डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे- 1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है। अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं। कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
डा.आम्बेडकर ने अपनी पुस्तक “शूद्र कौन थे” में लिखा है कि आर्य कोई प्रजाति नहीं है. आर्य एक भाषा है. यह भाषा भारत और उसके इर्द-गिर्द बोली जाती थी. इसके बोलने वालों को आर्य कहा जाने लगा. इस तरह दलित व ब्राह्मण दोनों ही आर्य हैं. बाबा साहब ने तिलक के सिद्धान्त को गलत साबित किया कि आर्य यूरेशिया व काकेशिया से भारत में आए हैं. बाबा साहब ने लिखा है कि शूद्रों की तरह ब्राह्मण भी भारत के मूलनिवासी हैं. डा.आम्बेडकर के इस सिद्धांत के विरूद्ध बामन मेश्राम साहब ने अमेरिका के साल्टलेक सिटी, उटाह विश्वविद्यालय के मानवीय आनुवंशिक एकलिस संस्थान के विद्वान बामसाद ने भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्यों के DNA का मिलान यूरेशिया के लोगों से किया जो क्रमशः 99.9, 99.88 और 99.86 प्रतिशत मिलता है. अर्थात भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्य युरेशियन है. यही नहीं बामन मेश्राम साहब ने उद्घोषणा किया है कि अब हमें दूसरी आजादी की लड़ाई लड़नी पड़ेगी. जिस तरह भारत से अंग्रेजों को खदेड़कर आजादी प्राप्त की गई है, ठीक वैसे ही युरेशियन ब्राह्मणों को भारत से निष्कासित कर दलितों (उनके शब्दों में मूलनिवासियों को) को आजादी दिलाना बामसेफ और बीएमपी-मेश्राम का उद्देश्य है. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. ओबीसी वर्ग के शासक ने 70 हजार दलितों को नौकरियों में उनके पदों से रिवर्ट कर निम्न पदों पर पुनर्स्थापित करने का ऐतिहासिक पाप किया है. यही वर्ग है जो दलितों की पिटाई में सबसे अग्रणी रहता है. उसे शूद्र मानता है और उससे शूद्र मनवाने के चक्कर में दलित उसे मूलनिवासी मानता हुआ दोस्त मानता रहता है. यह भी हास्यास्पद लगता है कि सछूत वर्ग अछूत की श्रेणी में आकर अपने को पतित जाति में क्यों शामिल करेगा?
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे- 1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है। अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं। कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. इनके लिए मूलनिवासी का अर्थ है। अर्थात लोगों को गुमराह करके वोट बैंक तैयार करना। इसलिए ये लोग सत्ता की खातिर वंचित वर्गों को मूलनिवासी के बहाने लगातार गुमराह कर रहे हैं। मूलनिवासी शब्द के बहाने ये लोग केवल खुद को अर्थात एक विशेष तबके को भारत के मूलवासी घोषित करना चाहते हैं। इनसे मेरा सीधा सवाल है कि यदि वास्तव में इनके पूर्वज भारत के मूलवासी थे तो मूलनिवासी जैसे हल्के शब्द को गढ़ने की क्या जरूरत है?
सच में इनका व्यवहार ब्राह्मणों से कई गुना अधिक दुराग्रही और तानाशाही है। इनके लिए वंचित वर्गों के महान लोग, जैसे ज्योतिराव फ़ूले, बिरसा मुंडा, पेरियार, बाबा साहब, कांशीराम आदि के विचार, काम और नाम केवल सत्ता पाने की सीढ़ी मात्र हैं। इनको इतनी सी बात समझ में नहीं आती कि आज भारत का प्रत्येक वह व्यक्ति भारत का मूलनिवासी है, जिसके पास मूलनिवास प्रमाण-पत्र है! ये लोग प्रायोजित और तथाकथित डीएनए को आधार बनाकर तर्क करते हैं, इनका मकसद केवल सत्ता है
पाखंडी सबसे मूर्ख होते हैं अंबेडकरवादी सबसे बुद्धिमान होते हैं बुध की शरण में जाने वाला सबसे महान होता है जय मूलनिवासी जय भारत जय भीम जय संध्या नमो बुद्धाय
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे- 1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है। अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं। कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. इनके लिए मूलनिवासी का अर्थ है। अर्थात लोगों को गुमराह करके वोट बैंक तैयार करना। इसलिए ये लोग सत्ता की खातिर वंचित वर्गों को मूलनिवासी के बहाने लगातार गुमराह कर रहे हैं। मूलनिवासी शब्द के बहाने ये लोग केवल खुद को अर्थात एक विशेष तबके को भारत के मूलवासी घोषित करना चाहते हैं। इनसे मेरा सीधा सवाल है कि यदि वास्तव में इनके पूर्वज भारत के मूलवासी थे तो मूलनिवासी जैसे हल्के शब्द को गढ़ने की क्या जरूरत है?
