
Bhai san एक बात बताओ 28 budho me se एक भी budh ap ले samjh se kyu nahi peda hua
सारे बौद्ध राजपूतों ke ghar kyu peda हुए kya ap log सच मे raksash wansh se हो kya a bat राजकुमार hi बोलते है
एक एक बात में दम है जय भीम 85 मूलनिवासी
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी
एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे-
1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है।
अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं।
कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं.
इनके लिए मूलनिवासी का अर्थ है। अर्थात लोगों को गुमराह करके वोट बैंक तैयार करना। इसलिए ये लोग सत्ता की खातिर वंचित वर्गों को मूलनिवासी के बहाने लगातार गुमराह कर रहे हैं। मूलनिवासी शब्द के बहाने ये लोग केवल खुद को अर्थात एक विशेष तबके को भारत के मूलवासी घोषित करना चाहते हैं। इनसे मेरा सीधा सवाल है कि यदि वास्तव में इनके पूर्वज भारत के मूलवासी थे तो मूलनिवासी जैसे हल्के शब्द को गढ़ने की क्या जरूरत है?
अध्यक्ष जी आपके चरणों में कोटि कोटि नमन,आप जैसे लोगों की जरूरत इस समाज को सदैव रहेगी,जय भीम नमो बुद्धाय
सच में इनका व्यवहार ब्राह्मणों से कई गुना अधिक दुराग्रही और तानाशाही है। इनके लिए वंचित वर्गों के महान लोग, जैसे ज्योतिराव फ़ूले, बिरसा मुंडा, पेरियार, बाबा साहब, कांशीराम आदि के विचार, काम और नाम केवल सत्ता पाने की सीढ़ी मात्र हैं। इनको इतनी सी बात समझ में नहीं आती कि आज भारत का प्रत्येक वह व्यक्ति भारत का मूलनिवासी है, जिसके पास मूलनिवास प्रमाण-पत्र है! ये लोग प्रायोजित और तथाकथित डीएनए को आधार बनाकर तर्क करते हैं, इनका मकसद केवल सत्ता है
जय भीम नमो बुद्धाय जय मूलनिवासी जय संविधान
सही जानकारी दिए है सर, धन्यवाद
श्राफ वह वरदान की बात छोड़ो लेकिन हाय जरूर लगती हैं। तू बड़ा ज्ञानी है तू कैसे पैदा हुआ?भीमराव आंबेडकर को आंबेडकर किसने बनाया।भीमराव आंबेडकर नही था भीमराव सकपाल थे।एक ब्राह्मण,एक राजपूत राजा ने पढ़ाई करने विदेश भेजा गया था
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी
एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे-
1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है।
अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं।
कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
डा.आम्बेडकर ने अपनी पुस्तक “शूद्र कौन थे” में लिखा है कि आर्य कोई प्रजाति नहीं है. आर्य एक भाषा है. यह भाषा भारत और उसके इर्द-गिर्द बोली जाती थी. इसके बोलने वालों को आर्य कहा जाने लगा. इस तरह दलित व ब्राह्मण दोनों ही आर्य हैं. बाबा साहब ने तिलक के सिद्धान्त को गलत साबित किया कि आर्य यूरेशिया व काकेशिया से भारत में आए हैं. बाबा साहब ने लिखा है कि शूद्रों की तरह ब्राह्मण भी भारत के मूलनिवासी हैं. डा.आम्बेडकर के इस सिद्धांत के विरूद्ध बामन मेश्राम साहब ने अमेरिका के साल्टलेक सिटी, उटाह विश्वविद्यालय के मानवीय आनुवंशिक एकलिस संस्थान के विद्वान बामसाद ने भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्यों के DNA का मिलान यूरेशिया के लोगों से किया जो क्रमशः 99.9, 99.88 और 99.86 प्रतिशत मिलता है. अर्थात भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्य युरेशियन है. यही नहीं बामन मेश्राम साहब ने उद्घोषणा किया है कि अब हमें दूसरी आजादी की लड़ाई लड़नी पड़ेगी. जिस तरह भारत से अंग्रेजों को खदेड़कर आजादी प्राप्त की गई है, ठीक वैसे ही युरेशियन ब्राह्मणों को भारत से निष्कासित कर दलितों (उनके शब्दों में मूलनिवासियों को) को आजादी दिलाना बामसेफ और बीएमपी-मेश्राम का उद्देश्य है. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. ओबीसी वर्ग के शासक ने 70 हजार दलितों को नौकरियों में उनके पदों से रिवर्ट कर निम्न पदों पर पुनर्स्थापित करने का ऐतिहासिक पाप किया है. यही वर्ग है जो दलितों की पिटाई में सबसे अग्रणी रहता है. उसे शूद्र मानता है और उससे शूद्र मनवाने के चक्कर में दलित उसे मूलनिवासी मानता हुआ दोस्त मानता रहता है. यह भी हास्यास्पद लगता है कि सछूत वर्ग अछूत की श्रेणी में आकर अपने को पतित जाति में क्यों शामिल करेगा?
