प्रिय साथी आदरणीय अखिलेंद्र प्रताप सिंह जी आपका साक्षात्कार और गीत भी सुना बहुत अच्छा लगा आपकी गीत से बिरहा सम्राट हैदर अली जुगनू जी की याद आती है अजय सिंह उर्फ अटल जी सेमरा वीर भानपुर जिला उपाध्यक्ष बौद्धिक मंच अपना दल यश प्रयागराज
Highlights प्रयागराज के कलाकारों और लोक गायन की कला पर चर्चा की गई है। इसमें बिरहा गायन के प्रति प्रेम और गुरु-शिष्य परंपरा का महत्व बताया गया है। स्वर्गीय श्री हैदर अली जुगनू जी की गायकी अद्वितीय थी। उनकी आवाज और गीतों ने सुनने वालों को मंत्रमुग्ध कर दिया था। हैदर अली जुगनू जी की गाई हुई कई प्रसिद्ध गीतों का जिक्र किया गया है। उनके गाने में भावनाओं और मिठास का अद्भुत मिश्रण था। गायकी में लहरी चाचा और अन्य गायकों का भी योगदान रहा है। सभी गायकों का अपना अनोखा अंदाज था, जिससे वे बेमिसाल बन गए। दुल्हनिया पियावा के बुलावे पर आधारित एक खास गीत का उल्लेख किया गया है। यह गीत विवाह परंपराओं और प्रेम की अभिव्यक्ति को दर्शाता है। भारत की सांस्कृतिक परंपरा में संगीत और कविता का महत्वपूर्ण स्थान है। गायक और कवि अक्सर अपने अनुभवों और शिक्षाओं के आधार पर अपने कार्य को आगे बढ़ाते हैं। बिराहा गायकी की उत्पत्ति यादवों से हुई है, लेकिन इसे सभी बिरादरी के लोग गा सकते हैं। इसका कोई जातिवाद से संबंध नहीं है, संगीत में केवल प्रतिभा महत्वपूर्ण है। बिराहा और कला का संबंध समझना आवश्यक है। कला का मतलब है कल के लिए संधि करना, और यह हमारे समाज के भविष्य को आकार देता है। यह वीडियो एक गीत का प्रदर्शन है जिसमें कलाकार ने संगीत और भावनाओं का अद्भुत मिश्रण प्रस्तुत किया है। इसमें मानवता के महत्व और कलाकार बनने की प्रेरणा दी गई है। समाज में अश्लीलता का बढ़ता प्रभाव चिंताजनक है, जिसके कारण नई पीढ़ी पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। हमें इसे रोकने के लिए सही विचारधारा अपनानी चाहिए। संस्कृति और विचारधारा का प्रभाव समाज पर होता है, जो लोगों के आचार-विचार को प्रभावित करता है। यह जरूरी है कि हम स्वस्थ विचारों को बढ़ावा दें। भोजन की तरह, समाज में हर तरह की चीजों की जरूरत होती है, लेकिन अश्लीलता को सीमित करना आवश्यक है। इससे अगली पीढ़ी को सकारात्मक शिक्षा मिल सकेगी। सुनने और सुनाने के तरीकों में भिन्नता होती है। हमें संवाद को इस प्रकार करना चाहिए कि वह समाज में अच्छे संदेश का प्रसार करे।
प्रयागराज में बिरहा सम्राट हैदर अली जुगनू के शिष्य अखिलेंद्र प्रताप जी का साक्षात्कार हुआ। उन्होंने अपने गायन करियर की शुरुआत, गुरुजी के आशीर्वाद और बिरहा की परंपरा पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि बिरहा गायन में जातिवाद का कोई स्थान नहीं है और सभी को समान सम्मान मिलना चाहिए। You may be interested in these questions: बिरहा गायन की परंपरा क्या है? अखिलेंद्र प्रताप जी का गायन सफर कैसा रहा? बिरहा और जातिवाद पर क्या विचार हैं? Highlights
Biraha SAMRAT HAIDAR ALI juganu JEE ka naam tha prayagraj me hi nahe pure biraha jagat me alag PAHCHAN thi 🙏🙏🙏🌹🌹unanke samne biraha Gayak na to kavi JAY HO 🙏🙏
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प्रिय साथी आदरणीय अखिलेंद्र प्रताप सिंह जी आपका साक्षात्कार और गीत भी सुना बहुत अच्छा लगा आपकी गीत से बिरहा सम्राट हैदर अली जुगनू जी की याद आती है
अजय सिंह उर्फ अटल जी
सेमरा वीर भानपुर
जिला उपाध्यक्ष बौद्धिक मंच अपना दल यश प्रयागराज
Jay hind
Good
Jay ho
Good very nice congratulations 🎉
❤❤❤ bahut hi shunder guru ji❤❤❤