Bhai san एक बात बताओ 28 budho me se एक भी budh ap ले samjh se kyu nahi peda hua सारे बौद्ध राजपूतों ke ghar kyu peda हुए kya ap log सच मे raksash wansh se हो kya a bat राजकुमार hi बोलते है
इस समय श्री राज कुमार यादव जी ने चारों तरफ धूम मचा रखा है आपके समझाने का तरीका बहुत ही सुन्दर है साधारण है आसानी से लोगों की समझ में आ रहा है लोग बुद्ध धर्म की ओर बढ़ रहे हैं आपके वीडियो लोग तेजी से देख रहे हैं नमो बुद्धाय
श्राफ वह वरदान की बात छोड़ो लेकिन हाय जरूर लगती हैं। तू बड़ा ज्ञानी है तू कैसे पैदा हुआ?भीमराव आंबेडकर को आंबेडकर किसने बनाया।भीमराव आंबेडकर नही था भीमराव सकपाल थे।एक ब्राह्मण,एक राजपूत राजा ने पढ़ाई करने विदेश भेजा गया था
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे- 1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है। अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं। कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
डा.आम्बेडकर ने अपनी पुस्तक “शूद्र कौन थे” में लिखा है कि आर्य कोई प्रजाति नहीं है. आर्य एक भाषा है. यह भाषा भारत और उसके इर्द-गिर्द बोली जाती थी. इसके बोलने वालों को आर्य कहा जाने लगा. इस तरह दलित व ब्राह्मण दोनों ही आर्य हैं. बाबा साहब ने तिलक के सिद्धान्त को गलत साबित किया कि आर्य यूरेशिया व काकेशिया से भारत में आए हैं. बाबा साहब ने लिखा है कि शूद्रों की तरह ब्राह्मण भी भारत के मूलनिवासी हैं. डा.आम्बेडकर के इस सिद्धांत के विरूद्ध बामन मेश्राम साहब ने अमेरिका के साल्टलेक सिटी, उटाह विश्वविद्यालय के मानवीय आनुवंशिक एकलिस संस्थान के विद्वान बामसाद ने भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्यों के DNA का मिलान यूरेशिया के लोगों से किया जो क्रमशः 99.9, 99.88 और 99.86 प्रतिशत मिलता है. अर्थात भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्य युरेशियन है. यही नहीं बामन मेश्राम साहब ने उद्घोषणा किया है कि अब हमें दूसरी आजादी की लड़ाई लड़नी पड़ेगी. जिस तरह भारत से अंग्रेजों को खदेड़कर आजादी प्राप्त की गई है, ठीक वैसे ही युरेशियन ब्राह्मणों को भारत से निष्कासित कर दलितों (उनके शब्दों में मूलनिवासियों को) को आजादी दिलाना बामसेफ और बीएमपी-मेश्राम का उद्देश्य है. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. ओबीसी वर्ग के शासक ने 70 हजार दलितों को नौकरियों में उनके पदों से रिवर्ट कर निम्न पदों पर पुनर्स्थापित करने का ऐतिहासिक पाप किया है. यही वर्ग है जो दलितों की पिटाई में सबसे अग्रणी रहता है. उसे शूद्र मानता है और उससे शूद्र मनवाने के चक्कर में दलित उसे मूलनिवासी मानता हुआ दोस्त मानता रहता है. यह भी हास्यास्पद लगता है कि सछूत वर्ग अछूत की श्रेणी में आकर अपने को पतित जाति में क्यों शामिल करेगा?
@THE MAURYA च में इनका व्यवहार ब्राह्मणों से कई गुना अधिक दुराग्रही और तानाशाही है। इनके लिए वंचित वर्गों के महान लोग, जैसे ज्योतिराव फ़ूले, बिरसा मुंडा, पेरियार, बाबा साहब, कांशीराम आदि के विचार, काम और नाम केवल सत्ता पाने की सीढ़ी मात्र हैं।
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे- 1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है। अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं। कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
डा.आम्बेडकर ने अपनी पुस्तक “शूद्र कौन थे” में लिखा है कि आर्य कोई प्रजाति नहीं है. आर्य एक भाषा है. यह भाषा भारत और उसके इर्द-गिर्द बोली जाती थी. इसके बोलने वालों को आर्य कहा जाने लगा. इस तरह दलित व ब्राह्मण दोनों ही आर्य हैं. बाबा साहब ने तिलक के सिद्धान्त को गलत साबित किया कि आर्य यूरेशिया व काकेशिया से भारत में आए हैं. बाबा साहब ने लिखा है कि शूद्रों की तरह ब्राह्मण भी भारत के मूलनिवासी हैं. डा.आम्बेडकर के इस सिद्धांत के विरूद्ध बामन मेश्राम साहब ने अमेरिका के साल्टलेक सिटी, उटाह विश्वविद्यालय के मानवीय आनुवंशिक एकलिस संस्थान के विद्वान बामसाद ने भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्यों के DNA का मिलान यूरेशिया के लोगों से किया जो क्रमशः 99.9, 99.88 और 99.86 प्रतिशत मिलता है. अर्थात भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्य युरेशियन है. यही नहीं बामन मेश्राम साहब ने उद्घोषणा किया है कि अब हमें दूसरी आजादी की लड़ाई लड़नी पड़ेगी. जिस तरह भारत से अंग्रेजों को खदेड़कर आजादी प्राप्त की गई है, ठीक वैसे ही युरेशियन ब्राह्मणों को भारत से निष्कासित कर दलितों (उनके शब्दों में मूलनिवासियों को) को आजादी दिलाना बामसेफ और बीएमपी-मेश्राम का उद्देश्य है. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. ओबीसी वर्ग के शासक ने 70 हजार दलितों को नौकरियों में उनके पदों से रिवर्ट कर निम्न पदों पर पुनर्स्थापित करने का ऐतिहासिक पाप किया है. यही वर्ग है जो दलितों की पिटाई में सबसे अग्रणी रहता है. उसे शूद्र मानता है और उससे शूद्र मनवाने के चक्कर में दलित उसे मूलनिवासी मानता हुआ दोस्त मानता रहता है. यह भी हास्यास्पद लगता है कि सछूत वर्ग अछूत की श्रेणी में आकर अपने को पतित जाति में क्यों शामिल करेगा?