@THE MAURYA च में इनका व्यवहार ब्राह्मणों से कई गुना अधिक दुराग्रही और तानाशाही है। इनके लिए वंचित वर्गों के महान लोग, जैसे ज्योतिराव फ़ूले, बिरसा मुंडा, पेरियार, बाबा साहब, कांशीराम आदि के विचार, काम और नाम केवल सत्ता पाने की सीढ़ी मात्र हैं।
जय जय श्रीराम ! जय जय श्रीराम ! जय जय हो परम पुजनिय ब्राह्मण देवाय नमो नमः !
गुरुजी के चरणों में मेरा प्रणाम नमो बुद्धाय आशिर्वाद की कामना है
इस समय
श्री राज कुमार यादव जी ने चारों तरफ
धूम मचा रखा है
आपके समझाने का तरीका बहुत ही सुन्दर है
साधारण है आसानी से लोगों की समझ में आ
रहा है
लोग बुद्ध धर्म की ओर बढ़ रहे हैं
आपके वीडियो लोग तेजी से देख रहे हैं
नमो बुद्धाय
समाज को सुधारने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद जय भीम जय भारत नमो बुद्धाय
Very nice widiyo jay bhim namo budhay
भैया यही समय sudharenge तो आप लोग क्या करेंगे क्या आप पर नहीं आता है आप पर नहीं आता है
/
Yadvsahabaapneachhibatbtailekindalitaekhoaapkibatokomanetogulameesemukthojaaegajaibhimnamobudheyjaisavidhanbabadahdamarraho
ua-cam.com/users/shortsjgY7NAYYMLk?feature=share
Sir आपको बहुत बहुत साधुवाद जो इतनी बारीकी से बहुजन समाज को समझाने का प्रयास किये हैं। जय भीम namobuddhay
राजकुमार यादव जी जिंदाबाद बम मजा आ गया खोलते रहो 👍🏻 ओवैसी जिंदाबाद सविधान बचाओ बीजेपी को कांग्रेस को वोट नहीं दे
Saudi arab mein भारत के मुस्लिम को पक्का मुस्लिम नही मानते कॉन्वर्टेड मुस्लिम ही है यहाँ
जयभीम. नमोबुध्दाय. जय. मूलनिवासी. जय. संविधान. 🌹🙏🌹राष्ट्रीय. यादव. जी. आपने. हामारे. बहुजन. समाज. कॊ.सुधार. नें. का. प्रयास. किया. है. औरं. समाज. जाग. राहा. है. समजणे. लगा. है. आपको. धन्यवाद. देते. है. जयभीम. नामोबुध्दाय.