बहुत सुन्दर प्रस्तुति रहती है आपकी।
Qàà
Super
बहुत बहुत बधाई
Haidar Ali jugunu
Guru ji 🙏 🙏
बहुत सुंदर वर्तलाप् बड़े भैया जी
Very nice singing
Bahut bahut dhanyavad Akhilesh bhai aapane prayagraj ke teenon kalakarke bare mein acchi jankari samaj mein preshit kijiye
मान्यवर आप बड़ी ही ऊंची प्रतिभा के धनी हैं बिरहा बिधा को जीवंत करने एवं प्रगतिशील गायन के लिए आपका स्वागत है
Nice
बहुत सुन्दर 💐
बड़े भईया आदरणीय अखिलेंद्र प्रताप सिंह गुरु जी आपके चरणों में सादर प्रणाम स्वीकार हो ।
Highlights
प्रयागराज के कलाकारों और लोक गायन की कला पर चर्चा की गई है। इसमें बिरहा गायन के प्रति प्रेम और गुरु-शिष्य परंपरा का महत्व बताया गया है।
स्वर्गीय श्री हैदर अली जुगनू जी की गायकी अद्वितीय थी। उनकी आवाज और गीतों ने सुनने वालों को मंत्रमुग्ध कर दिया था।
हैदर अली जुगनू जी की गाई हुई कई प्रसिद्ध गीतों का जिक्र किया गया है। उनके गाने में भावनाओं और मिठास का अद्भुत मिश्रण था।
गायकी में लहरी चाचा और अन्य गायकों का भी योगदान रहा है। सभी गायकों का अपना अनोखा अंदाज था, जिससे वे बेमिसाल बन गए।
दुल्हनिया पियावा के बुलावे पर आधारित एक खास गीत का उल्लेख किया गया है। यह गीत विवाह परंपराओं और प्रेम की अभिव्यक्ति को दर्शाता है।
भारत की सांस्कृतिक परंपरा में संगीत और कविता का महत्वपूर्ण स्थान है। गायक और कवि अक्सर अपने अनुभवों और शिक्षाओं के आधार पर अपने कार्य को आगे बढ़ाते हैं।
बिराहा गायकी की उत्पत्ति यादवों से हुई है, लेकिन इसे सभी बिरादरी के लोग गा सकते हैं। इसका कोई जातिवाद से संबंध नहीं है, संगीत में केवल प्रतिभा महत्वपूर्ण है।
बिराहा और कला का संबंध समझना आवश्यक है। कला का मतलब है कल के लिए संधि करना, और यह हमारे समाज के भविष्य को आकार देता है।
यह वीडियो एक गीत का प्रदर्शन है जिसमें कलाकार ने संगीत और भावनाओं का अद्भुत मिश्रण प्रस्तुत किया है। इसमें मानवता के महत्व और कलाकार बनने की प्रेरणा दी गई है।
समाज में अश्लीलता का बढ़ता प्रभाव चिंताजनक है, जिसके कारण नई पीढ़ी पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। हमें इसे रोकने के लिए सही विचारधारा अपनानी चाहिए।
संस्कृति और विचारधारा का प्रभाव समाज पर होता है, जो लोगों के आचार-विचार को प्रभावित करता है। यह जरूरी है कि हम स्वस्थ विचारों को बढ़ावा दें।
भोजन की तरह, समाज में हर तरह की चीजों की जरूरत होती है, लेकिन अश्लीलता को सीमित करना आवश्यक है। इससे अगली पीढ़ी को सकारात्मक शिक्षा मिल सकेगी।
सुनने और सुनाने के तरीकों में भिन्नता होती है। हमें संवाद को इस प्रकार करना चाहिए कि वह समाज में अच्छे संदेश का प्रसार करे।
प्रयागराज में बिरहा सम्राट हैदर अली जुगनू के शिष्य अखिलेंद्र प्रताप जी का साक्षात्कार हुआ। उन्होंने अपने गायन करियर की शुरुआत, गुरुजी के आशीर्वाद और बिरहा की परंपरा पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि बिरहा गायन में जातिवाद का कोई स्थान नहीं है और सभी को समान सम्मान मिलना चाहिए।
You may be interested in these questions:
बिरहा गायन की परंपरा क्या है?
अखिलेंद्र प्रताप जी का गायन सफर कैसा रहा?
बिरहा और जातिवाद पर क्या विचार हैं?
Highlights
Super 👍👍👍👍👍 sir
❤❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉🎉
Guruji Sadar pranam main birha gayak Manik saral prabandhan karta hun
Biraha SAMRAT HAIDAR ALI juganu JEE ka naam tha prayagraj me hi nahe pure biraha jagat me alag PAHCHAN thi 🙏🙏🙏🌹🌹unanke samne biraha Gayak na to kavi JAY HO 🙏🙏