Teri 1000 pedhi aayegi tab bhi tu brahmin ko nahi mita shake.teri koi okat nahi he..brahmino ko mitane se pahele tum logo ko xatriyo ka samana karna padega. Ager xatriya brahmi na hote to..aaj kanhi bhi namaj padhate hote..yad rakhna. Ye xatriyoka balidan ke badolat aap aaj...buddh banke bach haye he.
Raj kumar Aap sahi bhasha ka istemal karo AAp ke mukh se ye Landbak shabd Accha nahi Laga aap ye no ke maha murkh ho duniya men dhudhne ke baad murkh agar koi milega to tum hi ho pakhandi shirt jo chutiya bhi ho ye no ke
बहुत-बहुत धन्यवाद जो समाज सुधारने की सेवा कर रहे हैं मैं आपका परिवार सहित स्वागत करते जय भीम नमो बुद्धाय हम लोग अब देवी देवता की पूजा नहीं करते नहीं तो पंडित को दान गरीब और असहाय को खाना है रोगी को इच्छा अनुसार पैसे भी देते हैं
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे- 1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है। अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं। कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. इनके लिए मूलनिवासी का अर्थ है। अर्थात लोगों को गुमराह करके वोट बैंक तैयार करना। इसलिए ये लोग सत्ता की खातिर वंचित वर्गों को मूलनिवासी के बहाने लगातार गुमराह कर रहे हैं। मूलनिवासी शब्द के बहाने ये लोग केवल खुद को अर्थात एक विशेष तबके को भारत के मूलवासी घोषित करना चाहते हैं। इनसे मेरा सीधा सवाल है कि यदि वास्तव में इनके पूर्वज भारत के मूलवासी थे तो मूलनिवासी जैसे हल्के शब्द को गढ़ने की क्या जरूरत है?
सर् आपका विडियो बहुत ही प्रेरणा दायक है इस विडियो से अस्पृश्य समुदाय, बहुजन समाज को सिखने की जरूरत है जो लोग जाति व्यवस्था में जकड़े हुए हैं और काल्पनिक देवी देवताओं की भक्ति में मानसिक रूप से गूलाम है।
नमो बुद्धाय सादर जय भीम
Iska matlab to apne aap ko Gyani samajhta hai
गुरु जी आपकी आवाज बहुत बुलंद हैं और आपकी वीडियो देख कर मन खुश हो जाता है
Bhai edit video ap bhi n sab kuchh jan ke anjan ban rahe
जय भीम,राष्ट्रिय अध्यक्ष जी,85%बहुजनों को जगाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,सादर जय भीम,नमो बुधाय ।
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी
एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे-
1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है।
अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं।
कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
डा.आम्बेडकर ने अपनी पुस्तक “शूद्र कौन थे” में लिखा है कि आर्य कोई प्रजाति नहीं है. आर्य एक भाषा है. यह भाषा भारत और उसके इर्द-गिर्द बोली जाती थी. इसके बोलने वालों को आर्य कहा जाने लगा. इस तरह दलित व ब्राह्मण दोनों ही आर्य हैं. बाबा साहब ने तिलक के सिद्धान्त को गलत साबित किया कि आर्य यूरेशिया व काकेशिया से भारत में आए हैं. बाबा साहब ने लिखा है कि शूद्रों की तरह ब्राह्मण भी भारत के मूलनिवासी हैं. डा.आम्बेडकर के इस सिद्धांत के विरूद्ध बामन मेश्राम साहब ने अमेरिका के साल्टलेक सिटी, उटाह विश्वविद्यालय के मानवीय आनुवंशिक एकलिस संस्थान के विद्वान बामसाद ने भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्यों के DNA का मिलान यूरेशिया के लोगों से किया जो क्रमशः 99.9, 99.88 और 99.86 प्रतिशत मिलता है. अर्थात भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्य युरेशियन है. यही नहीं बामन मेश्राम साहब ने उद्घोषणा किया है कि अब हमें दूसरी आजादी की लड़ाई लड़नी पड़ेगी. जिस तरह भारत से अंग्रेजों को खदेड़कर आजादी प्राप्त की गई है, ठीक वैसे ही युरेशियन ब्राह्मणों को भारत से निष्कासित कर दलितों (उनके शब्दों में मूलनिवासियों को) को आजादी दिलाना बामसेफ और बीएमपी-मेश्राम का उद्देश्य है. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. ओबीसी वर्ग के शासक ने 70 हजार दलितों को नौकरियों में उनके पदों से रिवर्ट कर निम्न पदों पर पुनर्स्थापित करने का ऐतिहासिक पाप किया है. यही वर्ग है जो दलितों की पिटाई में सबसे अग्रणी रहता है. उसे शूद्र मानता है और उससे शूद्र मनवाने के चक्कर में दलित उसे मूलनिवासी मानता हुआ दोस्त मानता रहता है. यह भी हास्यास्पद लगता है कि सछूत वर्ग अछूत की श्रेणी में आकर अपने को पतित जाति में क्यों शामिल करेगा?