राजकुमार यादव जी आप बहुत अच्छे लगते हो जय भीम जय संविधान
बिना ब्राह्मणवाद को मिटाए हुई हम इस व्यवस्था को परिवर्तित नहीं कर सकते।
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी
एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे-
1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है।
अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं।
कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
डा.आम्बेडकर ने अपनी पुस्तक “शूद्र कौन थे” में लिखा है कि आर्य कोई प्रजाति नहीं है. आर्य एक भाषा है. यह भाषा भारत और उसके इर्द-गिर्द बोली जाती थी. इसके बोलने वालों को आर्य कहा जाने लगा. इस तरह दलित व ब्राह्मण दोनों ही आर्य हैं. बाबा साहब ने तिलक के सिद्धान्त को गलत साबित किया कि आर्य यूरेशिया व काकेशिया से भारत में आए हैं. बाबा साहब ने लिखा है कि शूद्रों की तरह ब्राह्मण भी भारत के मूलनिवासी हैं. डा.आम्बेडकर के इस सिद्धांत के विरूद्ध बामन मेश्राम साहब ने अमेरिका के साल्टलेक सिटी, उटाह विश्वविद्यालय के मानवीय आनुवंशिक एकलिस संस्थान के विद्वान बामसाद ने भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्यों के DNA का मिलान यूरेशिया के लोगों से किया जो क्रमशः 99.9, 99.88 और 99.86 प्रतिशत मिलता है. अर्थात भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्य युरेशियन है. यही नहीं बामन मेश्राम साहब ने उद्घोषणा किया है कि अब हमें दूसरी आजादी की लड़ाई लड़नी पड़ेगी. जिस तरह भारत से अंग्रेजों को खदेड़कर आजादी प्राप्त की गई है, ठीक वैसे ही युरेशियन ब्राह्मणों को भारत से निष्कासित कर दलितों (उनके शब्दों में मूलनिवासियों को) को आजादी दिलाना बामसेफ और बीएमपी-मेश्राम का उद्देश्य है. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. ओबीसी वर्ग के शासक ने 70 हजार दलितों को नौकरियों में उनके पदों से रिवर्ट कर निम्न पदों पर पुनर्स्थापित करने का ऐतिहासिक पाप किया है. यही वर्ग है जो दलितों की पिटाई में सबसे अग्रणी रहता है. उसे शूद्र मानता है और उससे शूद्र मनवाने के चक्कर में दलित उसे मूलनिवासी मानता हुआ दोस्त मानता रहता है. यह भी हास्यास्पद लगता है कि सछूत वर्ग अछूत की श्रेणी में आकर अपने को पतित जाति में क्यों शामिल करेगा?
सही कहा
किसी भी ब्रहमन का आह ले कर देख फिर क्या होता है
Teri 1000 pedhi aayegi tab bhi tu brahmin ko nahi mita shake.teri koi okat nahi he..brahmino ko mitane se pahele tum logo ko xatriyo ka samana karna padega. Ager xatriya brahmi na hote to..aaj kanhi bhi namaj padhate hote..yad rakhna. Ye xatriyoka balidan ke badolat aap aaj...buddh banke bach haye he.
Jay bhim Namo budhay raj kumar yadav ji
बहुजन समाज में आपके जैसे लोगों की बहुत जरूरत है
Very good brother and
Jay bhim Namo Buddhay
Bol pachasi Jay Mulniwashi
Braman videsi h
क्रांतिकारी जय भिम राजकुमार यादव जी बहुत बहुत धन्यवाद जय भीम नमो बुद्धाय
Namo buddhay Jay bheem sar ji 👍👍🙏🙏🙏🙏🙏
राजेश, कुमार, ग्राम,मरकनियां, जिला, चन्दौली
Very best speech Jai Bheem Jai Bharat Jai sambidhan namo buddhay ji 🙏🙏
बहुत शानदार जय भीम नमोः बुद्धाय जय मूlnivasi
धन्यवाद साहब जी बहुजन समाज को सुधारने के लिए जय भीम नमो बुद्धाय
बहुत-बहुत धन्यवाद जो समाज सुधारने की सेवा कर रहे हैं मैं आपका परिवार सहित स्वागत करते जय भीम नमो बुद्धाय हम लोग अब देवी देवता की पूजा नहीं करते नहीं तो पंडित को दान गरीब और असहाय को खाना है रोगी को इच्छा अनुसार पैसे भी देते हैं
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी
एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे-
1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है।
अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं।
कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं.
इनके लिए मूलनिवासी का अर्थ है। अर्थात लोगों को गुमराह करके वोट बैंक तैयार करना। इसलिए ये लोग सत्ता की खातिर वंचित वर्गों को मूलनिवासी के बहाने लगातार गुमराह कर रहे हैं। मूलनिवासी शब्द के बहाने ये लोग केवल खुद को अर्थात एक विशेष तबके को भारत के मूलवासी घोषित करना चाहते हैं। इनसे मेरा सीधा सवाल है कि यदि वास्तव में इनके पूर्वज भारत के मूलवासी थे तो मूलनिवासी जैसे हल्के शब्द को गढ़ने की क्या जरूरत है?
Rajkumar yadav ji ham sab youa apke sath hai milkar andh viswas Bharat me khatam kare
Jay Bheem namo buddhay bahut achcha
ध्रुव सत्य,पुश्त दर पुस्त का शानदार विजनेश.
