पतंजलि योगसूत्र (अष्टांग योग) भाग -1 यम

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  • Опубліковано 29 гру 2024
  • अष्टांग योग (Ashtanga Yoga) पतंजलि द्वारा रचित योगसूत्र में वर्णित एक प्रणाली है, जो आत्म-शुद्धि और आत्म-साक्षात्कार के लिए आठ चरणों पर आधारित है। इसे योग का वैज्ञानिक और व्यवस्थित मार्ग माना जाता है। “अष्टांग” का अर्थ है आठ अंग। ये आठ अंग हैं:
    1. यम (नैतिक अनुशासन)
    • अहिंसा (हिंसा न करना)
    • सत्य (सत्य बोलना)
    • अस्तेय (चोरी न करना)
    • ब्रह्मचर्य (संयम)
    • अपरिग्रह (संपत्ति का त्याग)
    2. नियम (आत्म-अनुशासन)
    • शौच (शुद्धता)
    • संतोष (संतुष्टि)
    • तप (आत्म-नियंत्रण)
    • स्वाध्याय (अध्ययन)
    • ईश्वर प्राणिधान (ईश्वर में समर्पण)
    3. आसन (शारीरिक मुद्रा)
    • शरीर को स्थिर और मजबूत बनाने के लिए।
    4. प्राणायाम (श्वास नियंत्रण)
    • प्राण (जीवन ऊर्जा) को नियंत्रित करना।
    5. प्रत्याहार (इंद्रिय संयम)
    • इंद्रियों को बाहरी विषयों से हटाकर भीतर की ओर लगाना।
    6. धारणा (एकाग्रता)
    • मन को किसी एक बिंदु या वस्तु पर केंद्रित करना।
    7. ध्यान (मेडिटेशन)
    • ध्यानावस्था में मन को पूरी तरह शांत करना।
    8. समाधि (आत्म-साक्षात्कार)
    • आत्मा का परमात्मा से मिलन।
    अष्टांग योग व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शुद्धता की ओर ले जाता है, जिससे जीवन में शांति, स्वास्थ्य और आत्म-साक्षात्कार प्राप्त होता है।

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