आदरणीय राज कुमार यादव जी आपको हृदय से आभार व्यक्त करता हूं आप जैसे व्यक्तियों को बहुत बहुत धन्यवाद जय भीम जय मूलनिवासी जय बहुजन समाज नमो बुद्धाय
आपको समाज को सुधारने के लिए बहुत-बहुत बधाई बहुत सुंदर विचार जय भीम नमो बुद्धा 🙏🙏🙏
गुरुजी के चरणों में मेरा प्रणाम नमो बुद्धाय आशिर्वाद की कामना है
Jay bhim namo buddhay jay savidhan bahut sundar सर जी
जयगुरूरबिदासजीमहाराज।आपनेबहुतबुराकियाजनेऊदेदियाआजमुलनिबासीभटकरहाहैजयगुरूदेब
राजकुमार सर आपको बहुत-बहुत साधुवाद
Verry good yadav ji
भगवान बुद्ध ने कहा कि जब आंख खुले तब सबेरा सच को जानो तब मानो ।
जय भीम,नमो बुद्धाय 🙏🙏
मै नेपाली हुँ , पर श्रद्धेय राज कुमार यादव सर को उच्च सम्मान देता हुँ । सभी पिछडे लोगों का एक नायक हैं ।
नमो बुद्धाय: ! जय भीम !!
Aur Mai BHI
Jay bhim namo buddhay
मा.राजकुमार यादवजी आप जैसे बुद्धवादी और आंबेडकरवादी है बोलके परिवर्तन जल्द ही होगा ☸️ नमो बुध्दाय ☸️ जय भीम ☸️
एक एक बात में दम है जय भीम 85 मूलनिवासी
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी
एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे-
1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है।
अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं।
कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं.
इनके लिए मूलनिवासी का अर्थ है। अर्थात लोगों को गुमराह करके वोट बैंक तैयार करना। इसलिए ये लोग सत्ता की खातिर वंचित वर्गों को मूलनिवासी के बहाने लगातार गुमराह कर रहे हैं। मूलनिवासी शब्द के बहाने ये लोग केवल खुद को अर्थात एक विशेष तबके को भारत के मूलवासी घोषित करना चाहते हैं। इनसे मेरा सीधा सवाल है कि यदि वास्तव में इनके पूर्वज भारत के मूलवासी थे तो मूलनिवासी जैसे हल्के शब्द को गढ़ने की क्या जरूरत है?
अध्यक्ष जी आपके चरणों में कोटि कोटि नमन,आप जैसे लोगों की जरूरत इस समाज को सदैव रहेगी,जय भीम नमो बुद्धाय
सच में इनका व्यवहार ब्राह्मणों से कई गुना अधिक दुराग्रही और तानाशाही है। इनके लिए वंचित वर्गों के महान लोग, जैसे ज्योतिराव फ़ूले, बिरसा मुंडा, पेरियार, बाबा साहब, कांशीराम आदि के विचार, काम और नाम केवल सत्ता पाने की सीढ़ी मात्र हैं। इनको इतनी सी बात समझ में नहीं आती कि आज भारत का प्रत्येक वह व्यक्ति भारत का मूलनिवासी है, जिसके पास मूलनिवास प्रमाण-पत्र है! ये लोग प्रायोजित और तथाकथित डीएनए को आधार बनाकर तर्क करते हैं, इनका मकसद केवल सत्ता है
Jay Bheem namo buddhay bahut achcha
जयभीम. नमोबुध्दाय. जय. मूलनिवासी. जय. संविधान. 🌹🙏🌹राष्ट्रीय. यादव. जी. आपने. हामारे. बहुजन. समाज. कॊ.सुधार. नें. का. प्रयास. किया. है. औरं. समाज. जाग. राहा. है. समजणे. लगा. है. आपको. धन्यवाद. देते. है. जयभीम. नामोबुध्दाय.