राजकुमार जी ने बहुत सुन्दर बात कही है
बहुत बढ़िया विचार है लेकिन आप अपने नाम के आगे यादव मत लगाइए
जय भीम सर, आप जैसे बहुजन समाज को जगाने व जागरूक करने के लिए आप को बहुत बहुत धन्यवाद सर
सुपर सर बहुत सुंदर बहुत अच्छी बात आपने कही सादर जय भीम नमो बुद्धाय
Rajkumar Yadav ji aapko sadar namo buddhay Jay bheem
अत्तिउत्तम हृदयविदारक प्रेरणादायक जागरूकता संदेश। आपको कोटिशः धन्यवाद।
बीलकूल सही सर जी जय भीम नमो बुद्धाय EVM हटाओ देश बचाओ जागो बहूजन जागो
Jai bhim namo buddhay 🙏🙏🙏❤️❤️👌👌
श्री मान जी आप बहुजन समाज को जगाने काम कर रहे ।इसका लाभ समाज को जरूर मिलेगा । सादर जय भीम नमो बुद्धाय।
समझ को नहीं bhim army chief chandu को मिलेगा अपनी पार्टी जो बना रखी है
नेता na कभी किसी का था na कभी किसी का होगा
😢😢😢😢😂🎉🎉😢😢3 8:26 😊🎉😢😢😢@@sohanrawat64917:07 7:08 7❤:😮🎉09 😢😢😢😢😢🎉 8:00 😢😢
नमो बुद्धाय जय भीम
जय भारत जय संविधान
जय मूलनिवासी
यादव जी आपने समाज को जागरूक करने का कार्य बहुत ही सराहनीय है।
जय भीम
Yadav sir aap bhut sundar gan diya Dhaniyvad jai bhim jai hind
अति सुन्दर प्रस्तुति है यादव जी ।इसको बोलते शब्दों का उच्चारण ।
यादव नहीं है
@@shaileshdwivedi7171 a
Tusale marji narak mejaoge
@@shaileshdwivedi7171 सही कहा आपने भाई
Ye Rajkumar shudra hai Baodh Daram Manta hai ye kewal apne ko ucha dekhane ke liye Rajkumar yadav likhta hai
जब तक हम अपने महापुरुषों को नहीं, पडेंगे तब तक हम अज्ञानता के अंधेरे से नहीं निकल पाएंगे 🙏🏻जय भीम 🙏🏻
🙏🏻नमों बुद्धा 🙏🏻
Guru.ji.ke.charano.me.mera.koti.koti.naman.jay.bhim.namo.buddhay.jay.bharat.jay.sammidhan.jay.mualniwashi
राजकुमार भैया आप सही में वास्तविक है नमन हे आपको
क्रांतिकारी जय भीम 🙏🙏🙏🙏
हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा कुमार जिंदाबाद मजा आ गया राजकुमार गाना
Raj kumar Aap sahi bhasha ka istemal karo AAp ke mukh se ye Landbak shabd Accha nahi Laga aap ye no ke maha murkh ho duniya men dhudhne ke baad murkh agar koi milega to tum hi ho pakhandi shirt jo chutiya bhi ho ye no ke
Nice sir
बहुत ही सुन्दर तरीके से समझाया है
अगर हम सब अभी भी नहीं समझें
तो
फिर कभी भी नहीं समझेंगे
बहुत बहुत धन्यवाद भाई ऐसे ही समाज को जागरूक को जागरूक करते रहे
Jai Jay Bheem namo buddhay Jay Bheem namo buddhay. Rajkumar uncle.je
Jai bhim namo buddhay Bhaiya ji 🙏🙏🙏🙏
क्या बात है जिसने बुद्ध को जाना वो शुद्ध हुआ, जिसने भीम को जाना वो ज्ञानी हुआ 🙏🙏🙏🙏
जय भीम नमो बुध्दाय
जय भीम जय संविधान भैया जी बहुत सही कहा आपने आप जैसे लोग इस समाज को सुधार सकते है।।
जय भीम जय मूलनिवासी सर जी बहुत ही अच्छा बताये सर जी
अच्छा संदेश नमो बुद्धाय जय भीम
Right jai bhim mamo buddhay jai samvidhan
सर आप ग्रेट हो आप के महान विचारों की हम कदर करते हैं जय भीम नमो बुद्धाय
सर जय भीम नमो बुद्धाय । आपसे निवेदन है कि व मध्य प्रदेश की जनता नींद से जगाना बहुत ही आवश्यक है
Q
@@sanjaynath221 h hubb
समाज को आईना दिखाने के कार्य के लिए दिल से सैल्यूट नमो बुद्धाय जय भीम 🙏
🙏 नमो बुद्धाय जयभिम🙏👍👍👍👍👍👍
आपका बहुत बहुत धन्यवाद सच्चाई को दुनिया के सामने लाने के लिए