Namo buddhay Jay bheem sar ji 👍👍🙏🙏🙏🙏🙏
राजेश, कुमार, ग्राम,मरकनियां, जिला, चन्दौली
पाखंडी सबसे मूर्ख होते हैं अंबेडकरवादी सबसे बुद्धिमान होते हैं बुध की शरण में जाने वाला सबसे महान होता है जय मूलनिवासी जय भारत जय भीम जय संध्या नमो बुद्धाय
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी
एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे-
1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है।
अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं।
कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं.
इनके लिए मूलनिवासी का अर्थ है। अर्थात लोगों को गुमराह करके वोट बैंक तैयार करना। इसलिए ये लोग सत्ता की खातिर वंचित वर्गों को मूलनिवासी के बहाने लगातार गुमराह कर रहे हैं। मूलनिवासी शब्द के बहाने ये लोग केवल खुद को अर्थात एक विशेष तबके को भारत के मूलवासी घोषित करना चाहते हैं। इनसे मेरा सीधा सवाल है कि यदि वास्तव में इनके पूर्वज भारत के मूलवासी थे तो मूलनिवासी जैसे हल्के शब्द को गढ़ने की क्या जरूरत है?
Bhai san एक बात बताओ 28 budho me se एक भी budh ap ले samjh se kyu nahi peda hua
सारे बौद्ध राजपूतों ke ghar kyu peda हुए kya ap log सच मे raksash wansh se हो kya a bat राजकुमार hi बोलते है
बामन एक कोरी बकवास है...
राजकुमार भैया आप सही में वास्तविक है नमन हे आपको
बहुत ही सुन्दर तरीके से समझाया है
अगर हम सब अभी भी नहीं समझें
तो
फिर कभी भी नहीं समझेंगे
समाज को सुधारने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद जय भीम जय भारत नमो बुद्धाय
Very nice widiyo jay bhim namo budhay
भैया यही समय sudharenge तो आप लोग क्या करेंगे क्या आप पर नहीं आता है आप पर नहीं आता है
/
Yadvsahabaapneachhibatbtailekindalitaekhoaapkibatokomanetogulameesemukthojaaegajaibhimnamobudheyjaisavidhanbabadahdamarraho
ua-cam.com/users/shortsjgY7NAYYMLk?feature=share
Very good raj kumar yadav ji dhanyawad
राजकुमार यादव जी जिंदाबाद बम मजा आ गया खोलते रहो 👍🏻 ओवैसी जिंदाबाद सविधान बचाओ बीजेपी को कांग्रेस को वोट नहीं दे
Saudi arab mein भारत के मुस्लिम को पक्का मुस्लिम नही मानते कॉन्वर्टेड मुस्लिम ही है यहाँ
Yadav sir aap bhut sundar gan diya Dhaniyvad jai bhim jai hind
राजकुमार जी ने बहुत सुन्दर बात कही है
बहुत बढ़िया विचार है लेकिन आप अपने नाम के आगे यादव मत लगाइए
इस समय
श्री राज कुमार यादव जी ने चारों तरफ
धूम मचा रखा है
आपके समझाने का तरीका बहुत ही सुन्दर है
साधारण है आसानी से लोगों की समझ में आ
रहा है
लोग बुद्ध धर्म की ओर बढ़ रहे हैं
आपके वीडियो लोग तेजी से देख रहे हैं
नमो बुद्धाय
Jay bhim Namo budhay raj kumar yadav ji
ध्रुव सत्य,पुश्त दर पुस्त का शानदार विजनेश.
Very good brother and
Jay bhim Namo Buddhay
Bol pachasi Jay Mulniwashi
Braman videsi h
Rajkumar yadav ji ham sab youa apke sath hai milkar andh viswas Bharat me khatam kare
जय भीम नमो बुद्धाय जय मूलनिवासी जय संविधान
सही जानकारी दिए है सर, धन्यवाद
श्राफ वह वरदान की बात छोड़ो लेकिन हाय जरूर लगती हैं। तू बड़ा ज्ञानी है तू कैसे पैदा हुआ?भीमराव आंबेडकर को आंबेडकर किसने बनाया।भीमराव आंबेडकर नही था भीमराव सकपाल थे।एक ब्राह्मण,एक राजपूत राजा ने पढ़ाई करने विदेश भेजा गया था
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी
एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे-
1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है।
अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं।
कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
डा.आम्बेडकर ने अपनी पुस्तक “शूद्र कौन थे” में लिखा है कि आर्य कोई प्रजाति नहीं है. आर्य एक भाषा है. यह भाषा भारत और उसके इर्द-गिर्द बोली जाती थी. इसके बोलने वालों को आर्य कहा जाने लगा. इस तरह दलित व ब्राह्मण दोनों ही आर्य हैं. बाबा साहब ने तिलक के सिद्धान्त को गलत साबित किया कि आर्य यूरेशिया व काकेशिया से भारत में आए हैं. बाबा साहब ने लिखा है कि शूद्रों की तरह ब्राह्मण भी भारत के मूलनिवासी हैं. डा.आम्बेडकर के इस सिद्धांत के विरूद्ध बामन मेश्राम साहब ने अमेरिका के साल्टलेक सिटी, उटाह विश्वविद्यालय के मानवीय आनुवंशिक एकलिस संस्थान के विद्वान बामसाद ने भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्यों के DNA का मिलान यूरेशिया के लोगों से किया जो क्रमशः 99.9, 99.88 और 99.86 प्रतिशत मिलता है. अर्थात भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्य युरेशियन है. यही नहीं बामन मेश्राम साहब ने उद्घोषणा किया है कि अब हमें दूसरी आजादी की लड़ाई लड़नी पड़ेगी. जिस तरह भारत से अंग्रेजों को खदेड़कर आजादी प्राप्त की गई है, ठीक वैसे ही युरेशियन ब्राह्मणों को भारत से निष्कासित कर दलितों (उनके शब्दों में मूलनिवासियों को) को आजादी दिलाना बामसेफ और बीएमपी-मेश्राम का उद्देश्य है. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. ओबीसी वर्ग के शासक ने 70 हजार दलितों को नौकरियों में उनके पदों से रिवर्ट कर निम्न पदों पर पुनर्स्थापित करने का ऐतिहासिक पाप किया है. यही वर्ग है जो दलितों की पिटाई में सबसे अग्रणी रहता है. उसे शूद्र मानता है और उससे शूद्र मनवाने के चक्कर में दलित उसे मूलनिवासी मानता हुआ दोस्त मानता रहता है. यह भी हास्यास्पद लगता है कि सछूत वर्ग अछूत की श्रेणी में आकर अपने को पतित जाति में क्यों शामिल करेगा?
@THE MAURYA च में इनका व्यवहार ब्राह्मणों से कई गुना अधिक दुराग्रही और तानाशाही है। इनके लिए वंचित वर्गों के महान लोग, जैसे ज्योतिराव फ़ूले, बिरसा मुंडा, पेरियार, बाबा साहब, कांशीराम आदि के विचार, काम और नाम केवल सत्ता पाने की सीढ़ी मात्र हैं।
Sir आपको बहुत बहुत साधुवाद जो इतनी बारीकी से बहुजन समाज को समझाने का प्रयास किये हैं। जय भीम namobuddhay
Guru.ji.ke.charano.me.mera.koti.koti.naman.jay.bhim.namo.buddhay.jay.bharat.jay.sammidhan.jay.mualniwashi
Rajkumar Yadav ji aapko sadar namo buddhay Jay bheem
अत्तिउत्तम हृदयविदारक प्रेरणादायक जागरूकता संदेश। आपको कोटिशः धन्यवाद।
राजकुमार यादव जी आप बहुत अच्छे लगते हो जय भीम जय संविधान
Jai Jay Bheem namo buddhay Jay Bheem namo buddhay. Rajkumar uncle.je
जय जय श्रीराम ! जय जय श्रीराम ! जय जय हो परम पुजनिय ब्राह्मण देवाय नमो नमः !
अति सुन्दर प्रस्तुति है यादव जी ।इसको बोलते शब्दों का उच्चारण ।
यादव नहीं है
@@shaileshdwivedi7171 a
Tusale marji narak mejaoge
@@shaileshdwivedi7171 सही कहा आपने भाई
Ye Rajkumar shudra hai Baodh Daram Manta hai ye kewal apne ko ucha dekhane ke liye Rajkumar yadav likhta hai
"सांचे श्राप न लागे सांचे काल न खाए"(सत कबीर वचन)
बहुजन समाज में आपके जैसे लोगों की बहुत जरूरत है
Wah sar ji dil jit lenewala bat🙏🙏🙏🙏🙏
🙏 नमो बुद्धाय जयभिम🙏👍👍👍👍👍👍
Great Sir very nice jay bhim namo budhdhay
सुपर सर बहुत सुंदर बहुत अच्छी बात आपने कही सादर जय भीम नमो बुद्धाय
क्रांतिकारी जय भिम राजकुमार यादव जी बहुत बहुत धन्यवाद जय भीम नमो बुद्धाय
Namo buddhay Jay bheem
Very good
Namo buday Jay bhim jay mool nivasi jay sambidhan from Etawah Uttar
Very best speech Jai Bheem Jai Bharat Jai sambidhan namo buddhay ji 🙏🙏
अच्छा संदेश नमो बुद्धाय जय भीम
जय भीम
Bahut.nadiya.jankari.rajkumaryadav.ke.davara.di.gaye thanks.nami.budhy.jai.bhim.