आप को बहुत बहुत साधुवाद सादर जय भीम नमो बुधाय
Great job sir , keep it up 🙏🙏
Jay bheem namo buddhay sir
राजकुमार जी बहुत बड़े समाज सुधारक हैं मैं उनका धन्यवाद करता हू।
Rajkumar ji ko sada jai Bheem Namoh Buddhaya from
Odisha 🙏🙏🙏
Great Sir very nice jay bhim namo budhdhay
जय भीम
यादव अब बुद्धिमान हो गए हैं, देख के अच्छा लगा हमारे भाई लोग ढोंग डांग से ऊपर उठ रहे हैं 😊😊😊😊😊🔥
Jai guru Ravidas ji
"सांचे श्राप न लागे सांचे काल न खाए"(सत कबीर वचन)
सर् आपका विडियो बहुत ही प्रेरणा दायक है इस विडियो से अस्पृश्य समुदाय, बहुजन समाज को सिखने की जरूरत है जो लोग जाति व्यवस्था में जकड़े हुए हैं और काल्पनिक देवी देवताओं की भक्ति में मानसिक रूप से गूलाम है।
श्री राजकुमार यादव जी को एक दिन भारत रत्न मिलना ही होगा , जिस दिन श्री यादव जी को भारत रत्न मिलेगा उस दिन मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा दिन होगा । हम सबके मसीहा श्री राजकुमार यादव जी को मेरी तरफ से 100 तोपों की सलामी।
Namo buddhay Jay bheem
@RajkumarYadav सर बहुत बहुत धन्यवाद और बधाई. आपका ये काम सराहनीय है.
Jai bhim namo buddhaya sir aapne bahut achha sandesh diya hamare bahujan samaj ko bahut bahut sadhubad.
ब्राह्मण भिखमंगा है आपकी बात मुझे बहुत पसंद आई
भाषा में मधुरता की प्रतिक्रिया एवं शब्दों का प्रयोग करे सर बहुत बहुत धन्यवाद सादर jai bhim
Bilkul sahi kaha apane Namo Budhay Jai Bhim Jai mulniwasi Jai sambidhan Jago bahujn Jago Evm hatao desh bachao
Good speech
Wah sar ji dil jit lenewala bat🙏🙏🙏🙏🙏
Jai bhim
Radhe Radhe ji
Very nice ji jai yadav Jai madhav
जय भीम 🙏✍️💪
राजकुमार यादव जी आपको सादर प्रणाम 🙏🏻🙏🏻🙏🏻 . पाखँवाद पर बोलने के लिये सच्चाई तो सच्चाई है शिक्षा जरूरी है वर्णा हम किसी ना किसी रूप मे लुटते रहेंगे .🇮🇳🇮🇳🇮🇳🙏🏻
Fffffff
Kya baat hai sir mujhe v bhot kuch jankari mili aap ke jariye se.🙏🙏
Sir Jay bheem namobudhay Jay samvidhan Jay Bharat
बहुत अच्छा प्रयास है। निवेदन है कि भगवान श्रीकृष्ण की वाणी श्रीमद्भागवत गीता भाष्य यथार्थ गीता एक बार अवश्य पढ़ना चाहिए सर
Kya bhagwat teeta padhoge dosto
Usmai to bhai bhai mai jhgda lagane wala sahi hai kya
@@phulbandh2020 aajkal kya ho rha h bhai bhai me????
Dear sir do you know that geeta was from the mouth of krishna. Totaly wrong, because geeta was written by ved vyas, a intellectual brahmin.
@@phulbandh2020 jo lagata hai o to others county se aaye hai unke wajah se ham Bhagwat geeta ya sanatan sanskriti ko kyu bhul jaye . Jo galat karta hai unka bycott kare n ki sanskriti ya dharm ki .kisi ko sanskriti ya dharm tang nahi n karta bhaiyo .🙏
Rajesh ji ek bar bhi padiye Geeta ko
Raj Kumar Yadav ji your work is most appreciable.
Aap log samaj ko jagruk karte rahiy hum aapke sath hai namo buddhay jai bhim jai manvta jai science 🙏🏻
अतिउत्तम पहल ,आज नही तो कल सामाजिक स्तर में भी जागरूक अवश्य होंगी jai भीम
Jay bhim
जय भीम जय भारत जय मुल निवासी
भाई साहब
Jai Bhim namo buddhay🙏