Jai guru Ravidas ji
Kya baat hai sir mujhe v bhot kuch jankari mili aap ke jariye se.🙏🙏
बिना ब्राह्मणवाद को मिटाए हुई हम इस व्यवस्था को परिवर्तित नहीं कर सकते।
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी
एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे-
1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है।
अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं।
कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
डा.आम्बेडकर ने अपनी पुस्तक “शूद्र कौन थे” में लिखा है कि आर्य कोई प्रजाति नहीं है. आर्य एक भाषा है. यह भाषा भारत और उसके इर्द-गिर्द बोली जाती थी. इसके बोलने वालों को आर्य कहा जाने लगा. इस तरह दलित व ब्राह्मण दोनों ही आर्य हैं. बाबा साहब ने तिलक के सिद्धान्त को गलत साबित किया कि आर्य यूरेशिया व काकेशिया से भारत में आए हैं. बाबा साहब ने लिखा है कि शूद्रों की तरह ब्राह्मण भी भारत के मूलनिवासी हैं. डा.आम्बेडकर के इस सिद्धांत के विरूद्ध बामन मेश्राम साहब ने अमेरिका के साल्टलेक सिटी, उटाह विश्वविद्यालय के मानवीय आनुवंशिक एकलिस संस्थान के विद्वान बामसाद ने भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्यों के DNA का मिलान यूरेशिया के लोगों से किया जो क्रमशः 99.9, 99.88 और 99.86 प्रतिशत मिलता है. अर्थात भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्य युरेशियन है. यही नहीं बामन मेश्राम साहब ने उद्घोषणा किया है कि अब हमें दूसरी आजादी की लड़ाई लड़नी पड़ेगी. जिस तरह भारत से अंग्रेजों को खदेड़कर आजादी प्राप्त की गई है, ठीक वैसे ही युरेशियन ब्राह्मणों को भारत से निष्कासित कर दलितों (उनके शब्दों में मूलनिवासियों को) को आजादी दिलाना बामसेफ और बीएमपी-मेश्राम का उद्देश्य है. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. ओबीसी वर्ग के शासक ने 70 हजार दलितों को नौकरियों में उनके पदों से रिवर्ट कर निम्न पदों पर पुनर्स्थापित करने का ऐतिहासिक पाप किया है. यही वर्ग है जो दलितों की पिटाई में सबसे अग्रणी रहता है. उसे शूद्र मानता है और उससे शूद्र मनवाने के चक्कर में दलित उसे मूलनिवासी मानता हुआ दोस्त मानता रहता है. यह भी हास्यास्पद लगता है कि सछूत वर्ग अछूत की श्रेणी में आकर अपने को पतित जाति में क्यों शामिल करेगा?
सही कहा
किसी भी ब्रहमन का आह ले कर देख फिर क्या होता है
Teri 1000 pedhi aayegi tab bhi tu brahmin ko nahi mita shake.teri koi okat nahi he..brahmino ko mitane se pahele tum logo ko xatriyo ka samana karna padega. Ager xatriya brahmi na hote to..aaj kanhi bhi namaj padhate hote..yad rakhna. Ye xatriyoka balidan ke badolat aap aaj...buddh banke bach haye he.
Raj Kumar Yadav ji your work is most appreciable.
गुरु जी क्षान बहुत अच्छा है आप आवाज अच्छी लगती हैं आपकी आवाज को बहुत बुलंद है बाबा साहेब आंबेडकर जय हो
Jai bhim namo buddhay 🙏🙏🙏❤️❤️👌👌
धन्यवाद साहब जी बहुजन समाज को सुधारने के लिए जय भीम नमो बुद्धाय
आप को बहुत बहुत साधुवाद सादर जय भीम नमो बुधाय
ब्राह्मण भिखमंगा है आपकी बात मुझे बहुत पसंद आई
जय भीम नमो बुध्दाय
Great job sir , keep it up 🙏🙏
Jay bhim
जय भीम सर, आप जैसे बहुजन समाज को जगाने व जागरूक करने के लिए आप को बहुत बहुत धन्यवाद सर
Jay bheem namo buddhay sir
यादव अब बुद्धिमान हो गए हैं, देख के अच्छा लगा हमारे भाई लोग ढोंग डांग से ऊपर उठ रहे हैं 😊😊😊😊😊🔥
यादव जी आपने समाज को जागरूक करने का कार्य बहुत ही सराहनीय है।
जय भीम
बीलकूल सही सर जी जय भीम नमो बुद्धाय EVM हटाओ देश बचाओ जागो बहूजन जागो
क्रांतिकारी जय भीम 🙏🙏🙏🙏
हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा कुमार जिंदाबाद मजा आ गया राजकुमार गाना
Raj kumar Aap sahi bhasha ka istemal karo AAp ke mukh se ye Landbak shabd Accha nahi Laga aap ye no ke maha murkh ho duniya men dhudhne ke baad murkh agar koi milega to tum hi ho pakhandi shirt jo chutiya bhi ho ye no ke
Nice sir
नमो बुद्धाय जय भीम
जय भारत जय संविधान
जय मूलनिवासी
वाहा राजकुमार जी आपको कोटी कोटी धन्यवाद जो
Right jai bhim mamo buddhay jai samvidhan
राजकुमार जी बहुत बड़े समाज सुधारक हैं मैं उनका धन्यवाद करता हू।
Samaj sudharak nhi samaj barbadak hai...pure desh m dharam virodhi bate karta hai
बहुत बहुत धन्यवाद भाई ऐसे ही समाज को जागरूक को जागरूक करते रहे
समाज को आईना दिखाने के कार्य के लिए दिल से सैल्यूट नमो बुद्धाय जय भीम 🙏
Jai bhim namo buddhaya sir aapne bahut achha sandesh diya hamare bahujan samaj ko bahut bahut sadhubad.
60 साल पहले मेरे पिताजी ने यही बात मुझे समझाई थी
श्री मान जी आप बहुजन समाज को जगाने काम कर रहे ।इसका लाभ समाज को जरूर मिलेगा । सादर जय भीम नमो बुद्धाय।
समझ को नहीं bhim army chief chandu को मिलेगा अपनी पार्टी जो बना रखी है
नेता na कभी किसी का था na कभी किसी का होगा
😢😢😢😢😂🎉🎉😢😢3 8:26 😊🎉😢😢😢@@sohanrawat64917:07 7:08 7❤:😮🎉09 😢😢😢😢😢🎉 8:00 😢😢
Jay bhim mamo buddhay
क्या बात है जिसने बुद्ध को जाना वो शुद्ध हुआ, जिसने भीम को जाना वो ज्ञानी हुआ 🙏🙏🙏🙏
बहुत-बहुत धन्यवाद जो समाज सुधारने की सेवा कर रहे हैं मैं आपका परिवार सहित स्वागत करते जय भीम नमो बुद्धाय हम लोग अब देवी देवता की पूजा नहीं करते नहीं तो पंडित को दान गरीब और असहाय को खाना है रोगी को इच्छा अनुसार पैसे भी देते हैं
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी
एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे-
1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है।
अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं।
कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं.
इनके लिए मूलनिवासी का अर्थ है। अर्थात लोगों को गुमराह करके वोट बैंक तैयार करना। इसलिए ये लोग सत्ता की खातिर वंचित वर्गों को मूलनिवासी के बहाने लगातार गुमराह कर रहे हैं। मूलनिवासी शब्द के बहाने ये लोग केवल खुद को अर्थात एक विशेष तबके को भारत के मूलवासी घोषित करना चाहते हैं। इनसे मेरा सीधा सवाल है कि यदि वास्तव में इनके पूर्वज भारत के मूलवासी थे तो मूलनिवासी जैसे हल्के शब्द को गढ़ने की क्या जरूरत है?
सर आप ग्रेट हो आप के महान विचारों की हम कदर करते हैं जय भीम नमो बुद्धाय
जय भीम 🙏✍️💪
सर सबसे पहले सादर अभिवादन नमो बुद्धाए जय भीम जय भारत जय मूलनिवासी।।। सर आप हम सबो का आवाज।।।
Jai bhim
जय श्री कृष्ण जय यदु बंशी धर्म के नाम पर लूट ते है ब्राहमण पाखंड को जङ से मिटा दो जय यादव जय माधव जय श्री कृष्ण जय यदु बंशी
Rajkumar ji ko sada jai Bheem Namoh Buddhaya from
Odisha 🙏🙏🙏
Bahut achha Samaj ko aur jagaiye🙏🙏
सर् आपका विडियो बहुत ही प्रेरणा दायक है इस विडियो से अस्पृश्य समुदाय, बहुजन समाज को सिखने की जरूरत है जो लोग जाति व्यवस्था में जकड़े हुए हैं और काल्पनिक देवी देवताओं की भक्ति में मानसिक रूप से गूलाम है।
Sir.jaybhim.namoy.bhudhay.bhoot.bhdhiya.gan.app.ne.diya.sir.app.ka.bhoot.bhoot.dhanwad.sir.jaybhim
जब तक हम अपने महापुरुषों को नहीं, पडेंगे तब तक हम अज्ञानता के अंधेरे से नहीं निकल पाएंगे 🙏🏻जय भीम 🙏🏻
🙏🏻नमों बुद्धा 🙏🏻
अतिउत्तम पहल ,आज नही तो कल सामाजिक स्तर में भी जागरूक अवश्य होंगी jai भीम
Sir Jay bheem namobudhay Jay samvidhan Jay Bharat
जय भीम जय संविधान भैया जी बहुत सही कहा आपने आप जैसे लोग इस समाज को सुधार सकते है।।
जय भीम जय भारत जय मुल निवासी
भाई साहब
गुरु जी के चरणों मे कोटि कोटि प्रणाम
Abe pagal hai maderchod
आपका बहुत बहुत धन्यवाद सच्चाई को दुनिया के सामने लाने के लिए
Great work
जय भीम जय मूलनिवासी सर जी बहुत ही अच्छा बताये सर जी